जुबैर को भेजा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में, विदेशी फंडिंग की होगी जांच
‘जुबैर को पाक-सीरिया से मिला पैसा’, कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा, मांगी 14 दिन की कस्टडी
दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट से ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने का अनुरोध किया है।
हाइलाइट्स
मोहम्मद जुबैर को पटियाला हाउस कोर्ट में किया गया पेश
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से 14 दिन की जुडिशल कस्टडी मांगी
फैक्ट-चेकिंग साइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक हैं जुबैर
जुबैर ने अदालत के सामने कहा, मेरे खाते में नहीं आया पैसा
नई दिल्ली:02 जून।दिल्ली की एक अदालत ने ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका खारिज कर वर्ष 2018 में हिंदू देवता के बारे में आपत्तिजनक ट्वीट’’ मामले में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने पुलिस अर्जी स्वीकार कर ली जिसमें कहा गया था कि मामले की आगे जांच होनी है।
पुलिस ने पांच दिन हिरासत में लेकर पूछताछ अवधि पूरी होने पर जुबैर को अदालत के समक्ष पेश कर उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध किया। पुलिस ने अदालत से कहा कि आगे भी जुबैर को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत पड़ेगी है।पुलिस की अर्जी के बाद जुबैर ने अदालत के समक्ष जमानत की अर्जी दी। दिल्ली पुलिस की तरफ से स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि जुबैर के खिलाफ FIR में नई धाराएं जोड़ी गई हैं। अब IPC की धारा 120B और 201 तथा FCRA की धारा 35 में भी जांच होगी। पुलिस के अनुसार, ‘जिस दिन जुबैर फोन लेकर स्पेशल सेल के ऑफिस आए, उसका एनालिसिस किया गया। पता चला कि उस दिन से पहले तक वह दूसरा सिम यूज कर रहे थे। जब उन्हें नोटिस मिला तो उन्होंने वही सिम निकाला और नए फोन में डाल दिया। देखिए यह आदमी कितना चालाक है!’
‘पाकिस्तान, सीरिया से जुबैर को पैसा आया…’
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि ‘अगर आप दूसरे देश के व्यक्ति से दान वगैरह लेते हैं तो यह कानून का उल्लंघन है। CDS एनालिसिस के अनुसार, जुबैर ने रेजर गेटवे से पाकिस्तान, सीरिया से पैसा लिया है जिसके बारे में और जांच की जरूरत है।’
दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि 2018 में इस मामले में ट्वीट किया गया था सभी लोग आरोपित को फॉलो कर रहे हैं. यानी कहा जा सकता है कि लगातार इस मामले में अपराध हो रहा है. हमने जांच पूरी नहीं की है.
दरअसल, शनिवार को जुबैर के वकील ने पटियाला हाउस कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की. साथ ही दिल्ली पुलिस ने जुबैर को कोर्ट में पेश किया . कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि हमने मोबाइल फोन जब्त कर हार्ड डिस्क बरामद की है. दिल्ली पुलिस ने जुबेर को 14 दिन न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की .
जुबैर की वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मोबाइल और हार्ड डिस्क जब्त कर लिया है, लेकिन अभी दिल्ली पुलिस को इस मामले में कोई ठोस सुबूत नहीं मिले हैं और केवल दिल्ली पुलिस मामले को लंबा खींचना चाहती है. कोर्ट को बताया गया कि जब जुबैर पूछताछ को दिल्ली पुलिस के दफ्तर अपना फोन लेकर आया था. तो जांच में पता चला कि वह उस दिन से पहले एक और सिम इस्तेमाल कर रहा था. नोटिस मिलने पर उसने उसे निकाल कर नए मोबाइल में डाल दिया. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि यह कितना चतुर है. जुबैर के खिलाफ नई सेक्शन जोड़ा है. सेक्शन 201, और 120 बी साथ 35 एफसीआरए, जिसमें विदेशों से पैसे मिले हैं और कुछ सुबूत मिटाये हैं.
दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि इस मामले में अभी जांच चल रही है और जरूरत पड़ने पर दिल्ली पुलिस जुबैर की दोबारा कस्टडी भी ले सकती है और कस्टडी को दिल्ली पुलिस कोर्ट में एप्लीकेशन भी दाखिल कर सकती है. दिल्ली पुलिस के द्वारा इसमें 35 एफसीआरए की धारा भी जोड़ी गई है.यदि आप विदेश के किसी व्यक्ति से कुछ दान आदि स्वीकार करते हैं तो यह एक उल्लंघन है. सीडीआर विश्लेषण के अनुसार, पाकिस्तान, सीरिया आदि से रेजर गेटवे के माध्यम से फंड स्वीकार किया गया है. इन सभी चीजों की आगे की जांच की आवश्यकता है. जुबैर की तरफ से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस कि यह सारी कहानी मनगढ़ंत है. यह पूरी कहानी साल 2018 की है और वह भी एक पुराने ट्वीट का मामला है और दिल्ली पुलिस इस मामले को लेकर कहीं और जा रही है.
ग्रोवर ने दलील देते हुए कहा कि इस मामले में पहली एफआईआर धारा 153 A और 295 के तहत दर्ज की गई थी.ग्रोवर ने पूछा कि क्या मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना अपराध है? क्या मेरे फोन को रिफॉर्मेट करना अपराध है? या फिर चालाक होना गुनाह है. इनमें से कोई भी दंड संहिता के तहत अपराध नहीं है. यदि आप किसी को पसंद नहीं करते हैं, तो कोई बात नहीं, लेकिन आप इस तरह आरोप नही लगा सकते हैं.
जुबैर के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस बैगलोर से एक लैपटॉप लाती हैं. साइबर सेल सबसे प्रीमियम साइबर क्राइम एजेंसी है. जुबेर के साथ लैपटॉप लाने चार अधिकारी बेंगलुरु जाते हैं. सभी अधिकारी य सार्वजनिक संसाधन का इस्तेमाल करते है, लेकिन, साइबर सेल की टीम अपने साथ एक भी टेक्निकल व्यक्ति को नहीं ले जाती है. कोर्ट समझ सकती है यह कितना गंभीर केस है.
दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त सामान की जानकारी कोर्ट को दी
जुबैर के वकील ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली पुलिस जुबैर द्वारा जनवरी 2022 में खरीदेे गए फोन का टैक्स इनवॉयस लेती है. मोबाइल फोन खरीदना कोई अपराध नहीं है।डाटा संरक्षित किया जाना जरूरी है. कोर्ट को यह संज्ञान में लेना चाहिए कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है.उसे कोर्ट संरक्षित करे.
ग्रोवर ने कहा कि ट्वीट मार्च 2018 का है, ट्वीट को एंड्रॉइड फोन इस्तेमाल हुआ था. यह लैपटॉप से नहीं किया गया, जबकि लैपटॉप की सीज कर दिया गया . इसकी आवश्यकता नहीं थी. किसी भी चीज की हद होती है. जुबैर के वकील ने कहा कि सेक्शन 468 सीआरपीसी संज्ञान लेने पर रोक लगाता है. किसी भी मामले में जांच का उद्देश्य किसी को परेशान या फिर उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना नहीं होना चाहिए. आज सुबह भी, मीडिया को इस मामले से जुड़े कुछ अपडेट दिए गए। इस प्रथा पर रोक लगाने की जरूरत है. हम पुलिस स्टेट में नहीं रह रहे. इसके अलावा, जुबैर के वकील ने बताया कि बाइक सवार ने जुबैर का फोन छीन लिया. कुछ भी असाधारण नहीं था. 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी. यह वही फोन था, जिसका मैं 2018 में उपयोग कर रहा था. फोन चोरी का मैने मामला दर्ज कराया था. इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने मुझे सुरक्षा दी है.
ग्रोवर ने कोर्ट में कहा कि जिस फिल्म का सीन लगाने के मामले पर दिल्ली पुलिस जुबैर से पूछताछ कर रही है, वह फिल्म प्राइम एप्लीकेशन पर ट्रेंड कर रही है. 2018 के ट्वीट पर आज कह रहे हैं कि हमने धार्मिक भावनाऐं भड़काई है, यह दलील समझ से परे है. सभी सबूत इलेक्ट्रॉनिक है, हमने कुछ भी छेड़छाड़ नहीं की है. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को गुमराह कर बताया कि आरोपित ने विदेशी फंड प्राप्त किया है. ऑल्ट न्यूज़ sec 8 में कंपनी है. फंड जुबैर को नही,कंपनी को मिला है. इसमें दिल्ली पुलिस मेरे क्लाइंट को कैसे घसीट रही है.
क्या बोली दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि 2018 में इस मामले में ट्वीट हुआ था सभी आरोपित को फॉलो कर रहे हैं. कहा जा सकता है कि लगातार इस मामले में अपराध का अनुसरण किया गया है. हमने जांच पूरी नहीं की है. जांच या पीसी की आवश्यकता क्यों है, हम पहले ही बता चुके हैं. क्या हम ऐसी चीजों के वीडियो डाल सकते हैं और अपलोड कर सकते हैं? खासकर जब आप एक युवा पत्रकार हों. जिम्मेदारी ज्यादा होनी चाहिए. आपको इसे हटाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दिल्ली पुलिस ने जुबैर की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अभी भी बहुत जाँच की जानी है. क्योंकि डोनेशन पाकिस्तान और सीरिया और अरब कंट्री से आये हैं.जिस जुबेर को डिफेंस काउंसिल यंग जर्नलिस्ट बताकर गर्व जता रही हैं, उनकी गतिविधियां संदिग्ध हैं. विदेशी फंडिंग है, उनके पीछे, साजिश नजर आती है. पुलिस को सच लाने का समय दीजिए, इसलिए जमानत नहीं दी जानी चाहिए. दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में तेजी जांच की जा रही है और आरोपी को जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता है.इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आपके पास क्या डॉक्यूमेंट है तो पुलिस ने कहा कि कोर्ट जुड़िशल कस्टडी मे भेज दे तो डाटा आएगा. हम फिर रिमांड पर ले सकते हैं.
पुलिस की दलीलों के जवाब में जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि पूरी कवायद ‘दुर्भावना’ से की जा रही है। उन्होंने IPC की धारा 153A और 295 में दर्ज पहली FIR पर भी सवाल उठाए। ग्रोवर ने पूछा कि ‘क्या मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना अपराध है? क्या फोन को रीफारमेट करना अपराध है? या चालाक होना अपराध है? इंडियन पीनल कोड में इनमें से कुछ भी अपराध नहीं। अगर आप किसी को पसंद नहीं करते तो ठीक है लेकिन आप उसे चालाक बताकर संदेह नहीं कर सकते।’
पुलिस की दलीलों पर क्या बोलीं ग्रोवर?
जुबैर की तरफ से पेश वरिष्ठ एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने श्रीवास्तव की दलीलों पर कहा कि केस में विभिन्न अदालतों की ओर से बनाई गईं गाइडलाइंस का मखौल बनाया जा रहा है। ट्वीट 2018 का है। वह ट्वीट एंड्रॉयड फोन से किया गया, मगर इन्होंने लैपटॉप सीज कर लिया। जुबैर की वकील ने कहा कि ‘मेरा फोन किसी बाइक सवार ने छीन लिया था। कोई हैरानी की बात नहीं। 2021 में शिकायत दर्ज कराई। दस्तावेज मौजूद हैं।’
ग्रोवर ने कहा कि एक फिल्म सीन को सेंसिटिव बताकर पेश किया जा रहा है, वैसे ट्वीट्स अब भी ट्विटर पर हैं। 40 साल तक फिल्म से कोई दिक्कत नहीं हुई और अब एक फॉलोवर वाले अनाम अकाउंट के टैग करने पर केस हो गया।
मोहम्मद जुबैर को मिलेगी बेल या फिर जाना होगा जेल, कुछ देर बाद पटियाला हाउस कोर्ट सुनाएगी फैसला
Mohammad Zubair मोहम्मद जुबैर पर वर्ष 2018 में विवादित ट्वीट कर हिंदू भावनाओं को आहत करने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया था और 27 जून को गिरफ्तार कर जुबैर को एक दिन के रिमांड पर लिया था।
धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार मोहम्मद जुबैर को शनिवार को पटिलाया हाउस कोर्ट में पेश किया गया। पेशी के दौरान दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर द्वारा इस मामले में साजिश रचने और सबूतों को नष्ट करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपित को विदेशों से चंदा भी मिला है। यही वजह है कि विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम, 2010 में धारा 35 को एफआईआर में जोड़ा गया है।
पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य महानगर दंडाधिकारी स्निग्धा सरवरिया की अदालत में मोहम्मद जुबेर को न्यायिक हिरासत में भेजेगी या फिर दिल्ली पुलिस की मांग पर रिमांड बढ़ाएगी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
शनिवार सुबह से ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को द्वारका में दिल्ली पुलिस एसपीएल सेल की आईएफएसओ इकाई से बाहर लाया गया। इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया।
मोहम्मद जुबैर पर वर्ष 2018 में विवादित ट्वीट कर हिंदू भावनाओं को आहत करने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया था और 27 जून को गिरफ्तार कर जुबैर को एक दिन के रिमांड पर लिया था। फिर से 28 जून को अदालत में पेश कर चार दिन का रिमांड लिया था। मोहम्मद जुबैर ने इस रिमांड के आदेश की वैधता को चुनौती दी है।
मोहम्मद जुबैर की चुनौती याचिका पर हाई कोर्ट ने पूछा पुलिस का रुख
वहीं, दिल्ली पुलिस रिमांड की वैधता को चुनौती देने वाली आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने पुलिस को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 27 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने कहा कि कहा कि रिमांड दो जुलाई को खत्म हो जाएगा, ऐसे में अदालत दूसरे पक्ष को सुनेगी। हालांकि, पीठ ने कहा कि निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही वर्तमान कार्यवाही से प्रभावित हुए बिना जारी रहेगी।
अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने जुबैर के लैपटाप और मोबाइल को सीज करने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जिस फोन से ट्वीट किया गया था वह गुम हो गया है। ऐसे में नए फोन और लैपटाप को जब्त करने का क्या मतलब है? इस पर पीठ ने कहा कि दो जुलाई को रिमांड समाप्त हो रहा है, ऐसे में इसे निचली अदालत तय कर देगी। वृंदा ग्रोवर ने इस पर अनुरोध किया कि कृपया नोटिस जारी करें और सभी जब्ती इस याचिका के परिणाम के अधीन होगी।
इस पर दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने पूछा कि लैपटाप की जब्ती को लेकर चिंता क्यों है? ग्रोवर ने जवाब दिया कि यह निजता का अधिकार है। एसजी ने कहा कि पुलिस पक्षपातपूर्ण तरीके से काम नहीं कर रही है। जांच अधिकारी जांच करेंगे।
मौजूदा मामला सिर्फ एक ट्वीट का नहीं है। इस पर पीठ ने पूछा कि क्या आप और रिमांड मांगेंगे? इसके जवाब में एसजी ने कहा कि नहीं पता कि रिमांड समाप्त होने तक जांच की स्थिति क्या होगी। इस संबंध में कोई बयान देना अभिमानी होगा। इस पर पीठ ने कहा कि मामले में नोटिस जारी किया जा सकता है और पुलिस इस पर पुलिस जवाब दाखिल करे।