हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी चुनाव भी जीती अभाविप,NSUI नोटा से भी पीछे

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी चुनाव: अभाविप की सात साल बाद धमाकेदार वापसी,सभी छह पद जीते

ABVP won all posts including president and vice-president in HCU student union elections
देश के Gen-Z मोदी के साथ!: DU के बाद हैदराबाद केंद्रीय विवि में ABVP की जीत; छात्रसंघ चुनाव में क्लीन स्वीप
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के छात्रसंघ चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव, खेल सचिव और सांस्कृतिक सचिव सहित सभी प्रमुख पदों पर कब्जा जमा लिया है।
ABVP won all posts including president and vice-president in HCU student union elections
हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में अभाविप ने किया क्लीन स्वीप।

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शानदार जीत हासिल की थी। डीयू के बाद एबीवीपी ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अपना परचम लहरा दिया है। हाल में हुए चुनावों में एबीवीपी ने छात्रसंघ के सभी पदों पर जीत हासिल की है। नेपाल और बांग्लादेश जैसी जेन-जी क्रांति भारत में देखने का मंसूबा पाले विपक्ष के लिए दिल्ली के बाद हैदराबाद से भी मायूस करने वाली खबर सामने आई है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) के छात्रसंघ चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव, खेल सचिव और सांस्कृतिक सचिव सहित सभी प्रमुख पदों पर कब्जा जमा लिया है। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल कर एक बार फिर अपनी संगठनात्मक ताकत और छात्रों के बीच लोकप्रियता का परिचय दिया। एबीवीपी के स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह जीत छात्रों के विश्वास को दर्शाती है। हम शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संगठन की इस लगातार जीत ने विपक्षी छात्र संगठनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।

इस जीत के साथ एबीवीपी ने पिछले एक साल में देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। इनमें पटना विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय, गुवाहाटी विश्वविद्यालय और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालय शामिल हैं।

पिछले एक साल में अभाविप ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपनी जीत के जरिए यह साबित किया है कि वह छात्रों के बीच गहरी पैठ रखता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एबीवीपी की यह जीत संगठन की सक्रियता, छात्र-केंद्रित नीतियों और प्रभावी रणनीति का परिणाम है।

पिछले छह वर्षों से एचसीयू कैंपस में वामपंथी गुटों का वर्चस्व बना हुआ था। कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई और दलित संगठनों का गठजोड़ भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप, एबीवीपी) के लिए चुनौती रहा। लेकिन इस बार नतीजे पूरी तरह से उलट गए।

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने सात साल बाद शानदार वापसी करते हुए सभी छह पद जीत लिए. वामपंथी और बहुजन छात्र मोर्चा को करारी हार मिली, जबकि संगठन ने इसे छात्र शक्ति की सकारात्मक सोच की जीत बताया।

HCU के छात्रसंघ चुनाव में सात साल बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सभी छह पदों पर जीत हासिल की। इस चुनाव में करीब एक 80 प्रतिशत मतदान हुआ और वामपंथी संगठनों तथा बहुजन छात्र मोर्चा को हार का सामना करना पड़ाएबीवीपी के शिवा पालेपु अध्यक्ष, देबेंद्र उपाध्यक्ष, श्रुति प्रिय महासचिव, सौरभ शुक्ला संयुक्त सचिव चुने गए हैंहैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) के छात्रसंघ चुनाव में इस बार बड़ा उलटफेर देखने को मिला. सात साल बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जोरदार वापसी करते हुए सभी छह पदों पर जीत दर्ज की. करीब 81 प्रतिशत मतदान वाले इस चुनाव में वामपंथी संगठनों और बहुजन छात्र मोर्चा को करारी हार का सामना करना पड़ा.

सभी पद अभाविप के खाते में
घोषित नतीजों के मुताबिक छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर शिवा पालेपु,उपाध्यक्ष पद पर देबेंद्र,महासचिव पद पर श्रुति प्रिय जबकि संयुक्त सचिव पद पर सौरभ शुक्ला.वीनस सांस्कृतिक सचिव और जवाला खेल सचिव चुने गए हैं.

लंबे समय के बाद एबीवीपी की हुई वापसी
विश्लेषकों का मानना है कि यह नतीजा विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में नए रुझान का संकेत है. लंबे समय तक वामपंथी और एनएसयूआई जैसी ताकतों का दबदबा रहने के बाद छात्रों ने इस बार “राष्ट्रवादी विकल्प” पर भरोसा जताया. एबीवीपी ने कैंपस में छात्रों से जुड़े मुद्दों, शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों पर के नाम पर वापसी की है.

जीत के बाद अभाविप के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने कहा,कि “यह नतीजा छात्र शक्ति की सकारात्मक सोच और झूठे नैरेटिव को नकारने की क्षमता का सबूत है. छात्रों ने दिखा दिया है कि वे विकास और रचनात्मक माहौल चाहते हैं.”

अभाविप ने कहा है कि वह भविष्य में शिक्षा,खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को नई दिशा देगी. संगठन ने दावा किया कि यह जीत सिर्फ पदों की नहीं बल्कि विचारों की जीत है, जो विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में एक नया अध्याय है।
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी ने वामपंथी गठबंधन और NSUI को हराकर बहुमत हासिल किया. चौंकाने वाली बात यह रही कि एनएसयूआई को नोटा से भी कम वोट मिले,जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है.

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) छात्र संघ चुनाव में आरएसएस से जुड़े एबीवीपी संगठन ने बड़ी जीत दर्ज की. (Photo:https://www.abvp.org/)

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के छात्र संघ चुनाव में आरएसएस से जुड़ा एबीवीपी संगठन बड़े अंतर से जीता है. इस जीत में एबीवीपी ने वामपंथी छात्र संगठनों और कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई (NSUI) दोनों को पीछे छोड़ दिया. एबीवीपी पैनल से शिवा पालेपु अध्यक्ष, देवेंद्र उपाध्यक्ष, श्रुति महासचिव, सौरभ शुक्ला संयुक्त सचिव, ज्वाला प्रसाद खेल सचिव और वीनस सांस्कृतिक सचिव बने.

एबीवीपी ने अन्य छोटे-छोटे पदों पर भी जीत दर्ज करके पूरा बहुमत हासिल किया. इस जीत को खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि पिछले छह सालों से विश्वविद्यालय में वामपंथी, दलित और एनएसयूआई का दबदबा रहा था. एबीवीपी ने कहा कि उनकी जीत छात्रों के राष्ट्रवाद के समर्थन और “विभाजनकारी राजनीति” को नकारने की निशानी है. खास बात यह रही कि सामाजिक विज्ञान जैसे विभागों में भी एबीवीपी को जीत मिली, जबकि वहां आमतौर पर वामपंथी विचारधारा का प्रभाव ज्यादा रहता है.

ABVP पैनल का दबदबा
ABVP पैनल से शिवा पालेपु अध्यक्ष, देवेंद्र उपाध्यक्ष, श्रुति महासचिव, सौरभ शुक्ला संयुक्त सचिव, ज्वाला प्रसाद खेल सचिव और वीनस सांस्कृतिक सचिव चुने गए. अन्य छोटे पदों पर भी ABVP ने जीत दर्ज कर बहुमत हासिल किया.

छह साल बाद टूटा वामपंथी-NSUI का दबदबा
पिछले छह वर्षों से HCU में वामपंथी, दलित और NSUI संगठनों का प्रभुत्व रहा था. ABVP की जीत को छात्रों के बदलते रुझान और राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर झुकाव का संकेत माना जा रहा है.

NSUI की करारी हार, NOTA से भी कम वोट
चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस से जुड़ा NSUI उम्मीदवारों को NOTA (None of the Above) से भी कम वोट मिले. जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है, फिर भी विश्वविद्यालय स्तर पर NSUI का कमजोर प्रदर्शन चर्चा का विषय बन गया.

राष्ट्रवाद बनाम वैचारिक राजनीति
ABVP प्रवक्ता अंतरिक्ष ने कहा कि यह जीत छात्रों की “राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता” और “विभाजनकारी राजनीति को नकारने” की निशानी है.उन्होंने कहा कि सामाजिक विज्ञान विभाग जैसे वामपंथी प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी ABVP की जीत छात्रों की सोच में बदलाव को दर्शाती है.ABVP ने जीत को HCU के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि यह परिणाम परिसर में शांति,छात्र समस्याओं के समाधान और यूनिवर्सिटी की जमीन की सुरक्षा के उनके प्रयासों का नतीजा है.

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