उत्तराखंड विधानसभा मानसून सत्र गैरसैंण में 19से 22 अगस्त तक

गैरसैंण में होगा उत्तराखंड विधानसभा मानसून सत्र, इस दिन से होगा आहूत – UTTARAKHAND MONSOON SESSION
उत्तराखंड विधानसभा मानसून सत्र की तिथियां घोषित, गैरसैंण में 19 से 22 अगस्त तक होगा आहूत, संसदीय कार्य मंत्री को लेकर चर्चाएं तेज
Gairsain Assembly Session
भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आयोजन विधानसभा भवन भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में होगा. आगामी 19 से 22 अगस्त तक सत्र आहूत होगा. जिसे लेकर तैयारियां मुकम्मल की जा रही है.

गैरसैंण में आहूत होगा मानसून सत्र: उत्तराखंड की पंचम विधानसभा के मानसून अधिवेशन/द्वितीय सत्र 2025 आहूत करने को लेकर विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है. जिसके तहत गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में 19 अगस्त से 22 अगस्त तक आहूत किया जाएगा. जिसकी तैयारियां शुरू हो गई है.

मानसून सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय को विधायकों से अब तक 450 प्रश्न प्राप्त हो चुके हैं। उधर, विधानसभा ने भी सत्र का सुचारू रूप से संचालित करने के लिए तैयारियां तेज कर दी है। भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के सभा मंडप में साउंड प्रूफ व डिजिटाइजेशन का काम 10 दिन के भीतर पूरा हो जाएगा।

बता दें कि भराड़ीसैंण विधानसभा में ई-नेवा के तहत डिजिटाइजेशन व अन्य सुधारीकरण का काम होने से बजट सत्र देहरादून में हुआ था। सरकार ने मानसून सत्र गैरसैंण में करने का निर्णय लिया है।

पिछला सत्र देहरादून में हुआ था आहूत सत्र: गौर हो कि पिछला विधानसभा सत्र देहरादून में बीती 18 फरवरी से 24 फरवरी तक आहूत हुआ था. इसी दौरान तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का सदन के भीतर से पहाड़ बनाम मैदान का विवादास्पद बयान भी सामने आया था. जिसे लेकर पूरे प्रदेश में माहौल गरमा गया था.

प्रेमचंद अग्रवाल को गंवानी पड़ी संसदीय कार्य मंत्री की कुर्सी: प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर घेरने की पूरी कोशिश की. विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि आखिर में धामी सरकार को कड़ा फैसला लेना पड़ा. जिसके बाद दबाव में आकर प्रेमचंद अग्रवाल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देते वक्त वो भावुक होकर फफक पड़े थे.

सरकार को बनाना होगा संसदीय कार्य मंत्री: वहीं, अब विधानसभा का मानसून सत्र आहूत होने जा रहा है तो सरकार को संसदीय कार्य मंत्री भी बनाना होगा. ऐसे में अब विधानसभा में सरकार का मजबूती से पक्ष रखने के लिए संसदीय कार्य मंत्री बनाना होगा. ऐसे में किसी विधायक को संसदीय कार्य मंत्री बनाकर मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है.

अगर ऐसा नहीं होता है तो फिलहाल फौरी तौर पर मौजूदा मंत्रियों में से ही किसी एक को संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है. ऐसे में अब किसी को तो सरकार को संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी देनी ही होगी. लिहाजा, इसके साथ ही संसदीय कार्य मंत्री की चर्चा जोर पकड़ने लगी है.

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