‘कामरेड हिडमा अमर रहे’ नारे वाले अक्षय के साथ क्या हुआ? दिल्ली पुलिस ने बताई आगे-पीछे की बात
दिल्ली के इंडिया गेट पर नक्सली लीडर माड़वी हिडमा के समर्थन में नारों मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत में पूरा षडयंत्र बताया . डीसीपी देवेश माहला ने बताया कि वायरल तस्वीर में दिख रहा अक्षय पेपर स्प्रे लिए था और पुलिस पर हमले की योजना थी. अदालत ने छह आरोपितों तीन दिन पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
इंडिया गेट पर नक्सल समर्थक नारे लगाते समूह पर दिल्ली पुलिस ने अदालत में संगठित षड्यंत्र का दावा किया.
नई दिल्ली 26 नवंबर2025 । : मारे गए नक्सली लीडर माड़वी हिडमा के समर्थन में दिल्ली के इंडिया गेट पर लगे नारों ने देश की राजधानी में सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है. घटना के बाद जिस युवक अक्षय का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, उसे लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैल गईं. अब नई दिल्ली जिला के डीसीपी देवेश कुमार माहला ने खुद अदालत में जाकर पूरा मामला खुलकर बताया कि इस गुट की असल योजना क्या थी और पुलिस ने किस तरह हालात काबू में किये.
दिल्ली पुलिस की दी जानकारी से साफ हुआ कि वायरल तस्वीरें अधूरी कहानी दिखा रही थीं. डीसीपी ने कोर्ट को बताया कि अक्षय के हाथ में पेपर स्प्रे था और उसे काबू में न किया जाता, तो कई और पुलिसकर्मी घायल हो सकते थे. इससे पहले भी यह समूह पुलिस पर हमला कर चुका था. इसी से अदालत ने छह आरोपितों को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
इंडिया गेट पर क्या हुआ था? कैसे शुरू हुआ विवाद
शनिवार को इंडिया गेट पर एक छात्र समूह प्रदर्शन कर रहा था. अचानक भीड़ में से कुछ लोग ‘कॉमरेड हिडमा अमर रहे’ और ‘माओवाद जिंदाबाद’ नारे लगाने लगे. दिल्ली पुलिस ने इन्हें तुरंत हटाया, मगर सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो ऐसे चले जिसमें पुलिस कार्रवाई गलत बतायी गयी. इसी बीच प्रदर्शनकारख युवक अक्षय की तस्वीर वायरल हुई. जिसमें वह पुलिस से घिरा दिख रहा था. उसी तस्वीर को कई लोगों ने “पुलिस की ज्यादती” बताकर सोशल मीडिया पर फैलाया.
डीसीपी देवेश माहला ने बताया कि अक्षय पेपर स्प्रे लेकर पुलिस को घायल करने की योजना में शामिल था.
डीसीपी देवेश माहला का दावा-यह एक सोचा-समझा षड्यंत्र था.
कोर्ट में डीसीपी माहला ने कहा, यह समूह नक्सल संगठन का खुला समर्थन कर रहा था. गृह मंत्रालय उसे प्रतिबंधित और आतंक फैलाने वाला संगठन घोषित कर चुका है. सभी आरोपित बालिग हैं और नारेबाजी जानबूझकर की गई. अक्षय के हाथ में पेपर स्प्रे था. योजना थी कि पुलिस के चेहरे पर स्प्रे डालकर उन्हें घायल किया जाए. पहले भी इस समूह ने पुलिस पर हमला किया था.
पुलिस ने अदालत को क्या-क्या बताया?
अक्षय की वायरल तस्वीर पूरी सच्चाई नहीं बताती.
उसके हाथ में पेपर स्प्रे था, जो बेहद खतरनाक हो सकता था.
गिरोह की योजना पुलिस के जवानों पर स्प्रे डालकर हमला बोलने की थी.
इससे पहले दस पुलिसकर्मी घायल हो चुके थे.
नक्सल समर्थक नारेबाजी पूरी तरह योजनाबद्ध थी.
प्रतिबंधित संगठन का नाम लेकर नारे लगाने का उद्देश्य हिंसा फैलाना था.
डीसीपी ने कहा अधिकार और कर्तव्य का फर्क समझना होगा. अदालत में आरोपितों के वकील ने कहा कि प्रदर्शन करना उनका मौलिक अधिकार है. इस पर डीसीपी ने कहा- हमें मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य के बीच का अंतर समझना होगा. किसी प्रतिबंधित हिंसक संगठन के समर्थन में नारे लगाना और पुलिस पर हमला करने की योजना बनाना किसी भी तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं कहलाता.
- दालत ने छह आरोपियों को तीन दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा.
इससे पहले भी कर चुके थे हंगामा
पुलिस के अनुसार पिछले कुछ दिनों में यह समूह दो बार सक्रिय दिखा था-
दस नवंबर: दिल्ली के प्रदूषण नियमों की आड़ में मान सिंह रोड को जाम करने की कोशिश.
पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की.
यातायात रोककर माहौल बिगाड़ने की कोशिश.
पहले भी पुलिसकर्मी घायल.
सोशल मीडिया पर झूठे दावों का प्रसार.
सोशल मीडिया बनाम पुलिस की सच्चाई.
इस मामले में सबसे बड़ा विवाद सोशल मीडिया से शुरू हुआ, जहां केवल एक तस्वीर के आधार पर पुलिस को कठघरे में खड़ा किया गया. लेकिन अदालत में पुलिस के विस्तृत वक्तव्य के बाद साफ हुआ कि तस्वीर की जो व्याख्या सोशल मीडिया पर की जा रही थी, वह तथ्यपूर्ण नहीं थी. डीसीपी माहला ने अदालत को बताया कि सोशल मीडिया पर अक्षय की जो तस्वीर फैलाई गई, उसे “पुलिस की ज्यादती” बताकर गलत तरीके से पेश किया गया.
तीन दिन की पुलिस कस्टडीडीसीपी के तर्क सुनने के बाद पटियाला हाउस अदालत ने कहा कि फिलहाल आरोप गंभीर हैं. इसलिए सभी छह आरोपितों को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा जाता है ताकि पेपर स्प्रे की मंशा, सोशल मीडिया पर चलाए गए अभियान नारेबाजी करने वाले असली नेटवर्क का पता लगाया जा सके.

