अग्निपथ योजना के विरोध में भारी हिंसा,बिहार में ट्रेनों में आग,अब सख़्ती,मुकदमें
अग्निपथ योजना का भारी विरोध, तोड़-फोड़
Agipath Scheme Protest Updaes : केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ कई प्रदेशों में बवाल मचा हुआ है। हिंदी क्षेत्र के कई राज्यों में जहां से भारी संख्या में युवा सेना में जाने की तैयारी करते हैं, वहां काफी उबाल देखा गया। आक्रोशित युवाओं की भीड़ ने तोड़-फोड़ और आगजनी की। इस कारण प्रशासन को सख्ती बरतनी पड़ी।
हाइलाइट्स
1-अग्निपथ स्कीम के खिलाफ हिंदी क्षेत्र के कई राज्यों में उबाल
2-सेना में जाने को इच्छुक युवाओं ने आक्रोशित और हिंसक प्रदर्शन किया
3-बिहार में कई जगहों पर ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया
नई दिल्ली17 जून: भारतीय सेना के तीनों अंगों- थल, जल और वायु सेना में भर्तियों के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। तमाम तरह की शंकाओं के कारण देश के विभिन्न राज्यों में युवा सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर उतर गए हैं। अग्निवीर के रूप में चार वर्षों तक सैन्य सेवा के बाद के भविष्य को लेकर सशंकित युवाओं ने कई जगहों पर योजना का विरोध कर रहे युवाओं की भीड़ उग्र हो गई और जमकर उत्पात मचाया। बिहार में बीजेपी के दो विधायक भी आक्रोशित युवाओं के निशाने पर आ गए। वहीं, हरियाणा के पलवल में स्थिति इतनी बिगड़ गई कि वहां इंटरनेट बंद करना पड़ गया, वहीं फरीदाबाद में धारा 144 लागू करना पड़ा।
1. रेलवे की दर्जनों ट्रेनें कैंसल, संपत्ति को भारी नुकसान
जगह-जगह प्रदर्शनों के कारण 34 से अधिक ट्रेनों को कैंसल कर दिया गया जबकि आठ अन्य ट्रेनों को आंशिक रूप से कैंसल किया गया। रेलवे ने कहा कि कम-से-कम 72 ट्रेनें इन प्रदर्शनों के कारण अपने नियत समय से देरी से चल रही हैं। अकेले मध्य पूर्व रेलवे जोन में ही 22 ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। बिहार के छपरा, गोपालगंज, कैमूर और गया में ट्रेनों में आग लगा दी गई जिससे कई बोगियां जलकर खाक हो गईं।
2. हरियाणा के पलवल में इंटरनेट बंद, फरीदाबादा में धारा 144 लागू
हरियाणा के पलवल में गुरुवार को अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस दौरान पथराव और गाड़ियों में आगजनी की गई। पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए बल प्रयोग किया और प्रशासन ने इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है। प्रदर्शनकारियों ने उपायुक्त कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय राजमार्ग 19 को जाम कर दिया। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया और पुलिस की पांच गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। पलवल के पुलिस अधीक्षक (SP) मुकेश मल्होत्रा ने बताया कि इस बाबत दो प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और दो विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग 19 को खाली कराकर यातायात को सुचारू रूप से चलाया।
वहीं इस घटना के बाद फरीदाबाद पुलिस भी सतर्क हो गई है। फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त कमिश्रर विकास कुमार अरोड़ा ने सभी उपायुक्तों (डीसीपी), सहायक पुलिस आयुक्तों (एसीपी) थाना और चौकी प्रभारियों को अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए है। पलवल के अलावा गुरुग्राम और रेवाड़ी में भी प्रदर्शन हुए हैं। जिले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 144 का उपयोग करना पड़ा है। प्रशासन ने जिले में धारा 144 में निषेधाज्ञा लागू कर दिया है। साथ ही, शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए फरीदाबाद में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और हर प्रमुख स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। जिले में सघन पुलिस पेट्रोलिंग चल रही है। युवाओं से अपील की गई है कि वो किसी अफवाह और बहकावे का शिकार होकर कानून को हाथ में नहीं लें।
इसके अलावा, होडल इलाके में भी काफी बवाल हुआ। पुलिस की गाड़ियों को पलटा गया और कुछ जगह आगजनी की गई। गुड़गांव के भी बिलासपुर चौक को युवाओं ने जाम कर दिया। पुलिस को हाइवे से रूट डायवर्ट करना पड़ा। रेवाड़ी में सैकड़ों छात्रों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया।
3. बिहार में कई जगह हिंसा, ट्रेनों में आग, विधायक पर हमला
बिहार के कई जिलों में प्रदर्शन हिंसक हो गया। कई प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों में आग लगा दी और पथराव किया। हालात काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। नवादा में बीजेपी की विधायक अरुणा देवी की गाड़ी पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, जिसमें विधायक सहित पांच लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने रेलवे संपत्ति को ज्यादा नुकसान पहुंचाया। भभुआ और छपरा स्टेशन पर बोगियों में आग लगा दी। कई जगहों पर डिब्बों के शीशे तोड़ दिए। आरा में बड़ी संख्या में गुस्साए युवाओं ने जिला मुख्यालय को घेर लिया। पटना-गया, बरौनी-कटिहार और दानापुर-डीडीयू जैसे ट्रेन रूट प्रभावित हुए। कई गाड़ियां कैंसल करनी पड़ीं। जहानाबाद, बक्सर, कटिहार, सारण, भोजपुर और कैमूर जैसे जिलों में सड़क यातायात बाधित हुआ। यहां पर पथराव की घटनाओं में कई स्थानीय लोग घायल हो गए।
4. वेस्ट यूपी में विरोध, जाम, प्रदर्शन, आगजनी
अग्निपथ योजना से असंतुष्ट युवा गुरुवार को मेरठ, आगरा, अलीगढ़, फिरोजाबाद में सड़कों पर उतर आए। जगह-जगह जाम लगाए। प्रदर्शन किया। टायरों में आग लगा दी। पुलिस से भिड़ंत भी हुई। कई जगह पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर युवाओं को दौड़ाया। मेरठ में छात्रों ने ऐलान किया है कि अगर तीन दिन में अग्निपथ योजना वापस नहीं ली गई तो वे 20 जून को दिल्ली कूच करेंगे। मथुरा में युवाओं ने आगरा-दिल्ली हाइवे पर जाम लगा दिया। पुलिस ने किसी तरह समझाकर ट्रैफिक दोबारा शुरू करवाया। आगरा में भी अलग-अलग रास्तों को प्रदर्शनकारियों ने बंद कराया। अलीगढ़ में प्रदर्शनकारियों ने बसों की शीशे तोड़े और सड़क पर टायरों में आग लगाई।
5. राजस्थान में कई जगहों पर युवाओं ने की नारेबाजी
राजस्थान के कई जिलों में युवाओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शन के दौरान कहीं से किसी घटना होने की सूचना नहीं मिली। युवाओं ने विशेष रूप से जयपुर, सीकर, नागौर, अजमेर, जोधपुर, जैसलमेर और झुंझुनू के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। जयपुर में बड़ी संख्या में लोग जिला कलेक्ट्रेट पर इकट्ठा हुए। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई जगह अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई थी। छात्रों ने अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपे।
6. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हाइवे जाम
उत्तराखंड के तमाम जिलों में अग्निपथ स्कीम का विरोध शुरू हुआ। कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर, खटीमा, टनकपुर और बाजपुर में गुरुवार को सैकड़ों युवा सड़क पर उतर आए। पिथौरागढ़ में तो युवाओं ने एनएच को जाम कर दिया। यातायात रुक गया। चंपावत और टनकपुर में युवाओं ने जुलूस निकाला। अल्मोड़ा में सेना की भर्ती में जाने की तैयारी कर रहे युवकों ने शुक्रवार को बड़े पैमाने पर आक्रोश रैली निकालने का ऐलान किया है। युवाओं का कहना है कि 4 साल के लिए सेना में भर्ती उनके साथ धोखा है। सैनिक बहुल उत्तराखंड में लाखों युवा सेना की तैयारी कर रहे हैं।
7. जम्मू में भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन
जम्मू में भी कुछ युवाओं ने धरना-प्रदर्शन किया जिन्होंने थल सेना में भर्ती के मेडिकल और फिजिकल टेस्ट पिछले वर्ष ही पास कर लिया था और अब वो लिखित परीक्षा का इंतजार कर रहे थे। अग्निपथ स्कीम की घोषणा के कारण पूर्व में घोषित सेना भर्ती की परीक्षाएं कैंसल कर दी गई हैं।
8. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रेलवे पर निकला गुस्सा
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी युवाओं ने जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बिरलानगर रेलवे स्टेशन को तबाह कर दिया। वहां आगजनी की गई। कई ट्रेनों पर पत्थरबाजी हुई जिससे कई खिड़कियों के शीशे टूट गए। दावा किया गया कि प्रदर्शनकारियों ने स्टेशन के नियंत्रण कक्ष में तोड़फोड़ की और कंट्रोल सिस्टम को नुकसान पहुंचाया।
हिंसक प्रतिक्रिया पर पूर्व सैन्याधिकारियों की राय बंटी हुई
सशस्त्र बलों के लिए हाल ही में शुरू की गई ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना के खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में जारी विरोध प्रदर्शनों पर भूतपूर्व जनरल और वायु कमांडर की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। कुछ का मानना है कि यह युवाओं की उनके भविष्य को लेकर आशंका की अभिव्यक्ति है, जबकि अन्य का कहना है कि यह सुनियोजित हो सकता है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नयी ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया। इसके तहत बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जएगी, जिन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। हालांकि, बलों में भर्ती के आकांक्षी युवा कई राज्यों में प्रदर्शन कर रहे हैं, रेल पटरियों और राजमार्गों पर नाकेबंदी कर रहे हैं।
सेना के भूतपूर्व कर्मी, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जे आर मुखर्जी ने कहा कि युवा अपने भविष्य के बारे में आशंका से विरोध कर रहे होंगे कि चार साल बाद जब वे सेना से बाहर आएंगे तो क्या होगा।
अग्निपथ योजना के अनुसार, हर साल 25 प्रतिशत रंगरूटों को बलों में बरकरार रखा जाएगा, जबकि बाकी 75 प्रतिशत चार साल के संविदा अवधि पूरी होने के बाद नागरिक जीवन में वापस आ जाएंगे।
मुखर्जी ने पीटीआई-भाषा से फोन पर बात करते हुए कहा कि वह ‘‘इसके बारे में अच्छा नहीं सोचते’’ और अग्निपथ योजना लाने को एक खराब निर्णय करार दिया। उन्होंने सवाल किया कि उन्हें एक छोटी अवधि में प्रशिक्षित कैसे किया जा सकता है जब उनकी सेवा अवधि केवल चार वर्ष की होगी। उन्होंने कहा, ‘‘आप भारतीय युवकों को तोप के चारे में बदल रहे हैं।’’
हालांकि, एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) अरूप राहा ने कहा कि साढ़े 17 साल से शुरू होने वाली भर्ती प्रक्रिया से सशस्त्र बलों की आयु में चार से पांच साल की कमी आएगी और यह सेना के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा।
राहा ने कहा कि योजना की सफलता एक मजबूत निकास नीति पर निर्भर करेगी जिसमें चार साल बाद बाहर जाने वालों को सरकारी या निजी क्षेत्र की नौकरियों में उचित तरीके से शामिल किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें नागरिक जीवन में, उद्योग में, सरकारी एजेंसियों, सीआरपीएफ या सीएपीएफ में लिया जाना चाहिए और नीति बहुत स्पष्ट होनी चाहिए।’’
राहा ने कहा कि अल्पकालिक आधार पर शामिल होने के कारण दक्षता हानि या परिचालन तैयारियों के बारे में आशंका हो सकती है लेकिन इसे अच्छे नेतृत्व से दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘आप उन्हें प्रशिक्षित करना और प्रेरित करना जारी रखते हैं तो आपको परिणाम मिलेंगे। यह काम करेगा बशर्ते उनके पास अच्छा नेतृत्व हो।’’
चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राहा ने कहा कि उनका मानना है कि भर्ती का नया तरीका काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘बाहर निकलने की नीति में सरकार को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है और इन लोगों को चार साल की अवधि के बाद एक अच्छे करियर का आश्वासन दिया जाना है।’’
उन्होंने दावा किया कि बिहार और कुछ अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन थोड़ा सुनियोजित प्रतीत होता है। उन्होंने दावा किया कि अग्निपथ कार्यक्रम से कुछ युवाओं में यह भावना पैदा हो सकती है कि उनकी संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राहा ने कहा कि सेना में अब तक करीब एक तिहाई भर्तियां तीन या चार राज्यों से हुई हैं।
उन्होंने कहा कि हर साल नागरिक जीवन में आने वाले लगभग 36,000 संविदा सैनिकों को अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए नौकरी पाने के उचित रास्ते मिलने चाहिए।
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अरुण रॉय ने कहा कि अग्निपथ योजना को एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में लाना चाहिए था कि क्या काम कर रहा है और क्या नहीं है और फिर इसे लागू करने का निर्णय करना चाहिए था।