एक्शन: मोदी विरोधी टूल किट के सीपीआर की विदेशी पाइप लाइन काटी
Cpr Fcra Licence Suspended George Soros Funding Zubair Connection
CPR FCRA Licence Revoked: जुबैर के ALT News को बनाया फैक्ट-चेक का ‘चौधरी’… थिंक टैंक को ‘बुराई’ के लिए दान, सोरोस की ‘स्ट्राइक टीम’ पहचानिए
जॉर्ज सोरोस, मोदी, जुबैर और सीपीआर
केंद्र सरकार ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च पर बड़ा ऐक्शन लिया है। यह लुटियंस का नंबर-1 थिंक टैंक माना जाता है। इसके एफसीआरए लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया गया है। फॉरेन डोनेशन पाने के लिए यह लाइसेंस जरूरी है। थिंक टैंक का कनेक्शन दिग्गज उद्योगपति जॉर्ज सोरोस से भी है।
हाइलाइट्स
1-सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड
2-OSF के समर्थन वाली Namati Inc देती रही है चंदा
3-ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस के प्रमुख हैं उद्योगपति जॉर्ज सोरोस
नई दिल्ली पहली मार्च: लुटियंस के नंबर-1 थिंक टैंक को सरकार ने हिला दिया है। इसकी फॉरेन फंडिंग फ्रीज कर दी गई है। केंद्र सरकार ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। विदेशी चंदा पाने के लिए यह लाइसेंस जरूरी है। यह फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन ऐक्ट यानी एफसीआरए के अधीन आता है। सीपीआर को फंडिंग करने वालों में Namati Inc का नाम भी शामिल है। Namati Inc को दिग्गज अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस (OSF) से पैसा मिलता है। सोरोस OSF के जरिये दुनियाभर के थिंक टैंक और सिविल सोसाइटी ग्रुप्स को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हैं।
सोरोस वही हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि वह लोकतांत्रिक नहीं हैं। सरकार ने उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। उसने इसे विदेशी धरती से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश बताया था। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो (PRIO) और द पोयंटर इंस्टीट्यूट फॉर मीडिया स्टडीज को भी सोरोस की OSF से वित्तीय मदद मिलती है। द पोयंटर इंस्टीट्यूट फॉर मीडिया स्टडीज ही इंटरनेशनल फैक्ट-चैकिंग नेटवर्क (IFCN) चलाती है। आईएफसीएन ने ही मोहम्मद जुबैर की ऑल्ट न्यूज को इंटरनेट पर फैक्ट-चेक का ‘चौधरी’ बनाया था।
कनेक्शन उलझा है!
हमने सोरोस के इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया था। सोरोस से जुड़ा संगठन यह भी चाहता था कि जुबैर को नोबेल शांति पुरस्कार मिले। बुधवार को जब सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड करने की खबर आई तो हमने दोबारा सोरोस के नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ा। टैक्स देनदारी को लेकर सीपीआर पर ऐक्शन हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, IFCN ने ऑल्ट न्यूज को 2019 में इंटरनेट पर फैक्ट-चेक के लिए स्थापित मीडिया हाउस के रूप में मान्यता दी थी। सोरोस से जुड़े संगठन ने ही ‘द वायर’ को ‘फ्री मीडिया पायनियर’ का अवार्ड दिया था।
मोदी सरकार के खिलाफ एजेंडा?
सीपीआर पर सरकार के ऐक्शन को लेकर टीवी पर चर्चा में शामिल वरिष्ठ पत्रकार राज गोपालन ने यह कदम उठाने के लिए मोदी सरकार की तारीफ की। उन्होंने इस ऐक्शन का कारण भी बताया। टाइम्स नाउ के प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि विदेशी चंदे में से कुछ हिस्सा टैक्स के तौर पर सरकार को देना होता है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च पिछले पांच साल से ऐसा नहीं कर रही थी। चाणक्यपुरी में बैठकर सीपीआर का एजेंडा सिर्फ मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करना था। यह चीन, सोरोस और कम्युनिस्ट समर्थक संगठन है। जो कुछ भी मोदी सरकार ने किया वह सही है।
सीपीआर को Namati Inc के अलावा भी कई विदेशी संस्थानों से डोनेशन मिलता है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, बिल एंड मिलिंडा गेट्स ने थिंक टैंक को अक्टूबर 2022 से दिसंबर 2022 के बीच सबसे ज्यादा दान दिया। द ओक फाउंडेशन और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट भी उसे दान देने वाले संस्थानों में शामिल हैं।
Centre Suspends Fcra Licence Of Soros Based Think-Tank Modi Government Showed Strength
BBC के बाद सोरोस के समर्थन वाले थिंक टैंक पर ऐक्शन…. मोदी सरकार ने दिखा दी ताकत
सोरोस के समर्थन वाले थिंंक टैंक का लाइसेंंस सस्पेंड
सोरोस के समर्थन वाले थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च पॉलिसी पर कठोर कार्रवाई हुई है। केंद्र सरकार ने उसका एफसीआरए लाइसेंस निलंबित कर दिया है। इस लाइसेंस की जरूरत विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए होती है। सोरोस ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी पर जुबानी हमला किया था। इसके कुछ दिन बाद यह कदम उठाया गया है।
हाइलाइट्स
1-सोरोस के समर्थन वाले थिंक टैंक के खिलाफ सरकार का ऐक्शन
2-सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड किया
3-विदेशी चंदा पाने के लिए जरूरी होता है एफसीआरए लाइसेंस
केंद्र सरकार ने अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस के समर्थन वाले थिंक टैंक पर ऐक्शन लिया है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है। फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन ऐक्ट यानी एफसीआरए लाइसेंस विदेशी चंदा लेने के लिए जरूरी होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इसके बिना कोई एनजीओ फॉरेन डोनेशन प्राप्त नहीं कर सकता है। नियमों का उल्लंघन करने के लिए सीपीआर का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड हुआ है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब कुछ दिन पहले दिग्गज उद्योगपति जॉर्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री को अलोकतांत्रिक बताया था। इसके पहले ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों में इनकम टैक्स विभाग ने ‘सर्वे’ किया था। प्रधानमंत्री पर बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री रिलीज होने के बाद ये सर्वे हुए थे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी बीते दिनों बीबीसी और सोरोस पर निशाना साधा था। उन्होंने मोदी पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर आश्चर्य जताया था। उन्होंने नाराजगी जताई थी कि क्या कोई अभिव्यक्ति के नाम सुप्रीम कोर्ट और दो दशक की गहन जांच को निरस्त कर सकता है। धनखड़ से पहले सरकार इस डॉक्यूमेंट्री को दुष्प्रचार का हिस्सा बता चुकी है। इस डॉक्यूमेंट्री पर उसने प्रतिबंध लगा दिया था। उपराष्ट्रपति ने इशारों में जॉर्ज सोरोस पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि कहीं एक सज्जन हैं। वो धन बल का इस्तेमाल करते हैं। उनके कुछ लाभार्थी हैं। ये परजीवी जैसे हैं। वे हमारे देश के लोकतंत्र की बात करते हैं।
क्या बोले थे जॉर्ज सोरोस
दरअसल, जर्मनी के म्यूनिख रक्षा सम्मेलन में जॉर्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर कई विवादित बातें कहीं थीं। वह बोले थे कि भारत तो लोकतांत्रिक देश हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। मोदी के बड़ा नेता बनने की वजह भारतीय मुस्लिमों पर की गई हिंसा है। वह आगे यह भी बोले थे कि भारत रूस से कम कीमत पर तेल खरीदता है। गौतम अडानी मामले में मोदी ने चुप्पी साध रखी है। यह और बात है कि विदेशी निवेशकों और संसद में उन्हें सवालों के जवाब देने होंगे।
भाजपा ने इस पर तीखा पलटवार किया था। उसने इसे विदेशी धरती से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश बताया था। सोरोस हंगरी-अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं। ब्रिटेन में उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जिन्होंने 1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को नष्ट कर दिया था।
विवादित बयान के कुछ दिन बाद ऐक्शन
सोरोस के विवादित बयान के कुछ दिन बाद ही उद्योगपति के समर्थन वाले थिंक टैंक का एफसीआरए लाइसेंस सस्पेंड हुआ है। विशेषज्ञों ने सीपीआर के खिलाफ मोदी सरकार के ऐक्शन की प्रशंसा की है। सीनियर जर्नलिस्ट आर राजगोपालन ने कहा है कि सीपीआर के खिलाफ ऐक्शन नियमों में हुआ है। उस पर पिछले पांच साल से टैक्स बकाया है। एफसीआरए में ऐसा क्लॉज है जो कहता है कि आपको फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन से मिले पैसे में से कुछ टैक्स के तौर पर देना पड़ता है। इसने नहीं दिया ।