आचार्य सौरभ सागर महामुनिराज प्रवचन फिर जैन धर्मशाला में,दिये जीवनसूत्र
*मंगल विहार*
देहरादून 23 अगस्त 2025। परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी आचार्य गुरुदेव श्री सौरभ सागर महामुनिराज का चार दिवसीय तिलक रोड प्रवास के पश्चात शनिवार को प्रातःकाल सुप्रभात भक्ति के पश्चात 5.45 बजे श्री आयुष जैन के निवास तिलक रोड से श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर एव जैन भवन गाँधी रोड के लिए मंगल विहार हुआ जिसमें सभी लोगों ने बारिश की रिमझिम बरसात होने के बावजूद बड़ी संख्या में जयकारे लगाते हुए भजन गाते हुए महाराज श्री को गांधी रोड स्थित जैन धर्मशाला में मंगल प्रवेश कराया।
तत्पश्चात पूजा अर्चना के साथ आचार्य श्री के प्रवचनों की मंगलमयी बौछार सभी श्रद्धालुओ पर हुई जिसमें सभी श्रद्धालु धर्म प्रेमी बंधु आनंदित हुए और धर्मलाभ उठाया।
पूज्य श्री आचार्य श्री ने कहा कि जीवन क्षणभंगुर है। चीज़ें अस्थायी हैं। आपको उस समय इसकी अनुभूति नहीं होती क्योंकि आप इसमें डूबे रहते हैं, रोज़मर्रा के फ़ैसलों, कामों और लक्ष्यों की ओर बढ़ने की योजनाओं से जूझते रहते हैं ।
जीवन में काम आने वाली कुछ प्रेरणादायक महत्वपूर्ण बातें क्या हैं?
जब तक आप खुद की क़ीमत नही करेंगे, तब तक दूसरे लोग भी आपकी कीमत नही करेंगे। खुद की कमियों को अपनी कमजोरियां समझ कर खुद की कीमत कम ना करें।
यह दुनिया खुशी के पीछे भाग रही है। अगर आप खुश है तो आप कभी अकेले नही रहेंगे।
आपका सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी आपको आईने के सामने ही मिलेगा।
डर सिर्फ खाली बैठे रहने वाले लोगो के खाली दिमाग पर ही हावी होता है। काम करने वाले लोगो को डर को खुद पर हावी होने देने की फुर्सत ही नही मिलती।
सोचियें कि आपकी ज़िंदगी हर तरह से परफेक्ट है। ऐसे जीने में क्या मज़ा?
इससे कोई फर्क नही पड़ता आप कितनी बार गिरे है, फर्क इससे पड़ता है कि आप कितनी बार वापस उठे है।
आपकी अनुमति के बिना आपको कोई नही तोड़ सकता। जो हमारा दिल तोड़ते है उन्हें हम ही इसका अधिकार देते है।
खुशी एक तितली की तरह है। जितना उसे पकड़ने की कोशिश करोगे वह उतनी हाथ से छूटती जाएगी। लेकिन अगर शांति से बैठोगे तो वह आपके ऊपर आकर बैठ जाएगी।
इसी श्रृंखला में संध्याकालीन गुरु भक्ति शंका समाधान वैयावृत्ति आदि कार्यक्रम संपन्न हुए।

