Vice President Poll: उपराष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने में BJP ने नहीं दोहराई धनखड़ वाली गलती, सीपी राधाकृष्णन से दिए कई संदेश

Vice President Poll: उपराष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने में BJP ने नहीं दोहराई धनखड़ वाली गलती, सीपी राधाकृष्णन से दिए कई संदेश

जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद छोड़ने ही यह  आकलन था कि अब भाजपा यह गलती दोबारा नहीं दोहराएगी, और ऐसा ही हुआ।

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए ने अपना उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाया है। एनडीए के सहयोगी दलों ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को उपराष्ट्रपति पद प्रत्याशी चुनने को अधिकृत कर दिया था। प्रत्याशी चयन से साफ है कि भाजपा पिछले बार से सबक लेते हुए इस बार प्रत्याशी चयन किया है।

Vice President candidate CP Radhakrishnan
भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने CP Radhakrishnan को अपना उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाया है

विचार को वरीयता

इस बार भाजपा ने वैचारिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी चयन किया है। सीपी राधाकृष्णन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से हैं और जनसंघ में रहे हैं। जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद से यह साफ माना जा रहा था कि भाजपा इस बार पिछली बार जैसा प्रयोग नहीं दोहराएगी। जगदीप धनखड़ भाजपा के विचार से नहीं आते थे। उन्होंने अपनी राजनीति  जनता दल से शुरु की थी और फिर कांग्रेस में भी रहे। उसके बाद वह भाजपा में शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे और फिर उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल रहते उनका पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लगातार टकराव रहा, लेकिन सीपी राधाकृष्णन वैचारिक परिवार से भी आते हैं और तमिलनाडु में भाजपा की पहचान बनाने में इन्होंने काफी मेहनत भी की थी। राधाकृष्णन तमिलनाडु में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।

जाति जनगणना और बिहार चुनाव

राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से हैं । साथ ही विवादों से दूर रहे हैं। प्रधानमंत्री खुद ओबीसी समुदाय से हैं और राजनीतिक रैलियों में वे खुद इसका कई बार उल्लेख भी कर चुके हैं। अगले कुछ महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव हैं। वहां विपक्ष और इंडिया गठबंधन ने जाति जनगणना को चुनावी विषय बनाने की कोशिश की तो केंद्र सरकार ने जाति जनगणना करवाने की घोषणा कर दी। विपक्ष भले ही यह कह रहा हो कि उनके दबाव में जाति जनगणना का फैसला लिया गया, लेकिन भाजपा नेता लोगों को बता रहे हैं कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही दलितों, पिछड़ों और ओबीसी हितों की सोचते हैं। राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने यहां भी संदेश देने की कोशिश की है।

दक्षिण को भी साधने की कोशिश

सीपी राधाकृष्णन से भाजपा तमिलनाडु और दूसरे दक्षिण भारत के राज्यों को भी साधने की कोशिश कर रही है। अगले साल तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव हैं और यहां भाजपा ने एआईएडीएमके से गठबंधन किया है, लेकिन तमिलनाडु में सत्ता शेयरिंग को लेकर भाजपा और एआईएडीएमके की राय अलग-अलग है। जहां भाजपा नेता लगातार कह रहे हैं कि तमिलनाडु में एनडीए सरकार बनेगी यानी भाजपा भी सरकार में रहेगी। वहीं, एआईएडीएमके का कहना है कि एक ही पार्टी की (एआईएडीएमके) सरकार बनेगी। भाजपा को तमिलनाडु में डीएमके से मुकाबला करना है और सीपी राधाकृष्णन द्वारा भाजपा ने डीएमके के सामने दुविधा पैदा करने की कोशिश की है।

भाजपा ने की मैसेज देने की कोशिश

इंडिया गठबंधन भी उपराष्ट्रपति पद को अपना प्रत्याशी तय करेगा वाला है, ऐसे में सीपी राधाकृष्णन के एनडीए प्रत्याशी होने से डीएमके क्या कुछ और विचार करेगा, यह देखना होगा। लेकिन यह साफ है कि भाजपा ने राधाकृष्णन को प्रत्याशी बनाकर डीएमके को दुविधा में डालने की पूरी कोशिश की है। सीपी राधाकृष्णन ने दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में भी काम किया है। भाजपा की कोशिश दक्षिण भारत में अपनी जड़ें मजबूत करने की है। तमिलनाडु और केरल ऐसे राज्य हैं, जो भाजपा के लिए मुश्किल सिद्ध हो रहे हैं। उपराष्ट्रपति प्रत्याशी चयन से भाजपा ने संदेश देने की भी कोशिश की है।

संघ के साथ समीकरण

लोकसभा चुनाव के दौरान और लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के संबंध में उतार चढ़ाव देखा गया। हालांकि पिछले कुछ महीनों से भाजपा के हर फैसले में संघ की छाप दिख रही है। भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष संघ पृष्ठभूमि के हैं। पिछले कुछ महीनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी कई कार्यक्रमों में संघ का जिक्र कर चुके हैं और उन पर संघ के प्रभाव की भी कई मौकों पर खुलकर बात की। प्रधानमंत्री नागपुर संघ मुख्यालय भी जा चुके हैं। इसी महीने 26 से लेकर 28 अगस्त तक संघ प्रमुख मोहन भागवत की तीन दिन की व्याख्यान श्रृंखला का दिल्ली में आयोजन होना है। इसमें तीसरे दिन संघ प्रमुख सवालों के जवाब भी देंगे। संघ पृष्ठभूमि के सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाने से फिर से ये संदेश गया है कि संघ की महत्वपूर्ण फैसले लेने में भूमिका रहती है और संघ और भाजपा में समन्वय ठीक चल रहा है।

कार्यकर्ताओं को भी संदेश

भाजपा ने इससे अपने कार्यकर्ताओं को भी संदेश दिया है। भाजपा ने जब कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों का चयन किया तो वहां किसी बड़े नाम की जगह पार्टी कैडर को तरजीह दी है। उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन के जरिए भी बीजेपी ने कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश की है कि विचार के साथ बने रहने वाले कार्यकर्ताओं की पार्टी में कदर है।

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