रिजर्व बैंक लंदन से सोना वापस क्यों लाया?

News Explanation : Why Rbi Stores Its Gold In London Is It Trust In Britain Or Something Else
ब्रिटेन पर विश्वास या कुछ और… आखिर लंदन की तिजोरियों में क्‍यों रखा है भारत का 400 टन सोना?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेश में सोने की होल्डिंग कम करने को ब्रिटेन से 100 टन सोना घरेलू तिजोरियों में स्थानांतरित किया, जो केंद्रीय बैंक की अपने स्वर्ण भंडार पर नियंत्रण बढ़ाने की रणनीतिक पहल दर्शाता है। आरबीआई के पास अभी 822 टन सोना है। यानी जो सोना मंगाया गया है वह 10 प्रतिशत से थोड़ा ही ज्‍यादा है। अभी भी 400 टन से ज्‍यादा सोना ब्रिटेन में है।
नई दिल्‍ली 06 जून 2024: पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक अहम जानकारी दी। यह सोने से जुड़ी थी। केंद्रीय बैंक ने बताया कि उसने वित्त वर्ष 2023-24 में ब्रिटेन में स्‍टोर 100 टन सोने को घरेलू वॉल्‍ट या तिजोरियों में स्थानांतरित किया है। यह कदम 1991 के बाद भारत की ओर सोने के सबसे बड़े सथानांतरण में से एक है। निस्संदेह, 100 टन सोना काफी मात्रा है। लेकिन, अभी RBI के पास 822 टन सोना है। यानी यह RBI के कुल सोने की केवल 10% से थोड़ी अधिक मात्रा है। प्रश्न उठता है कि  अभी भी 400 टन से अधिक सोना ब्रिटेन में  क्यों है? क्यों इसे ब्रिटेन में रखा गया और यह सोना वहां किस काम का है?

तिजोरियों में रखा सोना किसी काम का नहीं होता। यह जगह लेता है, पैसा खर्च कराता है और अंधेरे कमरे में पड़ा रहता है। सोने की असली ताकत तभी दिखती है जब आप इसे बेचते हैं। हालांकि, सोने को बेचना एक चुनौती  है। यह थोड़ी अजीब बात लगेंगी, खासतौर से यह देखते हुए कि सोना विश्व स्तर पर सभी जगह स्वीकार्य है। लेकिन, यहां कुछ तार्किक चुनौतियों की बात है। जब आप बड़ी मात्रा में सोना (टनों में) का लेनदेन करते हैं तो एक पारदर्शी, तरल बाजार में काम करना जरूरी हो जाता है। यह एक ऐसा बाजार होना चाहिए जहां कई खरीददार और विक्रेता हों। एक ऐसा बाजार जो प्रतिस्पर्धात्मक हो और सुरक्षा का कुछ स्तर प्रदान करे।

लंदन हर तरह से लाभदायक
सच पूछ‍िए तो लंदन ऐसा ही एक बाजार है। यह सबसे तरल बाजारों में है, जहां ज्यादातर खरीददार और विक्रेता भौतिक सोने का व्यापार करना पसंद करते हैं। सहायक इंफ्रास्ट्रक्चर इसे बलवान बनाता है। इस सहायक अवस्थापना  में वॉल्ट, विशेष परिवहन कंपनियां, बीस्पोक बीमा कंपनियां और कस्टम हैंडलिंग फर्में शामिल हैं। उदाहरण को, बैंक ऑफ इंग्लैंड वॉल्ट जहां RBI कुछ सोना रखता है, वहां अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणालियां हैं। इनमें बायोमेट्रिक स्कैनर, मोशन डिटेक्‍टर, 24/7 सर्विलांस शामिल हैं। यहां से कभी सोना चोरी नहीं हुआ है।

इसके अलावा यहां LBMA यानी लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन भी है। यह संगठन  सुनिश्चित करता है कि सोना-चांदी खराब न हो और सबके पास एक समान अवसर हो। यानी अगर RBI को कभी वैश्विक बाजारों में सोने का भंडारण या व्यापार करना हो तो लंदन सबसे अच्छा स्थान है।

सवाल उठता है कि कोई अन्य देश क्यों नहीं जो समान सहायक अवस्थापना दे सके? या फिर भारत खुद को सोने के वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में स्थापित क्यों नहीं कर सकता? दरअसल, इसके पीछे कुछ चुनौतियां हैं।

सोने का व्‍यापार केंद्र बनने में लगे सैकड़ों साल
लंदन रातोंरात सोने के व्यापार का केंद्र नहीं बना। इसके पीछे सैकड़ों साल की मेहनत है, जो 1600 के दशक और ईस्ट इंडिया कंपनी तक जाती है। सोने और कीमती धातुओं से लदे जहाज लंदन आते थे। इस तरह यहां सोने का बाजार विकसित होने लगा। जल्द ही यहां रिफाइनर, बैंक और व्यापारी इस सोने का व्यापार करने लगे।

तो सवाल यह नहीं है कि RBI अपना सोना लंदन में क्यों रखता है, बल्कि यह है कि अब इसे वापस क्यों लाया जा रहा है?

इस पर RBI का कहना है कि इसमें कुछ भी खास नहीं है। लेकिन, शायद केंद्रीय बैंक विदेश में अपने 50% से अधिक सोने का भंडार रखने के बारे में बहुत उत्सुक नहीं है। अमेरिका और ब्रिटेन ने अतीत में अपने बैंकों में रखा रूसी सोना हड़प लिया था। यह कुछ देशों को डरा सकता है। अगर यह रूस के साथ हो सकता है तो किसी और के साथ क्यों नहीं? शायद इसलिए आरबीआई जोखिम कम करने की कोशिश कर रहा है। लंदन में इतना सोना रखना (सुविधा और व्यापार की आसानी के लिए) वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए बहुत चतुराई भरा काम नहीं है। ऐसे में RBI ने अब कुछ सोना भारत वापस लाने का फैसला किया है।

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