निष्कासन पर रोये क्यों हरक सिंह? कितने विधायक घसीट पायेंगें भाजपा से?
Uttarakhand Election 2022: जानिए हरक सिंह रावत को लेकर क्या बोल गए सीएम पुष्कर सिंह धामी, साफ की ये बात भी
हरक की कांग्रेस में वापसी तो होगी लेकिन हनक गायब रहेगी। हरक के दांवपेच के जवाब में पार्टी से निष्कासन और मंत्री पद से बर्खास्त कर भाजपा ने जिस तरह आक्रामक तेवर अपनाए उससे मन-मुताबिक तरीके से उनकी वापसी की राह में मुश्किलें खड़ी हो गई।
जानिए हरक सिंह रावत को लेकर क्या बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, साफ की कई बातें
देहरादून 17 जनवरी। पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी तो होगी, लेकिन हनक गायब रहेगी। फिलहाल तो उनके रोने का वीडियो वायरल हो रहा है, जैसे कि भाजपा ने उन्हें निष्कासित कर कोई अन्याय कर दिया हो।
ऐसा नहीं कि हरक कोई पहली बार सार्वजनिक रूप से रोये हों। 2003 में जैनी यौन प्रकरण में फंसने पर उनका यह दांव पहली बार लोगों ने देखा था। फिर 2012 में धारी देवी मंदिर में मंत्री पद जूते की नोंक पर रखते हुए दूसरी बार। हालांकि इसके बाद भी वे न केवल नेता प्रतिपक्ष के रूप में कैबिनेट स्तरीय पद पर रहे और भाजपा सरकार में पांच साल मंत्री भी। उधर, कांग्रेस में भी उनके नाम पर हरीश रावत ने वीटो लगा रखा है। सो,रोना तो आना बनता है। इसके बावजूद उन्हे उनके चेले चपाटे शेरे गढ़वाल प्रचारित करते रहते हैं।
हरक के दांवपेच के जवाब में पार्टी से निष्कासन और मंत्री पद से बर्खास्त कर भाजपा ने जिस तरह आक्रामक तेवर अपनाए, उससे कांग्रेस में मनमुताबिक तरीके से उनकी वापसी की राह में मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। निष्कासन से भाजपा ने उनसे उत्तरांखड का स्वामी प्रसाद मौर्य बनने का अवसर भी छीन लिया। प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की बागडोर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनकी वापसी पर सामूहिक निर्णय लेने की बात कहकर हरक के लिए स्थिति सहज नहीं होने के संकेत दे दिए हैं। इन सब परिस्थितियों के बीच माना जा रहा है कि हरक सिंह कुछ विधायकों के साथ मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। लेकिन इस बीच विधायक उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बतरा और कुंवर प्रणव सिंह ने उनसे दूरी बना ली है। केदार सिंह रावत भी चुप हैं।
भाजपा ने एक से ज्यादा टिकटों को लेकर लंबे समय से दबाव बना रहे हरक सिंह रावत के लिए चुनाव के ऐन मौके पर स्थिति असहज बना दी है। इसका असर कांग्रेस में उनकी एंट्री पर भी साफतौर पर दिखाई दे रहा है। इस बारे में पार्टी ने अभी तक पत्ते तक नहीं खोले हैं। सोमवार को दिल्ली में मौजूद हरक सिंह रावत इसी वजह से बेचैन दिखाई दिए। भावुक होकर उन्होंने अपने निष्कासन को लेकर भाजपा को कोसा। साथ में यह भी कहा कि टिकट मिले या न मिले, लेकिन भाजपा को हराने के लिए वह कसर नहीं छोड़ेंगें।
कांग्रेस में बतौर हीरो वापसी की हरक की मंशा को उस वक्त और झटका लगा, जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहले इस मामले की जानकारी होने से ही इन्कार कर दिया। 2016 में उनकी सरकार गिराने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर चोट के लिए पहले खेद जताया जाना चाहिए। वापसी पर फैसला जन भावनाओं को ध्यान में रखकर ही होना चाहिए। रावत ने हरक के कांग्रेस में शामिल होने का सीधे तौर पर विरोध तो नहीं किया, लेकिन उनके इस रुख को नई उलझन के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि कांग्रेस हरक की वापसी को भाजपा पर प्रहार के मौके के रूप में भुनाना चाहती है। इससे रावत पर भाजपा को बड़ा झटका देने के लिए कांग्रेस में शामिल कराने वाले विधायकों की संख्या बढ़ाने और कार्यकत्र्ताओं की भीड़ जुटाने का दबाव भी देखा जा रहा है। टिकट को लेकर हरक का दांव कहां तक सफल रहा, कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची जारी होने पर ही इसका पता चल सकेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी पार्टी सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के सिद्धांत पर चलने वाली पार्टी है। हरक सिंह रावत पार्टी और सरकार में थे। उनका हमेशा सम्मान किया। कई बार सहज स्थिति नहीं थी। इस स्थिति में भी रास्ता निकाला। पार्टी के कुछ सिद्धांत है और कुछ नीतियां हैं। भाजपा परिवार व वशंवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद, विकासवाद पर चलने वाली पार्टी है। जब कई खबरें आने लगीं, तब यह निर्णय लिया गया।