योगी पैतृक गांव पंचूर में,पलायन थाम फिर बसाना होगा पहाड़

योगी आदित्‍यनाथ का अपने पैतृक गांव में बिताए पल, मां के चरण स्‍पर्श कर हुए रवाना
पौड़ी पांच मई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पैतृक गांव पंचूर से दो दिवसीय प्रवास के बाद रवानगी की तैयारी की। उन्‍होंने गाय को ग्रास खिलाकर दिन की शुरुआत की। हेलीकाप्टर के जरिये वह हरिद्वार के लिए रवाना हो गये

उजड़े घर और बंजर खेत योगी आदित्यनाथ के मन को कर गए व्यथित, कहा- हमें इसे बचाना होगा, गांवों को दोबारा करना होगा आबाद

उत्तराखंड के पहाड़ों में उजड़े घर और बंजर खेत देखकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मन को व्यथित कर गई। इसीलिए उनके हर संबोधन में यह पीड़ा झलकी। उन्‍होंने कहा कि हमें इसे बचाना होगा। गांवों को दोबारा आबाद करना होगा।

पौड़ी जिले के यमकेश्‍वर ब्‍लाक स्थित पंचूर गांव में परिजनों के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

योगी आदित्यनाथ भले ही आज मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की बागडोर संभाल रहे हैं और राजनीति में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं, मगर जन्मभूमि उत्तराखंड की माटी की खुशबू और यहां की मिट्टी के प्रति उनका स्नेह आज भी बना हुआ है।

यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन तथा अनुपयोगी हो रहे संसाधनों के प्रति चिंतित हैं। इस बार जब योगी आदित्यनाथ अपने पैतृक गांव में प्रवास पर आए तो पलायन के चलते बंजर होती खेती-बाड़ी और खाली होते गांवों को देखकर व्यथित हो गए।

योगी आदित्यनाथ ने बीते मंगलवार को यमकेश्वर के बिथ्याणी में महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय में अपने आध्यात्मिक गुरु महंत अवेद्यनाथ की मूर्ति अनावरण के मौके पर भी विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्र से हो रहे पलायन पर चिंता व्यक्त की थी।

इन दो दिनों में उन्होंने अपनी जन्मभूमि के बेहद करीब रहते हुए पिछले 20 वर्षों में यहां हुए परिवर्तन को बखूबी महसूस किया। अपने पैतृक गांव पंचूर के भ्रमण के दौरान गांव में बंद पड़े कई घर उन्होंने देखे।

इन दो दिनों में योगी ने सड़क मार्ग से यात्रा करते हुए यमकेश्वर, बिथ्याणी, पंचूर, दमराड़ा, पोखरी आदि गांवों को देखा। संन्यास दीक्षा से पूर्व 21 वर्षों तक योगी आदित्यनाथ ने इन गांवों में सामान्य जीवन बिताया।

इन गांवों की एक-एक पगडंडी से वह बखूबी परिचित हैं, लेकिन उस दौर की चहल-पहल अब गांवों में नजर नहीं आ रही है। बारिश के बाद गांव के वातावरण में घुलने वाली वह मिट्टी की सौंधी महक अब उन्हें महसूस नहीं हो रही।

जिन खेतों में कभी हरी-हरी फसल लहराती थी, पीली सरसों के दमकते सीढ़ीदार खेत और पक्षियों का कलरव अब फीका पड़ गया। ये सब परिवर्तन इन दो दिनों में योगी आदित्यनाथ ने महसूस किए।

उत्तराखंड के पहाड़ों की इस बदलती सूरत से योगी का मन व्यथित है। इसीलिए उनके हर संबोधन और बातचीत में यह पीड़ा झलक ही जाती है। बुधवार को भी जब योगी पोखरी में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे तो उनका संबोधन पलायन और इस बदलते परिवेश की पीड़ा पर ही केंद्रित रहा।

उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि बचपन व तरुण अवस्था के दिनों में वह अक्सर कई मांगलिक कार्यों में पोखरी गांव आते थे, तब यहां पीने के पानी की समस्या रहती थी। उन्हें यहां उत्पादित होने वाली खुमानी का स्वाद भी याद हो आया।

उन्होंने कहा कि यहां कभी ग्रामीण बैलों के जरिये खेतों में हल जोतते थे। मगर अब स्थिति बदल गई, खेती नहीं हो रही है, यह चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि बचपन के दिनों में वह यमकेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन को जाते थे, तब यहां मंदिर के निकट बहने वाली नदी में स्नान किया करते थे, लेकिन कल मंगलवार को उन्होंने देखा कि इस नदी में नाममात्र का पानी ही रह गया है।

इस परिवर्तन का बड़ा कारण गांवों में खेती-बाड़ी से ग्रामीणों की विमुखता है। उन्होंने कहा कि हमें इसे बचाना होगा, गांवों को दोबारा आबाद करना होगा और खेतों में कृषि करनी होगी।

गांव के चूल्हे पर बना योगी का मनपसंद भोजन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ पैतृक गांव में प्रवास पर आए हैं। इससे पूर्व वह 11 फरवरी 2017 को एक रात के लिए यहां आए थे। इस बार योगी के प्रवास को लेकर स्वजन ने उनके खानपान का विशेष ध्यान रखा।

खास बात यह रही कि योगी के लिए जो भोजन बना, वह पूरी तरह पारंपरिक रूप से चूल्हे पर बना और घर के सदस्यों ने ही इसे तैयार किया। बुधवार सुबह नाश्ते में उनके लिए आलू की सब्जी, पुड़ी और रोटी परोसी गई।

दोपहर में उनके लिए खास तौर पर उनका मनपसंद साग फाणू, पत्यूड, आलू बड़ी की सब्जी, अरहर की दाल व रोटी तैयार की गई। सायं को जब योगी कार्यक्रम के बाद घर लौटे तो उनके लिए आलू और कढ़ी पत्ते के पकोड़े व दूध तैयार था। रात्रि भोजन में योगी आदित्यनाथ के लिए परिवार वालों ने शाही पनीर, आलू मटर की सब्जी, दाल व झंगोरे की खीर तैयार की।

उनके लिए भोजन व्यवस्था की जिम्मेदारी उनकी बहन, भाइयों की पत्नी के अलावा भांजी, भतीजियों ने संभाली। इनमें प्रियंका राणा, मोनिका, अरुणा नेगी, प्रियंका पयाल, अर्चना बिष्ट, लक्ष्मी बिष्ट शामिल रहीं। योगी आदित्यनाथ ने घर के खाने का आनंद उठाते हुए स्वाद की जमकर सराहना की।

जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड स्थित अपने पैतृक गांव पंचूर से दो दिवसीय प्रवास के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गांव से रवाना हो गए। इससे पहले वह अपने कक्ष से सीधे निकले, आंगन में बैठी मां के पास पहुंचे। आशीर्वाद लेने के बाद आगे बढ़ गए। बिथ्यानी हेलीपैड तक कार से रवाना हुए।

मंगलवार को पहुंचे थे अपने पैतृक गांव पंचूर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच साल बाद बीते मंगलवार को अपने पैतृक गांव पंचूर पहुंचे थे। इससे पूर्व उन्होंने गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय में अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ की मूर्ति का अनावरण कर यह कार्यक्रम को संबोधित किया था।

गांव के अपने ही घर में मुख्यमंत्री योगी ने किया प्रवास

गांव के अपने ही घर में मुुुख्यमंत्री योगी ने रात्रि प्रवास किया था। रोजमर्रा की तरह गुरुवार की सुबह 4:00 बजे वह उठ गए थे। उन्होंने सुबह पहले काढा पिया। नित्य कर्म के बाद पूजा अर्चना की।

उन्होंने घर की गौशाला में गाय को रोटी खिलाई। उसके बाद वह अपने भाई शैलेंद्र सिंह बिष्ट, महेंद्र सिंह बिष्ट, और बहनोई पूर्ण सिंह पयाल के साथ घर के खेत की तरफ चले गए। वहां खड़े होकर वह दूर तक खेतों को निहारते रहे। नास्ते में उन्होंने लौकी की सब्जी, सूखे चने, दलिया और रोटी खाई।

उनके गांव में उनकी दो दिवसीय प्रवास के बाद विदाई को परंपरागत तरीके से ढोल दमाऊ घर के बाहर बजे। आसपास क्षेत्र से भाजपा के पदाधिकारियों ने उनसे मिलकर उन्हें अंग वस्त्र और स्मृति चिह्न भेंट किए। करीब 10 बजे वह ब्लाक मुख्यालय बिथ्यानी हेलीपैड से हेलीकाप्टर से हरिद्वार चले गए।

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