मत: राहुल की कैम्ब्रिजीय कहानियां बेसिर पैर की क्यों लगती है?
राहुल गांधी की कैंब्रिजीय कहानियों की जमीन कहां है?
भारत में दिए गए राजनीतिक भाषणों की तर्ज पर कैंब्रिज में राहुल गांधी ने अपने सामान्य निरर्थक विचारों और झूठे दावों के साथ माहौल बनाने की कोशिश की हो. लेकिन वो अपनी ही कही बातों में कुछ ऐसा उलझे कि कहानी सुनने वाले लोगों के लिए कहानी के सिरे पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया.
बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7
राहुल गांधी को हाल ही में कैंब्रिज के जज बिजनेस स्कूल में MBA के छात्रों से संवाद करने के उद्देश्य से बुलाया गया था. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और छात्रों के संवाद की व्यवस्था कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने की थी. जिस टॉपिक पर राहुल को बात करनी थी वो भी कम दिलचस्प नहीं था. ’21वीं सदी में सुनना सीखना’ टॉपिक पर बात करते हुए राहुल गांधी ने फिर ऐसा बहुत कुछ अनाप शनाप बोल दिया है जो मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस को मुसीबत में डाल सकता है. मौके पर राहुल ने छात्रों को भारत जोड़ो यात्रा से जुडी कई कहानियां भी सुनाई. राहुल की उन कहानियों पर बात हो इससे पहले हमारे लिए ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि किस्सों को रचने और कहानियां सुनाने के मामले में यदि राहुल को किसी से कुछ सीखना है तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखें. जैसी कहानियां छात्रों को राहुल ने कैंब्रिज में सुनाई उनकी जमीन गायब थी और जैसा अंदाज था एक बार फिर साबित हुआ है कि राहुल गांधी कुछ भी हों लेकिन एक उम्दा किस्सागोह नहीं हैं.
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कैंब्रिज जाकर तमाम मुद्दों पर राहुल ने कहानी तो सुनाई लेकिन उनका कोई सिरा नहीं था
ध्यान रहे भले ही भारत में दिए गए राजनीतिक भाषणों की तर्ज पर वहां सुदूर कैंब्रिज में राहुल गांधी ने अपने सामान्य निरर्थक विचारों और झूठे दावों के साथ माहौल बनाने की कोशिश की हो. लेकिन सत्य की ये खूबसूरती है कि छुपाने के बावजूद वो जाहिर हो ही जाता है. आइये नजर डालें कुछ ऐसे ही टॉपिक्स पर जिनपर राहुल गांधी ने कहानी सुनाने की कोशिश तो थी लेकिन वो अपनी ही कही बातों में कुछ ऐसा उलझे कि कहानी सुनने वाले लोगों के लिए कहानी के सिरे पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया.
आतंकवादी
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बोलते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने याद किया कि कैसे भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार आतंकवादियों का सामना किया. एमबीए छात्रों को राहुल ने बताया कि जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा ने जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया, सुरक्षा बलों ने उन्हें क्षेत्र में नहीं चलने के लिए कहा. सुरक्षा बलों को डर था कि राहुल गांधी की यात्रा में आतंकी हमला हो सकता है.
राहुल ने बताया कि जब वो यात्रा में चल रहे थे तो उनका सामना एक अंजान आदमी से हुआ. वो व्यक्ति उनके पास आया और कहा कि वो उनसे बात करना चाहता है. राहुल ने बता कि उस व्यक्ति ने उनसे पूछा कि क्या वो वाक़ई लोगों की समस्याएं सुनने के लिए कश्मीर आया है. फिर उस आदमी ने कुछ लोगों की तरफ इशारा किया और बताया कि वो सभी आतंकवादी हैं. राहुल ने कहा कि पहले तो उन्हें डर लगा कि ये लोग मुझे मार सकते हैं, पर उन लोगों ने कुछ नहीं किया. इस कहानी को समाप्त करते हुए राहुल ने कहा कि यही सुने जाने की शक्ति है.
भले ही राहुल ने आतंकवादियों से जुड़ी ये कहानी खत्म कर दी हो लेकिन हम उनसे जरूर पूछना चाहेंगे कि आखिर उन्होंने इतनी बड़ी बात सुरक्षा एजेंसियों से क्यों छुपाई? क्यों उन्होंने इसका खुलासा कैंब्रिज में किया.
पिगेसस
छात्रों के सामने पिगेसस पर अपने विचार रखते हुए राहुल ने कहा कि सरकार उनकी जासूसी करने के लिए पिगेसस का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में राजनेताओं के फोन में पिगेसस था. उन्होंने यहां तक दावा किया कि उन्हें ‘खुफिया अधिकारियों’ द्वारा बताया गया था कि उनकी कॉल रिकॉर्ड की जा रही है और उन्हें सावधान रहना चाहिए.
ध्यान रहे कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट की जांच में पिगेसस मैलवेयर का कोई सबूत नहीं मिला. ज्ञात हो कि राहुल गांधी और कुछ अन्य राजनेताओं ने दावा किया था कि उनकी जासूसी की जा रही है और उन्होंने इस पर राजनीतिक विवाद खड़ा करने की कोशिश की थी. बाद में जब जांच हुई थी तो ये सरकार के खिलाफ राहुल गांधी एंड पार्टी का प्रोपोगेंडा था.
माइनॉरिटी
राहुल ने कैंब्रिज में छात्रों को बताया कि भारत में सरकार और उससे जुड़े लोग लगातार अल्पसंख्यकों के मूलभूत अधिकारों का हनन कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि माइनॉरिटी के लिए भारत में डर का वातावरण तैयार किया जा रहा है. राहुल कुछ कह लें लेकिन ये बात झूठ से ज्यादा कुछ नहीं है. हम ये बातें यूं ही नहीं कह रहे. इसे समझने के लिए हमें नागालैंड विधानसभा चुनावों का जिक्र करना होगा और इस बात को समझना होगा कि नागालैंड एक ऐसा राज्य है जहां ईसाई समुदाय मेजोरिटी में है.
यदि भारत में अल्पसंख्यक वाक़ई ख़तरा महसूस कर रहा होता तो नागालैंड विधानसभा चुनावों में भाजपा ऐसा प्रदर्शन शायद कभी नहीं कर पाती.
ज्यूडिशरी
इस बात में कोई शक नहीं है कि विदेशी भूमि पर जो बातें राहुल ने की हैं वो विश्व पटल पर भारत की छवि को धूमिल करती हुई नजर आ रही हैं. हद तो तब हुई जब उन्होंने न्यायपालिका पर कटाक्ष किया. राहुल ने बताया कि भारतीय न्यायपालिका को पूर्ण रूप से सरकार ने कण्ट्रोल कर रखा है. इस कहानी के सिरे कितने कमज़ोर हैं इसे हम अदानी-हिंडनबर्ग केस की जांच के लिए कमेटी बनाने का सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का आदेश से समझ सकते हैं.
बाकी राहुल गांधी कुछ भी सोचने समझने के लिए आजाद हैं. वो किसी और चीज की तरह न्यायपालिका पर भी सवाल खड़े कर सकते हैं. लेकिन उन्हें इस बात को भी समझना होगा कि यदि वो ऐसा करते हैं तो इससे किसी और की नहीं बल्कि खुद उनकी अपनी बदनामी होगी.
डेमोक्रेसी
छात्रों के सामने राहुल गांधी ने दावा किया कि भारत में लोकतंत्र पर हमला हो रहा है. छात्रों से मुखातिब होते हुए राहुल ने कहा कि लोकतंत्र में आवश्यक संस्थागत ढांचे जैसे संसद, न्यायपालिका, फ्री प्रेस सभी पर दबाव है. उन्होंने छात्रों को बताया कि उनकी लड़ाई सरकार की इसी जबरदस्ती के खिलाफ है. सवाल ये है कि यदि वाक़ई ऐसा होता तो भारत में चुनाव, कोर्ट, पुलिस जैसी चीजें कबका ख़त्म हो गयी होतीं. वो हैं खुद साबित होता है कि राहुल ने एक बेमतलब की कहानी रची और भोले भाले छात्रों को बरगलाने और भारत की छवि धूमिल करने का काम किया.