यास तूफ़ान: ममता ने दिखाई हेकड़ी,300अरब की मांग पर मिले पांच अरब, जो पटनायक को मिल गये बिना मांगे
Cyclone Yaas: मोदी से ममता का न मिलना और नवीन पटनायक को बिन मांगे सब मिल जाना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यास तूफ़ान से प्रभावित इलाकों का दौरा किया. सबसे पहले वे ओडिशा गए और फिर बंगाल. मोदी सरकार ने ओडिशा को 500 करोड़ रूपये की मदद करने का फ़ैसला किया है. बंगाल और झारखंड के लिए भी केंद्र ने 500 करोड़ की सहायता करने का मन बनाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली 28 मई : वो मिली भी तो न मिलने जैसी .. ममता बनर्जी आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मीटिंग में नहीं गईं. उन्होंने बंगाल के डिमांड वाली चिट्ठी ज़रूर मोदी को सौंप दी. दिल्ली के सूत्रों का दावा है कि ममता ने मोदी को आधे घंटे तक इंतज़ार कराया.राज्य के मुख्य सचिव भी मुख्यमंत्री के साथ आते और उन्ही के साथ निकल ग्रे। ये मुलाकात चंद लम्हों की रही. राजनैतिक कड़वाहट सदियों की तो नहीं पर सालों मुलाकात के बाद ममता ने मोदी से इजाज़त ली और फिर चलती बनीं.हालांकि थे दोनों उसी परिसर में। पूछने पर ममता ने बहाना बनाया कि उन्हें मीटिंग की खबर नहीं थीं। अलबत्ता राज्यपाल जगदीप धनकड़ और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी पूरे समय बैठक में रहे। प्रधानमंत्री ने ओडिशा में यास तूफ़ान से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया और वहां के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ मीटिंग भी की. मोदी ने ओडिशा को बिन मांगे ही 500 करोड़ रुपये का पैकेज दे दिया. तूफान से निपटने में नवीन पटनायक सरकार के कामकाज की मोदी ने तारीफ की. पटनायक सरकार का ज़ीरो कैजुएलटी वाला फ़ार्मूला इन दिनों चर्चा में है.
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यास तूफ़ान से प्रभावित इलाकों का दौरा किया. सबसे पहले वे ओडिशा गए और फिर बंगाल. मोदी सरकार ने ओडिशा को 500 करोड़ रूपये की मदद करने का फ़ैसला किया है. बंगाल और झारखंड के लिए भी केंद्र ने 500 करोड़ की सहायता करने का मन बनाया है. पर इसके लिए संबंधित राज्य सरकारों को नुक़सान का पूरा ब्योरा देना होगा. तूफ़ान से जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिवार को दो लाख रुपये दिए जाएंगे. घायलों के घरवालों को पचास हज़ार की मदद की जाएगी. मंत्रियों का एक समूह बाद में इलाक़ों का दौरा कर प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट देगा.
तूफ़ान की तबाही से लाखों लोग बेहाल हैं. किसी का घर टूटा, तो किसी का खेत खलिहान तालाब बन गया है, लेकिन तूफ़ान यास पर सियासत के आकाश की काली छाया पड़ गई है. बंगाल के कलईकुंडा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की समीक्षा बैठक थी. तूफ़ान पर हुए नुक़सान को लेकर चर्चा होनी थी. लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कुर्सी ख़ाली रही. ममता ने मोदी से मुलाक़ात की, उन्हें तीस हज़ार करोड़ रूपये की डिमांड वाली चिट्ठी दी. दीघा के विकास के लिए 20 हज़ार करोड़ और सुंदरवन के लिए 10 हज़ार करोड़. बस छोटी सी मुलाक़ात के बाद ममता चलती बनीं.
प्रोटोकॉल तो यही बताता है कि जब प्रधानमंत्री किसी राज्य में जाते हैं, तो वहां के मुख्यमंत्री उनकी अगवानी करते हैं, जैसा भुवनेश्वर जाने पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किया. लेकिन बंगाल चुनाव में जीत के बाद भी बीजेपी को लेकर ममता के मन में रत्ती भर ममता नहीं रही. बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी को भी पीएम वाली मीटिंग में बुलाया गया था. बस इतनी सी बात ममता को चुभ गई. लेकिन पूरे पांच साल तो विधानसभा में दोनों का आमना-सामना होता ही रहेगा. फिर क्या करेंगी ममता ? शुभेंदु ने नंदीग्राम के चुनाव में ममता को हराया था.
भुवनेश्वर पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की तारीफ़ की. तूफ़ान से निपटने में ओडिशा मॉडल का गुणगान किया. चलते चलते प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा के तूफ़ान प्रभावित लोगों की मदद के लिए पांच सौ करोड़ देने का एलान कर दिया. पटनायक को सब बिन मांगे मिल गया. मोदी ने तूफ़ान प्रभावित ओडिशा के भद्रक और बालासोर ज़िलों का हवाई सर्वे किया. केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी उनके साथ थे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस दौरे का बड़ा संदेश भी है. नवीन पटनायक साथ रहें तो ऑल इज वेल रहा. लेकिन ममता बनर्जी ने मोदी से असहयोग कर बंगाल का नुक़सान करा दिया. सच ही तो है कि ताली दोनों हाथों से बजती है.