नये सीडीएस लायेंगें सैन्य सुधारों में तेजी,दूसरे सीडीएस भी उत्तराखंड से
Lt Gen Anil Chauhan (Retd) बने देश के दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ; ‘ऑपरेशन सनराइज’ किया था संपन्न
केंद्र सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल चौहान को देश का नया CDS नियुक्त किया है। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान की नियुक्ति पूर्व CDS जनरल बिपिन रावत की जगह हुई है। CDS जनरल रावत के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में दुःखद निधन के बाद से यह पद खाली था। काफी समय मंथन बाद केंद्र सरकार ने आखिरकार सेना के पूर्वी कमान के पूर्व कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के नाम पर मुहर लगाई है।
जानें कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान
पहले सीडीएस बिपिन रावत की मौत के 9 माह से अधिक समय बाद मिला दूसरा सीडीएस
देश में नई थिएटर कमांड की स्थापना दूसरे सीडीएस अनिल चौहान की होगी प्राथमिकता
इसके अलावा अनिल चौहान रक्षा मंत्री के एकल बिंदु सैन्य सलाहकार की जिम्मेदारी भी निभाएंगेनई दिल्ली 28 सितंबर। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat)की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के नौ महीने से भी अधिक समय बाद देश को दूसरा सीडीएस मिल गया है. सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan)के नाम की देश के दूसरे सीडीएस बनने घोषणा हो गई है. सीडीएस पद का सृजन सेना के तीनों अंग थल सेना,नौसेना और वायुसेना में परस्पर सामंजस्य लाने और देश की समग्र सैन्य क्षमता में मजबूती लाने को हुआ है.केंद्र सरकार पहले से सीडीएस (CDS)के जरिये देश में नई थिएटर कमांड स्थापित करने की दिशा में भी एक मजबूत कदम उठाने की कार्ययोजना पर काम कर रही है. देश जब ढाई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है तब पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की इन चुनौतियों से निपटने में भूमिका महत्वपूर्ण रही. हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी अचानक मौत से देश के सैन्य नेतृत्व को गहरा धक्का लगा था.इस कड़ी में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की सीडीएस नियुक्ति से उम्मीद की जाती है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को तो गति मिलेगी ही,सीमा रक्षा पंक्ति और मजबूत होगी. करीब 40 साल के अनुभवी सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने न सिर्फ कई कमांड का नेतृत्व किया,बल्कि पूर्वोत्तर समेत जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सैन्य मामलों के विभाग के सचिव की जिम्मेदारी भी अनिल चौहान को
31 मई 2021 को लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान सेवानिवृत्त हुए और तभी से एनएससीएस के सैन्य सलाहकार थे. बालाकोट पर आतंकी हमले के वक्त वह डीजीएमओ थे.ऑपरेशन सनराइज के पीछे अनिल चौहान का ही दिमाग माना जाता है.अब देश के दूसरे सीडीएस की जिम्मेदारी के साथ-साथ वह सरकार के सैन्य मामलों के विभाग के सचिव पद की जिम्मेदारी भी संभालेंगे. रक्षा मंत्रालय ने नए सीडीएस के रूप में उनके नाम की घोषणा बुधवार शाम की.8 दिसंबर, 2021 को देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत,उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 12 अन्य सैन्य अधिकारियों के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने के बाद सीडीएस पद खाली था.ऐसे में जानते हैं देश के दूसरे सीडीएस सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें…
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को उत्तराखंड के पौड़ी में हुआ.1981 में उन्हें 11 भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स की जिम्मेदारी के साथ भारतीय सेना में कमीशन मिला.
उन्होंने कोलकाता के केंद्रीय विद्यालय में अपनी प्रारंभिक पढ़ाई की.वह सैनिक के रूप में ढलने के लिए इस शहर को श्रेय देते हैं.
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान नेशनल डिफेंस अकादमी, खड़कवासला और देहरादून की इंडियन मिलिट्री अकादमी के पूर्व छात्र हैं. उनका निवास दिल्ली के साथ देहरादून के बसंत विहार में भी है।
उत्तरी कमांड की बेहद चुनौतीपूर्ण बारामूला सेक्टर में उन्होंने इंफेंट्री डिविजन की कमान भी संभाली.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने पूर्वोत्तर में कोर कमान की जिम्मेदारी संभालते हुए कई अलगाववादी विरोधी अभियानों को सफल नेतृत्व दिया.बाद में वह सितंबर 2019 पूर्वी कमान में जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ प्रोन्नत किए गए.अपनी सेवानिवृत्ति तक वह इस जिम्मेदारी पर रहे.
इन कमांड पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए अनिल चौहान ने कई महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियां भी की हैं,जिनमें सैन्य संचालन महानिदेशक भी प्रमुख है.
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने संयुक्त राष्ट्र के अंगोला मिशन में भी अपनी सेवाएं दी.
सेना के लिए शानदार और विशिष्ट सेवा को सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को कई पदकों और सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है.इनमें भी परम विशिष्ट सेवा मेडल,उत्तम युद्ध सेवा मेडल,अति विशिष्ट सेवा मेडल,सेना मेडल और विशिष्ट सेना मेडल प्रमुख हैं।बड़े संशोधन के चार महीने बाद बने देश के दूसरे सीडीएस अनिल चौहान
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की सीडीएस पद पर नियुक्ति भारतीय सेना में किए गए एक बड़े संशोधन के लगभग चार महीने बाद हुई. केंद्र सरकार ने सीडीएस चयन के पूल को और व्यापक बनाने को जून की शुरुआत में थलसेना,नौसेना और वायु सेना के पदोन्नति क्रम के नियमों में बड़ा संशोधन किया.इसमें देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद की योग्यता को सेवानिवृत्त तीन सितारा अधिकारी भी दावेदार हो गए हैं.दूसरे सीडीएस सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष भी रहेंगे.इसके साथ ही वह रक्षा मंत्री के एकल बिंदु सैन्य सलाहकार की भूमिका भी निभाएंगे.
नई थिएटर कमांड सीडीएस की सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी
देश के दूसरे सीडीएस सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की नई थिएटर कमांड की स्थापना कर भारतीय सेना के तीनों अंगों के बीच परस्पर तालमेल बढ़ाना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.पहले सीडीएस बिपिन रावत की आकस्मिक मौत के बाद नई थिएटर कमांड की स्थापना की प्रक्रिया धीमी पड़ गई थी.इसके अलावा लंबे समय से लंबित पड़े सैन्य सुधार भी उनकी शीर्ष प्राथमिकता में रहेंगे.वे रक्षा मंत्री के एकल बिंदु सैन्य सलाहकार भी होंगें। भारतीय सशस्त्र सेना की अभी 17 सिंगल सर्विस थिएटर कमांड्स हैं,जिनमें थल सेना और वायु सेना की सात-सात और नौसेना की तीन थिएटर कमांड हैं.इसके अलावा चीन और पाकिस्तान से मिल रही चुनौतियों से निपटना भी सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की सर्वोच्च प्राथमिकता में रहेगा.खासकर सर्दियों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी फिर कोई दुस्साहस दिखा सकती है.यहां यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि अगले माह चीनी राष्ट्रपति तीसरे कार्यकाल को अपना रास्ता प्रशस्त कर लेंगें।
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat)की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के नौ महीने से भी अधिक समय बाद देश को दूसरा सीडीएस मिला है. इस जिम्मेदारी को सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan)की घोषणा हो गई है.सीडीएस पद का सृजन सेना के तीनों अंग यानी थल सेना,नौसेना और वायुसेना में परस्पर सामंजस्य लाने और देश की समग्र सैन्य क्षमता में मजबूती लाने को किया गया है. केंद्र सरकार पहले से सीडीएस (CDS)के जरिये देश में नई थिएटर कमांड स्थापित करने की दिशा में भी एक मजबूत कदम उठाने की कार्ययोजना पर काम कर रही है. देश जब ढाई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है तब पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की इन चुनौतियों से निपटने में भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही थी. हेलीकॉप्टर हादसे में उनकी अचानक हुई मौत से देश के सैन्य नेतृत्व को गहरा धक्का लगा था. इस कड़ी में अब सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की सीडीएस बतौर नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को तो गति मिलेगी ही, साथ ही सीमा पर रक्षा पंक्ति भी और मजबूत हो सकेगी. करीब 40 साल के अनुभव में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने न सिर्फ कई कमांड का नेतृत्व किया, बल्कि पूर्वोत्तर समेत जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सैन्य मामलों के विभाग के सचिव की जिम्मेदारी भी अनिल चौहान को
2021 मई में लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान सेवानिवृत्त हुए थे और तभी से एनएससीएस के सैन्य सलाहकार थे. बालाकोट पर के वक्त वह डीजीएमओ के पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इसके बाद ऑपरेशन सनराइज के पीछे अनिल चौहान का ही दिमाग माना जाता है. अब देश के दूसरे सीडीएस की जिम्मेदारी के साथ-साथ वह सरकार के सैन्य मामलों के विभाग के सचिव पद की जिम्मेदारी भी संभालेंगे. रक्षा मंत्रालय ने नए सीडीएस के रूप में उनके नाम की घोषणा बुधवार शाम को की. सुविज्ञ रहे कि 8 दिसंबर, 2021 को देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 12 अन्य सैन्य अधिकारियों को हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने के बाद सीडीएस पद खाली पड़ा था. ऐसे में जानते हैं देश के दूसरे सीडीएस सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों को…
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ. 1981 में उन्हें 11 भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स की जिम्मेदारी के साथ भारतीय सेना में कमीशन दिया गया.
उन्होंने कोलकाता के केंद्रीय विद्यालय में अपनी प्रारंभिक पढ़ाई की. वह बतौर सैनिक ढलने के लिए इस शहर को श्रेय देते हैं.
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान नेशनल डिफेंस अकादमी, खड़कवासला और देहरादून की इंडियन मिलिट्री अकादमी के पूर्व छात्र हैं.
उत्तरी कमांड की बेहद चुनौतीपूर्ण करार दिए जाने वाले बारामूला सेक्टर में उन्होंने इंफेंट्री डिविजन की कमान भी संभाली.
लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पर अनिल चौहान ने पूर्वोत्तर में कोर कमान की जिम्मेदारी संभालते हुए कई अलगवावादी विरोधी अभियानों को सफल नेतृत्व प्रदान किया. बाद में वह सितंबर 2019 पूर्वी कमान में जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के पद पर प्रोन्नत किए गए. अपनी सेवानिवृत्ति तक वह इस जिम्मेदारी को संभालते रहे.
इन कमांड पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए अनिल चौहान ने कई महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियां भी की हैं, जिनमें सैन्य संचालन महानिदेशक भी प्रमुख है.
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने तमाम जिम्मेदारियों के अलावा संयुक्त राष्ट्र के अंगोला मिशन में भी अपनी सेवाएं दी हैं.
अनिल चौहान पिछले साल 31 मई को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए थे.
भारतीय सेना से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी वह राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक मसलों में अपना योगदान देते रहे.
सेना के लिए शानदार और विशिष्ट सेवा के लिए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को कई पदकों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है. इनमें भी परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेना मेडल प्रमुख है.बड़े संशोधन के चार महीने बाद बने देश के दूसरे सीडीएस अनिल चौहान
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की सीडीएस पद पर नियुक्ति भारतीय सेना में किए गए एक बड़े संशोधन के लगभग चार महीने बाद हुई है. केंद्र सरकार ने लगभग चार महीने पहले सीडीएस के चयन के पूल को और व्यापक बनाने के लिए जून की शुरुआत में थलसेना, नौसेना और वायु सेना के पदोन्नति क्रम से जुड़े नियमों में बड़ा संशोधन किया था. इसमें देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद की योग्यता के लिए सेवानिवृत्त तीन सितारा अधिकारी भी दावेदार हो गए हैं. दूसरे सीडीएस बतौर जिम्मेदारी निभाते हुए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष भी रहेंगे. इसके साथ ही वह रक्षा मंत्री के एकल बिंदु सैन्य सलाहकार की भूमिका भी निभाएंगे.
नई थिएटर कमांड सीडीएस की सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी
बतौर देश के दूसरे सीडीएस सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की नई थिएटर कमांड की स्थापना कर भारतीय सेना के तीनों अंगों के बीच परस्पर तालमेल बढ़ाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी. पहले सीडीएस बिपिन रावत की आकस्मिक मौत के बाद नई थिएटर कमांड की स्थापना की प्रक्रिया धीमी पड़ गई थी. इसके अलावा लंबे समय से लंबित पड़े सैन्य सुधार भी उनकी शीर्ष प्राथिमकता में रहेंगे. भारतीय सशस्त्र सेना की फिलवक्त 17 सिंगल सर्विस थिएटर कमांड्स हैं, जिनमें थल सेना और वायु सेना की सात-सात और नौसेना की तीन थिएटर कमांड हैं. इसकेअलावा चीन और पाकिस्तान से मिल रही चुनौतियों से निपटना भी सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की सर्वोच्च प्राथमिकता में रहेगा. खासकर जब सर्दियों का मौसम शुरू होने वाला है तो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी फिर कोई दुस्साहस दिखा सकती है. यहां यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि अगले माह चीनी राष्ट्रपति तीसरे कार्यकाल के लिए अपना रास्ता प्रशस्त कर लेंगे.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) सेना के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के पद पर थे। उन्होंने करीब 40 सालों तक सेना के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए देश की सेवा की। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। जनरल चौहान ने सितंबर 2019 में पूर्व प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के उप सेना प्रमुख का पद संभालने के बाद पूर्वी कमान की जिम्मेदारी संभाली थी। इससे पहले वह सैन्य अभियान के महानिदेशक (DGMO) थे।
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान सेना के ‘ऑपरेशन सनराइज’ के मुख्य शिल्पकार थे। इसी दौरान भारतीय सेना और म्यांमार सेना ने मिलकर दोनों देशों की सीमाओं के पास उग्रवादियों के विरूद्ध अभियान चलाया था। इसके साथ ही वह ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के योजना तैयार करने दौरान भी सक्रिय भूमिका में रहे। इनके 40 सालों की शानदार सेवा के बाद इन्हें समय-समय पर राष्ट्र की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान को परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM),उत्तम युद्ध सेवा मेडल (UYSM),अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM),सेना मेडल (SM) और विशिष्ट सेवा मेडल (VSM) से सम्मानित किया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान 13 जून 1981 को सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स बटालियन में कमीशन हुए थे। इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर और पूर्वी सीमा पर अहम जिम्मेदारियां निभाईं।
CDS का पद क्या है’
CDS ‘4 स्टार जनरल/ऑफिसर’ का पद है,जो तीनों सेनाओं (थल सेना,नौसेना और वायु सेना) के मामलों में रक्षा मंत्री का एकल बिंदु प्रधान सैन्य सलाहकार होता है। इस पद पर सबसे पहले CDS जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति हुई थी। जिनकी 8 दिसंबर 2021 को नीलगिरि के पहाड़ियों में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी,तभी से यह पद खाली था।
भारत के नए CDS Lt Gen Anil Chauhan के सामने होंगी यें चुनौतियां,थिएटर कमांड बनाने पर होगा ध्यान
देश की भौगोलिक सीमाएं देख जनरल बिपिन रावत को तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) को साथ लाने को 6 थिएटर कमांड्स बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिससे किसी युद्ध काल में तीनों सेनाओं में आसानी से को-ऑर्डिनेशन बन सके। अभी देश में एकमात्र थिएटर कमांड की स्थापना 2001 में अंडमान निकोबार में हुई थी। इसके साथ ही देश की तीनों सेनाओं के पास अलग-अलग 17 कमांड्स हैं जिसमें थल सेना और वायुसेना के पास 7-7 और नौसेना के पास 3 कमांड हैं। इसके अलावा स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड परमाणु हथियारों के भंडार को सुरक्षा देता है। इसका गठन 2003 में हुआ।
देश में अभी 15 लाख सशक्त सैन्य बल है, जिन्हें एक साथ संगठित करने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है। थिएटर कमांड्स के बनने से सेना के मॉडर्नाइजेशन में आने वाले खर्चों में कमी आएगी।
सेना के मॉडर्नाइजेशन के साथ-साथ सेना आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है। ऐसे में देश की तीनों सेनाओं के लिए हथियारों की खरीद और आधुनिकीकरण को लेकर भी नए सीडीएस की भूमिका अहम होगी। इसके साथ ही इनके पास रक्षा मंत्रालय के पांचवे सैन्य मामलों के विभाग (Department of Military Affairs) के प्रमुख पद की जिम्मेदारी होगी, जो इससे पहले जनरल रावत के पास थी।
क्या है CDS का पद?
CDS एक ‘4 स्टार जनरल/ऑफिसर’ का पद है, जो तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) के मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार का कार्य करता है। इस पद पर सबसे पहले 2019 में CDS जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति हुई थी।