जो रुस नहीं कर पाया,कनाडा मामले में भारत ने कर दिखाया
India Canada Conflict Canada Put A Pause On All In-Person Services In Chandigarh In Mumbai Bangalore
Justin Trudeau News India What Did Even Soviet Union Did Not Do Canada Stunned By Pm Modi Diplomats Left
सोवियत संघ ने जो नहीं किया था वो भारत ने कर दिया… मोदी सरकार के मास्टरस्ट्रोक से बौखलाया कनाडा
India Canada Conflict: भारत के डटे रहने पर आखिरकार कनाडा को अपने राजनयिक भारत से हटाने पड़े हैं । कनाडा के 41 राजनयिक भारत छोड़ गए हैं। कनाडा की विदेश मंत्री ने खुद इसकी पुष्टि की है। इससे पहले उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से गुहार लगाई लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
ओटावा 20 अक्टूबर: कनाडा की विदेश मंत्री मेलानियो जॉली की बार-बार गुहार पर भी भारत अपने फैसले पर अड़ा रहा। आखिरकार कनाडा को अपने 41 राजनयिक भारत से निकालने पड़े। कनाडा की विदेश मंत्री ने पुष्टि की है कि 41 कनाडाई राजनयिकों ने भारत छोड़ दिया हैं। इससे पहले मेलानियो जॉली ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से गुप्त भेंट की लेकिन भारत टस से मस नहीं हुआ। भारत ने साफ किया कि जितने भारत के राजनयिक कनाडा में हैं,उतने ही कनाडा के भी भारत में रहेंगें। भारत के इस फैसले के बाद कनाडा बौखला गया। एक पूर्व राजनयिक ने तो यहां तक कहा कि भारत ने वह किया है जो सोवियत संघ ने भी नहीं किया था। यह 40 से 50 सालों में पहली बार हो रहा है।
कनाडा भारत के ऐक्शन से बौखलाया
दरअसल,कनाडा में भारत के केवल 21 राजनयिक हैं,वहीं कनाडा के 62 राजनयिक भारत में थे। ये दिल्ली उच्चायोग, मुंबई,चंडीगढ़ और बेंगलुरु के महावाणिज्य दूतावासों में थे। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के हाथ होने का निराधार आरोप लगाने पर भारत ने कनाडा के खिलाफ यह मास्टरस्ट्रोक चला। इसका असर भी साफ दिखने लगा। भारत के इस पलटवार पर एक पूर्व कनाडाई राजनयिक गार पार्डी ने सीबीसी न्यूज से कहा कि मुझे ऐसी कोई दूसरी घटना याद नहीं है जब दूसरे देश से राजनयिक रिश्ते तोड़ दिये गये और सभी को बाहर जाने को कह दिया गया।
पिछले 50 साल में कनाडा के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ
पार्डी ने कहा कि मुझे पिछले 40 से 50 वर्षों में ऐसी कोई दूसरी घटना याद नहीं है जहां इस तरह की घटना घटी हो। यहां तक कि सोवियत संघ से रिश्तों के सबसे खराब दौर में भी कुछ ही राजनयिक निकाले जाते थे। पूर्व कनाडाई राजनयिक जेफ नाकिवेल ने माना कि भारत का यह कदम असाधारण है। उनके अनुसार वीजा की बहुत ज्यादा मांग देखते हुए कनाडा को भारत में बहुत बड़ी संख्या में राजनयिक रखने पड़ते हैं। भारत कनाडा के लिए छात्रों का बहुत बड़ा स्रोत है और भारत से ही बड़ी संख्या में प्रवासी भी आते हैं।
भारत के इस कठोर रुख के बाद कनाडा की विदेश मंत्री के सुर बदल गए। उन्होंने कहा कि कनाडा भारतीय राजनयिकों के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। उन्होंने दावा किया कि इससे राजनयिक खतरे में आ जाएंगे। जॉली ने कहा कि राजनयिक छूट हटाना अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है और इसी वजह से कनाडा भारतीय राजनयिकों के खिलाफ इसी प्रकार का कदम उठाने की धमकी नहीं देगा। उन्होंने कहा, ‘राजनयिक विशेषाधिकार और छूट एकतरफा हटाया जाना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है और राजनयिक संबंधों पर जिनेवा संधि का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसा करने की धमकी देना अनुचित और तनाव बढ़ाने वाला है।’
भारत के तीन शहरों में कनाडा ने रोकी सेवाएं
जॉली ने कहा कि भारत के फैसले से दोनों देशों के नागरिकों को उपलब्ध सेवाओं का स्तर गिरेगा। कनाडा भारत के तीन प्रमुख शहरों में निजी सेवाएं रोक रहा है। इससे पहले,भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या घटाने को कहा था। उन्होंने कहा था कि उनकी संख्या कनाडा में सेवारत भारतीय राजनयिकों की संख्या से अधिक है।
41 राजनयिक वापस बुलाते ही कनाडा ने भारत में रोकी चंडीगढ़,मुंबई और कर्नाटक में वीजा सेवा,भड़की कनाडाई विदेश मंत्री
भारत और कनाडा के बीच विवाद में कनाडा ने भारत की तरफ से अपने राजनयिकों की संख्या कम करने की समय सीमा खत्म होने से पहले ही राजनयिक वापस बुला लिये हैं। इस पर कनाडाई विदेश मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
भारत से राजनयिक विवाद में कनाडा ने भारत के चंडीगढ़, मुंबई और कर्नाटक में कॉन्सुलेट सर्विसेज पर रोक लगा दी है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलोनी जोली ने यह जानकारी देते हुए कहा कि भारत-कनाडा राजनयिक तनाव के बीच फिलहाल, मैं पुष्टि कर सकती हूं कि भारत ने 20 अक्टूबर तक दिल्ली में 21 कनाडाई राजनयिकों और उनके परिवार भारत छोड़कर जाने की अपनी औपचारिक योजना बता दी थी। इसके बाद राजनयिक इम्युनिटी खत्म होने की बात कही गई थी। ऐसे में उनकी सुरक्षा को खतरा था। इससे उन्हें भारत से वापस बुला लिया गया है। जोली ने कहा कि इससे दोनों देशों में वाणिज्य दूतावासों की सेवाओं के स्तर पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से,हमें चंडीगढ़,मुंबई और बैंगलोर के कॉन्सुलेट में सभी व्यक्तिगत सेवाओं पर रोक लगानी पड़ी है।
अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ
जोली ने भारत पर ‘अंतर्राष्ट्रीय कानून के विपरीत’ काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय कानून के उलट काम कर रहा है। उन्होंने भारत पर राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने और द्विपक्षीय तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कनाडा इस पर प्रतिक्रिया नहीं देगा। जोली ने कहा कि मैं स्पष्ट कर दूं, कनाडा अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन जारी रखेगा,जो सभी देशों पर लागू होता है। साथ ही भारत से संबंध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अब पहले से कहीं ज्यादा,हमें जमीन पर राजनयिकों की जरूरत है और हमें एक दूसरे से बात करने की जरूरत है।
काउंसलर सेवा प्रभावित
कनाडा के आप्रवासन,शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने भारत में कनाडा के राजनयिकों को एक तिहाई तक कम करने की घोषणा की। मिलर ने कहा कि इससे सेवा काउंसलर सेवा प्रभावित होगा। कनाडा ने चंडीगढ़,मुंबई और बैंगलोर में अपने वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाएं रोक दी हैं। अब भारत में सभी कनाडाई लोगों को नई दिल्ली उच्चायोग से ही निर्देशित कर रहा है। कनाडा का कहना है कि शेष कर्मचारी अपना काम जारी रखेंगे। यह ऐसे काम हैं जिन्हें देश से बाहर नहीं ले जाया जा सकता। इसमें अत्यावश्यक मामले,वीजा प्रिंटिंग और वीजा आवेदन केंद्रों के साथ काम करना। मिलर ने कहा, यह देखते हुए कि कनाडा के 10 वीजा आवेदन केंद्र थर्ड पार्टी के कॉन्ट्रेक्टर्स की तरफ से चलाए जाते हैं,इन सेवाओं पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (20 अक्टूबर 2023) को एक बयान जारी कर कनाडा के राजनयिकों को वापस भेजने के अपने कदम को सही ठहराते हुए करारा जवाब दिया है। भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों और उनके साथ रह रहे 42 लोगों को मिली ‘डिप्लोमैटिक छूट’ वापस ले ली है।
दरअसल, कनाडा ने भारतीय कार्रवाई को एकतरफ़ा कहा था। उसने भारत पर कूटनीतिक रिश्तों को लेकर वियना संधि के अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। कनाडा के इस आरोप का भारतीय विदेश मंत्रालय ने खंडन किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने भारत में कनाडाई राजनयिकों की मौजूदगी संबंधित 19 अक्टूबर 2023 का कनाडा सरकार का बयान देखा। हमने फैसला द्विपक्षीय रिश्तों के हालात,भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनके लगातार हस्तक्षेप को लेकर लिया है।”
बागची ने कहा,“नई दिल्ली और ओटावा में आपस में दोनों देशों में राजनयिकों की मौजूदगी में समानता की बात है। कनाडा में भारत के मुकाबले भारत में कनाडा के राजनयिकों की संख्या बहुत अधिक है। दोनों देशों में राजनयिकों की समान संख्या रखने के तौर-तरीकों और इसे लागू करने को हम बीते महीने से कनाडाई पक्ष के साथ बात कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “समानता लागू करने में हमारे काम पूरी तरह से तर्कसंगत हैं। राजनयिकों की समान संख्या को लेकर की गई हमारी कार्रवाई वियना संधि के अनुच्छेद 11.1 के अनुसार है। हमारे राजनयिकों की समानता के नियम लागू करने के प्रयास को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन बताने की कोशिश को हम सिरे से नकारते हैं।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने वियना संधि का हवाला देते हुए कहा, “मिशन (राजनियकों) के आकार के बारे में विशिष्ट समझौते की गैर-मौजूदगी में अपने क्षेत्र में मिशन रखने वाले देश को उसकी जरूरतों,हालात और शर्तों को ध्यान में रखते हुए मिशन का आकार तय की गई सीमा में रखने की जरूरत हो सकती है। ये सही और सामान्य है।”
वहीं, भारत सरकार के बयान से कुछ समय पहले ही कनाडा की विदेश मंत्री मेलैनी जोली ने कहा, “भारत ने 20 अक्टूबर 2023 तक दिल्ली में 21 कनाडाई राजनयिकों और उनके आश्रितों को छोड़कर सभी के लिए गलत तरीके से राजनयिक छूट हटाने के बारे में औपचारिक रूप से बता दी है।”
जोली ने लिखा, “भारत ने मनमानी तारीख पर 41 राजनयिकों और उन पर आश्रित 42 लोगों की राजनयिक छूट को हटाने की एकतरफ़ा कार्रवाई की जानकारी दी है। इससे उनकी निजी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।” उन्होंने कहा कि कनाडा के लोग ये देखकर हैरान हो सकते हैं कि भारत में काम करने का क्या मतलब है।
गौरतलब है कि भारत ने दो हफ्ते पहले ही कनाडा से दिल्ली स्थित अपने उच्चायोग से दर्जनों कर्मचारियों को वापस बुलाने को कहा था। ऐसा न करने पर भारत ने उनकी डिप्लोमैटिक इम्युनिटी मतलब राजनयिक सुरक्षा वापस लेने की चेतावनी दी थी।
ये विदेशी राजनयिकों को मिलने वाले विशेषाधिकारों की छूट होती है। इसमें वो स्थानीय कानूनों के दायरे से भी छूट पाते हैं। कनाडा ने भारत की इस चेतावनी को ‘अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन’ कहा था।
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