जेएनयू का अध्ययन:वोट बैंक की राजनीति दिल्ली को बना रही पाकिस्तान
घुसपैठ से बदल चुकी है दिल्ली की डेमोग्राफी, बांग्लादेशी-रोहिंग्या से ‘मुस्लिम वोट बैंक’ मजबूत: JNU ने जारी की 114 पन्नों की रिपोर्ट, दलालों से लेकर राजनीतिक दलों तक का जिक्र
दिल्ली अवैध घुसपैठिए
दिल्ली में अवैध घुसपैठियों से बदल रही जनसांख्यिकी(फोटो साभार: इंडिया टुडे)
दिल्ली चुनावों के बीच जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है जो बताती है कि राजधानी में बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं की अवैध घुसपैठ से यहाँ की जनसांख्यिकी में परिवर्तन होने लगा है।
JNU की रिपोर्ट
114 पन्नों की इस रिपोर्ट का शीर्षक ही ये है कि ‘दिल्ली में अवैध प्रवासी: सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक परिणामों का विश्लेषण।’ दिल्ली की हालात को बयां करने वाले इस अध्य्यन में बताया गया है कि कैसे चुनाव के समय राजनैतिक पार्टियाँ वोट पाने के लिए इन लोगों का नाम रजिस्टर करवाती हैं जिससे राजधानी की धार्मिक संरचना में परिवर्तन आया है।
दिल्ली पर बढ़ रहा दबाव
रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश से आए घुसपैठियों के कारण मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इनसे न केवल राजधानी में भीड़भाड़ बढ़ी है बल्कि शहर के संसाधन जैसे स्वास्थ्य, सेवा और शिक्षा पर भी दबाव बढ़ा है।
ये लोग आते हैं और दिल्ली के सीलमपुर, जामिया नगर, जाकिर नगर, सुल्तानपुरी, मुस्तफाबाद, जाफराबाद, द्वारका, गोविंदपुरी और इलाकों में बस जाते हैं।
फर्जी दस्तावेज बनवाकर ले रहे श्रमिकों की नौकरी
इनके यहाँ रहने की व्यवस्था करवाने में पूरा नेटवर्क चलता है, जिसमें दलाल से लेकर मजहबी का प्रचार-प्रसार करने वाले लोग शामिल होते हैं। इनकी मदद से घुसपैठिए फर्जी दस्तावेज बनवाने में कामयाब हो जाते हैं और जगह-जगह अपने रोजगार करने लगते हैं। वहीं रहने के लिए इनकी अनाधिकृत बस्तियों की संख्या बढ़ती जाती है और राजधानी के बुनियादी ढाँचे पर असर दिखने लगता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ये अवैध प्रवासी कम वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय श्रमिकों की जगह ले रहे हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक संरचना पर प्रभाव पड़ रहा है। वहीं जनसंख्या की दृष्टि से बात करें तो स्टडी में साफ तौर पर कहा गया है कि राजधानी में मुस्लिम आबादी की वृद्धि हुई है और धार्मिक संरचना में भी बदलाव आया है।
सब्सिडी देख और बढ़ रहे अवैध प्रवासी
उधर, दिल्ली सरकार जो रोहिंग्याओं को सब्सिडी देने का काम करती है उसे लेकर भी रिपोर्ट में चिंता जाहिर की गई है। कहा गया है कि ऐसे संसाधन उपलब्ध कराने से दिल्ली में और अधिक अवैश प्रवासियों आने की कोशिश करेंगे। ऐसे दिल्ली की समस्या घटने की जगह और बढेगी.
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