पाकिस्तान कि अमेरिका? चीन?शेख हसीना का तख्त पलटा किसने?
Asian Countries Christian State In Bangladesh Us Military Base How Sheikh Hasina Told About American Threat On Government
क्या बांग्लादेश अब ईसाई देश बनेगा? शेख हसीना का बड़ा डर सच साबित हुआ, जानें क्यों ‘खुश’ हो रही अमेरिकी सरकार
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तीन महीने पहले ये दावा किया था कि एक विदेशी शक्ति उनकी सरकार पर दबाव बना रही है। मई में उन्होंने कहा था कि एक देश बांग्लादेश में सैन्य अड्डा खोलना चाहता है। इसके साथ ही कहा कि बांग्लादेश और म्यांमार को काटकर एक ईसाई देश बनाने की कोशिश हो रही है।
शेख हसीना ने तीन महीने पहले जताया था सरकार पर खतरा
बांग्लादेश में सैन्य अड्डे के लिए अमेरिका बना रहा था दबाव
बांग्लादेश और म्यांमार को काटकर ईसाई देश बनाने का था प्लान
शेख हसीना ने तीन पहले ही अपनी सरकार पर विदेशी खतरा बताया था
ढाका: बांग्लादेश इस समय बड़ी अशांति के दौर से गुजर रहा है। दो सप्ताह से चल रहे हिंसक प्रदर्शन के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। हालात इतने खराब हो गए कि शेख हसीना को आनन-फानन में देश छोड़कर भागना पड़ा। सोमवार देर शाम वह भारत पहुंची, जहां उन्हें सुरक्षित जगह पर रखा गया है। यहां से उनके आगे लंदन जाने की संभावना है। लेकिन क्या शेख हसीना को अमेरिका के विरोध के चलते बांग्लादेश की प्रधानमंत्री कुर्सी छोड़नी पड़ी। ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि दो महीने पहले मई में शेख हसीना ने खुलकर कहा था कि उनके ऊपर विदेश से दबाव बनाया जा रहा है।
मई में शेख हसीना ने दावा किया कि एक देश ने उन्हें प्रस्ताव दिया था कि अगर वह बांग्लादेश के इलाके में एयरबेस बनाने की अनुमति देती हैं तो उन्हें बिना किसी परेशानी के दोबारा चुनाव जीतने दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने देश का नाम नहीं बताया था, लेकिन ये माना गया था कि यह अमेरिका था। हसीना ने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्सों को काटकर पूर्वी तिमोर जैसा एक ईसाई देश बनाने की साजिश चल रही है।
ईसाई देश बनाने का प्लान
बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास गोनोभवन में सहयोगी पार्टियों की बैठक में संबोधन देते हुए हसीना ने कहा था कि ‘पूर्वी तिमोर की तरह वे बांग्लादेश (चटगांव) और म्यांमार के कुछ हिस्सों को लेकर एक ईसाई देश बनाएंगे और बंगाल की खाड़ी में एक बेस बनाएंगे।’ हसीना ने कहा कि ‘कई लोगों की नजर इस जगह पर है। यहां कोई विवाद नहीं है, कोई संघर्ष नहीं है। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी।’ उन्होंने यह भी दावा किया यह सिर्फ एक देश के लिए नहीं है। ‘मुझे पता है कि वे और कहां जाना चाहते हैं।’
अमेरिकी प्लान हो गया कामयाब?
शेख हसीना ने कहा था कि प्रस्ताव ठुकराने की वजह से ही अवामी लीग की सरकार मुश्किल में रहती है। उन्होंने दावा किया था कि और भी मुश्किलें आएंगी, लेकिन चिंता की कोई जरूरत नहीं है। ‘अगर मैंने एक खास देश को बांग्लादेश में एयरबेस बनाने की अनुमति दी होती, तो मुझे कोई समस्या नहीं होती।’ इस बयान के दो महीने के बाद ही शेख हसीना को बांग्लादेश की सत्ता छोड़नी पड़ी है। सुरक्षा विशेषज्ञ एफजे ने दावा किया है कि अमेरिकी बेस अब भारत के पड़ोस में बनने जा रहा है।
अमेरिका ने की बांग्लादेश की सेना की तारीफ
अमेरिका ने बांग्लादेश में बदलाव का स्वागत करते हुए सेना की तारीफ की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत करते है। उन्होंने अंतरिम सरकार को लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने का आग्रह किया। इसके साथ ही मिलर ने कहा कि आज सेना ने जो संयम दिखाया हम उसकी सराहना करते हैं।
बांग्लादेश में तख्ता पलट के पीछे ISI का हाथ! छात्र शिविर के इशारे में हुआ ये अंजाम
आरक्षण मुद्दे पर हिंसा की आग में झुलस रहे बांग्लादेश में सोमवार को तख्ता पलट हो गया. लंबे समय से सत्ता पर काबिज शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए देश छोड़ दिया है. शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद सेना ने अंतरिम सरकार के गठन का ऐलान किया है. देश चलाने की जिम्मेदारी 10 लोगों को सौंपी गई है.
बांग्लादेश में तख्ता पलट हो गया है. बांग्लादेश में लंबे समय से सत्ता में काबिज शेख हसीना को छात्रों के हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद सोमवार को देश छोड़कर भागना पड़ा. शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट पर पहुंच गई हैं. उधर, ये बात सामने आ रही है कि बांग्लादेश की स्थिति के पीछ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है. देश में हिंसा भड़काने के पीछे छात्र शिविर नामक संगठन का नाम सामने आ रहा है. छात्र शिवर बांग्लादेश में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी का ही एक हिस्सा है. और जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का समर्थन प्राप्त है.
शेख हसीना सरकार ने देश में हिंसा को देखते हुए कुछ दिन पहले ही जमात-ए-इस्लामी, उसकी स्टूडेंट यूनियन और अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार के इस कदम के खिलाफ जमात-ए-इस्लामी और इसके तमाम संगठन सड़कों पर उतर आए थे. जमात-ए-इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी- BNP के कार्यवाहक प्रमुख खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान की सांठ-गांठ के सबूत बांग्लादेश के अधिकारियों के पास भी थे. जानकारी मिली है कि बांग्लादेश में ऑपरेशन रिजीम चेंज की रूपरेखा लंदन में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी- ISI के साथ मिलाकर बनाई गई थी. योजना का ब्लूप्रिंट तैयार करने के बाद उसे बांग्लादेश में अंजाम दिया गया.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में तारिक रहमान और आईएसआई अधिकारियों के बीच बैठकों के सबूत होने का दावा बांग्लादेश के अधिकारी कर रहे थे.
सोशल मीडिया हैंडल एक्स (X) पर कई एंटी बांग्लादेश लगातार इस विरोध-प्रदर्शन को हवा दे रहे थे और 500 से ज्यादा नेगेटिव ट्वीट शेख हसीना सरकार के खिलाफ किए गए. इनमें पाकिस्तानी हैंडल भी शामिल हैं. जानकारी मिली है कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी की स्टूडेंट विंग को भी कथित तौर पर पाकिस्तान की आईएसआई की तरफ से समर्थन मिल रहा है. इस संगठन का काम बांग्लादेश में हिंसा भड़काना और छात्रों के विरोध को राजनीतिक आंदोलन में बदलना था.
पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का उद्देश्य प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को अस्थिर करना और विपक्षी बीएनपी को बहाल करना है.
क्या है मुद्दा
बता दें कि बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण को लेकर छात्रों का विरोध-प्रदर्शन एक व्यापक राजनीतिक आंदोलन में बदल गया है. छात्र देश में विवादित आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने का मुद्दा उठा रहे हैं. आरक्षण प्रणाली के तहत बांग्लादेश में 1971 में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का कोटा तय किया हुआ है. आरोप यह है कि आरक्षण के इस नियम का फायदा शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के लोगों को मिल रहा है.
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पाकिस्तान की मदद, चीन की फंडिंग और जमात-ए-इस्लामी का प्रदर्शन, बांग्लादेश से शेख हसीना को ऐसे भगाया
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट और उनके भारत भागने को लेकर बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। बांग्लादेशी अधिकारियों ने दावा किया है कि उनके पास बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक प्रमुख और खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान और सऊदी अरब में आईएसआई अधिकारियों के बीच बैठकों के सबूत हैं।
बांग्लादेश की एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शेख हसीना के तख्तापलट की प्लानिंग का खाका लंदन में तैयार किया गया था। इस प्लानिंग में खालिदा जिया का बेटा और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक प्रमुख तारिक रहमान और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई शामिल थी। इसकी तैयारी इतनी बारीकी से की गई थी कि बांग्लादेश की सरकार को भनक तक नहीं लगी और बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण सोमवार को शेख हसीना की सरकार गिर गई। बांग्लादेशी अधिकारियों ने दावा किया है कि उनके पास तारिक रहमान और सऊदी अरब में आईएसआई अधिकारियों के बीच बैठकों के सबूत हैं।
हसीना के ‘तख्तापलट’ पर बड़ा खुलासा
पाकिस्तान की मदद से चीन ने की फंडिंग
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा की शुरुआत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई “बांग्लादेश विरोधी” हैंडल लगातार विरोध को हवा दे रहे थे। शेख हसीना सरकार के खिलाफ 500 से अधिक निगेटिव ट्वीट किए गए, जिनमें पाकिस्तानी हैंडल से किए गए ट्वीट भी शामिल थे। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का उद्देश्य हसीना की सरकार को अस्थिर करना और विपक्षी बीएनपी को सत्ता में लाना था, जिसे पाकिस्तान समर्थक माना जाता है। आईएसआई के माध्यम से चीन ने भी विरोध को बढ़ाने में भूमिका निभाई, जिसके कारण अंत में शेख हसीना को भारत भागना पड़ा।
विरोध प्रदर्शनों में जमात-ए-इस्लामी शामिल
नौकरी में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन हसीना के खिलाफ एक व्यापक सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया, जिसमें 300 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। खुफिया प्रतिष्ठान ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा, आईएसआई समर्थित इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) ने विरोध को भड़काया और इसे हसीना की जगह पाकिस्तान और चीन के अनुकूल शासन स्थापित करने के प्रयास में बदल दिया। भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाने वाले जमात-ए-इस्लामी का उद्देश्य छात्र विरोध को राजनीतिक आंदोलन में बदलना था।
इस्लामी छात्र शिबिर ने भड़काई हिंसा
खुफिया जानकारी से पता चलता है कि इस्लामी छात्र शिबिर के सदस्यों ने कई महीनों तक सावधानीपूर्वक योजना बनाई। खुफिया सूत्रों ने कहा कि इस फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय चीनी संस्थाओं से आया है। बांग्लादेश के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सोशल मीडिया गतिविधि की जांच करते समय, यह देखा गया कि आवामी लीग के खिलाफ अधिकांश पोस्ट, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के वीडियो और शेख हसीना को बदनाम करने वाले पोस्टर, बीएनपी और उसके संबद्ध सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए शेयर किए जा रहे थे। इनमें से अधिकांश को अमेरिका से ऑपरेट हो रहे सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए बढ़ावा दिया जा रहा था।
बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन क्यों शुरू हुए?
विरोध प्रदर्शनों की जड़ें विवादास्पद कोटा प्रणाली में हैं, जिसमें 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण था। बाद में बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने नौकरी के कोटे को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था, लेकिन विरोध प्रदर्शनों ने एक अलग मोड़ ले लिया। इसमें प्रदर्शनकारियों ने हसीना के इस्तीफे की मांग की। 4 अगस्त को विरोध प्रदर्शन और भी उग्र हो गया, जब पुलिस के साथ झड़पों में 100 से अधिक लोग मारे गए। सोमवार को हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भाग गईं, जिसके बाद सेना ने नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
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