केतकी चितले, नवनीत राणा और कंगना राणावत से ज्यादा खुश आज कौन होगा?

उद्धव का हश्र देखकर नवनीत राणा, कंगना रनौत और केतकी चितले से ज्यादा खुश कौन होगा?
कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने अपने ऑफिस पर बीएमसी का बुलडोजर चलने के बाद कहा था कि ‘आज मेरा घर टूटा है, तो कल उद्धव ठाकरे का घमंड टूटेगा.’ हनुमान चालीसा पढ़ने के ऐलान पर पति समेत जेल भेजी गईं नवनीत राणा (Navneet Rana) के मन में भी उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के लिए ऐसा ही कोई ख्याल आया होगा।

उद्धव ठाकरे आज जिस हाल में हैं. उनका ये हश्र देखकर नवनीत राणा, कंगना रनौत और केतकी चितले से ज्यादा खुश कौन होगा? उद्धव ठाकरे के घर पर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान करने पर नवनीत राणा को पति समेत जेल की हवा तक खानी पड़ी. जबकि, महाविकास आघाड़ी सरकार और शिवसेना के खिलाफ बयानबाजी के लिए कंगना रनौत के घर पर तो बीएमसी का बुलडोजर हाईकोर्ट का आदेश आने के बावजूद भी गरजता रहा था. इतना ही नहीं, एनसीपी चीफ शरद पवार के खिलाफ कथित तौर पर एक पोस्ट लिखने के चलते एक महीने से ज्यादा समय तक मराठी अभिनेत्री केतकी चितले को जेल में रहना पड़ा.

अब जैसा कहा गया है कि ‘मनुज बली नहीं होत है, समय होत बलवान.’ तो, अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को पूरी निर्ममता के साथ कुचलने वाले उद्धव ठाकरे आज खुद इसके लपेटे में आ गए हैं. शिवसेना के अहंकार को उद्धव ठाकरे के ही करीबी एकनाथ शिंदे ने पैरों तले कुचलने का मन बना लिया है. कहना गलत नहीं होगा कि शिवसेना के गुस्से का शिकार हुई नवनीत राणा, कंगना रनौत और केतकी चितले का संताप आज निश्चित तौर पर खुशी में बदल गया होगा. वैसे भी कंगना रनौत ने कहा ही था कि ‘आज मेरा घर टूटा है, तो कल उद्धव ठाकरे का घमंड टूटेगा.’

Uddhav Thackeray ready to resign Who would be happier than Ketaki chutle,Navneet Rana and Kangana Ranaut after seeing Shiv Sena fate
केतकी छितरे,नवनीत राणा और कंगना रनौत के दिल में लगी आग को उद्धव ठाकरे की हालत देख कुछ तो राहत मिल ही गई होगी.

‘हिंदुत्ववादी’ शिवसेना ने हनुमान चालीसा के लिए भेजा था जेल

महाविकास आघाड़ी सरकार को बचाने की आखिरी कोशिश करते हुए उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के बागी विधायकों से सामने आकर अपनी बात कहने की मांग की है. इतना ही नहीं, हिंदुत्व की राजनीति से भटकने को लेकर एकनाथ शिंदे द्वारा लगाए गए आरोपों पर भी उद्धव ठाकरे ने कहा क‍ि ‘श‍िवसेना और हिंदुत्व एक ही स‍िक्‍के के दो पहलू हैं. श‍िवसेना ने कभी हिंदुत्व को नहीं छोड़ा है. शिवसेना अभी भी बालासाहेब के विचारों वाली ही पार्टी है. और, आज भी शिवसेना हिंदुत्व पर कोई समझौता नहीं करती है.’ खैर, संभव है कि उद्धव ठाकरे अपना मुख्यमंत्री पद बचाने के लिए ये बात कह रहे हों. लेकिन, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने को लेकर जेल भेजी गईं नवनीत राणा के लिए उद्धव ठाकरे का ये बयान चौंकाने वाला हो सकता है.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे ने जब लाउडस्पीकर न उतारे जाने पर मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने का ऐलान किया था. तो, उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे के खिलाफ कुछ खास रुख अख्तियार नहीं किया था. लेकिन, अमरावती की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा ने जैसे ही मुख्यमंत्री के आवास मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने का ऐलान किया. उन्हें महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उद्धव ठाकरे के आवास पर हनुमान चालीसा पढ़ने के ऐलान पर पुलिस ने नवनीत राणा पर भड़काऊ बयानबाजी, समाज में अशांति फैलाने से लेकर राजद्रोह तक का मामला दर्ज किया था. राणा दंपति को इस मामले में 11 दिन जेल में रहना पड़ा था. जिसके बाद कई शर्तों के साथ उन्हें जमानत मिली थी.

 

वैसे, आज खुद को हिंदुत्ववादी और बालासाहेब के विचारों पर चलने वाला साबित करने वाले उद्धव ठाकरे के लिए नवनीत राणा का मामला राजनीति में एक बड़ा कांटा साबित होगा. क्योंकि, भले ही शिवसेना खुद को हिंदुत्व की पक्षधर कहे. लेकिन, एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन की महाविकास आघाड़ी सरकार चलाने के दौरान हिंदुत्व के उदार वर्जन की ओर उसे मजबूरी में कदम बढ़ाने पड़े हैं. जो बालासाहेब ठाकरे के विचारों से मेल खाते नजर नहीं आते हैं. क्योंकि, मराठी अस्मिता और उग्र हिंदुत्व के मामले में बालासाहेब ठाकरे के विचार किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. खैर, नवनीत राणा ने इसी बीच दिल्ली हवाई यात्रा के दौरान हनुमान चालीसा पढ़ने की फोटो शेयर करते हुए कहा है कि उद्धव ठाकरे की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.

कंगना रनौत के घर पर ‘बदले’ का बुलडोजर

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में सीधे ठाकरे परिवार पर निशाना साधा था. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के साथ उन्होंने पूरी शिवसेना को ही इस मामले में घसीट लिया था जिससे शिवसेना खुलकर कंगना रनौत के खिलाफ उतर आई थी. कंगना रनौत ने उस दौरान महाविकास आघाड़ी सरकार को जमकर लताड़ लगाई थी. लेकिन, उनके निशाने पर शिवसेना ही थी. कंगना रनौत की ये लड़ाई जल्द ही राजनीतिक रंग में रंगी नजर आने लगी. इस दौरान कंगना रनौत और शिवसेना के नेता संजय राउत के बीच जुबानी जंग शालीनता की सारी हदें पार कर गई थी. और, कंगना को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा.

 

 

बीएमसी ने कंगना रनौत के दफ्तर पर 24 घंटे का नोटिस देकर बुलडोजर चला दिया था. बीएमसी की इस तोड़-फोड़ में कंगना रनौत को करीब दो करोड़ का नुकसान हुआ था. वैसे, बुलडोजर की इस कार्रवाई के बाद कंगना रनौत और मुखर हो गई थीं. उन्होंने उद्धव ठाकरे को वंशवाद का नमूना बताने के साथ ही शिवसेना को सोनिया सेना बता डाला था. इस विवाद के बढ़ने पर कंगना रनौत को शिवसेना सांसद संजय राउत ने ‘हरामखोर’ तक कह डाला. हालांकि, बाद में संजय राउत ने कहा कि उनकी भाषा में इस शब्द का मतलब ‘नॉटी’ होता है.

पवार के कथित अपमान पर उद्धव सरकार ने अभिनेत्री केतकी चितले को भेजा गया जेल

बीते महीने 15 जून को मराठी अभिनेत्री केतकी चितले को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के खिलाफ एक कथित आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट लिखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस हिरासत में ही एनसीपी ने केतकी चितले पर काली स्याही फेंकी और केतकी चितले को जेल में बनाए रखने को महाराष्ट्र पुलिस में उनके खिलाफ पांच मामले दर्ज कराए थे. केतकी चितले के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, 500, 501 और 504, 506 और 34 में भी एक मामला दर्ज किया गया था. बता दें कि केतकी चितले ने फेसबुक पर एक कविता शेयर की थी. जो किसी और ने लिखी थी. हालांकि, इस कविता में शरद पवार का नाम सीधे तौर पर नहीं था. कविता में सिर्फ पवार सरनेम और 80 साल की उम्र का जिक्र था. और, इसे शरद पवार का अपमान मानकर केतकी चितले को एक महीने से भी ज्यादा समय तक जेल में रखा गया. उन्हें हाल ही में जमानत मिली है.

‘अपने’ ही हुए उद्धव ठाकरे के खिलाफ बागी

कहा जाता है कि किसी भी शख्स की सबसे बड़ी ताकत उसका परिवार होता है. लेकिन, जब उस शख्स की गलतियों के खिलाफ उसका अपना ही परिवार खड़ा हो जाए. तो, उसके लिए सभी रास्ते बंद हो जाते हैं. ऐसा ही हाल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का हो गया है. खुद उद्धव ठाकरे के ही ‘अपनों’ ने महाविकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दरअसल, शिवसेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन वाली सरकार के खिलाफ विद्रोह का जो बिगुल फूंका है. उसकी आंधी में उद्धव ठाकरे सरकार की नींव हिल गई है. उद्धव ठाकरे की हालत ये हो गई है कि वह मुख्यमंत्री पद के साथ ही शिवसेना प्रमुख तक का पद छोड़ने को तैयार हो गए हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो महाविकास आघाड़ी सरकार को बचाने के लिए उद्धव ठाकरे तकरीबन घुटनों पर आ चुके हैं.

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लेखक-देवेश  त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

 

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