जुबैर के लैपटॉप में ऐसा क्या है जिसकी पड़ताल चाहती है पुलिस
Zubair Laptop News : बेंगलुरु वाले घर में रखे लैपटॉप में ऐसी कौन सी जानकारी है, जिसे दिखाने से बच रहे मोहम्मद जुबैर
ऑल्ट न्यूज वाले मोहम्मद जुबैर के खिलाफ जब से जांच शुरू हुई है उनके मोबाइल और लैपटॉप से डेटा डिलीट किया गया है। पुलिस ने बेंगलुरु वाले घर में रखे जुबैर के लैपटॉप को हासिल करने के लिए हिरासत अवधि बढ़ाने की अपील की थी, जिसे जज ने स्वीकार कर लिया लेकिन जुबैर की तरफ से विरोध किया गया।
हाइलाइट्स
मोहम्मद जुबैर को लेकर आज बेंगलुरु जाएगी दिल्ली पुलिस
जुबैर के घर पर रखे लैपटॉप को जब्त कर जांचेगी पुलिस
वकील ने किया था विरोध, लैपटॉप में हैं संवेदनशील जानकारियां
नई दिल्ली 29 जून: फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट Alt News के लिए काम करने वाले मोहम्मद जुबैर एक पत्रकार हैं, ट्विटर पर उनके अच्छे खासे फॉलोअर्स हैं और वह खुलकर अपनी बात रखते हैं। जुबैर को उनके काम के लिए टारगेट किया जा रहा है। वह कई प्रभावशाली लोगों के लिए चुनौती हो सकते हैं लेकिन यह उनके उत्पीड़न की वजह नहीं बन सकता। पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है। वे जुबैर के लैपटॉप को बरामद करना चाहते हैं क्योंकि उसमें कई संवेदनशील जानकारियां हैं… कोर्ट में मोहम्मद जुबैर की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने यह कहते हुए जुबैर का लैपटॉप पुलिस को देने का विरोध किया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बेंगलुरु वाले जुबेर के घर में मौजूद उस लैपटॉप में क्या है, जिसे देने से मना किया जा रहा है। जुबैर के वकील ने कहा है कि पुलिस लैपटॉप चाहती है जबकि उसका इस केस से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने आशंका जताई है कि लैपटॉप जब्त करने के बाद मामले से अलग इधर-उधर के सवाल पूछे जाने शुरू हो जाएंगे
किस बात का है डर!
माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस लैपटॉप इसलिए भी हासिल करना चाहती है जिससे 50 लाख के कथित ट्रांजैक्शन और कुछ अन्य जानकारियों तक पहुंचा जा सके। पुलिस के मुताबिक, चूंकि जुबैर अब तक सवालों के गोलमोल जवाब देते आ रहे हैं, ऐसे में उनके गैजेट्स जैसे- फोन और लैपटॉप से पुलिस सबूत इकट्ठा करना चाहती है। उनका फोन भी फॉर्मेट किया हुआ मिला, ऐसे में पुलिस लैपटॉप को खंगालना चाहती है। जुबैर और उनकी कानूनी टीम को डर है कि लैपटॉप से जानकारियां इकट्ठा करने के बाद कुछ और मामले न खुल जाएं। शायद यही वजह है कि वकील ने इस कदम का विरोध किया। पुलिस का दावा है कि जुबैर ने मोबाइल और लैपटॉप से डेटा मिटाया है, उपकरण जब्त होने पर उसे फॉरेंसिक एवं अन्य जांच के लिए भेजा जा सकता है।
मंगलवार को जुबैर की वकील ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया के समक्ष 6 दलीलें रखीं और लैपटॉप देने का विरोध किया। जुबैर की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा:
1. आरोपित ने ट्वीट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया था वह 1983 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की हिंदी फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की है और उस फिल्म पर रोक नहीं लगी थी।
2. एजेंसी ने जुबैर को किसी और मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन उसे हड़बड़ी में इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।
3. गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे के अंदर यह अदालत उपलब्ध होती, फिर भी जुबैर को एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जहां पुलिस ने उसकी सात दिन की हिरासत की मांग की।
4. जिस ट्वीट की बात हो रही है, वह जुबैर ने 2018 में किया था। किसी ने पिछले दिनों 2018 के जुबैर के ट्वीट को पोस्ट कर दिया और यह मामला दायर किया गया। किसी गुमनाम ट्विटर हैंडल से यह पहला ट्वीट था जिसमें जुबैर के ट्वीट का उपयोग किया गया। एजेंसी गड़बड़ कर रही है।
5. वे दावा कर रहे हैं कि जुबैर ने कथित तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की। ट्वीट 2018 से है। 2018 से इस ट्वीट ने कोई बखेड़ा खड़ा नहीं किया। अनेक ट्विटर यूजर्स ने इस तस्वीर को साझा किया है। प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता।
6. पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है। वे जुबैर के लैपटॉप को बरामद करना चाहते हैं क्योंकि वह एक पत्रकार हैं और उसमें कई संवेदनशील जानकारियां हैं।
वहीं, पुलिस ने कहा है कि आरोपित की प्रवृत्ति ही कुछ ऐसी रही है कि उसने प्रसिद्धि पाने को धार्मिक ट्वीटों का इस्तेमाल किया। पुलिस ने कहा, ‘यह सामाजिक वैमनस्य पैदा करने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का उसका जानबूझकर किया गया प्रयास था।’ वह जांच में तो शामिल हुआ लेकिन सहयोग नहीं किया। उसके फोन से अनेक सामग्री हटा दी गई है।
दिल्ली की अदालत ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर से पूछताछ के लिए हिरासत की अवधि चार दिन के लिए बढ़ा दी। पुलिस ने अदालत से कहा कि आरोपी जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रहा और उस उपकरण के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उससे हिरासत में पूछताछ जरूरी है जिससे आरोपित ने ट्वीट किया था।
बेंगलुरु में रखा फोन और लैपटॉप देगा प्रूफ?
जज ने तीन पन्नों के आदेश में कहा, ‘कथित ट्वीट को पोस्ट करने के लिए आरोपित मोहम्मद जुबैर द्वारा इस्तेमाल उसके मोबाइल फोन या लैपटॉप को उसके बताए अनुसार उसके बेंगलुरु आवास से बरामद करना है और आरोपित ने अब तक सहयोग नहीं किया है, इसे ध्यान में रखते हुए आरोपित की चार दिन की पुलिस हिरासत की अनुमति दी जाती है क्योंकि आरोपित को बेंगलुरु लेकर जाना है।’ जुबैर को लेकर आज ही पुलिस की एक टीम बेंगलुरु के लिए रवाना होगी। जुबैर को अब 2 जुलाई को अदालत में पेश किया जाएगा।
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जुबैर के अकाउंट में 50 लाख किसने भेजे? अब ED और आयकर विभाग करेगा फैक्ट चेक
‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। वह तत्काल रिहाई की मांग कर रहा है। हालांकि, भाजपा ने कहा है कि जुबैर का संदिग्ध अतीत रहा है और उन्होंने ऐसे ट्वीट पोस्ट किए, जो हिंदू समाज के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं।
हाइलाइट्स
ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक की मुश्किलें बढ़ीं
चार दिन की पुलिस हिरासत में बेंगलुरु ले जाया जाएगा
पुलिस को मिले 50 लाख खाते में आने के सबूत
फैक्ट चेकर वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Alt News Zubair) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एक तरफ चार दिन की हिरासत अवधि बढ़ने के बाद पुलिस उन्हें लेकर आज बेंगलुरु जाने वाली है, तो दूसरी तरफ 50 लाख रुपये के कथित ट्रांजैक्शन के मामले में उन पर शिकंजा कस सकता है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उसे इस बात के सबूत मिले हैं कि पिछले तीन महीनों में जुबैर के बैंक खाते में 50 लाख रुपये आए हैं। पुलिस इस धन के स्रोत की जांच कर रही है और अब वह ED और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों को भी जांच के लिए लिखने जा रही है। सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है कि कुछ संस्थाएं/कंपनियां पुलिस के राडार पर हैं जिन्होंने कथित रूप से फंड ट्रांसफर किया था। बताया जा रहा है कि पुलिस से संबंधित दस्तावेज मिलने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू से जांच शुरू कर सकता है। अब तक, पुलिस अधिकारी इस बड़े लेनदेन की जांच कर रहे हैं और इस बाबत जुबैर से सवाल-जवाब भी किया जाएगा
जुबैर की नहीं चली फिल्मी दलील
हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में आपत्तिजनक ट्वीट करने से जुड़े मामले में दिल्ली की एक अदालत ने मोहम्मद जुबैर से पूछताछ के लिए हिरासत की अवधि मंगलवार को चार दिन के लिए बढ़ा दी। दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया है कि जुबैर ने प्रसिद्धि पाने के लिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले विवादास्पद ट्वीट किए। सुनवाई के दौरान मोहम्मद जुबैर के वकील ने अदालत में कहा कि आरोपी ने ट्वीट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया था वह 1983 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की हिंदी फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की है और उस फिल्म पर रोक नहीं लगी थी। हालांकि, अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया। आज पुलिस आरोपित जुबैर को लेकर बेंगलुरु जाने वाली है।
अगर किसी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है। उससे सवाल-जवाब करना पुलिस का अधिकार है। न्यायपालिका शामिल है, कस्टडी दी गई है और बेल नहीं दी गई तो केस में कुछ तो ठोस जरूर मिला होगा। राजनीति से प्रेरित कहना सही नहीं है। केस की जांच मेरिट के आधार पर की जाएगी।
-DCP (साइबर सेल) केपीएस मल्होत्रा, राजनीति से प्रेरित केस के आरोपों पर
पुलिस उपायुक्त (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशन) के. पी. एस. मल्होत्रा ने बताया है कि सबूत जुटाने के लिए पुलिस की चार सदस्यीय टीम बुधवार को जुबैर के बेंगलुरु स्थित आवास पर भेजी जाएगी। सुबूत में मोबाइल फोन या वह लैपटॉप शामिल है जिसका इस्तेमाल जुबैर ने ट्वीट करने में किया था। अधिकारी ने कहा कि जिस मोबाइल फोन का वह फिलहाल इस्तेमाल कर रहा है, उसे फॉर्मेट किया गया है और उसमें इस मामले से जुड़ी जानकारी नहीं है, जिसकी जांच की जा रही है इसलिए फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा।
Alt News के सह संस्थापक को दिल्ली पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए जाने के बाद अधिकारियों ने कहा था कि जुबैर के 2018 के आपत्तिजनक ट्वीट पर नफरती बयानों की बाढ़ आ गई थी जिससे सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा। पूछताछ के दौरान वह सवालों के जवाब देने से बच रहे थे। हमें पता चला है कि उनका फोन फॉर्मेट हुआ था। जवाब नहीं देने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। पुलिस की इस कार्रवाई की कई विपक्षी नेताओं, मीडिया संगठनों ने निंदा की है।
उधर, ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने इस बात से इनकार किया है कि पिछले महीनों में जुबैर के खाते में 50 लाख रुपये आए। पुलिस ने बताया है कि अभी तक सिन्हा की इस मामले में संलिप्तता नहीं पाई गई है।