केदारनाथ स्वर्ण मंडित गर्भगृह विवाद में षड्यंत्र क्या है?
Controversy Over Plating Of Gold In Sanctum Sanctorum Of Kedarnath Temple BKTC Said Part Of Conspiracy
Kedarnath Temple: गर्भ गृह में सोने की परत चढ़ाने पर विवाद, बदरी-केदार मंदिर समिति ने बताया षड्यंत्र का हिस्सा
दानी दाता ने ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार कराई और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई। बीकेटीसी ने नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया गया है। दानी दाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा- 80 का प्रमाण पत्र नहीं मांगा।
बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में सोने की परत चढ़ाने के विवाद को षड्यंत्र का हिस्सा बताया। समिति का कहना है कि दानी दाता की श्रद्धा और आस्था की भावना को देखते हुए मंदिर समिति ने बोर्ज बैठक में प्रस्ताव का परीक्षण कर गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने की अनुमति दी।
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने स्पष्ट किया है कि बीकेटीसी अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानी दाता से दान स्वीकारा गया है। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए शासन से अनुमति ली गई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देखदेख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया।
दानी दाता ने नहीं मांगा प्रमाण पत्र
गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानी दाता ने अपने स्तर से किया है। दानी दाता ने ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार कराई और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई। सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का कार्य दानीदाता की ओर से कराया गया।
दानी दाता में गर्भ गृह में लगाई गई स्वर्ण व तांबे की प्लेटों के आधिकारिक बिल व बाउचर बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के पश्चात दे दिए गए थे। बीकेटीसी ने नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया गया है। दानी दाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा- 80 का प्रमाण पत्र नहीं मांगा। लेकिन कुछ लोग षडयंत्र रच कर केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल की कोशिश कर रहे हैं।
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पिछले साल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों को काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिर की तरह स्वर्णमंडित किया गया। तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने सोने की जगह तांबे की प्लेट लगाने का आरोप लगाते हुए डेढ़ अरब के घोटाले का आरोप लगाया।
Kedarnath Gold Plating: महाराष्ट्र के दानीदाता लखी परिवार ने किया था सोना दान
पिछले साल समुद्र तल से 11 हजार 700 फीट ऊंचाई पर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों को काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिर की तरह स्वर्णमंडित किया गया। महाराष्ट्र के दानीदाता लखी परिवार के सहयोग से यह कार्य किया गया है।
2022 में केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को किया गया था स्वर्णमंडित
कुछ दिन पहले तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में गत वर्ष लगाए गए सोने को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसकी एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई।
तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने सोने की जगह तांबे की प्लेट लगाने का आरोप लगाते हुए डेढ़ अरब के घोटाले का आरोप लगाया। साथ ही चेतावनी दी कि यदि इसकी जांच नहीं हुई तो आंदोलन करेंगें जिसके बाद श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी) में हड़कंप मच गया।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी) ने श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने पर सोशल मीडिया में फैलाये जा रहे भ्रम को षड्यंत्र का हिस्सा बताया है। मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्राविधानों के अनुरूप ही दानीदाता से दान स्वीकारा गया है। दानीदाता ने अपने स्तर से ज्वेलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई व फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई और अपने ज्वेलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित कराया।
वहीं पुनर्निर्माण कार्यो की निरीक्षण को आए विशेष कार्याधिकारी भाष्कर खुल्वे व पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने भी सोने की परत लगाने वाले कारगीरों से जानकारी ली तथा कार्य पर संतोष जताया।
साल 2022 में महाराष्ट्र के दानीदाता लखी परिवार के सहयोग से श्री बदरी-केदार मंदिर सिमिति (बीकेटीसी) ने यह काम कराया है। बता दें कि यह परिवार 2004 में बदरीनाथ धाम में भी सोने का सिंहासन दान कर चुका है।
गर्भगृह की दीवारों से चांदी की परत उतारने के बाद तांबे की परत चढ़ाई गई। नाप-जोख के बाद तांबे के इन प्लेट को महाराष्ट्र ले जाया गया, वहीं इन पर सोने की परत चढ़ाई गई। सोने की परत चढ़ी इन प्लेटों को कड़ी सुरक्षा में महाराष्ट्र से पहले दिल्ली से पहुंचाया गया और फिर गौरीकुंड लाकर खच्चरों की मदद से 23 अक्टूबर शाम को केदारनाथ धाम पहुंचाया गया। मंदिर समिति ने इन्हें सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में एक कक्ष में रखवाया था। इन्हें गर्भगृह में लगाते वक्त भी सुरक्षा के पुख्ता प्रंबंध किए गए।
इससे पहले गर्भगृह चांदी की परत से सुसज्जित था। वर्ष 2017 में एक दानीदाता के सहयोग से बीकेटीसी ने गर्भगृह की चारों दीवारों पर चांदी की परतें चढाईं थी। इन्हें उखाड़कर सोने की परत चढ़ाई गई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के दो विशेषज्ञों की देखरेख में गर्भगृह को स्वणमंडित करने का काम पूरा कराया गया।
आइआइटी रुड़की, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की और एएसआई की छह सदस्यीय टीम ने मंदिर का निरीक्षण करके गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने की स्वीकृति प्रदान की थी।
केदार बाबा के मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित का कार्य 42 दिन में पूरा हुआ। 13 सितंबर 2022 से यह कार्य शुरू हुआ था। पहले चरण में गर्भगृह में लगी चांदी की परतें उखाड़ी गई। इसके बाद स्वर्ण परत चढ़ाने के लिए तांबे की प्लेट तैयार की गई। 23 अक्टूबर से गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने का काम शुरू किया गया। विशेषज्ञों की देखरेख में 35 कारीगरों ने दिन-रात काम करके बुधवार सुबह इसे संपन्न किया।
केदारनाथ मंदिर के 12 फीट गुणा 12 फीट आकार के गर्भगृह की चारों दीवारों के साथ ही जलहरी और छत्र पर सोने की परत चढ़ाई गई है। इसमें अलग-अलग नाप की सोने की कुल 550 परतें चढ़ाई गई हैं। सोने की इन परतों पर गणेश जी और शिव परिवार के सदस्यों के चित्र भी बनाए गए हैं।