हलाल मीट मामले में दून के वैल्हम स्कूल पर मुकदमा
देहरादून के वेल्हम स्कूल पर FIR, हिंदू बच्चों को हलाल खाने के लिए मजबूर करने का था आरोप
एफआईआर कॉपी के साथ बजरंग दल के कार्यकर्ता (साभार: Vikas Verma/ Bajrang Dal)
देहरादून 02/3जुलाई।देहरादून के एक लोकल अखबार में प्रकाशित वेल्हम बॉयज स्कूल के टेंडर नोटिस को लेकर बजरंग दल ने 1 जुलाई 2021 को FIR दर्ज करवाई। बता दें कि इस नोटिस में स्कूल ने हलाल मीट और अन्य प्रोडक्ट्स के लिए सप्लॉयर्स को आमंत्रित किया था।
बजरंग दल (देहरादून) के संयोजक विकास वर्मा ने हमसे बात करते हुए कहा, “आज सत्य की जीत हुई है। हम लड़ाई को तब तक जारी रखेंगे जब तक हम हलाल के नाम पर हो रहे अत्याचार का अंत नहीं कर देते।” पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505-2 (वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) में मामला दर्ज किया है।
FIR का स्क्रीनशॉट
प्रमुख बोर्डिंग संस्थान द्वारा 26 जून को हलाल माँस और पोल्ट्री उत्पादों के लिए निविदा जारी करने के बाद बजरंग दल के देहरादून चैप्टर से जुड़े कार्यकर्ताओं ने वेल्हम बॉयज स्कूल के परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। संगठन ने डालनवाला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भी लिखा था। संगठन ने शिकायत में कहा कि स्कूल में हर समुदाय के छात्र हैं।
संगठन का कहना है कि हलाल मीट का टेंडर हिंदू छात्रों और समुदाय का अपमान है। यदि प्रशासन और पुलिस स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, तो वे मामले को सड़कों पर ले जाएँगे और शहर भर में विरोध का आह्वान करेंगे।
इससे पहले बजरंग दल के नगर संयोजक विकास वर्मा ने हमसे कहा था, “स्कूल में अधिकांश छात्र हिंदू समुदाय के हैं। हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि स्कूल इस्लामी तरीके से काटे गए माँस को हिंदू बच्चों पर क्यों थोपना चाहता है।” उनका कहना था कि स्कूल ने बताया कि वे हलाल और झटका दोनों मीट देते हैं। लेकिन जब इसके प्रमाण माँगे गए तो स्कूल कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाया।
वहीं स्कूल के वाइस प्रिंसिपल महेश कांडपाल ने बताया था कि हलाल के लिए टेंडर पहले ही मँगाए जा चुके हैं, लेकिन झटका के लिए शनिवार को टेंडर निकाला जाएगा। वहीं जागरण से बात करते हुए स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि सप्ताह में तीन दिन क्रमश: हलाल और झटका मीट परोसा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि हलाल और झटका माँस के लिए उनके पास अलग-अलग आपूर्तिकर्ता हैं।
स्कूल की आज के दैनिक हिन्दुस्तान और देहरादून क्लासिफाइड में ये विज्ञापन लीपापोती का उदाहरण हैं। आज से पहले स्कूल ने कभी हलाल और झटका मीट के अलग-अलग विज्ञापन नहीं दिये थे।