आल्ट न्यूज के जुबेर के नाम है 25 फेक खबरें फैलाने का कारनामा

AltNews वाला मोहम्मद जुबैर: जिसने फैलाई 25 फेक खबरें, नाबालिग लड़की की ऑनलाइन प्रताड़ना का है आरोपित

‘पॉलिटकल कीड़ा’ के अंकुर सिंह ने खोली AltNews के जुबैर की पोल

प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘ऑल्ट न्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर पर एक नाबालिग लड़की की ऑनलाइन प्रताड़ना का आरोप लगा, जिसके बाद बाल आयोग ने उनके खिलाफ एक्शन लेते हुए एफआईआर दर्ज किया। अब प्रतीक सिन्हा भी उसके समर्थन में उतर आए हैं और कहा है कि जुबैर ‘फेक नैरेटिव से लड़ाई’ लड़ते हैं, इसीलिए वो उनके साथ खड़े हैं। एक तो झूठा दावा, ऊपर से इसके बहाने नाबालिग की प्रताड़ना को जायज ठहराने की कोशिश। अंकुर सिंह ने इस फेक दावे की पोल खोली।

‘पोलिटिकल कीड़ा’ के संस्थापक अंकुर सिंह ने ट्विटर पर ‘ऑल्ट न्यूज़’ के मोहम्मद जुबैर की पोल खोलते हुए उसका कच्चा चिट्ठा पेश किया। उन्होंने दर्जनों ऐसे उदाहरण गिनाए, जब जुबैर ने झूठ फैलाया। अधिकतर बार उसे अपनी ट्वीट्स डिलीट करनी पड़ी। साथ ही अंकुर ने उसे ‘रसोड़े का फैक्ट-चेकर’ करार दिया। यहाँ हम उस थ्रेड से उन घटनाक्रमों को आपके समक्ष रख रहे हैं, जब जुबैर ने झूठ फैलाया और उसकी बेइज्जती हुई।

ज़ुबैर ने दावा किया कि जहाँ मेक्सिको में टीवी के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है, भारत में दूरदर्शन प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ के प्रसारण में लगा हुआ है। बाद में जब लोगों ने बताया कि भारत में 3 दर्जन से भी अधिक चैनल पठन-पाठन के काम में लगे हुए हैं, उसने अपनी ट्वीट्स डिलीट कर दी।
उसने सोलापुर में आग लगने की खबर शेयर की। उसने अप्रैल में ये वीडियो शेयर किया जबकि ये फ़रवरी का निकला। बाद में उसने भी माना कि उसने जिस वीडियो को रीट्वीट किया था, वो 2 महीने पुराना है।
इसके बाद उसने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के‘मन की बात’ के वीडियो पर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के डर से कमेंट्स ऑफ कर दिया गया है। हालाँकि, पीएमओ इंडिया के पेज पर सारे वीडियोज पर कमेंट्स वर्षों से ऑफ हैं। जबकि नरेंद्र मोदी और भाजपा के यूट्यूब चैनल पर इसी वीडियो पर कमेंट किया जा सकता है।

जब महंत गोपालदास के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई तो उसने एडिटेड फोटो शेयर कर के दावा किया कि सरसंघचालक मोहन भागवत उनके बगल में ही बैठे थे। जबकि ये तस्वीर फोटोशॉप्ड है।
खबर आई थी कि अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर राम मंदिर का बिलबोर्ड दिखाया जाएगा। जुबैर ने दावा किया कि इस कार्यक्रम को कैंसल कर दिया गया है। जबकि तय समय पर राम मंदिर के डिजिटल बिलबोर्ड का प्रदर्शन हुआ।
उसने अपने पेज ‘अनऑफिसियल सुब्रमण्यन स्वामी’ से दावा किया कि भाजपा स्ट्रांग रूम से ईवीएम चुरा रही है। फैक्टहंट द्वारा फैक्ट चेक के बाद उसने पेज के एडमिन्स में से एक पर दोष डाल कर इतिश्री कर ली।
उसने एक तस्वीर शेयर कर के दावा किया कि किसानों के साथ पुलिस आतंकियों की तरह व्यवहार कर रही है। बाद में खुलासा हुआ कि ये वीडियो 2013 है, जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। ये तस्वीर कविता कृष्णन ने ट्वीट की थी, जिसे जुबैर ने आगे बढ़ाया।
श्रीलंका में हुए हमले के बाद वहाँ के एक मंत्री ने पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि ख़ुफ़िया अधिकारियों को पहले से इसकी भनक थी। जब अभिजीत मजूमदार और आनंद रंगनाथन जैसे लोगों ने इस पत्र को आगे बढ़ाया तो जुबैर ने आतंकियों के बचाव के लिए उसे फेक करार दिया। जबकि मंत्री ने खुद अपने हैंडल से उसे डाल रखा था।
उसने एक विरोध प्रदर्शन का वीडियो शेयर कर के लिखा कि दिल्ली में इतना बड़ा विरोध होने के बावजूद मीडिया इसे नहीं दिखा रहा। जबकि असलियत ये थी कि वो वीडियो मुंबई का था।
जब देश भर में मॉब लिंचिंग को लेकर मुद्दा गरमाया हुआ था और इसे लेकर नैरेटिव बनाया जा रहा था, तब मोहम्मद जुबैर ने कॉन्ग्रेस शासनकाल का एक विरोध प्रदर्शन का वीडियो शेयर किया, ताकि लोग मोदी सरकार पर हमला बोल सकें।
उसने दावा किया कि विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं ने ‘हिंदुस्तान मुर्दाबाद’ का नारा लगाया। गोंडा पुलिस ने इन ख़बरों का खंडन करते हुए कहा कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था।
उसने अपने फेसबुक पेज से किया कि कश्मीरी छात्र रक्तदान कर रहे हैं। जबकि वो तस्वीर एक घायल व्यक्ति की थी, जो विरोध प्रदर्शन के दौरान जख्मी हो गया था। अस्पताल में उसका इलाज हो रहा था।
मोहम्मद जुबैर ने अंजू घोष को बांग्लादेशी अभिनेत्री बताते हुए भाजपा की आलोचना की। लेकिन, दिलीप घोष ने उनका जन्म प्रमाण पत्र शेयर कर के उसके झूठ पर विराम लगाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था कि प्रधानमंत्री बनने से पहले वो अपने कपड़े खुद धोया करते थे। बाद में जुबैर ने एक खबर शेयर कर किया, जिसमें लिखा था कि वो प्रधानमंत्री मोदी का धोबी था। उसकी हार्ट अटैक से मृत्यु हुई। उसने ये साबित करने का प्रयास किया कि प्रधानमंत्री मोदी अपने कपड़े खुद नहीं धोते थे, वो झूठ बोल रहे। जबकि उसी खबर में लिखा था कि वो धोबी मोदी के कपड़े प्रेस करता था, धोता नहीं था।
जम्मू कश्मीर के डिप्टी ग्रैंड मुफ़्ती ने मुसलमानों के लिए अलग मुल्क की माँग की, जिस पर ऑपइंडिया ने खबर प्रकाशित की। जुबैर ने किसी अन्य क्लेम का फैक्ट-चेक शेयर कर के दावा कर दिया कि ये खबर गलत है।
कठुआ मामले में विशाल जंगोत्रा निर्दोष है या नहीं, इस सम्बन्ध में ऑपइंडिया ने जब खबर प्रकाशित की तो जुबैर ने इसकी आलोचना की। जबकि बाद में वो कोर्ट से भी निर्दोष साबित हुआ, तब जुबैर की बोलती बंद हो गई।
उसने उस ट्वीट को आगे बढ़ाया, जिसमें ग्रेटर नोएडा हत्याकांड के आरोपित सोनू पाठक का भाजपा से जुड़ाव बताया गया था। बाद में पता चला कि वो कोई और सोनू पाठक है, हत्या आरोपित नहीं।
कन्हैया कुमार ने दावा किया कि बेगूसराय में एक फेरीवाले को पाकिस्तान जाने की बात कह के गोली मार दी गई। जबकि बाद में खुलासा हुआ कि ये घटना सांप्रदायिक थी ही नहीं, किसी चीज की खरीद-बेच को लेकर झगड़ा हुआ था, जिसके बाद ये घटना हुई।
जब तबलीगी जमात वालों ने महामारी फैलाई और मौलाना साद के ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वो मुसलमानों को कोरोना से न डरते हुए सारी इस्लामी गतिविधियाँ जारी रखने की सलाह दी, तो मोहम्मद जुबैर ने इस ऑडियो को फेक बताया। दिल्ली पुलिस ने इन दावों को ही फेक बता दिया और ऑडियो सही निकला।
उसने दावा किया कि एक दलित लड़के को मंदिर में घुसने पर मार डाला गया। सच्चाई ये थी कि 5000 रुपए के लोन को लेकर ये वारदात हुई थी। उस मंदिर का इतिहास रहा है कि उसमे दशकों से दलित जाकर पूजा-पाठ करते आ रहे हैं।
उसने दावा किया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा कभी टीपू जयंती समारोह में हिस्सा लेते थे और अब इसका विरोध करते हैं। साथ ही उसने समारोह की तस्वीर भी शेयर की। जबकि वो फोटो ”कर्नाटक जनता पक्ष अल्पसंखज्यक समारोह’ का था, टीपू जयंती का नहीं।
मोहम्मद जुबैर ने दावा किया कि नीतेश कुमार ने 263 करोड़ रुपए की लागत से जिस सत्तर घाट पुल का उद्घाटन किया था, वो बाढ़ से ढह गया है। जबकि सच्चाई ये है कि सत्तर घाट पुल से 2 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटी पुलिया का पहुँच पथ टूटा था, पुल नहीं।
अर्बन नक्सलियों के पास से आपत्तिजनक पुस्तक ‘वॉर एंड पीस’ जब्त हुआ, जिसकी चर्चा बॉम्बे हाईकोर्ट में हुई। बाद में प्रधानमंत्रीरी श्र मोदी का भी ‘वॉर एंड पीस’ पुस्तक पढ़ते हुए तस्वीर जुबैर ने वायरल की। उसे ये नहीं पता था कि किताब का नाम तो समान था लेकिन नक्सलियों वाली इसी नाम की पुस्तक विश्वजीत रॉय ने लिखी थी जबकि प्रधानमंत्री मोदी लिओ टॉलस्टॉय की किताब पढ़ रहे थे।
उसने एक फेक न्यूज़ शेयर कर के दावा किया कि मेजर गोगोई को एक लड़की के साथ आपत्तिजनक अवस्था में गिरफ्तार किया गया है।
उसने एक तस्वीर शेयर कर के दावा किया कि मुु्ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विवेक तिवारी के परिवार से बातचीत के समय उन्हें अपने से दूर रखा जबकि एक अन्य तस्वीर में मुख्यमंत्री योगी परिवार के बच्चों को पास बुला कर उनकी पीठ थपथपाते हुए बात करते दिख रहे हैं। उसने इस तस्वीर को छिपा लिया।

इन ट्वीट्स के दौरान अंकुर सिंह ने उन अंतरराष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग एजेंसियों को भी घेरा, जिन्होंने ‘ऑल्ट न्यूज़’ को फैक्ट-चेक करने के लिए सम्बद्धता दे रखी है। अंकुर सिंह ने तस्वीरों और स्क्रीनशॉट्स के जरिए मोहम्मद जुबैर की धज्जियाँ उड़ाई। बावजूद इसके स्वरा भास्कर सहित लिबरल समूह के कई बड़े नामों ने जुबैर का समर्थन करते हुए ट्रेंड चलाया। लेकिन, उस बच्ची की बात किसी ने नहीं की, जिसकी प्रताड़ना हुई।

ज्ञात हो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जानकारी दी है कि ‘ऑल्टन्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। NCPCR के अध्यक्ष ने ट्विटर पर इसकी सूचना देते हुए बताया कि आयोग की ‘एक्शन टेकेन रिपोर्ट’ के अनुसार, नाबालिग लड़की की ऑनलाइन प्रताड़ना के आरोप में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ पॉस्को एक्ट के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है।

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