मणिपुर पर मोदी के बयान को मैतेई क्यों बता रहे पक्षपाती और भड़काऊ?

मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद क्या कह रहे हैं कुकी और मैतेई समुदाय के लोग

मणिपुर की हिंसा में अब तक 60 हज़ार से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं.

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मणिपुर में 3 मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा शुरू हुई.
अब तक प्रदेश में हिंसा के क़रीब पांच हज़ार मामले दर्ज किए गए हैं. इन घटनाओं में 142 अब तक जानें गई है.
कांग्रेस का आरोप है कि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार स्थिति पर नियंत्रण कर पा रही है. पार्टी प्रधानमंत्री मोदी पर मणिपुर मामले में चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे हैं.
19 जुलाई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का मामला सामने आया. ये घटना 4 मई की थी.
इसके बाद 20 जुलाई को प्रधानमंत्री ने पहली बार मणिपुर मामले पर टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा.
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मणिपुर में बीते ढाई महीने से जारी हिंसा के बीच शायद ही कोई दिन रहा हो जब इस राज्य के किसी इलाक़े में हिंसक झड़प, हत्या या आगज़नी जैसी ख़बरें दिल्ली तक न पहुँची हो.

लेकिन बुधवार को दो महिलाओं से हुए यौन उत्पीड़न का विचलित कर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर इस तरह फैला कि मणिपुर में हो रही हिंसा की गूंज वहां से 2,500 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजधानी में पूरे दिन सुनाई पड़ती रही.

गुरुवार को पहले, पीएम मोदी ने इस हिंसा के शुरू होने के बाद से अब तक का अपना पहला बयान दिया और फिर देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इसपर सख़्त टिप्पणी की.

पहले से ही मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठा रहे विपक्षी पार्टियों ने वीडियो सामने आने के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमले और तेज़ कर दिए.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मई महीने में ही मणिपुर का दौरा किया था और इसके बाद इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी.

लेकिन सवाल पूछा जा रहा है कि हिंसा शुरू होने के बाद से पीएम मोदी ने अभी तक मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया है.

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पूछा है कि अगर राहुल गांधी मणिपुर जा सकते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों नहीं जा सकते.

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री की चुप्पी और निष्क्रियता ने मणिपुर को अराजकता की ओर धकेल दिया है.

वीडियो वायरल होने के अगले दिन यानी गुरुवार को संसद परिसर में पीएम मोदी ने कहा, “मणिपुर की घटना से मेरा हृदय दुख से भरा है. ये घटना शर्मसार करने वाली है. पाप करने वाले कितने हैं, कौन हैं वो अपनी जगह है, पर बेइज्जती पूरे देश की हो रही है.”

प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर मणिपुर हिंसा की आग में जल रहे कुकी और मैतेई समुदाय का क्या कहना है और क्या इस बयान से ज़मीनी स्तर पर कोई फ़र्क़ देखने को मिलेगा? पढ़िए इस रिपोर्ट में.

क्या है वायरल वीडियो में?

बुधवार को मणिपुर की दो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न का एक वीडियो सामने आया.

मणिपुर पुलिस ने इस वीडियो की पुष्टि करते हुए बताया है कि ये महिलाएं बीती चार मई को मणिपुर के थोबल ज़िले में यौन उत्पीड़न की शिकार हुई थीं.

मणिपुर पुलिस ने बताया, ”ये घटना चार मई की है. इसमें अपहरण, गैंगरेप और हत्या का मामला अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज किया गया है. मामले में जांच शुरू हो गई है. पुलिस दोषियों को पकड़ने की पूरी कोशिश कर रही है.”

मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा है कि वह दोषियों को फांसी की सज़ा दिलवाने की कोशिश करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है.

वहीं, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने ट्विटर पर लिखा है कि उन्होंने इस मुद्दे पर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात की है और दोषियों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िताओं ने बताया है कि तीन मई को आधुनिक हथियारों से लैस 800 से लेकर 1000 लोगों ने थोबल ज़िले में स्थित उनके गाँव पर हमला बोला और इन लोगों ने गाँव में लूटपाट करने के साथ ही आग लगाना शुरू कर दिया.

ऐसी स्थिति में तीन महिलाएं अपने पिता और भाई के साथ जंगलों की ओर भागे.

शिकायत के मुताबिक़, पुलिस इन महिलाओं को बचाने में कामयाब भी हुई. पुलिस इन लोगों को थाने लेकर जा रही थी लेकिन थाने से दो किलोमीटर पहले ही भीड़ ने उन्हें रोक लिया.

इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने इन महिलाओं को पुलिस से छीन लिया, जिसके बाद युवा महिला के पिता को मौके़ पर ही मार दिया गया.

एफ़आईआर के मुताबिक़ तीनों महिलाओं को भीड़ के सामने निर्वस्त्र होकर चलने के लिए विवश किया गया. युवा महिला के साथ सरेआम गैंगरेप करने का आरोप है. एफ़आईआर के मुताबिक़ जब इस महिला के 19 वर्षीय भाई ने उसे बचाने की कोशिश की तो उसे भी मार दिया गया.

मैतेई समुदाय के लोगों ने क्या कहा?
अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक़, कुकी-ज़ोमी समुदाय से जुड़ी इन महिलाओं के साथ चार मई को मैतेई बहुल थोबल ज़िले में यौन उत्पीड़न हुआ था.

हालांकि, इनके साथ हुए यौन उत्पीड़न की एफ़आईआर 18 मई को कांगपोकपी ज़िले में दर्ज की गई. इसके बाद इस केस को संबंधित पुलिस थाने में भेज दिया गया.

इन महिलाओं ने अपनी शिकायत में बताया है कि वीडियो में सिर्फ़ दो महिलाएं नज़र आ रही हैं लेकिन भीड़ ने एक 50 वर्षीय महिला को भी कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया था.

एफ़आईआर में कहा गया है कि एक युवा महिला के साथ दिन दहाड़े सामूहिक बलात्कार भी किया गया.

मैतेई लोगों का दावा है कि उनके लोगों के साथ भी इसी तरह की बर्बरता के कई वीडियो हैं लेकिन वो शेयर नहीं हुए.

कइयों का ये भी कहना है कि पीएम मोदी को बयान जारी करने से पहले वीडियो की सत्यता जाँचनी चाहिए.

मणिपुर हिंसा

मणिपुर की राजधानी इंफ़ाल में मानवाधिकार कार्यकर्ता के. ओनिल की नज़र में पीएम के बयान से मणिपुर की हिंसा और बढ़ सकती है.

हमने उनके इस तर्क के पीछे का कारण जानना चाहा तो उन्होंने कहा, “कल जो वीडियो वायरल हुआ, वो बहुत ही दुभार्ग्यपूर्ण है. लेकिन ये एकतरफ़ा भी है क्योंकि हिंसा में दोनों ही पक्षों (कुकी और मैतेई) अत्याचार झेल रहे हैं. हिंसा पिछले क़रीब तीन महीने से है लेकिन प्रधानमंत्री ने सिर्फ़ एक मामले पर बयान दिया, जबकि इसी तरह के अन्य हिंसा वाले वीडियो पर वो चुप रहे. उन्हें दोनों समुदायों के मुद्दों पर बोलना चाहिए.”

के. ओनिल ये भी कहते हैं कि जब ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना हुई तो प्रधानमंत्री मोदी वहां जाते हैं लेकिन मणिपुर पर चुप रहते हैं.

बीते महीने ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना से 250 से अधिक लोगों की जान गई थी.

वो कहते हैं कि हिंसाग्रस्त मणिपुर में कई अन्य मुद्दे भी हैं, दोनों समुदायों के लोगों को ज़िंदा जलाए जाने के भी मामले सामने आए हैं. दोनों ही समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले सामने आए हैं.

के. ओनिल ने कहा, “अब ये दिखाया जा रहा है कि सिर्फ़ एक ही समुदाय के लोगों की हत्या हो रही है, बलात्कार हो रहे हैं… इससे क्या संदेश देने की कोशिश हो रही है?”

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, फिलहाल कोई हिंसा को रोकने के लिए प्रतिबद्ध नहीं दिखती. हो सकता है हिंसा को रोकने में एक साल या उससे ज़्यादा समय लग जाए.”

वीडियो को शर्मनाक बताते हुए मैतेई समुदाय से आने वाले फ़िल्ममेकर निंगथोउजा लांचा कहते हैं, “हम किसी अपराध या अपराधी के बचाव में ये नहीं कह रहे लेकिन हमारे पास इससे भी भयावह वीडियो हैं. पीएम मोदी को टिप्पणी करने से पहले इस वीडियो की जाँच होनी चाहिए थी. इसके बिना किसी एक समुदाय पर आरोप लगाना गलत है.”

हालांकि, वो कहते हैं कि इस तरह के अमानवीय कृत्य (वायरल वीडियो के संबंध में) की तो सबको निंदा करनी चाहिए.

लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के बयान से मणिपुर के हालात बदलेंगे या नहीं इस पर वो कहते हैं, “बहुत से ऐसे वीडियो और तस्वीरें हैं जिनमें कुकी समुदाय के लोग मैतेई लोगों को मार रहे हैं. प्रधानमंत्री उन पर क्या कहेंगे? इतना एकतरफ़ा रुख क्यों? प्रधानमंत्री को हमेशा निष्पक्ष रहना चाहिए.”

बेंगलुरु में रहने वाले वर्ल्ड मैतेई काउंसिल के महासचिव यामबेम अरुण पीएम मोदी के बयान का स्वागत करते हुए कहते हैं, “हमें उम्मीद है कि अब मणिपुर में शांति वापस लौटेगी.”

यामबेम अरुण राज्य सरकार को निशाने पर लेते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री या पूरे प्रशासन को अपने काम से लोगों में विश्वास बहाल करना चाहिए था.

वो कहते हैं, “मोदी के बयान के बाद हमें उम्मीद है कि अब ये संदेश जाएगा कि अगर किसी भी समुदाय के लोग क़ानून हाथ में लेने की कोशिश करेंगे तो उन्हें सज़ा मिलेगी. भारत सरकार हमारे अभिभावक की तरह है.”

हालांकि, यामबेम अरुण ढाई महीने से अधिक समय गुज़र जाने के बाद पीएम के बयान देने को लेकर कहते हैं कि इसे किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता है.

उन्होंने कहा, “इतने दिनों तक लोगों ने हिंसा झेली, ये बहुत दुखद है, हम भी इंसान हैं और भारतीय भी।
मणिपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने शांति बहाली की मांग को लेकर निकाला मार्च
कुकी समुदाय के लोग क्या बोले?

मणिपुर ट्राइबल्स फ़ोरम दिल्ली इस हिंसा में कुकी समुदाय के साथ हो रहे अत्याचारों के मामले ज़ोर-शोर से उठाता रहा है.

इस फ़ोरम के प्रवक्ता डॉक्टर चिनखानलुन गाइट का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद ज़मीनी स्तर पर सकारात्मक असर होगा.

उन्होंने कहा, “लोग उनके (मोदी) बयान का इंतज़ार कर रहे थे. अब उन्होंने कहा है कि अपराधियों को सज़ा मिलेगी. चूंकि वो देश के प्रधानमंत्री है तो उनके कहने का असर तो होगा ही.”

वो राज्य की एन.बीरेन सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहते हैं, “प्रधानमंत्री के बयान के बाद मणिपुर के कुकी-ज़ो समुदाय को ज़रूर राहत महसूस होगी, क्योंकि राज्य सरकार से हमें कोई उम्मीद नहीं बची. अब जब प्रधानमंत्री ने कहा है कि न्याय मिलेगा तो हमें आशा है कि ये सच होगा.”

कुकी समुदाय से आने वाले समाजिक कार्यकर्ता लामतिनथांग हाओकी भी यही मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान से प्रभाव तो पड़ेगा.

ये प्रभाव किस तरह का होगा इस पर वो कहते हैं, “हर कोई देश के प्रधानमंत्री से मणिपुर के मुद्दे पर बयान सुनना चाहता था. अब जब वो समय आया है तो ज़रूर इससे शांति बहाली में मदद मिलेगी.”

लामतिनथांग कहते हैं कि राज्य की बीरेन सिंह की सरकार हिंसा को संभालने में विफल रही. अब कम से कम केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से शायद इस हिंसा को रोका जा सकेगा.

वो कहते हैं कि अब असली शांति तभी आ सकती है जब बीरेन सिंह इस्तीफ़ा दें और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए.

लामतिनथांग का मानना है कि एक बार मणिपुर में इंटरनेट बहाल हो जाए, तो ये समस्या और गहराएगी.

मणिपुर में तीन मई की हिंसा के बाद से ही इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई थी, जो अब तक जारी है.

प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?

मणिपुर में तीन मई से हिंसक संघर्ष जारी है, जिसमें अब तक 142 लोगों की जान जा चुकी है और हज़ारों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.

गुरुवार से संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत हुई. प्रधानमंत्री मोदी जब संसद पहुंचकर मीडिया से बात करने आए, तो उन्होंने मणिपुर के वायरल वीडियो का ज़िक्र किया.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मणिपुर की घटना से मेरा हृदय दुख से भरा है. ये घटना शर्मसार करने वाली है. पाप करने वाले कितने हैं, कौन हैं वो अपनी जगह है, पर बेइज्जती पूरे देश की हो रही है. 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है. मैं मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि वो मां-बहनों की रक्षा के लिए कदम उठाएं.”

राजस्थान, छत्तीसगढ़, मणिपुर का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”घटना चाहे किसी भी राज्य की हो, सरकार चाहे किसी की भी हो, नारी के सम्मान के लिए राजनीति से ऊपर उठकर काम करें.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मैं देशवासियों को यकीन दिलाना चाहता हूं कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा. मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है उसे कभी माफ नहीं किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा के बीच महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न का वीडियो वायरल होने के बाद मामले का स्वत: संज्ञान लिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस मामले में 28 जुलाई शुक्रवार को सुनवाई करेगा.

चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “सरकार इस मामले में दखल दे और एक्शन ले. ये पूरी तरह अस्वीकार्य है. ये घटना बेहद परेशान करने वाली है. ये संविधान और मानवाधिकारों का उल्लंघन है.”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “सरकार बताए कि ऐसी घटनाएं फिर ना हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए.”

चंद्रचूड़ ने कहा कि वीडियो भले ही मई का हो पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

प्रधानमंत्री के बयान से बदलेगी स्थिति?
अब मणिपुर की हिंसा का असर पड़ोसी राज्यों तक फैलने की भी आशंका जताई जा रही है.

मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने इसी आशंका को ज़ाहिर करते हुए सवाल किया है कि क्या इस स्थिति को सिर्फ़ चुप रहकर शांत किया जा सकता है? उन्होंने कहा है कि चुप्पी कोई विकल्प नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी भी कहती हैं कि मणिपुर का असर सिर्फ़ यहीं तक सीमित नहीं रहेगा.हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी की वजह को लेकर वो कोई स्पष्ट वजह नहीं दे पाती.

मणिपुर की हिंसा का मुद्दा यूरोपीय संसद में भी उठ चुका है. बीते सप्ताह जिस समय प्रधानमंत्री मोदी फ़्रांस के दौरे पर थे, उस वक्त यूरोपीय संसद ने मणिपुर हिंसा को लेकर भारत की कड़ी आलोचना की थी. भारत ने इसे अंदरूनी मामला बताकर आलोचना खारिज कर दी थी.

इतने डैमेज के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हिंसा पर कोई बयान क्यों नहीं दिया ये सवाल लगातार उठ रहा है.

प्रधानमंत्री की चुप्पी पर नीरजा चौधरी कहती हैं,”राजनीतिक तौर पर भी ये बात समझ नहीं आती.पूर्वोत्तर पूरा मिला दें तो लोकसभा की कुल 25-26 सीटें हैं.अगर ये संदेश पूर्वोत्तर के राज्यों में जाता है कि बाकी भारत को हमारी परवाह नहीं,तो ये अच्छा तो नहीं है. कहा ये भी जा रहा है कि विपक्ष की ओर से इतनी बार चुप्पी पर सवाल उठाने के कारण प्रधानमंत्री ने अभी तक कुछ नहीं कहा. ताकि ये छवि न बने कि उन्होंने किसी तरह के दबाव में आकर बयान दिया.”

वीडियो वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री का बयान आने को लेकर नीरजा चौधरी कहती हैं, “ये नुक़सान (वीडियो सामने आना) इतना बड़ा है कि उन्हें बोलना पड़ा. आज देश में हर कोई ये सोच रहा है कि ऐसा कैसे हो सकता है. कोई किसी भी पक्ष का हो लेकिन उसे आज दुख हो रहा है. भारत के प्रधान न्यायाधीश तक ने इस पर इतनी कड़ी टिप्पणी की है.”

नीरजा मानती हैं कि प्रधानमंत्री भले ही इस मसले पर देर से बोले हैं लेकिन उनके बोलने का ज़मीन पर फ़र्क पड़ेगा. उनका कहना है कि मणिपुर में कब तक शांति बहाल होगी ये इस पर भी निर्भर करता करता है कि सरकार का आगे क्या एक्शन होगा.

वो कहती हैं कि “आपको समझना होगा कि अब पूर्वोत्तर में आप राजनीति नहीं खेल सकते, बल्कि विपक्ष के साथ मिलकर आपको कोई हल निकालना ही पड़ेगा.”

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