RSS स्वयंसेवक सौरभ जैन कैसे बना आतंकी सलीम
विशेष: संघ का स्वयंसेवक सौरभ जैन कैसे बना सलीम:पिता बोले- जाकिर नाइक से मिलने मुंबई गया, उसके वीडियो देखता; चारों बहनों से राखी नहीं बंधवाता
भोपाल 16 मई। (योगेश पाण्डे/ शिवांकर द्विवेदी)हिज्ब-उत-तहरीर के कट्टरपंथी मोहम्मद सलीम और उसकी पत्नी मानसी उर्फ सुरभि जैन के इस्लाम कबूल करने की कहानी रोंगटे खड़े करने वाली है। सलीम (सौरभ) के पिता अशोक जैन राजवैद्य ने हमें बताया कि 12वीं क्लास तक तो सौरभ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की शाखाओं में जाता रहा। PhD के बाद भोपाल के कॉलेज में प्रोफेसर बन गया।
2013 में कॉलेज के प्रोफेसर कमाल ने उसका ब्रेनवॉश शुरू किया। वह जाकिर नाइक के वीडियो देखने लगा। उससे मिलने मुंबई गया। मुंबई में ही उसका नाम सौरभ से सलीम हुआ। बहू मानसी भी रायला हो गई, जबकि मानसी अग्रवाल परिवार से है। उन्होंने पोते अनुनय और वत्सल का नाम बदलकर यूसुफ और इस्माइल कर दिया।
ये वही सलीम है, जिसे मध्यप्रदेश के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़ा बताकर देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में पकड़ा है। सलीम के साथ भोपाल-छिंदवाड़ा के 11 और हैदराबाद के 5 कट्टरपंथियों से ATS पूछताछ कर रही है। ATS के अनुसार आरोपित भारतीय लोकतांत्रिक संस्थान खत्म कर यहां इस्लामी शासन जमान चाहते थे। इसमें भोपाल के सलीम की कहानी बहुत अलग है।
हमने सलीम के पिता अशोक जैन राजवैद्य व उनकी माता बसंती जैन राजवैद्य और उसकी बहनों से बात की। पूछा- आखिर कैसे एक जैन परिवार का पढ़ा-लिखा लड़का इस्लामी कट्टरपंथी बन गया? उस पर देशद्रोह के आरोप क्यों लगने लगे?
सलीम के पिता अशोक खुले विचारों वाले हैं। उन्होंने बताया कि भोपाल के एक कॉलेज में पढ़ाने के दौरान प्रोफेसर कमाल ने उसका ब्रेनवॉश किया। प्रोफेसर कमाल डॉक्टर जाकिर नाइक का प्रचारक था।
पिता ने बताई बेटे के कट्टरपंथी से जुड़ने की कहानी
परिवार में चार बेटियों के जन्म के 6 साल बाद बेटे का जन्म हुआ। सभी खुश थे, लेकिन फिर मुसीबतों का पहाड़ टूटा। बचपन में सौरभ को लीवर कैंसर हो गया। डॉक्टरों ने कह दिया था कि इसकी जान नहीं बचेगी, लेकिन हमने आयुर्वेद इलाज से उसे बचा लिया। बचपन से ही पढ़ने-लिखने में होशियार था। परीक्षा में अच्छे नंबर भी लाता था। वह डॉक्टर बनना चाहता था, लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ। फिर बी. फार्मा किया।
पढ़ाई पूरी करके कहने लगा कि इससे कुछ नहीं होगा। पोस्ट ग्रेजुएशन करना होगा। मैंने पैसे उधार लेकर कोलकाता के हुबली में उसे एम. फार्मा में दाखिला दिलाया। वहां डोनेशन देने मैं उसके साथ गया था। वहां बहुत अच्छे मार्क्स से पास हुआ। एम. फार्मा के बाद PhD भी की।
साल 2010 में भोपाल के कॉलेज में फार्मेसी का प्रोफेसर बन गया। कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएट मानसी अग्रवाल भी उसी के कॉलेज में पदस्थ थी। किसी बात पर दोनों का झगड़ा भी हुआ था। फिर दोनों की शादी हुई। सब ठीक चल रहा था।
बहनों से राखी बंधवाने से भी मना कर दिया
बात 2014 की है। रक्षाबंधन का दिन था। मेरी चारों बेटियां ससुराल से घर आई हुई थीं। उनकी सौरभ को राखी बांधने की तैयारी की थी, लेकिन सौरभ ने राखी बंधवाने से मना कर दिया। तब मैंने उससे कह दिया कि तुम बर्दाश्त के लायक नहीं हो। तुम इंसानियत के खिलाफ काम करते हो। ये विचार मोहम्मद के नहीं, बल्कि जाकिर नाइक के धूर्त विचार हैं। मैं उससे बात नहीं करता हूं, लेकिन उसकी मां जरूर कभी-कभार उससे बात करती ।
अंबिका सोनी को पत्र लिखा कि जाकिर नायक का प्रसारण बंद हो
हालांकि मैं भी कई बार जाकिर नाइक को सुनता था, लेकिन सिर्फ उर्दू सीखने को। मैं ये जरूर समझता था कि ये कुतर्की है। सच्चाई छोड़ ये सिर्फ इस्लाम की बातें करके लोगों को डरा, धमका अपने मत में टर्न करता है। एक जैन लड़की को बातों-बातों में इस्लाम की ओर टर्न किया। मुझे बुरा लगा, तो मैंने तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी को पत्र लिखकर जाकिर नाइक के प्रसारण पर रोक लगाने का आग्रह किया था। मैंने ये भी लिखा था कि कभी ये बहुत बड़ा धक्का देगा देश को।
बरखेड़ी में हुए जश्न में पति–पत्नी ने कबूल किया था इस्लाम
मुझे सीधे ढंग से पता नहीं लगा कि इसने इस्लाम कब कबूल किया, लेकिन अभी 3 साल पहले एक लड़के ने बताया कि बरखेड़ी में एक जश्न में वो गया था। वहां सौरभ को बुलाया गया था। वहां दोनों पति-पत्नी और इनका एक दोस्त था। वहां बातों-बातों में उससे कलमा पढ़वाया गया। फिर उत्सव मना। उसके दोस्त ने मुझे ये भी बताया कि मुझे भी उस दिन मुसलमान बनाया जाना था, लेकिन मेरे शराब पीने की आदत की वजह से ऐसा नहीं किया।
शादी के बाद हमने मानसी का नाम सुरभि रखा
सौरभ की पत्नी मानसी मूलत: बुरहानपुर की है। भोपाल के जिस कॉलेज में वो नौकरी करती थी, वहीं सौरभ पढ़ाता था। वहीं में तो उनकी मुलाकात हुई। मानसी और सौरभ जब तक यहां रहे, मुझे प्रॉब्लम नहीं हुई। जब उन्होंने राखी बंधवाने से मना किया, तो मुझे तकलीफ हुई। मानसी का नाम शादी के बाद हमने घर में सुरभि रखा था, ताकि सौरभ से मिलता जुलता नाम रहे। हमें दिक्कत तब हुई, जब वे घर के नियम-कायदों से बगावत करने लगे।
6 महीने पहले बहू से मिला था, वो भोपाल आई थी
बहू के पिता के बीमार होने पर उन्हें भोपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बहू पिता देखने आई थी। मैं उनकी मदद करने वहां गया और बहू को 20 हजार रुपए दिए। वो लेने से मना कर रही थी, लेकिन मैंने कहा कि बेटा प्राइवेट अस्पताल है, खर्चा लगेगा, रख लो। वहीं मेरे पोते मिले। मैं फिर बहू से ही 600 रुपए लेकर बच्चों को सामान दिलाने ले गया। छोटा पोता जिद करने लगा कि दादा मैं आपके साथ चलूंगा। मुझे हैदराबाद अच्छा नहीं लगता। पोते ने मुझे ये भी बताया कि हैदराबाद में हम घर से भाग गए थे। पापा हमें स्टेशन से पकड़कर लाए।
बहू ने पोता मेरे साथ नहीं भेजा, लेकिन वो जिम वाले यासिर की पत्नी वहां थी। बहू ने पोता यासिर की पत्नी के साथ भेजा। मुझे तकलीफ हुई। ये वही यासिर है, जिसे ATS हिज्ब उत तहरीर मिशन का मास्टरमाइंड बता रही है। इसी यासिर ने सबको उकसाया था। बहू ने बताया था कि उन पर नजर रखी जाती हैं कि कहीं वापस हिंदू न बन जाए।
मैंने अपने पोतों के नाम अनुनय और वत्सल रखे थे, लेकिन उनके नाम बदलकर यूसुफ और इस्माइल कर दिये ।
(जैसा हमें अशोक जैन राजवैद्य ने बताया)
सौरभ ने बताया था कि दूसरे जैन लड़के भी इस्लाम अपना रहे हैं…
जब हमने राजवैद्य से सवाल किया कि क्या सौरभ के अलावा दूसरे लड़के भी इस तरह से धर्मांतरण कर रहे हैं? जवाब मिला- मुझे सौरभ ने उस समय बताया था कि ऐसा हो रहा है। इंदौर के एक वीरेंद्र जैन ने भी इस्लाम कबूल किया था। उससे मेरा झगड़ा भी हुआ था। उसने एक मुस्लिम लड़की से शादी भी की थी। मैंने उससे कहा था कि शादी करने में दिक्कत नहीं है, लेकिन वो मायके जाए, तो इस्लाम को फॉलो करे। यहां आए तो जैन धर्म को फॉलो करे। उसने मुझसे कहा कि आप तो पागल हो।
सौरभ बंदूक नहीं चला सकता, वो सिर्फ इस्लाम की बातें कर सकता है
सौरभ से वास्ता नहीं रखने वाले उसके पिता कहते हैं कि मीडिया रिपोर्ट्स में जिस तरह के आरोप लग रहे हैं कि वह बंदूक चलाता था, ये हम नहीं मानते। हम सौरभ को जानते हैं, वो बंदूक नहीं चला सकता। ये जरूर है कि वो इस्लाम का एक्सप्लेनेशन करता था।कई मुसलमानों को ये बुरा लगता था कि नया-नया मुसलमान जोर से अजान दे रहा है। उसने एक बार मुझसे भी कहा था कि वो लोग हम पर विश्वास नहीं करते। कन्वर्टेड लोगों के साथ उनका व्यवहार अच्छा नहीं होता, ये शिकायत भी एक बार मुझसे की थी।
मां बुलाती रही, लेकिन नहीं लौटा; फोन पर कहा- मरना तो है ही
सौरभ की मां बसंती जैन के सामने हम जैसे ही पहुंचे, उनकी आंखों से आंसू छलकने लगे। ऑफ कैमरा बार-बार हमें पास बुलाकर सिर्फ यही पूछतीं कि मेरा बेटा छूट तो जाएगा न? उसे पुलिसवाले मारते तो नहीं होंगे? हमने उन्हें सब कुछ ठीक हो जाने की तसल्ली दी। इसके बाद वो किसी तरह कैमरे पर कुछ कहने की स्थिति में आ सकीं, लेकिन जैसे ही कैमरा चालू हुआ, उनके दिल का दर्द आंखों से निकलने लगा। वो रोते हुए बार-बार यही बात कहती रहीं कि मेरा बेटा निर्दोष है, वो आतंकी नहीं हो सकता। उसे फंसाया जा रहा है।
सौरभ की मां ने बताया कि मैं अक्सर उससे बात करती थी। हर बार उससे कहती कि बेटा, घर वापस आ जा। पर वो एक ही बात कहता- आखिर में तो मरना ही है, ऐसे ही मर जाएंगे। उसकी ऐसी उखड़ी बातों पर मैं उसे अक्सर डांट दिया करती थी। अभी कुछ दिन पहले 10 या 11 मई को आखिरी बार सौरभ से बात भी हुई थी। उसने मुझसे पापा और बहनों का हाल पूछा था। दो मिनट भी पूरे नहीं हुए थे कि यह कहते हुए फोन काट दिया कि बच्चों को स्विमिंग सिखाने ले जा रहा हूं।
सौरभ की गिरफ्तारी के बाद मानसी का भी फोन आया था। उसका भी रो-रोकर बुरा हाल है। कह रही थी कि सौरभ ने गिरफ्तारी के बारे में आपको और पापा को बताने से मना किया था। कहता था कि दोनों की तबीयत खराब हो जाएगी, उन्हें कुछ मत बताना। मैंने गुस्से में उसे डांटा कि पहले हमारे पास आ जाते, तो ऐसा होता ही नहीं।
हिज्ब उत तहरीर से जुड़े आरोपितों की कहानी
मध्य प्रदेश एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) ने 9 मई को भोपाल-छिंदवाड़ा से 11 और तेलंगाना से पांच संदिग्ध पकड़े । एटीएस का दावा है कि सभी देश विरोधी आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HUT) से जुड़े हैं। टीम ने इनसे आतंकी साहित्य और दूसरे दस्तावेज जब्त करने की बात कही है।
कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्यों की धरपकड़
मध्यप्रदेश एटीएस और तेलंगाना एटीएस की टीम ने मंगलवार सुबह भोपाल और छिंदवाड़ा में धावा बोल दोनों जगह से 11 संदिग्ध आतंकी पकड़े । इनके आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HUT) से जुड़े होने के प्रमाण हैं। HUT के कुल 16 सदस्य पकड़े गए हैं। इनमें भोपाल और छिंदवाड़ा के 11 जबकि तेलंगाना के 5 हैं। पकड़े लोगों में भोपाल गैस त्रासदी एक्टिविस्ट का बेटा भी शामिल है।
कट्टरपंथी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर रायसेन के जंगलों में चलाता रहा कैंप
कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) या तहरीक-ए-खिलाफत मध्यप्रदेश में कैसी-कैसी गतिविधियां चला रहा था, ये जानकर एटीएस भी हैरान है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि इस संगठन के सदस्य रायसेन के जंगलों में चोरी छिपे कैंप करते थे। इन कैंपों में इन्हें फायरिंग की ट्रेनिंग दी जाती थी। संगठन के सदस्यों को इनके परिवार की महिलाओं का भी समर्थन था।