मत: जिहादी हमलों से कौन बचाएगा हिंदुओं को?

How Jehadi Activities Increasing Tremendously In India And Hindu Society Is Living In Constant Fear
मत-विमत: अब अस्तित्व पर संकट है, राजनीति चलती रहेगी लेकिन इन जिहादियों से बचा लो सरकार
राजनीति ने इस देश का बेड़ा इस हद तक गर्क कर दिया है कि सिर्फ सात दशक बाद ही हिंदू फिर अस्तित्व के संकट से जूझने को विवश है। आज शायद ही कोई दिन बीते जब जिहाद प्रेरित अत्याचार नहीं हो रहा हो। देश का कोना-कोना मुस्लिम अत्याचारों की पीड़ा से निकली चीख से गूंज रहा है, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही।

++भारत और हिंदू समाज एक गंभीर संकट से गुजर रहा है
++मुस्लिम आततायी हर जगह हिंदुओं की सांसें रोक रहे हैं
++लव जिहाद, हत्या जैसे मामले खौफनाक स्तर पर जा चुके हैं
नई दिल्ली 10 जुलाई 2024: देश एक बड़े खतरे की चपेट में है। बढ़ रहा है, यह कहना अब गलत होगा। अब खतरा दिख रहा है, जकड़न महसूस हो रही है, दिनोंदिन फंदा कसता जा रहा है। आज सोशल मीडिया के जमाने में कुछ छिपा नहीं रह पाता है। अलग-अलग धड़े एक-दूसरे की गलतियों, गतिविधियों की पोल सोशल मीडिया पर खोल रहे हैं। दक्षिणपंथी जमात क्या कर रहा है, एक-एक बात, हरेक घटना के डीटेल्स खूब तड़का लगाकर परोसे जा रहे हैं। दूसरी तरफ भी कई ऐसे हैंडल्स हैं जो सिर्फ और सिर्फ वामपंथी, जिहादी कार्रवाइयों का लेखा-जोखा पेश करते हैं, पल-पल के अपडेट्स के साथ। अगर आप दोनों तरफ के दावों, घटनाओं की व्याख्या को छोड़कर सिर्फ वारदातों पर ही गौर करें तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे। देश में जैसे-जैसे अमानवीय कृत्य लगभग हर दिन सामने आ रहे हैं, वो किसी भी देश, समाज, समुदाय या सरकार के लिए चिंताजनक हैं। और, अब तो यह भी कहा जा सकता है कि स्थिति सिर्फ चिंताजनक नहीं बल्कि भयावह हो गई है। सवाल है कि आखिर 10 सालों तक एक दल की बहुमत की सरकार और अब गठबंधन की बहुमत से तीसरी बार आई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार क्या नई पैदा परिस्थितियों से परिचित भी है? अगर इसका जवाब हां में है तो एक नागरिक के तौर पर हर किसी की नींद उड़ जानी चाहिए। आइए पहले बात करते हैं कि देश में हो क्या रहा है।

प. बंगाल में मुस्लिम राष्ट्र की घोषणा!
बात की शुरुआत पश्चिम बंगाल से। वही पश्चिम बंगाल जहां 1947 में मोहम्मद अली जिन्ना की ‘डायरेक्ट ऐक्शन डे’ की कॉल पर हिंदुओं की लाशें बिछ गई थीं। आज उसी पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक विधायक कहते हैं कि ‘मुस्लिम राष्ट्र’ में सजा का यही प्रावधान है। बस कुछ दिन ही बीते हैं, उनके इस बयान को। संदर्भ उत्तरी दिनाजपुर जिले के चोपड़ा प्रखंड स्थित लक्ष्मीकांतपुर गांव में एक महिला से सरेआम बर्बरता से जुड़ा है। महिला को टीएमसी का एक गुंडा ताजेमुल हक उर्फ जेसीबी बेरहमी से पीटता है, लेकिन मजाल है कि कोई चूं भी बोल दे। स्थानीय विधायक हमीदुर रहमान ने मीडिया के सवाल पर मुंह खोला भी तो कहा- मुस्लिम राष्ट्र में शरीया कानून में सजा दी जाती है और यह इसी तरीके से लागू होती है। तो क्या बंगाल एक मुस्लिम राष्ट्र हो गया है? अगर नहीं तो फिर केंद्र सरकार ने इस पर क्या कार्रवाई की? मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया कि कोई दूसरा हमीदुर रहमान ऐसा कहने की हिम्मत नहीं कर सके?

राष्ट्रगान का अपमान कर रहे मुसलमान
कोई कह सकता है कि कहने भर से शरिया लागू नहीं हो जाता और न मुस्लिम राष्ट्र बन जाता है। सही है, लेकिन कल ही झारखंड में जब हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रियों ने शपथ ली तो राष्ट्रगान में मुस्लिम मंत्री हफीजुल हसन की हरकत निश्चित रूप से संविधान की आत्मा रौंदने वाली थी। वो राष्ट्रगान नहीं गा रहे थे, वो राष्ट्रगान में ही आराम से अपना अंगोछा संभाल रहे थे। स्पष्ट संकेत था- राष्ट्रगान का मान मैं नहीं रखता। मुसलमान राष्ट्रगान का खुलेआम अपमान करते हैं। यह बेखौफ होता है। बॉलिवुड ऐक्टर नवाजुद्दीन सिद्दिकी का ऐसा ही वीडियो वायरल है। ये किस मानसिकता का प्रदर्शन है? यह मुस्लिम जनता को क्या सिखा रहे हैं?

क्या सामान्य मुसलमान दिक्कत में नहीं ?
सवाल उलटा भी हो सकता है कि क्या सामान्य मुसलमान जो इनके चाहने वाले हैं, क्या वो उनकी इच्छी के दबाव में, उन्हें खुश करने को ही ये राष्ट्रगान का अपमान करते हैं? दोनों में कुछ भी सच हो सकता है या दोनों ही सच हो सकते हैं। सामान्य मुसलमानों में राष्ट्रगान या भारत के प्रति सम्मान का भाव नहीं है, यह सच के ज्यादा करीब जान पड़ता है क्योंकि अगर ऐसा नहीं है तो वो ऐसे लोगों के प्रति हिकारत का भाव रखते और देश को पता चल जाता है कि सामान्य मुसलमान इनकी हरकतों से नाखुश हैं। क्या कभी किसी मुसलमान से ऐसी प्रतिक्रिया किसी ने देखी है? सवाल है कि जब करोड़ों की आबादी इस देश, इसके प्रतीकों के प्रति हिकारत का भाव रखती है, तो फिर सरकार क्या कर रही है?

जहां जाओ, अत्याचार पर उतारू हैं मुसलमान
मुसलमानों का बड़ा वर्ग किस तरह जहरीला हो चुका है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश का कोई कोना ऐसा नहीं बचा है जहां करीब-करीब हर दिन कोई ना कोई जिहाद प्रेरित वारदात नहीं होती है। क्या पूरब क्या, पश्चिम और क्या उत्तर, क्या दक्षिण; चौतरफा जिहादी वारदातों से हिंदू समाज त्रस्त है और उसके अस्तित्व पर संकट गहरा रहा है। कुछ सोशल मीडिया हैंडल्स को फॉलो कर लीजिए, आपकी नींद उड़ जाएगी वारदातों की सूची देखकर। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर, जिम, होटल, हेयर सैलून,दुकानें… जहां देखिए हर जगह मुसलमानों का आतंक। दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में मुस्लिम टीचर्स बच्चों को बेहद योजनाबद्ध तरीके से कन्वर्ट करते हैं, इसकी खबर कल ही सामने आई है। स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम लड़के-लड़कियां गैर-मुस्लिम साथियों के दिमाग फिराने में लगे हैं।
लव जिहाद, क्रूरता, हत्या… हम खतरे में हैं
जहां भी लड़कियों या महिलाओं का आना-जाना है, वहां मुसलमान लड़के तैनात होते हैं, धोखे से प्यार के जाल में फांसने को। नाम बदलकर डोरे डालते हैं और फिर बात यौन शोषण क्रूरता और हत्या तक पहुंच जाती है। देश लगातार देखता आ रहा है कि कैसे हिंदू बच्चियों की बेहरमी से हत्या हो रही है। अगर ये सामान्य अपराध है तो फिर इसका उलटा भी होना चाहिए। क्या हिंदू लड़के भी धोखे से मुस्लिम लड़कियों को फंसा रहे हैं, उन पर बर्बरता कर रहे हैं या धर्म परिवर्तन नहीं करने पर हत्या कर रहे हैं? अगर नहीं तो फिर मुसलमानों के ये अमानवीय कृत्य सामान्य अपराध कैसे हैं? जब एक ही पैटर्न पूरे देश में दिख रहा हो, जब कहीं भी न अपराधी का समुदाय अलग हो और ना ही पीड़िता का, तो फिर यह सामान्य अपराध कैसे हो सकता है? क्या सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए?
हर जगह कहां से आ रही मुसलमानों की बाढ़?
हैरतअंगेज वारदातों की सूची में एक बड़ी बात है हर तरफ मुसलमानों की बाढ़। आखिर जिन इलाकों में कभी मुसलमान नहीं थे या इक्का-दुक्का थे, वो बीते कुछ वर्षों में मुसलमानों से पट कैसे जा रहे हैं? उत्तराखंड हो या हिमाचल या फिर दिल्ली या कहीं और, हर जगह अचानक मुसलमान इतनी भारी संख्या में कहां से आ रहे हैं? अगर मुसलमान पलायन कर रहे हैं तो फिर एक भी रिपोर्ट तो आनी चाहिए कि इस इलाके में मुसलमान घट गए। फिर समझा जा सकता है कि मुसलमान एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा मुस्लिम इलाका हैं जहां मुसलमानों की आबादी बीते कुछ वर्षों में घटी है? अगर नहीं तो फिर साफ है कि पड़ोसी देशों के मुसलमानों की घुसपैठ बेतहाशा बढ़ गई है।

बॉर्डर पर क्या कर रहा है बीएसएफ?
सवाल है कि आखिर यह बिना सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की कोताही या रिश्वतखोरी के बिना कैसे हो रहा है? क्या केंद्र सरकार को बीएसएफ से यह हिसाब नहीं लेना चाहिए कि आखिर देश में विदेशी मुसलमानों की बाढ़ कैसे आ रही है? क्या ये विदेशी मुसलमान हमारे देश की प्रगति में सहायक बन रहे हैं? जवाब उन इलाकों से आ रही खबरों में छिपा है जहां मुसलमानों की आवक से पूरा सामाजिक तंत्र बिगड़ गया है। आखिर सरकार कब तक शांतिप्रिय हिंदुओं को इन कसाइयों के हाथों मरने को छोड़ती रहेगी?

वक्फ बोर्ड, हलाल बोर्ड क्यों चल रहे?
10 साल की मजबूत मोदी सरकार ने जिहादी फंडिंग पर रोक लगाना तो दूर, उसकी तरफ ताकना भी मुनासिब नहीं समझा। उलटे देश में हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली मुस्लिम संस्थाएं कुकुरमुत्ते की तरह उग आईं। क्या सरकार बताएगी कि किस कानून में किसी प्राइवेट पार्टी को हलाल सर्टिफिकेशन देने की छूट दी गई है? हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली दुनियाभर की मुस्लिम संस्थाओं के खिलाफ उंगलियां उठ रही हैं कि वो कंपनियों से मिली अकूत दौलत का इस्तेमाल आतंकी और जिहादी फंडिग में कर रही हैं। क्या भारत में ऐसा नहीं हो रहा है? इससे भी बड़ा सवाल है कि अगर हलाल सर्टिफिकेशन की जरूरत है तो यह सरकार की अथॉरिटी में क्यों नहीं हो? क्यों नहीं, आईएसआई, एफएसएसएआई जैसी संस्थाओं के हाथ हलाल सर्टिफिकेशन का दायित्व दिया जाए?

मोदी सरकार ने इन घटनाओं से भी आंखें फेर रखी हैं जिनमें वक्फ बोर्ड गांव के गांव को अपनी संपत्ति बता दे रहा है। कांग्रेस सरकारों में संविधान की आत्मा को कुचलकर जो असीमित अधिकार दिए गए, उनके दम पर वक्फ बोर्ड मनमानी की नई-नई कहानी गढ़ रहा है। वो ताजमहल से लेकर पता नहीं क्या-क्या तक, जहां मर्जी उस जगह को अपनी संपत्ति घोषित कर रहा है। आज स्थिति यह है कि सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा संपत्तियां वक्फ के पास हैं। क्यों और कैसे? क्या यह कोई मुस्लिम राष्ट्र है? अगर नहीं तो यह कैसे हो सकता है कि मुसलमानों के पास इतनी बड़ी संपत्ति आ गई हो और दिन दूनी रात चौगुनी की रफ्तार से बढ़ती ही जा रही हो?

सबका विश्वास जीतने के चक्कर में हिंदू हलाल
मोदी सरकार ने सबका साथ लेने और सबका विश्वास जीतने की धुन में जमीनी हकीकतों से मुंह मोड़ रखा है। वरना क्या मजाल है कि जब जिसे मर्जी हो सर तन से जुदा के नारे लगाने लगे, एक अफवाह पर आठ गर्दनें काट ली जाएं,  हर दिन किसी हिंदू बेटी का बलात्कार हो, किसी की हत्या तो किसी का अपहरण हो, लव जिहाद जोर पकड़ता रहे, किसी को जबरन घर से भगाया जाए, तरह-तरह से धर्मपरिवर्तन करवाया जाए। मुस्लिम आतंक की यह सूची बहुत लंबी है। सरकार को सोचना होगा कि हिंदू समाज आज जकड़न महसूस कर रहा है, वह मुसलमानों का आतंक सहने को मजबूर है क्योंकि वह प्रतिक्रिया देने से बचता है।

दूसरी तरफ, सरकार भले ही बदली हो, सिस्टम आज भी वही है जो हिंदुओं को हर सांप्रदायिक वारदात को दोषी मानता है। हिंदू प्रतिक्रिया दे तो तुरंत पूरा सिस्टम उसे सबक सिखाने पर उतारू हो जाता है। दूसरी तरफ, मुसलमान आतंक मचा रहे हैं। ऐसा नहीं कि उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। आरोपित पकड़े जाते हैं, छोट मामलों में तुरंत छूट जाते हैं और बड़े मामलों में देश के नामी-गिरामी वकील उनकी पैरवी करते हैं। आरोप है कि वक्फ बोर्ड और हलाल सर्टिफिकेशन देनेवाली मुस्लिम संस्थाएं इन वकीलों का भारी-भरकम खर्च शौक से उठाती हैं।

हमें बचा लो सरकार!
नूपुर शर्मा मामले में मुसलमानों ने जो आठ निर्दोष हिंदुओं की बर्बता से हत्या की है, उनके मुकदमे आज कहां पहुंचे? अगर देशव्यापी आतंक के मामलों में मुकदमों का ये हाल है तो फिर इलाकाई घटनाओं का क्या ही होता होगा, इससे हम सब वाकिफ हैं। मोदी सरकार को देश के विकास के साथ-साथ बहुसंख्यक हिंदुओं की रक्षा सुनिश्चित करने और आतंकी-जिहादी जहर से ग्रस्त मुसलमानों को सबके सिखाने पर गंभीरता से कदम उठाना चाहिए। मुस्लिम समुदाय इन्हीं जहरीले मुसलमानों की गिरफ्त में है। वहां किसी उदार मुसलमान का वही हश्र होता है जो हिंदुओं का हो रहा है। इसलिए मुसलमानों के अंदर से किसी सुधार की उम्मीद करना बिल्कुल अदूरदर्शिता है, उन्हें कानून के सख्त डंडों से ही सीधा किया जा सकता है।

हां, जहां तक बात हिंदुओं की तरफ से हो रहे अपराधों का है, वो ज्यादातर मामलों में सिर्फ और सिर्फ प्रतिक्रिया है, विवशता है, लाचारी है। हालांकि, सोशल मीडिया पर इसे भी खूब बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, लेकिन ऐसा करने वाले मुस्लिम आतंक पर चुप रहते हैं और कई बार तो तरह-तरह की आड़ लेकर समर्थन भी करते हैं। यह इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। हिंदू समाज का यह वर्ग स्टॉकहोम सिंड्रोम का शिकार है। उसका इलाज भी सरकार ही कर सकती है।
-नवीन कुमार पाण्डेय

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