इजरायल क्यों नहीं सुन रहा यूक्रेन के यहूदी राष्ट्रपति जेलेंस्की की मदद की गुहार
रूस का खौफ या वजह कुछ और:इजराइली PM से 5 बार बात कर चुके यूक्रेनी प्रेसिडेंट जेलेंस्की, लेकिन मदद को नहीं आया यहूदियों का देश
नई दिल्ली( पूनम कौशल) प्रथम मार्च।रूस के खिलाफ लड़ाई में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इंटरनेशनल फोर्सेज से सहयोग मांगा है। इसमें मध्य पूर्व का देश इजराइल भी शामिल है। प्रेसिडेंट जेलेंस्की के यहूदी होने के चलते, यूक्रेन के लोग इजराइल से एक तरह का जुड़ाव भी महसूस करते हैं।
लेकिन दुनियाभर में यहूदियों की हिमायत का दम भरनेवाले इजराइल ने यूक्रेन में अब तक किसी तरह का सैन्य सहयोग नहीं किया है। यहां तक कि जेलेंस्की अब तक पांच बार इजराइली प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट से बात कर चुके हैं।
इजराइल अपनी सैन्य तकनीक और ताकत के लिए चर्चित है लेकिन यूक्रेन समेत दुनियाभर के देश हैरान हैं कि इजराइल के प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट अपनी जुबान पर रूस का नाम भी नहीं ला पा रहे हैं।
क्या वाकई इजराइल मजबूर है या कोई और वजह है? इस पर एक्सपर्ट ओपिनियन जानें
यूक्रेन- रूस युद्ध में इजराइल के रोल को समझने के लिए हमने इजराइली सेना में पूर्व सर्जेंट, मध्य पूर्व मामलों के एक्सपर्ट और अमेरिका की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे योनी मिकानी से बात की। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…
यूक्रेन युद्ध में इजराइल का क्या रोल हो सकता है?
जहां तक इजराइल का सवाल है, वह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का एक सहयोगी सदस्य है। इजराइल ने रूस की आक्रामकता की आलोचना की है और यूक्रेन के लिए हर संभव मानवीय मदद भेज रहा है।
यूक्रेन के लोग इजराइल से मदद मांग रहे हैं, इसे लेकर इजराइल में क्या चल रहा है?
यूक्रेन के लोगों ने इजराइल के लोगों से मदद मांगी है। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे हैं। हम देख रहे हैं कि इजराइल के लोग हर संभव मानवीय मदद भेजने के लिए तैयार हैं। पूरे इजराइल में यूक्रेन के समर्थन में मार्च निकाले गए हैं। इजराइल मानवीय मदद भी दे रहा है।
हालांकि हम देख रहे हैं कि एक तरह का डर भी है कि अगर इजराइल यूक्रेन में बहुत अधिक दखल देगा तो उसे अपनी उत्तरी सीमा पर इसके नतीजे भी देखने पड़ सकते हैं। रूस सीरिया में आने वाले हथियारों के फ्लो को कंट्रोल करता है। अगर इजराइल यूक्रेन में बहुत अधिक एक्टिव होता है तो रूस उसकी सीरिया से लगी उत्तरी सीमा पर हालात अस्थिर कर सकता है।
इजराइल के पीएम नेफ्ताली बेनेट
क्या यूक्रेन की सेना के पास इजराइल की सैन्य तकनीक या हथियार हैं?
इस बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है क्योंकि इजराइल और यूक्रेन के बीच बहुत अधिक सैन्य सहयोग नहीं रहा है। मेरे पास ये मानने के कारण भी हैं कि यूक्रेन की सेना के पास बहुत अधिक इजराइली हथियार या तकनीक नहीं होगी।
जेलेंस्की इंटरनेशनल फोर्स बनाने की कोशिशों में हैं, क्या इजराइल के लोग भी जुड़ सकते हैं?
जहां तक जेलेंस्की के एक अंतरराष्ट्रीय बल के गठन की कोशिशों का सवाल है, मैं मानता हूं कि इजराइल के लोगों को यूक्रेन की जमीन पर जाकर नहीं लड़ना चाहिए।
ऐसी रिपोर्टें हैं कि जेलेंस्की ने खासतौर पर इजराइली लोगों से सहयोग मांगा है। मैं ना ही अमेरिकी सैन्य बलों के यूक्रेन में लड़ने का समर्थन करता हूं और ना ही इजराइली फोर्स का, क्योंकि ये इजराइल का युद्ध नहीं है और ना ही अमेरिका का युद्ध है। हालांकि ऐसे कई तरीके हैं जिनके जरिए इजराइल और अमेरिका लड़ाई में यूक्रेन का सहयोग कर सकते हैं और कर रहे हैं।
अभी मुझे लगता है कि इजराइल के लिए ज्यादा उचित यही होगा कि वो संयुक्त राष्ट्र और दूसरे मंचों पर पश्चिमी देशों का सहयोग करे और रूस की आलोचना का हिस्सा बने। इजराइल को सिर्फ रूस ही नहीं चीन और ईरान जैसे देशों की आक्रामकता के खिलाफ भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा होना होगा।
युद्ध के छह दिन बाद आपको क्या लगता है, क्या पुतिन अपने लक्ष्य हासिल कर लेंगे, आगे क्या हो सकता है?
लड़ाई को अब तक लगभग एक हफ्ते हो गए हैं और अब लग रहा है कि पुतिन ने यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों के सहयोग को कम करके आंका था। यही नहीं, रूस के खिलाफ जो अंतरराष्ट्रीय गठबंधन खड़ा हो रहा है उसमें पूर्वी यूरोप के देश भी शामिल हो रहे हैं। ये देश बहुत जल्द ही नाटो की सदस्यता भी मांगने लगेंगे।
अब ये भी लग रहा है कि पुतिन ने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस में होने वाले आंतरिक विरोध को भी कम करके आंका था। रूस के सेंट पीटर्सबर्ग और दूसरे शहरों में हुए युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में अब तक सात हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।
अब ये भी दिख रहा है कि यूक्रेन के लोग किस हद तक पुतिन का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। यही इस युद्ध के नतीजे तय करेगा।
रूस की सेना बहुत कोशिशों के बावजूद कीव में नहीं घुस पाई है। हालांकि ये कहना सही नहीं होगा कि यूक्रेन का प्रतिरोध हमेशा चल पाएगा।
मौजूदा स्थिति में पश्चिम की जिम्मेदारी है कि वो यूक्रेन की सैन्य मदद करता रहे और ये सुनिश्चित करे की यूक्रेन की सेना के पास लड़ने के लिए पर्याप्त हथियार हैं।
जब तक यूक्रेन के लोग इस युद्ध को लड़ते रहना चाहते हैं तब तक पश्चिमी देशों को अपना सहयोग बरकरार रखना चाहिए। पुतिन और उनके सहयोगियों पर प्रतिबंधों को कठोर करते रहना चाहिए।
यूक्रेन-रूस युद्ध ग्लोबल सिक्योरिटी सिस्टम को कैसे प्रभावित कर सकता है?
यूक्रेन-रूस युद्ध ने वैश्विक सुरक्षा हालात को प्रभावित किया है। अब तक ये माना जाता रहा था कि अमेरिका का एक डिटेरेंस (प्रतिरोधक क्षमता) है लेकिन ये संकट ‘अमेरिकी डिटेरेंस’ की परीक्षा बन गया है। क्यूबा मिसाइल संकट के बाद से हमने कभी अमेरिकी शक्ति की ऐसी परीक्षा नहीं देखी है।
यही नहीं, रूस इस समय यूरोप में पश्चिमी देशों की ताकत की परीक्षा भी ले रहा है। यदि अमेरिका, पश्चिमी देश, नाटो और नाटो की सदस्यता हासिल करने की उम्मीद रखने वाले देश यूक्रेन में पुतिन को नहीं रोक पाए तो मुझे लगता है कि यूरोप के दूसरे हिस्सों में भी रूसी आक्रामकता बढ़ेगी। खासकर फिनलैंड, रोमानिया और स्वीडन में।
लेकिन ये सिर्फ यूरोप तक सीमित नहीं रहेगा। बहुत संभव है कि चीन ताइवान की तरफ आक्रामक हो जाए। अभी ये धारणा बन रही है कि पश्चिमी देशों की युद्ध रोकने की क्षमता गिर रही है। अगर ये धारणा और मजबूत हुई कि पश्चिमी देश अब पहले की तरह ताकतवर नहीं रह गए हैं तो हम अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होते हुए देखेंगे।