भारतीय लोकतंत्र पर अमेरिका का USAID उपकार क्यों?

india Interference In Voting Under The Pretext Of Help! Pm Modis Advisor Asked A Serious Question On Usaid Funding For Voter Turnout In India
मदद के बहाने चुनावी हस्तक्षेप! यूएसऐड फंडिंग पर प्रधानमंत्री मोदी के सलाहकार ने पूछ लिया गंभीर सवाल
DOGE ने यह दावा किया है कि उसने भारत में ‘मतदान बदलाव’ को २१ मिलियन अमेरिकी डॉलर के फंड्स रद्द कर दिए हैं। प्रधानमंत्री के सलाहकार संजीव सान्याल ने USAID को ‘मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ कहा है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने इस दावे को निराधार बताया है।
मुख्य बिंदू
एलन मस्क के नेतृत्व में अमेरिका ने भारत के लिए फंड रद्द किया
■प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार संजीव सान्याल ने उठाया सवाल
■यूएसऐड को ‘मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ बताया

यूएसऐड से भारतीय लोकतंत्र में दखल की कोशिश?

नई दिल्ली 17 फरवरी2025 : दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने एक दावा किया है कि अमेरिका ने भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ को प्रभावित करने को दिए जाने वाले फंड रद्द कर दिया है। इस खबर ने प्रधानमंत्री के एक सलाहकार का ध्यान खींचा है। उन्होंने USAID एजेंसी को ‘मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ बताया है। डॉज का काम बाइडेन प्रशासन में मानवीय कारणों को अमेरिकी फंडिंग में अनियमितताओं का पता लगाना है। डॉज ने एक दिन पहले कहा था कि उसने कई देशों में परियोजनाओं को आवंटित धन रद्द कर दिया है। इनमें भारत में ‘मतदाताओं को मतदान को प्रेरित’ हेतु 2.1 करोड़ डॉलर (करीब 1.82 अरब रुपये), बांग्लादेश में ‘राजनीतिक परिदृश्य मजबूत करने’ को 2.9 करोड़ डॉलर (करीब 2.51 अरब रुपये) और नेपाल में ‘राजकोषीय संघवाद’ को 2 करोड़ डॉलर (करीब 1.73 अरब रुपये) शामिल थे। अमेरिकी सरकार की सबसे बड़ी मानवीय शाखा यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनैशनल डेवलपमेंट (USAID), डॉज का मुख्य निशाना रही है। डॉज, संघीय खर्च में कटौती करने को ट्रम्प का अभियान चला रहा  है।

संजीव सान्याल ने पूछा गंभीर सवाल
डॉज ने भारत में वोटर टर्नआउट को आवंटित धन का खुलासा किया तो सत्तारूढ़ भाजपा ने देश की चुनावी प्रक्रिया में ‘बाहरी हस्तक्षेप’ के अपने दावे को जोर-शोर से उठाया। हालांकि, एक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने इसे निराधार बताया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार संजीव सान्याल ने इस पर टिप्पणी की है।

प्रधानमंत्री   मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सान्याल ने सवाल उठाया कि आखिर भारत में 2.1 करोड़ डॉलर का फंड किसे मिला? सान्याल ने यूएसऐड को ‘मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ बताते हुए कहा, ‘नेपाल में ‘राजकोषीय संघवाद’ को बेहतर बनाने को खर्च किए गए 2.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर को छोड़ दिया जाए तो मैं यह जानना चाहूंगा कि भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ बढ़ाने को खर्च किए गए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर और बांग्लादेश में ‘राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने’ को 2.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर किसने प्राप्त किए?’

खुलकर बोले वरिष्ठ वकील
वहीं, देश के जाने-माने वकील महेश जेठमलानी ने डॉज के खुलासों पर ज्यादा खुलकर बोला है। उन्होंने कहा, ‘तो डॉज ने पाया है कि यूएसऐड ने भारत में वोटर टर्नआउट को 21 मिलियन डॉलर आवंटित किए, जो मतदाताओं को शासन परिवर्तन को प्रभावित करने को मतदान को भुगतान करने की एक व्यंजना है। वीना रेड्डी को यूएसऐड के भारतीय मिशन के प्रमुख के रूप में 2021 में भारत भेजा गया था। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद (संभवतः उनका वोटर टर्नआउट मिशन पूरा हो गया) वह अमेरिका लौट आईं।’

वो आगे कहते हैं, ‘अफसोस की बात है क्योंकि यहां की जांच एजेंसियां उनसे कुछ सवाल पूछ सकती थीं कि मतदाता मतदान कार्यों में लगाने को यह पैसा किसे दिया गया था। उन्होंने एजेंसी के उद्देश्यों को क्रियान्वित करने में अमेरिकी राजदूत गार्सेटी के साथ मिलकर काम किया। निस्संदेह वे वोटर टर्नआउट के तौर-तरीकों के बारे में पूछे जाने पर राजनयिक प्रतिरक्षा का अनुरोध करेंगे।’

जेठमलानी ने कहा, ‘इसलिए यह हमारी एजेंसियों पर निर्भर करता है, जिनके पास भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने की शक्ति है, कि वे भारत में USAID के खाते जब्त करें और वोटर टर्नआउट प्रॉजेक्ट को निर्धारित 21 मिलियन डॉलर के वितरण का पता लगाकर डेमोक्रेटिक डीप स्टेट के गुंडों तक पहुंचें। फिर उन्हें भारतीय राज्य को तहस-नहस करने से निपटने वाले कानून की पूरी ताकत से दंडित किया जाना चाहिए। आम बोलचाल में इसे देशद्रोह कहा जाता है।’

चोर की दाढी में तिनका:पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी ने शंका बताई गलत
उनकी यह टिप्पणी 2010-12 के दौरान भारत निर्वाचन आयोग  प्रमुख रहे एसवाई कुरैशी के स्पष्ट इनकार के बाद आई है। कुरैशी ने कहा, ‘मीडिया के एक वर्ग में मेरे कार्यकाल में भारतीय निर्वाचन आयोग की तरफ से 2012 में एक अमेरिकी एजेंसी के भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने को कुछ मिलियन डॉलर की फंडिंग को समझौता ज्ञापन पर रिपोर्ट बिल्कुल निराधार है।’ उनके अनुसार 2012 में इंटरनैशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के साथ प्रशिक्षण सुविधाओं को समझौता ज्ञापन हुआ था, जैसा कि कई अन्य एजेंसियों से होता है, लेकिन इसमें कोई फंडिंग या धन का वादा नहीं था।

अमित मालवीय ने भी पूछा था सवाल
वहीं, भाजपा सवाल पर सवाल कर रही है कि यूएसऐड का यह पैसा किसे मिला। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित मालवीय ने विदेशी ताकतों के भारतीय संस्थानों में ‘व्यवस्थित घुसपैठ’ का आरोप लगाया। उन्होंने अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस और उनके वैश्विक प्रभाव के कथित नेटवर्क पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनकी छाया भारत की चुनावी प्रक्रिया पर मंडरा रही है। उन्होंने कहा था, ‘यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने व्यवस्थित रूप से भारत के संस्थानों में राष्ट्र के हितों के विरोधी ताकतों की घुसपैठ बनवाई जो हर मौके पर भारत को कमजोर करना चाहते हैं।’

डॉज, यईएस को जानेडॉज का पूरा नाम ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ है। यह अमेरिका का एक सरकारी विभाग है जो सरकारी कामकाज बेहतर और कुशल बनाता है। यूएसऐड का पूरा नाम टयूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ है। यह अमेरिकी सरकार की एक एजेंसी है जो दुनियाभर में विकासशील देशों को मदद देती है। वहीं, आईएफईएस यानी ‘इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स’ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो चुनावों को निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने में मदद करती है। ‘राजकोषीय संघवाद’ का मतलब है केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय शक्तियों का बंटवारा।

कुछ मुर्ख कह रहे हैं कि भारतमें वोटर टर्न अराउंड यानी वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए #USAID ने 180 करोड़ जारी कर दिया था लेकिन अमेरिका की नई सरकार ने उसे रद्द कर दिया।

और मूर्खों की नई जमात कह रही है यह पैसे तो अच्छे काम के लिए आ रहे थे।

मुझे याद है 2000 में मैं एक मल्टीनेशनल कंपनीमें गुजरात का ब्रांच मैनेजर था।

कंपनी ने गुजरात में सेल टैक्स नंबर के लिए अप्लाई किया था।

हमारा गोदाम असलाली में था मुझे मुंबई से जनरल मैनेजर का फोन आया की सेल टैक्स के अधिकारी गोदाम का निरीक्षण करने आएंगे तो आप उन्हें ₹5000 कैश अपने पास से दे दीजिएगा।

बाद में आपको अंगड़िया सर्विस से ₹5000 हेड ऑफिस से भेज दिए जाएंगे।

अब सारी चीज ऑनलाइन हो गई हैं वरना एक जमानेमें सबके रेट फिक्स होते थे।

जैसे यदि आप सेल टैक्स नंबर लेते हैं तो जो भी सेल्स टैक्स ऑफिसर आपके गोदाम का निरीक्षण करने आएगा वह 5000 से ₹20000 तक जरूर लेता था और यह एक रिवाज बन चुका था।

फिर सेल्स टैक्स के अधिकारी लोग आए गोदाम का निरीक्षण किया रेंट एग्रीमेंट देखा मेरा सिग्नेचर ऑथोरिटी लेटर देखा।

और साथ में हमारे टैक्स फाइल कंसलटेंट भी थे उन्होंने मुझे धीरे से कहा कि साब को ₹5000 दे दीजिए।

मैंने ₹5000 कैश दे दिए।

और बाद में जब मासिक खर्च का रिपोर्ट हेड ऑफिसमें भेजा यानी वाउचर भेजा तब मैं वाउचर में लिख दिया “5000 given bribe to sales tax officer”

खर्च के वाउचर में यह लिखा देखकर हेड ऑफिसमें हड़कंप मच गया वहां से तुरंत जनरल मैनेजर का फोन आया बोल यार जेपी तुम सच में मूर्ख हो यार तुमको ऐसे नही लिखना चाहिए था।

फिर उन्होंने मुझे समझाया कि जब किसी सरकारी अधिकारी को घूस देना जरूरी हो जाए तब उसे वाउचरमें किस तरह से लिखा जाता है यानी लिखने का एक बिल्कुल अलग तरीका होता है।

अब #यूएस_एड इस तरह से तो नहीं लिखेगा कि वह भारत के चुनाव को प्रभावित करने के लिए और माइनॉरिटी क्षेत्र में मुसलमानो का वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए फंडिंग रिलीज कर रहा है।

क्योंकि #महुआ_मोइत्रा का एक वीडियो भी घूम रहा है जिसमें वह संसद में पूछ रही है की उत्तर प्रदेशमें #मुस्लिम एरिया में हम वोट प्रतिशत कैसे बढ़ा सकते हैं

सोचिए महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल से सांसद हैं लेकिन वह उत्तर प्रदेश में #मुस्लिम वोटर टर्न अराउंड बढ़ाने पर सवाल पूछ रही है उसके लिए सरकार क्या-क्या ठोस कदम उठा रही है।

अब कुछ मुर्ख लोग छाती कूट रहे हैं अरे अमेरिका तो यह पैसा वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए दे रहा था।

अरे मूर्ख पहले यह समझो कि विदेशी सरकारे जब इस तरह का कोई काम के लिए पैसा देती है तो किस तरह से लिखती है।

इसराइल ने जब पेजर कंपनी के लिए फंड रिलीज किया तो क्या लिखा था गूगल पर समझ पढ़ लेना इसराइल ने यह नहीं लिखा था कि हम हमास के आतंकी हिजबुल्ला कि आतंकियों को करने के लिए फंड रिलीज कर रहे है।

और सबसे महत्वपूर्ण बात अगर अमेरिका इतना दयालु था तो उसे यह पैसा सीधे अपने दूतावास के माध्यम से चुनाव आयोग को देना चाहिए।

वह यह पैसा तमाम #वामपंथी #NGO को क्यों रिलीज कर रहा था ? और कुछ खास विचारधारा वाले एक्टिविस्ट जैसे #हर्ष_मन्दर को क्यों दे रहा था?

जितेंद्र सिंह जी द्वारा

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