जस्टिस स्वामीनाथन के समर्थन में 56 पूर्व जज, महाभियोग पर भड़के

Justice Swaminathan 56 Ex Judges In Support Lash Out At Opposition Impeachment Bid
लोकतंत्र की जड़ें ही काट देगा..जस्टिस स्वामीनाथन के समर्थन में 56 पूर्व जज, महाभियोग पर भड़के
56 रिटायर्ड जजों ने जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के समर्थन में मोर्चा खोल दिया है। मद्रास हाई कोर्ट के जज के खिलाफ विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया है, जिसे रिटायर्ड जजों ने डराने-धमकाने की कोशिश बताया है।

नई दिल्ली 12 दिसंबर 2025 : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों समेत कुल 56 पूर्व जजों ने एक बयान जारी कर मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन का समर्थन किया है। जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु के मदुरै में तिरुपरनकुंद्रम सुब्रमणिया स्वामी मंदिर के पास पहाड़ी पर पवित्र दीपक जलाने का आदेश दिया था, जिसके बाद विपक्ष उनपर महाभियोग लगाकर उन्हें जज पद से हटाने की मुहिम में जुटा है। इन पूर्व जजों ने इस मामले में महाभियोग के प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जाहिर की है।
Justice Swaminathan
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन, जज मद्रास हाई कोर्ट

जजों को डराने-धमकाने की निर्लज्ज कोशिश’
इन 56 पूर्व जजों ने अपने बयान में विपक्ष के प्रयासों को, ‘समाज में खास वर्ग की वैचारिक और राजनीतिक उम्मीदों के अनुसार न चलने वाले जजों को डराने-धमकाने की बेशर्म कोशिश’बताया है। इन पूर्व जजों ने चेतावनी दी है कि अगर इस तरह के बर्ताव को जारी रहने दिया गया तो, ‘यह हमारे लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मूल जड़ों को ही काट देगा।’ इन्होंने कहा है कि संसद सदस्यों ने जो कारण बताए हैं, उन्हें सच मान भी लिया जाए तो भी महाभियोग जैसे दुर्लभ, अपवाद और गंभीर संवैधानिक कदम को सही ठहराने के लिए पूरी तरह से पर्याप्त नहीं हैं।

लोकतंत्र विरोधी-संविधान विरोधी’
इन रिटायर्ड जजों ने इमरजेंसी की दौर का भी हवाला दिया है और यहां तक कहा है कि ‘महाभियोग का असली मकसद न्यायपालिका की ईमानदारी बनाए रखना है, न कि उसे दबाव बनाने, संकेत देने और बदले की कार्रवाई का हथियार बनाना। जजों को राजनीतिक उम्मीदों के अनुसार चलने के लिए मजबूर करने के लिए उन्हें हटाने की धमकी देना, एक संवैधानिक सुरक्षा को डराने-धमकाने वाले औजार में बदलना है। ऐसा तरीका लोकतंत्र विरोधी-संविधान विरोधी है…।’

इन पूर्व जजों में 2 पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज, 5 पूर्व हाईकोर्ट चीफ जस्टिस और 49 अन्य पूर्व हाईकोर्ट जज शामिल हैं।ञपूर्ण सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों से संकलित है (कुछ स्रोतों में आंशिक नाम दिए गए हैं, लेकिन कुल 56 की पुष्टि सभी में हुई है)। नीचे प्रमुख नाम दिए जा रहे हैं; बाकी का उल्लेख सामान्य श्रेणी में है।

1-पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल (Justice Adarsh Kumar Goel)
जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta)

पूर्व हाईकोर्ट चीफ जस्टिस (5):जस्टिस अनिल देव सिंह (Justice Anil Dev Singh) – पूर्व चीफ जस्टिस, झारखंड हाईकोर्ट
जस्टिस एल. नरसिम्हा रेड्डी (Justice L. Narasimha Reddy) – पूर्व चीफ जस्टिस, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
जस्टिस पी.बी. बाजांथरी (Justice P.B. Bajanthri) – पूर्व चीफ जस्टिस, तेलंगाना हाईकोर्ट
जस्टिस सुब्रो कमल मुखर्जी (Justice Subhro Kamal Mukherjee) – पूर्व चीफ जस्टिस, मेघालय हाईकोर्ट
जस्टिस प्रमोद कोहली (Justice Permod Kohli) – पूर्व चीफ जस्टिस, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

अन्य पूर्व हाईकोर्ट जज (कुल 49 में से प्रमुख उदाहरण):जस्टिस जसबीर सिंह (Justice Jasbir Singh) – पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
जस्टिस एच.एस. महाल (Justice H.S. Mahal) – (विशिष्ट कोर्ट का उल्लेख नहीं)

शेष 40+ जज विभिन्न हाईकोर्ट्स (जैसे दिल्ली, बॉम्बे, मद्रास, कलकत्ता आदि) से हैं, जिनमें जस्टिस रवींद्र घुले, जस्टिस संजय किशन कौल (पूर्व), जस्टिस अजय कुमार मित्तल आदि शामिल हैं। पूर्ण सूची बयान के मूल दस्तावेज में उपलब्ध है, जो मीडिया रिपोर्ट्स में आंशिक रूप से उद्धृत है

इंडिया ब्लॉक ने दिया महाभियोग नोटिस
इसी हफ्ते जस्टिस जीआर स्वामीनाथन को उनके पद से हटाने के लिए विपक्षी इंडिया ब्लॉक के 100 से ज्यादा लोकसभा सांसदों ने स्पीकर ओम बिरला को नोटिस थमाया है, जिसमें कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले और डीएमके की कणिमोझी भी शामिल थे।

दीपक जलाने के आदेश से विपक्ष नाराज
तिरुपरनकुंद्रम सुब्रमणिया स्वामी मंदिर का मामला तमिलनाडु के मदुरै में एक पहाड़ी पर स्थित एक पवित्र स्तंभ पर त्योहार का एक ‘कार्तिगई दीपम’ जलाने से संबंधित है। इस पहाड़ी का इतिहास छठी सदी के पवित्र मंदिर और 14वीं सदी की एक दरगाह दोनों से जुड़ा है। जस्टिस स्वामीनाथन ने उसी स्तंभ पर दीपक जलाने की अनुमति दी है, जिससे विपक्ष भड़का हुआ है।

फैसले के बाद शुरू हुआ विरोध
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने 4 दिसंबर को एक मंदिर और दरगाह से जुड़े मामले में हिंदुओं के पक्ष में फैसला दिया था. उन्होंने सुब्रमनिया स्वामी मंदिर के अधिकारियों को दूसरे पक्ष के विरोध के बावजूद दीपथून पर शाम 6 बजे तक दीपक जलाने का आदेश दिया था. इस आदेश के बाद तमिलनाडु सरकार काफी भड़क गई थी और आदेश मानने से ही इनकार कर दिया. इसी के बाद से ही विरोध शुरू हुआ था.

जस्टिस स्वामीनाथन के आदेश को तमिलनाडु सरकार ने लागू करने से मना कर दिया. सरकार ने इसके पीछे कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया था. इसी को आधार बनाकर महाभियोग लाने का तर्क दिया गया. अपने फैसले में न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा था कि दीपथून पर दीप जलाने से दरगाह या मुसलमानों के अधिकारों पर कोई असर नहीं होगा.

क्या है पूरे विवाद की वजह?
तिरुपरनकुंद्रम तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर से 10 किमी दूर दक्षिण में स्थित भगवान मुरुगन के छ: निवास स्थानों में से एक है. थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित सुब्रमण्यस्वामी मंदिर का इतिहास छठी शताब्दी तक जाता है. यहां की ऊपरी चोटी पर लंबे समय से कार्तिगई पीपम जलाया जाता जा रहा है. ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजी शासन के समय इस पर कुछ लोगों ने कब्जा करने की कोशिश की थी. 17वीं शताब्दी में सिक्कंदर बधूषा दरगाह का निर्माण हो गया. इसके बाद से ही विवाद शुरू हो गया.

 

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