ज्ञान: विधि आयोग के सीएए प्रारुप में क्या और क्या नहीं?

 

Polygamy Halala Live In Relation Uniform Civil Code Law Commission Draft
बहुविवाह, हलाला, लिव इन रिलेशनशिप … UCC पर लॉ कमीशन के प्रारूप में किन बातों का उल्लेख, 10 बिंदुओं में समझें

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लॉ कमीशन की ओर से सुझाव मांगे गए हैं। अब तक मिले सुझावों में बहुमत यूसीसी के पक्ष में दिख रहा है। इसी आधार पर लॉ कमीशन की ओर से यूसीसी पर एक बेसिक फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। माना जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार इस पर बिल लाने की तैयारी में है।

नई दिल्ली 03 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से पिछले 27 जून के यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का विषय उठाया उसके बाद इसको लेकर चर्चा जोरों पर है। राजनीतिक दलों और दूसरे संगठनों की ओर से इसके पक्ष और विपक्ष दोनों में ही बयान दिए जा रहे हैं। देश के विधि आयोग ने 14 जून को एक अधिसूचना जारी कर यूसीसी पर लोगों से उनकी राय और सुझाव मांगे हैं। बताया जा रहा है कि अब तक 9.5 लाख से ज्यादा सुझाव आयोग को भेजे गए हैं। इसमें बहुमत यूसीसी के पक्ष में हैं। ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि इन सुझावों के आधार पर लॉ कमीशन ने बेसिक फ्रेमवर्क तैयार कर लिया है। जिनमें इन दस बड़ी बातों का जिक्र है-
शादियों का रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य : मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने की बात है। इसमें सभी धर्मों के लिए एक समान नियम होगा। शादी करने वाले चाहे किसी धर्म को मानते हो उसका रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।

लैंगिक समानता पर जोर: हर लड़के और लड़की को एक समान अवसर प्रदान किया जाए। भारत में कई जगहों पर लैंगिक असमानता के कारण अवसरों में भी असमानता होती है। भेदभाव के कारण लड़कियां कई मौकों से वंचित रह जाती हैं।
बहुविवाह पर रोक: जो बेसिक फ्रेमवर्क तैयार किया गया है उसमें सभी धर्मों में बहुविवाह पर रोक रहेगी।
शादी की उम्र 18 और 21 करने पर सहमति: सभी धर्मों के लड़की की शादी की न्यूनतम उम्र 18 और लड़के की न्यूनतम आयु सीमा 21 रहेगी।
तलाक के नियम : महिला और पुरुष के लिए तलाक के एक जैसे नियम होंगे और यह सभी पर समान रूप से लागू होंगे।
हलाला, इद्दत पर रोक: जो ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा उसमें हलाला और इद्दत पर पूरी तरह से रोक की बात है।
पीएम मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर दिया बयान तो ओवैसी बोले, ये सिर्फ मुसलमानों को टारगेट करने के लिए है
लिव इन रिलेशन का जिक्र नहीं होगा: इस ड्राफ्ट में लिव इन रिलेशन का जिक्र नहीं किया गया है।

मुस्लिम महिलाओं को भी एडॉप्शन का अधिकार : मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चों को गोद लेने का अधिकार होगा।
संपत्ति के मामले में बेटे और बेटियों को समान अधिकार: अलग-अलग धर्मों में संपत्तियों के बंटवारे को लेकर अलग नियम है। इस ड्राफ्ट में संपत्ति के मामले में बेटे और बेटियों को समान अधिकार देने की बात है।
ट्राइबल को छूट: पूर्वोत्तर जनजातियों पर इससे छूट रहेगी। पूर्वोत्तर के राज्यों में जनजातियों के अलग-अलग प्रथाएं हैं। इनको छूट दिए जाने की बात है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *