जोशीमठ भूधंसाव पर तत्काल सुनवाई पर सुको का नकार,16 जनवरी दिया

हर जरूरी चीज हमारे पास नहीं आए, और भी संस्थाएं हैं… जोशीमठ केस में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

Supreme Court On Joshimath Sinking: जोशीमठ में जमीन धंसने को राष्‍ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करती याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 जनवरी को सुनवाई करेगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ‘हर जरूरी चीज हमारे पास नहीं आनी चाहिए।’

हाइलाइट्स
1-उत्‍तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने से दहशत, घर खाली कराए गए
2-राष्‍ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग
3-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की याचिका पर 16 जनवरी को सुनवाई
4-हर जरूरी चीज हमारे पास नहीं आनी चाहिए, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा

Joshimath Sinking : डूब रहा है जोशीमठ, ये तस्वीरें आपका दिल दहला देंगी

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई को हामी भरी है। जोशीमठ त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिये अदालत के हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर 16 जनवरी को सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने हालांकि, तत्काल सुनवाई के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया और कहा कि हर जरूरी चीज सीधे न्यायालय के पास नहीं आनी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘इस पर गौर करने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं हैं। हर जरूरी चीज हमारे पास नहीं आनी चाहिए। हम इसे सुनवाई के लिए 16 जनवरी को सूचीबद्ध करेंगे।’ याचिका का उल्लेख स्वामी सरस्वती की ओर से पेश अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्रा ने किया। याचिकाकर्ता सरस्वती ने दावा किया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है और उन्होंने उत्तराखंड के लोगों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की है।

जोशीमठ पर याचिका में क्‍या गुहार लगाई गई है?

याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। संत की दलील में कहा गया है, ‘याचिका में कहा गया है, ‘मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की जरूरत नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो उसे युद्ध स्तर पर तत्काल रोकना राज्य और केंद्र सरकार का दायित्व है।’
बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार कहलाने वाला जोशीमठ जमीन धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। जोशीमठ में जमीन धीरे-धीरे धंस रही है और घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि कई घर धंस गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोखिम वाले घरों में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल वहां से हटा कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आदेश दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *