संघ ने इस बार क्यों नहीं साथ दिया भाजपा का?
Why Rss Not Helped Bjp In This Lok Sabha Elections 2024 Know Reason Here
लोकसभा चुनाव में भाजपा को नहीं मिला RSS का साथ! जमीन पर एक्टिव क्यों नहीं थे संघ के स्वयंसेवक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भारतीय जनता पार्टी की बैकबोन ही माना जाता है। संघ के कार्यकर्ता हर चुनाव में जी जान से जुटते हैं, उनके पास जमीनी स्तर पर पूरा फीडबैक होता है। इस बार यह चीज नहीं दिखी। चुनाव में एक भी संघ का कार्यकर्ता नहीं दिखा।
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को नहीं मिला संघ का साथ
जमीनी स्तर पर नहीं दिखा आरएसएस का कोई कार्यकर्ता
यह सवाल पूरे चुनाव भर उठा, लोग भी हैरान
नई दिल्ली 10 जून 2024: लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक क्यों एक्टिव नहीं थे, यह सवाल पूरे चुनाव भर उठा। संघ के स्वयंसेवक भाजपा के लिए एक मजबूत कड़ी रहे हैं, जो चुनाव में भले ही भाजपा के पक्ष में वातावरण बनाने को सीधे काम नहीं करते हैं लेकिन यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संघ हमेशा निभाता रहा है कि कम से कम भाजपा के समर्थक और ऐसे वोटर मतदान के दिन वोट देने जरूर पोलिंग बूथ तक पहुंचे जो भाजपा के संभावित वोटर हैं। लेकिन इस बार चुनाव में संघ के स्वयंसेवक एक्टिव नहीं दिखे।
चुनाव को लेकर कोई मीटिंग नहीं हुई
सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत के पांच चरणों में संघ के अलग-अलग स्तर के पदाधिकारियों ने चुनाव को लेकर कोई मीटिंग ही नहीं ली और स्वयंसेवकों को कोई मेसेज ही नहीं गया कि उन्हें काम करना है। लेकिन पांचवें दौर की वोटिंग के बाद संघ की एक मीटिंग बुलाई गई और आगे काम करने को बातचीत भी हुई। लेकिन छठे दौर की वोटिंग से पहले फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का बयान आ गया कि भाजपा को पहले संघ की जरूरत होती थी लेकिन अब भाजपा सक्षम हो गई है। सूत्रों की मानें तो यह बयान संघ के भीतर चर्चा में रहा और इसका असर ये हुआ कि संघ के स्वयंसेवक फिर एक्टिव नहीं हुए। यहीं नहीं,इसी से चुनाव बीच ही संघ का तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग का कार्यक्रम तय हो गया और संघ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की व्यस्तता भी।
नागपुर में शुरू हो गया RSS का 45 दिन का तृतीय शिक्षा वर्ग
नागपुर में 17 मई से RSS का तृतीय शिक्षा वर्ग शुरू हो गया । आरएसएस ने इस साल से अपने आंतरिक प्रशिक्षण प्रणाली में बदलाव किया है, अब व्यवहारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ स्वयंसेवकों को फील्ड ट्रेनिंग भी देगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तृतीय शिक्षा वर्ग शुक्रवार से नागपुर में शुरू हुआ, जिसका समापन 10 जून को होगा। नागपुर के रेशम बाग स्थित डॉक्टर हेडगेवार स्मृति मंदिर में शिक्षा वर्ग प्रातः 9 बजे से शुरू हुआ, इसके शिक्षा वर्ग का नाम बदलकर कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय रखा गया है। प्रतिवर्ष निर्धारित इस अखिल भारतीय स्तर के वर्ग में देश भर के स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त कर अंतिम प्रशिक्षण वर्ग को नागपुर आते हैं।
बौद्धिक और योग पर अधिक जोर
वर्ग में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का मार्गदर्शन व्याख्यान होता है। आरएसएस (RSS) ने इस साल से अपने आंतरिक प्रशिक्षण प्रणाली में बदलाव किया है। व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ RSS अपने स्वयंसेवकों को फील्ड ट्रेनिंग भी देगा। प्रशिक्षण में बौद्धिक, योग पर अधिक जोर दिया जाता है। स्वयंसेवकों को समाज सक्षम तैयार करने का पाठ पढ़ाया जाता है। आरएसएस मुख्य तीन मंत्रों पर काम करता है- राष्ट्रभक्ति, समाज संगठन, समर्पण, यह संघ के मूल मंत्र हैं।
तृतीय शिक्षा वर्ग नागपुर में होता है
प्राथमिक शिक्षा वर्ग विविध प्रांतों में होता है, लेकिन तृतीय शिक्षा वर्ग नागपुर में ही होता है। इसे देशभर से जिले स्तर पर चुने हुए कार्यकर्ता प्रशिक्षण के लिए आते हैं। प्रशिक्षण के बाद स्वयं सेवक संघ कार्यकर्ता के तौर पर तैयार हो जाते हैं। बाद में उसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने का दायित्व दिया जाता है। प्रशिक्षण वर्ग में स्वयंसेवकों को मानसिक, बौद्धिक हर तरीके का प्रशिक्षण दिया जाता है।
नए पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं
संघ संगठन और कार्यों में विविध तरह से बदलाव कर रहा है। शिक्षण कार्य में संघ ने काफी बदलाव किया है। नए पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। स्वयंसेवकों को सामान्य शिक्षा के साथ जिस क्षेत्र में काम करने की रुचि होगी उस क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। संघ शिक्षा वर्ग की अवधि भी कम की गई है। पहले संघ का प्रथम वर्ग 20 दिन का होता था, अब 15 दिन का होता है। तृतीय वर्ष का 25 दिन का होगा। तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग के पहले प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ग चलता है। प्रथम वर्ग प्रांत स्तरीय, द्वितीय क्षेत्र स्तरीय, तृतीय वर्ग राष्ट्रीय स्तर का होता है।
इस बार घर-घर पर्ची भी नहीं पहुंची
हर चुनाव में संघ के कामकाज का एक सेट तरीका होता था। संघ के स्वयंसेवक घर-घर जाकर वोटर्स से मिलते थे और उन्हें पर्ची देते थे। पर्ची मतलब मतदाता सूची में उनका क्या क्रमांक है, यह पर्ची में लिखकर दिया जाता था। यह मतदाताओं तक पहुंचने का एक तरीका था। इसके साथ ही मतदान वाले दिन संघ के स्वयंसेवक अपने एरिया या मोहल्ले में यह सुनिश्चित करते थे कि मतदाता वोट देने पोलिंग बूथ तक जाएं। लंच टाइम तक अगर वोटर पोलिंग बूथ तक नहीं पहुंचें तो स्वयंसेवक उन्हें फोन कर मतदान करने के लिए प्रेरित करते थे। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक, इस बार संघ के स्वयंसेवकों ने घर-घर पर्ची पहुंचाने का काम नहीं किया। ज्यादातर जगह यही रहा, लेकिन कुछ जगहों में भाजपा प्रत्याशी ने व्यक्तिगत स्तर पर स्थानीय संघ की टीम से बात कर उनकी सक्रियता सुनिश्चित की। दिल्ली की कुछ सीटों पर ऐसा ही हुआ। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के झंडेवालान में जहां संघ का गढ़ हैं, वहां भी मतदाता क्रमांक की पर्ची नहीं पहुंची। संघ के कुछ लोगों ने इस पर भी अप्रसन्नता व्यक्त की कि उम्मीदवारों के चयन में भी संघ की नहीं सुनी गई थी।