मत:ग्लोबल अर्थव्यवस्था, पुराने नियम ध्वस्त…घरेलू खपत और चतुर नीतियां हैं भारत की सबसे बड़ी ताकत
Global Economys Fortress Collapsed What Is Indias Biggest Strength Shaktikanta Das Reveals Secret
Indian Economy: टूट चुकी ग्लोबल अर्थव्यवस्था , पुराने नियम ध्वस्त…भारत की सबसे बड़ी ताकत क्या?
वैश्विक अर्थव्यवस्था के बदलते परिदृश्य में भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग और विवेकपूर्ण आर्थिक नीतियों के दम पर दुनिया की जीडीपी ग्रोथ में महत्वपूर्ण योगदान देने को तैयार है। कोविड-19 और यूक्रेन-रूस संघर्ष जैसे संकटों ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है, जिससे भारत बाहरी झटकों का सफलतापूर्वक सामना कर पा रहा है।
नई दिल्ली 12 अक्टूबर2025 : ग्लोबल अर्थव्यवस्था का ‘किला’ ढह चुका है। पुराने नियम ध्वस्त हो चुके हैं। ग्लोबल सप्लाई चेन कमजोर पड़ गई है। इसके चलते कई देशों को अपनी बाहरी निर्भरता पर दोबारा विचार करना पड़ा है। भारत के सामने भी ये चुनौतियां रही हैं। लेकिन, वह इनका सामना कर पाया तो इसके कुछ कारण हैं। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 शक्तिकांत दास ने इन पर रोशनी डाली है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा है कि भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग और समझदारी भरी आर्थिक नीतियों के दम पर दुनिया की जीडीपी ग्रोथ में करीब पांचवें हिस्से का योगदान करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह बात पुणे में गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के दीक्षांत समारोह में कही। दास ने बताया कि इन नीतियों की वजह से ही भारत ने बाहरी आर्थिक संकटों का सफलता से सामना किया है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि अमेरिका जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में भारत की मुख्य प्राथमिकता भारतीय लोगों के हितों की रक्षा है। साथ ही निष्पक्ष और संतुलित समझौता सुनिश्चित करना है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि दुनिया के अनिश्चित वातावरण बीच भारत शानदार रफ्तार और लचीलापन दिखा रहा है। उन्होंने ‘बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था’ विषय पर 85वें काले स्मारक व्याख्यान में ये बातें कहीं। दास के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय अभूतपूर्व अनिश्चितता और बड़े परिवर्तन से गुजर रही है। आठ दशकों से अधिक समय से वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने वाला व्यापार ढांचा अब चुनौतियों का सामना कर रहा है।
तेजी से बदले हैं हालात
पहले यह माना जाता था कि दुनिया एक है। इसे एक ही बाजार बनाना चाहिए। लेकिन, अब हालात बदल गए हैं। दास ने कहा, ‘हालात मौलिकता में बदल गए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार व्यवस्था काफी हद तक खंडित हो चुकी है। स्थापित नियमों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। जबकि नए मानदंड अभी तक दृढ़ता से स्थापित नहीं हुए हैं। कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस संघर्ष ने आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी ला दी है।’
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने यह भी कहा कि ग्लोबल सप्लाई चेन की कमजोरी से कई देशों को अपनी बाहरी निर्भरता पर फिर से सोचना पड़ा है। अब वे लागत से ज्यादा सप्लाई चेन के लचीलेपन को महत्व दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘रणनीतिक स्वायत्तता अब शीर्ष प्राथमिकता है। यह बदलाव क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के बढ़ते प्रभाव में भी स्पष्ट है, जो ज्यादा खंडित फिर भी व्यावहारिक व्यापार गठबंधनों की ओर बदलाव को दर्शाता है।’
इसलिए भारत कर पाया संकटों का सामना
दास ने कहा कि पिछले एक दशक में किए गए संरचनात्मक सुधारों और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दृष्टि से भारत कई वैश्विक चुनौतियों का सफलता से सामना कर पाया है। उन्होंने आगे कहा, कि ‘मजबूत घरेलू मांग और विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक-वित्तीय नीतियों ने देश को कई बाहरी झटकों का सामना करने में सक्षम बनाया है। भारत अब ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ में लगभग पांचवें हिस्से का योगदान करने को तैयार है।’
शक्तिकांत दास ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत की प्राथमिकता भारतीय लोगों के सर्वोत्तम हित में निष्पक्ष और संतुलित समझौते सुनिश्चित करना है। खासकर अमेरिका और अन्य देशों से मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में इसका विशेष तौर पर ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक नीतियां ऐसी हैं कि वे बाहरी आर्थिक संकटों का सफलतापूर्वक सामना कर सकें।
उन्होंने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे बड़े बदलावों से व्यापार के नियम बदल रहे हैं। पहले जहां दुनिया एक बाजार के रूप में देखी जाती था। वहीं, अब यह खंडित हो गई है। कोविड-19 महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध ने देशों को अपनी सप्लाई चेन मजबूत करने और आत्मनिर्भर बनने को प्रेरित किया है। इसका मतलब है कि देश अब सिर्फ कम लागत पर ध्यान नहीं दे रहे। वे यह भी देख रहे हैं कि उनकी सप्लाई चेन कितनी मजबूत और भरोसेमंद है।

