हल्द्वानी हिंसा:पैसे, प्रभाव और राजनीति से बना अब्दुल मलिक दुस्साहसी
कौन है अब्दुल मलिक, जिसे बताया जा रहा हल्द्वानी में बवाल का मास्टरमाइंड
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अब्दुल मलिक के दादा आजादी से पहले आकर बसे। दादा और पिता दोनों ने गांव-गांव जाकर गेहूं व चावल खरीदना शुरू किया। कम दाम पर अनाज खरीदकर उचित दामों पर बेचा जाता था। बंजारा परिवार में अब्दुल मलिक पांच भाइयों में सबसे छोटा है। जन्म बनभूलपुरा का है। इसे पहचान परंपरा में मिली।
नाम, राजनीति और उपद्रव का षड्यंत्रकर्ता अब्दुल मलिक; ऐसे रची हल्द्वानी हिंसा की कहानी
हल्द्वानी 13 फरवरी 2024। । बंजारा परिवार से ताल्लुक रखने वाले अब्दुल मलिक प्रभाव किसी से छिपा नहीं है। इसे पहचान परिवार में मिली। बाहुबल व धनबल के दम पर मलिक राजनीति करने उतरा और फरीदाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। अब यह बनभूलपुरा उपद्रव प्रकरण का षड्यंत्रकर्ता है।
Haldwani Violence Accused Abdul Malik Nsa Impose Preparation Politically Active Uttarakhand News
हल्द्वानी हिंसा के आरोपित अब्दुल मलिक पर NSA लगाने की तैयारी, सपा नेता की हत्या में गया था जेल
नैनीताल के हल्द्वानी वनभुलपुरा क्षेत्र में सरकारी जमीन पर अब्दुल मलिक ने अवैध निर्माण कार्य किया था। इसे तोड़ने पर बवाल हुआ और जिसमें 300से ज्यादा लोग घायल हुए। इस हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को ही माना जाता है। अब्दुल मलिक पर अब एनएसए में कार्रवाई करने की तैयारी है।
नैनीताल के हलद्वानी वनभुलपुरा में गुरुवार को हुए बवाल का मास्टरमाइंड मदरसा और मस्जिद का अवैध निर्माण कराने वाले अब्दुल मलिक को ही मुख्य आरोपित माना जाता है। पुलिस ने अब्दुल मलिक के विरुद्ध सरकारी कार्य में बाधा डालने, जमीन कब्जा करने, लोगों को भड़काने, साजिश रचने समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। सूत्रों के मुताबिक अब्दुल मलिक जमीन बेचने खरीदने में भी शामिल रहता था। प्रशासन उस पर अब एनएसए में कार्रवाई करने की तैयारी में है।
एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें अब्दुल मलिक हलद्वानी के नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय से बहस कर रहा है। इसमें वह कह रहा है कि मेरे पास जमीन की 99 साल की लीज है। वहीं नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय उसे जमीन के फ्री होल्ड पेपर दिखाने की बात करने के साथ ही लीज खत्म होने की बात कर रहे हैं। वह जमीन से कब्जा नहीं छोड़ने की बात कह रहा था। ये वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
सपा नेता की हत्या में जेल गया था अब्दुल मलिक
अब्दुल मलिक 25 साल पहले हल्द्वानी के एक सपा नेता के हत्याकांड मामले में जेल जा चुका है। इसे लग्जरी गाड़ियों में घूमने का शौक है। अपने साथ कई निजी गनर भी लेकर चलता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अब्दुल मलिक ने सरकारी भूमि पर अवैध मदरसा और मस्जिद बनाकर अपने समुदाय में अच्छी खासी पैठ बना ली थी। अब्दुल का मकसद यही था कि अवैध मदरसे और मस्जिद की आड़ में वो नगर निगम को दबाव में ले लेगा। निगम उससे सरकारी जमीन खाली कराने को नहीं कहेगा। जब नगर निगम अवैध निर्माण गिराने गया तो उसके ही कहने पर इतनी बड़ी अराजक भीड़ इकट्ठा हो गई। इसी भीड़ ने बनभूलपुरा थाने को आग लगाने के साथ ही 70 से ज्यादा वाहनों को फूंक दिया।
सपा-बसपा में अच्छी पैठ
अब्दुल मलिक मुस्लिम समुदाय में बंजारा परिवार से आता है, उसने बीए की शिक्षा नैनीताल से ली है। अब्दुल मलिक के परिवार का पुराना काम चावल और अनाज बेचने का था, वो अपने पिता के साथ चावल का कारोबार करता था। राजनीतिक पहुंच रखने वाले अब्दुल मलिक की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में भी अच्छी पैठ बताई जाती है। बताया जा रहा है कि अब्दुल मलिक का हरियाणा और चंडीगढ़ में भी अच्छा कारोबार है। हल्द्वानी क्षेत्र में भी उसने मुस्लिम समुदाय के लोगों को 50 और 100 रुपये के स्टांप पर सरकारी भूमि को बेच दिया। अब्दुल मलिक की पकड़ के लिए पुलिस यूपी के क्षेत्रों में भी दबिशें दे रही है।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अब्दुल मलिक के दादा आजादी से पहले आकर बसे। दादा और पिता दोनों ने गांव-गांव जाकर गेहूं व चावल खरीदना शुरू किया। कम दाम पर अनाज खरीदकर उचित दामों पर बेचा जाता था। बंजारा परिवार में अब्दुल मलिक पांच भाइयों में सबसे छोटा है। जन्म बनभूलपुरा का है। इसे पहचान परिवार में मिली।
मलिक ने 2004 में आजमाया था राजनीति में हाथ
1960 में मलिक के ताऊ अब्दुल्ला हल्द्वानी के पालिकाध्यक्ष रहे चुके हैं। उन्हीं के नाम से बरेली रोड पर अब्दुल्ला बिल्डिंग है। मलिक ने हर काम में हाथ आजमाया। मलिक ने वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के फरीदाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ा। उसे 71,459 वोट मिले मगर चुनाव हार गया। मलिक की वापसी फिर हल्द्वानी में हुई। अब्दुल मलिक बनभूलपुरा के मुस्लिम समुदाय में बड़ा नाम है।
कभी था पोंटी चड्डा का पार्टनर
मलिक के साथ पढ़े एक व्यक्ति ने बताया कि शराब कारोबारी पोंटी चड्डा ने गोला में खनन का काम किया तो उसका पार्टनर अब्दुल मलिक भी बना था। काम उसी ने संभाला लेकिन पार्टनरशिप ज्यादा दिन नहीं चली।
हल्द्वानी हिंसा के मास्टर माइंड पर बरेली में पांच करोड़ का मुआवजा हड़पने का आरोप
हल्द्वानी में हुई हिंसा का मास्टरमाइंड बताए जा रहे अब्दुल मलिक का बरेली के भी एक जमीन विवाद से कनेक्शन निकल आया है। मामला सिविल एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहीत जमीन का है। आरोप है कि अब्दुल मलिक इस जमीन के फर्जी कागजात तैयार कर पांच करोड़ का मुआवजा हड़पने में कामयाब हो गया। जमीन की दूसरी दावेदार मुरादाबाद की निशा कई साल पुराने इस मामले में अब दोबारा प्रशासनिक कार्रवाई शुरू करने की तैयारी कर रही है।
मुरादाबाद के बिराली में रहने वाली निशा का कहना है कि अब्दुल मलिक जमीनों पर कब्जा करने का पुराना मास्टरमाइंड है। उनकी खरीदी गई एक जमीन की कीमत भी वह हड़प चुका है। यह जमीन उन्होंने फरवरी 2013 में बरेली के मुड़िया अहमदनगर के पास खरीदी थी, जिस पर बाद में सिविल एयरपोर्ट का निर्माण हुआ। निशा के मुताबिक उनके नाम आने से पहले इस जमीन के छह-सात लोग हिस्सेदार थे। उनके जमीन खरीदने के बाद अगस्त 2013 में एयरपोर्ट के लिए जमीन के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हो गई। इसी दौरान उन्हें सिविल कोर्ट से एक नोटिस जारी किया गया जिसमें कहा गया कि उन्हें जिन लोगों ने जमीन बेची है, उनके पूर्वज कई साल पहले ही उस जमीन की वसीयत अब्दुल मलिक के नाम कर चुके हैं।
निशा के मुताबिक यह विवाद शुरू होने के बाद मामला कोर्ट में चला गया। इस वजह से जमीन का करीब पांच करोड़ का मुआवजा भी अटक गया। भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने दोनों पक्षों से शपथपत्र लिया कि जिसके पक्ष में फैसला होगा, उसी को मुआवजे की धनराशि दी जाएगी। निशा का आरोप है कि अदालत का फैसला आने से पहले ही कोरोना काल में अब्दुल मलिक ने फर्जी कागजों के आधार पर खुद को भूस्वामी साबित करने में कामयाब हो गया और जमीन का सरकार के नाम बैनामा कर मुआवजा हड़प लिया था। निशा का कहना है कि कानूनी दावपेंच की समझ न होने के कारण वह वक्त शांत बैठ गई थीं। लेकिन अब इस मामले में जांच और न्याय के लिए कमिश्नर और जिलाधिकारी से शिकायत करेंगी।
हल्द्वानी: अब्दुल मलिक पर 26 साल पूर्व भी लगी थी रासुका
वर्ष 1998 में बरेली के भोजीपुरा थाने में विभिन्न संबंधित धाराओं समेत रासुका में हुई थी एफआईआर
बनभूलुपरा दंगे के मास्टर माइंड अब्दुल मलिक का आपराधिक इतिहास काफी लंबा-चौड़ा है। राजद्रोह, हत्या, बलवा, हत्या का प्रयास और कानून की धज्जियां उड़ाना आदि अपराधों की कई धाराओं में वह पहले भी नामजद रह चुका है। उस पर लगभग 26 वर्ष पूर्व पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) में भी एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
शहर के पुराने जानकारों के अनुसार, सपा नेता अब्दुल मतीन सिद्दीकी का छोटा भाई अब्दुल रऊफ सिद्दीकी राजनीति में उभर रहा था। जुझारू और मिलनसार रऊफ ने कम समय में ही शहर की राजनीति में अपनी अलग पहचान बना ली थी। उसकी लोकप्रियता को देखते हुए समाजवादी युवजन सभा का जिलाध्यक्ष बनाया गया था। इस वजह से वह राजनीति में कइयों, खासकर बनभूलपुरा के कुछ मुस्लिमों नेताओं की आंखों की किरकिरी बन गया था।
19 मार्च 1998 को रऊफ सिद्दीकी अपने साथी चन्द्रमोहन सिंह और त्रिलोक बनौली के साथ कार से लखनऊ जा रहा था। बरेली के समीप भोजीपुरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक वाहन से उसकी कार को टक्कर मारी गई। जैसे ही कार पलटी वैसे ही भाड़े के शूटर्स ने रुऊफ पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी।
हमले में रऊफ की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि दोनों साथी घायल हो गए थे। रऊफ हत्याकांड की भोजीपुरा थाने में अब्दुल मलिक समेत सात नामजद के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। रऊफ की मौत के बाद हल्द्वानी में कई दिनों तक बाजार बंद रहे थे। तब मलिक पर हत्या, रासकुा समेत कई संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई थी।
पुलिस और गिरफ्तारी से बचने को मलिक ने अपने रसूख से सीबीसीआईडी ट्रांसफर करा दी थी जांच
रऊफ की हत्या के बाद पुलिस ने अब्दुल मलिक की गिरफ्तारी के शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। अब्दुल मलिक ने सत्ता में अपनी ऊंची दखल से इस प्रकरण की जांच पुलिस से सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करा दी थी। सीबीसीआईडी जांच के आदेश के बाद अब्दुल मलिक समेत सभी भूमिगत आरोपित हल्द्वानी आ गए थे।
मलिक की गिरफ्तारी पर हुई थी पत्थरबाजी, आगजनी
रऊफ की हत्या के समय नैनीताल के एसएसपी नासिर कमाल थे। रऊफ की हत्या के बाद ईद की नमाज अता करने ईदगाह गए एसएसपी का अब्दुल मलिक से आमना-सामना हुआ। एसएसपी को हत्यारोपित का खुलेआम घूमना नागवार गुजरा। उन्होंने मलिक को पकड़ने का जिम्मा तत्कालीन बनभूलपुरा चौकी इंचार्ज योगेश दीक्षित को सौंपा। पुलिस एक पुराने मामले में गिरफ्तारी वारंट लेकर अगले ही दिन मलिक के लाइन नंबर 8 स्थित घर पहुंच गई।
मलिक को सीबीसीआईडी जांच के चलते गिरफ्तारी का खतरा नहीं था। इंचार्ज ने गिरफ्तारी वारंट दिखाया तो वह दंग रह गया । पुलिस मलिक को जिप्सी में लेकर घर से निकली तो उसके हिमायती सड़़क पर आ गए। हालिया बनभूलपुरा उपद्रव की तरह कुछ ही देर में विरोध प्रदर्शन पत्थरबाजी व आगजनी में बदल गया। बनभूलपुरा में घंटों बवाल हुआ। बाहर जाने वाले रास्तों पर ठेले, बैरियर, वाहन खड़ा कर दिए गए, लेकिन पुलिस फिर भी मलिक को पकड़ ले गई। उस बलवे में एसपी सिटी पुष्कर सिंह सैलाल समेत कई पुलिस कर्मी घायल हुए थे।
जब गवर्नर के साथ हेलीकॉप्टर में उड़कर लखनऊ पहुंचा था मलिक
अब्दुल मलिक की राज्य ही नहीं, केंद्र की सत्ता में दखल बताई जाती है। जब सूरजभान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बन पहली बार लखनऊ पहुंचे तो मलिक भी उनके साथ हेलीकॉप्टर में सवार था। अमौसी हवाई अड्डे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राज्यपाल का स्वागत किया था। मलिक की राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ फोटो अखबारों में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया था। शासन ने तुरंत ही सीबीसीआईडी जांच करने का आदेश निरस्त कर दिया था।
अब्दुल मलिक का आपराधिक इतिहास
1.वर्ष 1983 में आईपीसी की धारा 147, 148, 307, 323 में केस दर्ज
2.वर्ष 1986 में आईपीसी की धारा 452, 427, 323, 504, 506 में केस दर्ज
3.वर्ष 1991 में आईपीसी की धारा 323, 504 में केस दर्ज
4.वर्ष 1998 में आईपीसी की धारा 307 में केस दर्ज
5.वर्ष 1998 में बरेली के भोजीपुरा थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 427 में केस दर्ज
पुलिस 24 घंटे में कब्जे में लेगी
बनभूलपुरा में वैध व अवैध असलहों से फायर झोंकना उपद्रवियों को महंगा पड़ गया है। जिलाधिकारी वंदना ने लाइसेंसी शस्त्रों के दुरुपयोग की आशंका देख 120 क्षेत्र के 127 शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 24 घंटे में शस्त्र व लाइसेंस कब्जे में लेने के निर्देश दिए हैं।
वसूले जाएंगे 2.44 करोड़
नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने अब्दुल मलिक के नाम पर वसूली नोटिस जारी कर कहा कि निगम संपत्ति के नुकसान के बदले 2.44 करोड़ रुपये 15 फरवरी यानी तीन दिन में जमा करने होंगे। कर्मचारियों के हेलमेट से लेकर बुलडोजर तक के नुकसान की रकम वसूली जाएगी।