ग्रिट विल्डर्स हैं कौन जो डटे हैं नूपुर शर्मा के समर्थन में
Geert Wilders Exclusive : नूपुर शर्मा विवाद पर डच सांसद गिर्ट विल्डर्स ने मुस्लिम देशों को लगाई फटकार, भाड़ में जाओ…
Geert Wilders Dutch MP On Nupur Sharma : गिर्ट विल्डर्स का जन्म 6 सितंबर 1963 को हुआ था। वह नीदरलैंड के एक दक्षिणपंथी नेता हैं। वह नीदरलैंड के तीसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल पार्टी फॉर फ्रीडम के संस्थापक हैं। साल 1998 से वह सांसद बन रहे हैं। इस्लाम की अलोचना करने के लिए वह जाने जाते हैं। इस कारण उन्हें कई बार जान से मारने की धमकी मिलती रहती हैं। उन्होंने अपने देश में ‘बैन इस्लाम’ अभियान भी चलाया था, जिसमें उन्होंने मस्जिदों को बंद करने की मांग की थी।
Geert Wilders
गिर्ट विल्डर्स का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
हाइलाइट्स
नीदरलैंड के सांसद गिर्ट विल्डर्स ने नूपुर शर्मा विवाद पर की खास बातचीत
कहा- मैं नूपुर शर्मा को समर्थन इसलिए कर रहा हूं क्योंकि उन्होंने जो बोला वह बिल्कुल सच है
गिर्ट विल्डर्स ने अरब देशों और पाकिस्तान को दी नसीहत- अपने गिरेबांन में झांको और भाड़ में जाओ
एम्सटर्डम 10जून : नूपुर शर्मा, फिलहाल पूरी दुनिया इसी नाम के बारे में बात कर रही है। बीजेपी से निष्कासित नेता और पूर्व प्रवक्ता की चारों तरफ आलोचना हो रही है। पिछले दिनों एक टीवी डिबेट के दौरान नूपुर ने पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की जो इस वक्त विवादों का केंद्र बनी हुई है। जैसे ही यह बयान भारत से बाहर गया तमाम इस्लामिक और अरब देश इसकी निंदा करने लगे। वे देश भी भारत की आलोचना कर रहे हैं जिनके अपने मुल्क में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और मानवाधिकार उल्लंघन का एक लंबा इतिहास रहा है। हद तो तब हो गई जब तालिबान भी इस भीड़ का हिस्सा बन गया। लेकिन इस भीड़ के जवाब में कुछ लोग नूपुर शर्मा के साथ पूरी तरह से खड़े दिखाई दे रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम नीदरलैंड के सांसद गिर्ट विल्डर्स का है। वह लगातार मुखर होकर नूपुर शर्मा का बचाव कर रहे हैं और इस्लामिक देशों को कड़े शब्दों में फटकार लगा रहे हैं।
हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत में विल्डर्स ने बताया कि वह नूपुर शर्मा का समर्थन क्यों कर रहे हैं…
सवाल- क्या आप नूपुर शर्मा को जानते हैं और अगर नहीं, तो उनका समर्थन क्यों कर रहे हैं?
जवाब- मैं नूपुर शर्मा को जानता हूं, वह सत्तारूढ़ बीजेपी की सदस्य और राजनेता हैं। मैं उनका समर्थन इसलिए कर रहा हूं क्योंकि वह सच बोल रही हैं। मेरा मानना है कि सच बोलने के लिए जान की धमकी मिलना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मेरा मानना है कि ये सबसे बड़ा पाखंड है, जो देश भारत से नूपुर शर्मा के बयानों पर माफी मांगने के लिए कह रहे हैं उनके मानवाधिकार का ट्रैक रेकॉर्ड बेहद खराब है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां कानून का शासन है जबकि ईरान, कतर, सऊदी अरब जैसे इस्लामिक अपने अल्पसंख्यकों प्रताड़ित करते हैं। इन देशों में अगर आप अल्पसंख्यक हैं तो आपको जेल जाना पड़ सकता है, आपकी हत्या भी हो सकती है अगर आपने ईसाई, यहूदी या हिंदू बनने या इस्लाम छोड़ने की कोशिश की। इन देशों को अपने गिरेबांन में झांककर देखना चाहिए और भारत जैसे देशों पर उंगली नहीं उठानी चाहिए। इनमें से ज्यादातर देश ओआईसी के सदस्य हैं जो कहता है कि मानवाधिकार शरिया कानून के अधीन हैं। शरिया कानून बेहद क्रूर है जो अधिकारों और स्वतंत्रता का हनन करता है जबकि भारत और हॉलैंड जैसे देशों में सभी एक समान हैं। नूपुर शर्मा ने जो पैगंबर मोहम्मद पर कहा, आप उससे सहमत हों या न हों लेकिन वह सच है। सभी जानते हैं, हदीस में कहा गया है कि मोहम्मद ने जब आयशा से शादी की तब वह सिर्फ 9 साल की थी। सच बोलने के लिए धमकियां मिलना और माफी की मांग करना हास्यास्पद है।
सवाल- क्या आपको लगता है कि नूपुर शर्मा का बयान किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने को था?
जवाब- मुझे ऐसा नहीं लगता। मैंने टीवी क्लिप देखी है जिसमें उन्होंने वह बयान दिया था। एक शख्स हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ा रहा था, वह गुस्से में थीं और उन्होंने उसे जवाब दिया। मुझे नहीं लगता कि वह किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना चाहती थीं। अगर आप सच बोल रहे हैं तो आप किसी की धार्मिक भावनाओं को कैसे आहत कर सकते हैं? लोकतंत्र में आप अभिव्यक्ति की आजादी के रूप कानून के दायरे में रहते हुए किसी भी धर्म की आलोचना कर सकते हैं। भारत जैसे देश में सिर्फ अदालतों को सही गलत तय करने का अधिकार है। इसलिए अगर नूपुर शर्मा ने कुछ गलत बोला है तो यह तय करने का अधिकार सिर्फ अदालत को है न कि उन देशों को जो उन्हें धमकी दे रहे हैं और भारतीय प्रोडक्ट्स का बहिष्कार कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि भारत को ऐसी महिला पर गर्व होगा जिसने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है और सिर्फ सच बोला है।
सवाल- दुनियाभर से विरोध के खिलाफ नूपुर शर्मा का समर्थन करने के बाद आपके देश या आपकी सरकार का आपके प्रति क्या रवैया है?
जवाब- मुझे नहीं और मुझे इसकी परवाह भी नहीं है। मैं विपक्ष का नेता हूं। मैं सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का सदस्य हूं। इसलिए मुझे इसकी परवाह नहीं कि सरकार मेरे बारे में क्या सोचती है। एक सांसद के तौर पर मैं सरकार की आलोचना करता हूं। मुझे उम्मीद है कि वे अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करेंगे।
सवाल – अल-कायदा ने भारत को धमकी दी है, आपको भी इस तरह की धमकियों का सामना करना पड़ा है, इन्हें कितनी गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इनसे कैसे निपटना चाहिए?
जवाब-अल-कायदा, आईएसआईएस, तालिबान दुनिया के सबसे आपराधिक और आतंकवादी संगठन हैं। वे सिर्फ डर, हिंसा और आतंक की भाषा बोलते हैं। 10-15 साल पहले मैं उनकी हिटलिस्ट में शामिल था। मेरी सार्वजनिक स्वतंत्रता तब ही खत्म हो गई थी। मैंने घर छोड़ दिया और करीब 17 साल सेफहाउस में रहा। वे धमकाते हैं लेकिन बदले में हम उन्हें धमकी नहीं दे सकते। लोकतंत्र में विवादों को सुलझाने के तरीके अलग होते हैं लेकिन अगर आप किसी को धमकियां देने लगते हैं तो एक दिन आप अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को खो देंगे। इसलिए ये गंभीर हो सकती हैं लेकिन हम कभी आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं, नहीं तो हम अपनी आजादी को खो देंगे।
सवाल- क्या इस्लामोफोबिया भविष्य में दुनिया के लिए खतरा बन सकता है?
जवाब- मुझे समझ नहीं आता कि इस्लामोफोबिया क्या है? मेरा मानना है कि इस्लामिक विचारधारा, न कि मुसलमान, दुनिया के लिए खतरा है न कि इस्लामोफोबिया। अगर आप इस्लाम की आलोचना करते हैं तो आप ‘इस्लामोफोब’ नहीं हैं। मेरा मानना है कि नूपुर शर्मा इस्लामोफोब नहीं हैं। दुनिया के इस्लामिक विचारधारा खतरा है जो पूरी तरह असहिष्णु है। इस्लाम हर उस चीज के प्रति असहिष्णु है जो इस्लामिक नहीं है इसलिए इस्लामोफोबिया नहीं, इस्लाम दुनिया के लिए खतरा है।
सवाल- नूपुर शर्मा के बयान पर पाकिस्तान, अरब देश और तालिबान भी भारत को टारगेट कर रहे हैं, आप उन्हें क्या नसीहत देना चाहते हैं?
जवाब- मेरी नसीहत यही है कि भाड़ में जाओ। तुम्हें आईना देखने की जरूरत है, अपने ट्रैक रेकॉर्ड को देखने की जरूरत है कि तुम अपने नागरिकों, अल्पसंख्कों के साथ कैसा व्यवहार करते हो। भारत के पास जो है वह तुम्हारे पास नहीं है इसलिए अपने गिरेबांन में झांको, आईना देखो और एक-दूसरे की या अपनी आलोचना करो। किसी लोकतंत्र पर या सच बोलने वाले पर उंगली मत उठाओ। इसलिए मेरी नसीहत यही है कि भीड़ में जाओ और अपने काम से काम रखो। प्रयास करो कि तुम्हारे देश और स्वतंत्र और लोकतांत्रिक बनें क्योंकि तुम लोग दुनिया के सबसे बड़े पाखंडी हो।
तालिबान, अल कायदा, हिज्बुल्लाह… भारत को धौंस दिखा रहे कतर का आतंकी कनेक्शन तो जानेंं
कतर पर तालिबान, इस्लामिक स्टेट, अल कायदा, हिज्बुल्लाह, मुस्लिम ब्रदरहुड, अल नुसरा फ्रंट समेत दुनियाभर के कई खूंखार आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के आरोप लगते रहे हैं। कतर पर इन आतंकी संगठनों की फंडिंग करने और पनाह देने के आरोप भी लगे हैं। इसके बावजूद यह खाड़ी देश अपनी अमीरी के दंभ में इस्लाम को लेकर राजनीतिक एजेंडे को चलाने से बाज नहीं आता है।
बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी को लेकर खाड़ी देशों में बवाल मचा हुआ है। सबसे पहले कतर ने इस मुद्दे को लेकर भारत के खिलाफ मोर्चा खोला था। कतर ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के दौरे की परवाह न करते हुए भारतीय राजदूत को तलब किया। साथ ही भारत सरकार से सार्वजनिक माफी मांगने की अपील भी कर डाली। कतर ने इस बयान को पूरी दुनिया के मुसलमानों का अपमान बताकर प्रचारित किया। इस कारण खाड़ी देशों, खासकर कतर में भारतीय सामानों का बहिष्कार शुरू हो गया। दरअसल, कतर का इस्लाम को लेकर भारत विरोध एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। कतर पूरी दुनिया में सऊदी अरब को पछाड़कर इस्लामी देशों का रहनुमा बनना चाहता है। यही कारण है कि प्राकृतिक गैस संपन्न यह छोटा सा अरब देश आतंकवादी संगठनों की फंडिंग करने से नहीं चूूकता है।
कतर के दुनियाभर के कई आतंकी समूहों से संबंध
कतर पर तालिबान, इस्लामिक स्टेट, अल कायदा, हिज्बुल्लाह, मुस्लिम ब्रदरहुड, अल नुसरा फ्रंट समेत दुनियाभर के कई खूंखार आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के आरोप लगते रहे हैं। कतर पर इन आतंकी संगठनों की फंडिंग करने और पनाह देने के आरोप भी लगे हैं। इसके बावजूद यह खाड़ी देश अपनी अमीरी के दंभ में इस्लाम को लेकर राजनीतिक एजेंडे को चलाने से बाज नहीं आता है। 2014 में कतर पर आईएसआईएस की फंडिंग करने, 2020 में हिजबुल्लाह को आर्थिक मदद देने और जून 2021 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामित आतंकवादी समूह अल नुसरा फ्रंट को पैसे भेजने के आरोप लगे। इसके अलावा तालिबान के साथ कतर के रिश्ते तो जगजाहिर हैं। यही कारण है कि पिछले साल तालिबान के साथ बातचीत में कतर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी गई थी।
दोहा में खुलवाया तालिबान का राजनीतिक कार्यालय
कतर ने अफगानिस्तान से खदेड़े जाने के बाद तालिबान की खुलकर मदद की थी। इसी कारण तालिबान ने कतर की राजधानी दोहा में अपना राजनीतिक कार्यालय खोला था। इसी कार्यालय के जरिए तालिबान ने अमेरिका के साथ शांति समझौता किया। इसी के चलते तालिबान को अफगानिस्तान में पकड़ जमाने का मौका मिल गया। तालिबान के इस कार्यालय को चलाने के लिए फंडिंग कतर ने की। कतर के ही दिए विमान में तालिबान के नेता उड़ान भर पूरी दुनिया की सैर करते थे। यह वही तालिबान है, जिसने अफगानिस्तान में लाखों लोगों का कत्लेआम किया, महिलाओं पर भयंकर जुल्म ढाहे और लड़कियों की शिक्षा को बंद कर दिया। अब उसी तालिबान ने नागरिक सरकार को बंदूक के दम पर अपदस्थ कर अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है।
अल नुसरा फ्रंट को दिए लाखों-करोड़ों डॉलर
द टाइम्स ऑफ लंदन के अनुसार, कतर के शाह के एक निजी कार्यालय के जरिए अल नुसरा फ्रंट को अरबों डॉलर की मदद दी गई थी। सीरियाई संगठनों ने दावा किया था कि इस फंडिंग के पीछे दो कतरी बैंक, कई दान, धनी व्यवसायी, प्रमुख राजनेता और नागरिक शामिल थे। लंदन में उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि कतर के इन संस्थाओं, राजनेताओं और शाही परिवार ने मुस्लिम ब्रदरहुड, सुन्नी इस्लामी संगठन के समन्वय में काम करने वाले अल नुसरा फ्रंट की मदद की थी। सीरियाई लोगों द्वारा दायर कानूनी कार्रवाई के अनुसार, अल-नुसरा फ्रंट को फंड देने में सबसे बड़ी भूमिका कतरी अमीरों की थी। अल नुसरा फ्रंट को अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया है।
आईएसआईएस और हिजबुल्लाह की फंडिंग का आरोप
जर्मनी के पूर्व विकास मंत्री गर्ड मुलर ने 2014 में कतर पर इस्लामिक स्टेट को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया था। यह वही साल था, जब इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने सीरिया और इराक में धर्म के नाम पर जमकर तबाही मचाई थी। 2020 में जेरूसलम पोस्ट ने दावा किया था कि आतंकवादी संगठन हिज़्बुल्लाह के कथित वित्तपोषण के लिए कतर के शासन की जांच के लिए अमेरिका ने एक टीम भेजी थी। अमेरिका और यूरोपीय संघ हिजबुल्लाह को आतंकवादी संगठन का दर्जा दिया हुआ है। हिजबुल्लाह लेबनान का शिया आतंकवादी संगठन है, जिसके निशाने पर इजरायल रहता है