समान नागरिक संहिता आखिरी जन संवाद में छाया रहा मुस्लिम पर्सनल लॉ

 

Uniform Civil Code Mass Dialogue On UCC In Dehradoon जनसंवाद में लोगों ने रखी राय, कहा- निकाह व तलाक के मसले पर छेड़छाड़ नहीं तो यूसीसी कबूल
खुर्शीद अहमद सिद्दीकी नामक व्यक्ति ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद पर्सनल लॉ बोर्ड पर इसका क्या असर पड़ेगा, विशेषज्ञ समिति को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए।

देहरादून 24 मई।  समान नागरिक संहिता पर विशेषज्ञ समिति के जनसंवाद कार्यक्रम में तमाम धर्मों से जुड़े लोगाें ने अपनी बात रखी। इसमें कहा गया कि पर्सनल लॉ में निकाह और तलाक के मसलों से छेड़छाड़ नहीं की जाए तो मुस्लिमों को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से कोई दिक्कत नहीं है।

खुर्शीद अहमद सिद्दकी नामक व्यक्ति ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद पर्सनल लॉ बोर्ड पर इसका क्या असर पड़ेगा, विशेषज्ञ समिति को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए। वहीं राकेश ओबराय ने कहा कि यूसीसी उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में लागू होना चाहिए, लेकिन इससे पहले सरकार को इसे लोगाें का समझाना पड़ेगा कि इसमें उनका, राज्य और देश का क्या नफा नुकसान है। मोहम्मद अली खान ने कहा कि वह इसका तहे दिल से समर्थन करते हैं। उन्होंने महिला-पुरुषों को समान अधिकार दिए जाने के साथ ही जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की भी वकालत की। याससीन आलम खान ने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार तीन तलाक कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी में बदलाव लाई है, ऐसे ही अव्यवहारिक कानूनों में बदलाव किया जाना चाहिए।

आर्थोसर्जन डॉ. संजय ने अंग प्रत्यारोपण के लिए एक जैसे कानून की सिफारिश की। नदीम जैदी ने कहा कि सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र एक समान होनी चाहिए। समाज के कुछ ठेकेदार यूसीसी के विरोध में कुतर्क कर रहे हैं, इससे समाज का भला नहीं होने वाला है। अनुज शर्मा ने कहा पर्सनल लॉ में कई मुद्दों पर सुधार की आवश्यकता है। यूसीसी लागू होने से यह समस्या अपने आप समाप्त हो जाएगी। अमित कुमार शर्मा ने कहा कि एक तरफ उत्तराखंड में पलायन हो रहा है, दूसरी तरफ बाहर के लोग यहां आकर बस रहे हैं, यूसीसी में इसके लिए भी कोई व्यवस्था होनी चाहिए।
ट्रांसजेंडर अदिति ने कहा- मुझे ताली नहीं बजानी, जॉब चाहिए…
ट्रांसजेंडर अदिति शर्मा ने अपनी बात रखी तो हॉल में मौजूद सभी लोगों ने उनकी बात का समर्थन करते तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हम भी इंसान हैं, हमें भी बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए। लोग हमसे कहते हैं, तुम तो तालियां बजाकर भी कमा लोगे। अदिति ने कहा वह पढ़ी-लिखी हैं, ताली नहीं बजाना चाहती हैं, सम्मान से कोई नौकरी करना चाहती है। यूसीसी में इसके लिए व्यवस्था होनी चाहिए।

।आसान हो शादी का पंजीकरण और बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया

इंद्रेश गोयल, सिद्धार्थ अग्रवाल ने शादी का पंजीकरण कराने की प्रक्रिया को ग्राम पंचायत स्तर पर कराने का सुझाव दिया। इसके अलावा बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया को भी आसान बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इन दोनों की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि लोग चाहते हुए भी ऐसा नहीं कर पाते हैं। सिद्धार्थ ने लिव इन रिलेशनशिप को एक विकृति बताते हुए कहा कि देवभूमि को यह कतई मंजूर नहीं। डॉ. पल्लवी ने कहा कि पति-पत्नी का आधार कार्ड अलग-अलग जगह का बना होता है, ऐसे में शादी का पंजीकरण कराने में दिक्कत आती है।

विज्ञान की कसौटी पर बने नया कानून

डॉ. दुर्गेश पंत ने कहा जब सभी धर्मों के लोगों को कोविड के बाद एक वैक्सीन लग सकती है, सभी का मलमूत्र एक एसटीपी में जाता है, ग्रेविटी सब पर एक समान लागू होती है, ऐसे में सभी के लिए समान कानून बनाने में दिक्कत क्या है। इस बात को हमें विज्ञान की कसौटी पर रखकर परखना और सोचना होगा।

शहीदों के माता-पिता को भी मिले हक

डीजीपी अशोक कुमार की पत्नी अलकनंदा ने कहा कि सेना में शहीद होने वाले हमारे जवानों के माता-पिता के अधिकारों का भी कानून में ध्यान रखा जाना चाहिए। कई बार देखने में आता है कि शहीद की विधवा पत्नी बाद में दूसरी शादी कर लेती है और उनके माता-पिता को सरकार की ओर से कोई भी सुविधा नहीं मिल पाती है। इसलिए संपत्ति के अधिकार में प्रतिशतता तय की जानी चाहिए।

इन्होंने भी दिए सुझाव

पार्थ जुयाल, अनुज शर्मा, डॉ. गीतांभर ध्यानी, प्रीतम भर्तवाण, मनीषा नेगी, राकेश पंडित, प्रो. नरवेंद्र सिंह, डॉ. राकेश डंगवाल, प्रो. दिनेश शास्त्री, बसंती बिष्ट, डॉ. चेतना पोखरियाल, रंजना देसाई सहित दून विवि की कई छात्राओं ने भी अपने सुझाव साझा किए।

बसंती बिष्ट और प्रीतम भरतवाण ने सुनाया गीत

जन संवाद के दौरान जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण ने अपनी बात रखी तो समिति के सदस्यों ने उन्हें दो लाइनें जागर सुनाने का आग्रह किया, जिस पर उन्होंने जागर की कुछ लाइनें सुनाई। इसी तरह जागर गायिका बसंती बिष्ट ने भी अपने सुमधुर स्वरों से गरमा-गरम माहौल को हल्का फुल्का बना दिया।

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