अध्ययन:40 सालों में भारत में ढह गये 2,130 पुल,तीन सालों में 21

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देश में कब-कब टूटे और गिरे पुल… हैरान करने वाली है संख्या, जानें इसका पूरा इतिहास
गुजरात में आणंद और वडोदरा को जोड़ने वाला गंभीरा ब्रिज बुधवार को टूट गया। इस हादसे में कई गाड़ियां नदी में गिर गईं और 9 लोगों की मौत हो गई। इससे पुलों की सुरक्षा को लेकर फिर सवाल उठ रहे हैं।

नई दिल्लीः भारी बारिश की वजह से गुजरात में आणंद और वडोदरा को जोड़ने वाला गंभीरा ब्रिज बुधवार को टूट गया। इस हादसे में कई गाड़ियां नदी में गिर गईं और 9 लोगों की मौत हो गई। वडोदरा के क्लेक्टर डॉ. अनिल धामेलिया ने बताया कि नदी से 9 शव निकाले गए हैं। घायलों को वडोदरा के एसएसजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राज्य सरकार के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने इस घटना पर दुख जताया और कहा कि पहले ब्रिज की मरम्मत की गई थी।

वहीं कांग्रेस ने पूछा है कि इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने कहा कि यह हादसा नहीं, बल्कि इंसानी लापरवाही का नतीजा है। ब्रिज का टूटना एक गंभीर मामला है। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

ब्रिज या पुल टूटने की यह कोई पहली घटना नहीं है। एक अध्ययन के अनुसार, पिछले 40 सालों में भारत में 2,130 पुल ढह गए। इनमें से कई पुल निर्माण पूरा होने के पहले ही गिर गए। पुलों के टूटने के कई कारण हैं, जिनमें प्राकृतिक आपदाएं, सामग्री की खराबी और ओवरलोडिंग शामिल हैं। अभी कुछ दिन पहले ही पुणे में इंद्राणी नदी पर बना एक पुराना पुल ढह गया। इस दुर्घटना में दो लोगों की जानें चली गई और कई लोग बह गए। टाइम्स ऑफ इंडिया की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार सड़क परिवहन मंत्रालय ने राज्यसभा को जानकारी दी थी कि पिछले तीन सालों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 21 पुल ढह गए। इनमें से 15 पुल बने हुए थे और छह निर्माणाधीन थे।

2020 में ‘भारत में 1977 से 2017 तक पुलों के टूटने का विश्लेषण’ नाम से अध्ययन हुआ था। । यह अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘स्ट्रक्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग’ में प्रकाशित हुआ था। इस अध्ययन में आया कि पिछले 40 सालों में 2,130 पुल ढह गए।

अध्ययन में 2,010 पुलों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि भारत में पुलों के टूटने का सबसे बड़ा कारण प्राकृतिक आपदाएं हैं। लगभग 80.3% पुल प्राकृतिक आपदाओं के कारण टूटे। इसके अलावा, 10.1% पुल सामग्री की खराबी से टूटे, जबकि 3.28% पुल ओवरलोडिंग से टूटे। आइए, हाल के वर्षों में भारत में हुई कुछ बड़ी पुल दुर्घटनाओं पर एक नज़र डालते हैं:

मोरबी सस्पेंशन ब्रिज दुर्घटना (30 अक्टूबर, 2022)

मोरबी में मच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का सस्पेंशन ब्रिज 30 अक्टूबर, 2022 को ढह गया। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे शामिल थे। 56 लोग घायल भी हुए थे।

मुंबई फुट ओवरब्रिज दुर्घटना (14 मार्च, 2019)

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) रेलवे स्टेशन के उत्तरी छोर को बदरुद्दीन तैयबजी लेन से जोड़ने वाला एक फुट ओवरब्रिज का हिस्सा 14 मार्च, 2019 को ढह गया। यह सड़क पर गिर गया। इस दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई और कम से कम 30 लोग घायल हो गए।

वाराणसी फ्लाईओवर दुर्घटना (15 मई, 2018)

वाराणसी में एक सरकारी कंपनी का निर्माणाधीन फ्लाईओवर का हिस्सा 15 मई, 2018 को एक व्यस्त सड़क पर गिर गया। इस दुर्घटना में 18 लोगों की मौत हो गई।

कोलकाता की माजेरहाट फ्लाईओवर दुर्घटना (4 सितंबर, 2018)

दक्षिण कोलकाता का लगभग 50 साल पुराना माजेरहाट पुल का एक हिस्सा 4 सितंबर, 2018 को ढह गया। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई और 24 लोग घायल हो गए।

कोलकाता फ्लाईओवर दुर्घटना (31 मार्च, 2016)

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में विवेकानंद रोड फ्लाईओवर 2016 में आंशिक रूप से ढह गया। इस हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई और 80 लोग घायल हो गए। यह हादसा गिरीश पार्क इलाके में हुआ, जो शहर का एक भीड़भाड़ वाला इलाका है।

दार्जिलिंग ब्रिज दुर्घटना (22 अक्टूबर, 2011)

दार्जिलिंग जिले के बिजनबारी में एक गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) की बैठक में 22 अक्टूबर, 2011 को एक पुराना लकड़ी का फुटब्रिज भीड़ के दबाव के कारण ढह गया। इस हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए।

अरुणाचल प्रदेश फुटब्रिज दुर्घटना (29 अक्टूबर, 2011)

अरुणाचल प्रदेश में कामेंग नदी पर एक फुटब्रिज 29 अक्टूबर, 2011 को गिर गया। दुर्घटना दार्जिलिंग की दुर्घटना के ठीक एक हफ्ते बाद हुई था। दुर्घटना में कम से कम 30 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे।

इन दुर्घटनाओं से बचने को पुलों का नियमित निरीक्षण, परीक्षण और मरम्मत बहुत ज़रूरी है। हम पुलों की ठीक से देखभाल करके ही लोगों की जान बचा सकते हैं। इन सभी दुर्घटनाओं से एक बात तो साफ है कि पुलों की सुरक्षा को और अधिक गंभीर होने की आवश्यकता है। पुलों का नियमित निरीक्षण, परीक्षण और मरम्मत होनी चाहिए। पुलों के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता सुधरनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलों पर ओवरलोडिंग न हो। अगर हम ये कदम उठाएं, तो हम लोगों की जान बचा सकते हैं। नियमित निरीक्षण, परीक्षण, रिपोर्टिंग और उपचार के सुधारात्मक उपाय ऐसी आपदायें कम करेंगें।

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