नारों के बीच मोदी राज्यसभा में,10 बिंदू, नेहरू उपनाम क्यों नहीं रखते लोग

PM Modi Speech Highlights: विरोध में लग रहे थे जमकर नारे, प्रधानमंत्री  मोदी ने ‘कीचड़ vs गुलाल’ उछाल दिया

PM Narendra Modi Speech In RS: एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में विपक्ष के आरोपों पर करारा प्रहार किया। नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि ये निराशा में डूबे लोग हैं जिन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए। आज राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने 60 साल केवल गड्ढे खोदे। पूरे समय तक विपक्षी सदस्य नारे लगाते रहे।

हाइलाइट्स
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में कांग्रेस पर आक्रामक भाषण दिया
बोले, कांग्रेस ने 90 बार राज्यों की सरकारें गिराईं
नेहरू का सरनेम क्यों नहीं रखते… दिख रहा अकेला कितनों पर भारी

राज्यसभा में बोलते प्रधानमंत्री मोदी।

नई दिल्ली 09 फरवरी: राज्यसभा में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस पर हमलावर रहे। शुरुआत में उन्होंने अपनी सरकार और कांग्रेस के शासन का अंतर समझाया और आखिर में नेहरू-गांधी परिवार का नाम लेकर बरस पड़े। दरअसल, जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने के लिए खड़े हुए, विपक्ष के सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। प्रधानमंत्री को अपना संबोधन बीच में रोकना पड़ा। मोदी-अडानी भाई-भाई के नारे लगते रहे… हंगामा चलता रहा। जेपीसी से जांच कराओ, का शोर उच्च सदन में गूंजता रहा।

विपक्षी सदस्य नहीं माने तो प्रधानमंत्री ने फिर से बोलना शुरू कर दिया। उन्होंने तंज कसा, ‘दिख रहा है एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है।’ इस पर सत्ता पक्ष के सदस्य मेज थपथपाने लगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन में जो भी बातें होती हैं उसे देश गंभीरता से सुनता है लेकिन ये भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने महत्वपूर्ण सदन में कुछ लोगों का व्यवहार, कुछ लोगों की वाणी सदन और देश को निराश करने वाली रही है। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शेम-शेम के नारे लगाए। मोदी ने कहा कि इस प्रकार की प्रवृत्ति रखने वाले माननीय सदस्यों से मैं इतना ही कहूंगा- ‘कीचड़ उसके पास था, मेरे पास है गुलाल , जो भी जिसके पास था उसने दिया उछाल’। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्य मेज थपथपाने लगे लेकिन विपक्ष के नारे नहीं थमे। मोदी ने कहा कि जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ज्यादा खिलेगा। मोदी के पूरे संबोधन में शोरशराबा जारी रहा।

10 बिंदू – हमने राजनीतिक फायदे की बात कभी नहीं सोची… हमने खुद के लिए दबाव बढ़ाया। हमने मेहनत वाला रास्ता चुना। इसके नतीजे देश देख रहा है।

1. कांग्रेस पर बरसे मोदी, इन्होंने तो गड्ढे ही किए

मोदी ने कहा – कमल खिलाने में आपका परोक्ष-प्रत्यक्ष जो भी योगदान है, इसके लिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। यह सुनकर सत्ता पक्ष के सांसद हंसने लगे। मोदी ने कहा कि कल विपक्ष के हमारे वरिष्ठ साथी खरगे जी ने कहा कि हम 60 साल में मजबूत बुनियाद बना रहे थे। उनकी शिकायत थी कि बुनियाद तो हमने बनाई और क्रेडिट मोदी ले रहा है लेकिन 2014 में आकर जब मैंने बारीकी से चीजों को देखने का प्रयास किया तो मुझे नजर आया कि 60 साल कांग्रेस के परिवार ने हो सकता है उनका इरादा मजबूत नींव बनाने का हो… लेकिन उन्होंने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वे गड्ढे खोद रहे थे, 6 दशक बर्बाद कर दिए थे, उस समय दुनिया के छोटे-छोटे देश सफलता के शिखर को छू रहे थे, आगे बढ़ रहे थे।

शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक लाभ पहुंचे, बिना रोकटोक के लाभ पहुंचे। मैं कहता हूं सच्ची पंथ निरपेक्षता है तो यही है। सच्चा सेक्युलरिज्म है तो यही है और सरकार उस राह पर बड़ी ईमानदारी से चल पड़ी है।

2. पुरुषार्थ से बनी हमारी सरकार की पहचान

उन्होंने कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक उन्हीं (कांग्रेस शासन) की दुनिया चलती थी। देश भी आंख बंद करके उनका समर्थन करता था लेकिन उन्होंने इस तरह की कार्यशैली विकसित की कि उन्होंने एक भी चुनौती का परमानेंट सॉल्यूशन करने का न सोचा, न उन्हे सूझा और न प्रयास किया। बहुत हो-हल्ला हो जाता था तो चीजों को छू लेते थे। समस्याओं का समाधान करना दायित्व था। देश की जनता देख रही थी कि समस्या का समाधान कितना लाभ कर सकता है लेकिन उनकी प्राथमिकता और इरादे अलग थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की पहचान जो बनी है, वो हमारे पुरुषार्थ के कारण बनी है। एक के बाद एक उठाए गए कदमों के कारण बनी है। आज हम स्थायी समाधान की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम एक-एक विषय को छूकर भागने वाले नहीं हैं।

प्रधानमंत्री का विपक्ष पर तंज

मोदी ने कहा कि एक जमाना था कि किसी गांव में हैंडपंप लगा दिया तो हफ्तेभर उत्सव मनाया जाता था। कल यहां गुजरात का जिक्र कर रहे थे। आप हैरान होंगे कि सबसे ज्यादा सीटों से जीतने का जिनको गर्व था, वे मुख्यमंत्री पानी की टंकी का उद्घाटन करने गए थे और वह फ्रंटपेज पर हेडलाइन न्यूज थी। ये कल्चर देश ने देखा है। हमने भी जल संरक्षण, कैच द रेन जैसे अभियान चलाए। आजादी के पहले से सरकार में आने तक सिर्फ 3 करोड़ घरों तक नल से जल मिलता था। पिछले 3-4 साल में 11 करोड़ घरों को नल से जल मिल रहा है। पानी हर परिवार की समस्या होती है और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए हमने समाधान के रास्ते चुने।
कांग्रेस को बार-बार देश नकार रहा है लेकिन कांग्रेस और उसके साथी अपनी षड्यंत्रों से बाज नहीं आते हैं और जनता ये देख भी रही है और हर मौके पर सजा भी दे रही है।

मोदी ने कहा कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था लेकिन आधे से अधिक लोग बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाए। हमने स्थायी समाधान निकाला और जनधन खातों का अभियान चलाया। पिछले 9 साल में ही 48 करोड़ जनधन बैंक खाते खोले गए। इसमें 32 करोड़ खाते ग्रामीण और कस्बों में खुले हैं यानी देश के गांव तक प्रगति ले जाने का प्रयास हुआ है।

3. खरगे जी यहां आकर रोना रो रहे

मोदी ने कहा कि कल खरगे जी शिकायत कर रहे थे कि मोदी जी बार-बार मेरे चुनावी क्षेत्र में आते हैं। वो कह रहे थे कलबुर्गी आ जाते हैं। मेरी शिकायत करने से पहले ये तो देखिए कि आपके इलाके कलबुर्गी में 8 लाख से ज्यादा खाते खुले हैं। लोगों का खाता खुल जाये और किसी का खाता बंद हो जाए तो उनकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं। बार-बार उनका दर्द झलकता है। कभी-कभी यहां तक कह देते हैं कि दलित को हरा दिया। अरे भाई, जनता ने दूसरे दलित को जिता दिया। जनता आपका खाता बंद कर रही है और आप रोना यहां रो रहे हैं। सत्ता पक्ष के सांसद हंसने लगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनधन-आधार-मोबाइल, ये जो त्रिशक्ति है उसने डीबीटी के जरिए पिछले कुछ वर्षों में 27 लाख करोड़ रुपये देश के नागरिकों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया है। डीबीटी का उपयोग करने के बाद देश के 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे गलत हाथों में जाने से बच गए। जिस ईको सिस्टम से चेले-चपाटों को 2 लाख करोड़ के फायदे मिलते रहते थे, उनका चिल्लाना भी स्वाभाविक है।

4. सिर्फ भावनाओं से बात नहीं बनती

मोदी ने कहा कि पहले ईमानदार टैक्सपेयर्स की गाढ़ी कमाई का नुकसान होता था। हम पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान लेकर आए और इन्फ्रास्ट्रक्चर को गति मिल रही है। जो योजनाएं महीनों में बन जाती थीं, आज हफ्तेभर में बन  जाती है। हम स्केल, स्पीड और टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्थायी समाधान कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री बोलते रहे और राज्यसभा में शोरगुल जारी रहा।

मोदी ने कहा कि सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से बात नहीं बनती, जैसा पहले कहा जाता था कि गरीबी हटाओ, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसलिए विकास की गति, नीयत, दिशा, प्रयास और परिणाम के बहुत अर्थ है। यह कहने से कि हम भी करते थे, इससे बात नहीं बनती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी कहते थे श्रेय और प्रेय… हमने श्रेय का रास्ता चुना है। दिनरात मेहनत का रास्ता चुना है। पहले 14 करोड़ घरों में सिलेंडर था, खर्चा कम था प्रेशर कम था, लोग इंतजार करते रहते थे। हमने तय किया कि हर घर को एलपीजी कनेक्शन देना है। हमें मालूम था कि हमें मेहनत करनी पड़ेगी। ये सब दबाव के बावजूद प्राथमिकता देश के नागरिक थे। इसलिए हमने 32 करोड़ से ज्यादा परिवारों के पास गैस कनेक्शन पहुंचाया।

5. हम पत्थर पर लकीर वाले लोग

मोदी ने कहा कि हम जानते थे कि कठिन काम इन्होंने छोड़ दिया है। हमने कहा कि हम तो मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं। हमने हर गांव में बिजली पहुंचाने का संकल्प लिया। समयसीमा में 18 हजार गांव में बिजली पहुंचाई। गांवों में एक नई जिंदगी की अनुभूति हुई। उनका विकास तो हुआ, देश की व्यवस्था पर विश्वास बढ़ा। यही सामर्थ्य में बदल जाता है। वो विश्वास हमने जीता है। उन दूरदराज के गांवों को नई आशा की किरण दिखाई दी। पहले की सरकारों में कुछ घंटे बिजली आती थी, गांव के बीच में खंभा डाल दिया जाता था। आज औसतन देश में 22 घंटे बिजली दे रहे हैं।

6. यही सच्चा सेक्युलरिज्म है

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भेदभाव के सारे अवसर समाप्त करने की कार्य संस्कृति लाये जिसमें भ्रष्टाचार की जगह नहीं रहती। तुष्टीकरण की आशंकायें समाप्त करनी है। फलाने गांव, बिरादरी, पंथ-संप्रदाय को मिलेगा… ये सब खत्म करना है। समाज के आखिरी व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा इसमें समाहित होती है और सबका साथ-सबका विकास यही है कि शत प्रतिशत लोगों तक पहुंचाना। यही सामाजिक न्याय की गारंटी है। यही सच्चा सेक्युलरिज्म है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद वनवासी परिवारों को कुल 14 लाख जमीन के पट्टे दिए गए थे। हमने 6-7 साल में 7 लाख नए पट्टे दिए हैं। कांग्रेस ने सिर्फ सहानुभूति जताई… वनवासियों के लिए कुछ किया होता तो मुझे इतना काम न करना पड़ता। लेकिन ये इनकी प्राथमिकता में नहीं था। इनकी राजनीति, अर्थनीति वोट बैंक के आधार पर चलती रही। इन्होंने समाज के सामर्थ्य को नजरअंदाज किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्याज के चक्कर में जिनके जीवन नष्ट हो जाते थे, उन गरीबों रेहड़ी-पटरी वालों की चिंता हमने की। हमने विश्वकर्मा समुदाय, बंजारा समुदाय की चिंता की। इनकी मजबूती को काम किया। मोदी ने कहा कि इस देश की कृषि की सच्ची ताकत छोटे किसानों में है। 80-85 प्रतिशत इस देश का यह वर्ग है। ये उपेक्षित थे। इनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था। हमने छोटे किसानों को बैंकिंग के साथ जोड़ा, आज साल में तीन बार उनके खाते प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जमा हो रही है। पशुपालकों और मछुआरों को भी जोड़ा। उनकी आर्थिक सामर्थ्य बढ़ायी।

मोदी ने कहा कि छोटे किसानों को बरसाती पानी पर निर्भर रहना पड़ता था। हमने मोटे अनाज को ‘श्रीअन्न’ मानते हुए यूएन को लिखा। मिलेट ईयर मनाया जा रहा है, ये पोषण की बहुत बड़ी ताकत है। इससे छोटे किसान मजबूत होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब निर्णय प्रक्रिया में माताओं-बहनों की भागीदारी बढ़ती है तो परिणाम अच्छे और जल्दी मिलते हैं। सदन में एक सांसद ने कहा कि क्या टॉयलेट देने से महिलाओं का विकास होगा। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मुझे गर्व है 11 करोड़ शौचालय बनाकर माताओं-बहनों को इज्जत घर दिया है।

7. गर्व होता है, सियाचिन में बेटी तैनात है

प्रधानमंत्री  ने कहा कि बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। स्कूलों में बच्चियों के लिए अलग टॉयलट बनाए। बेटी की शिक्षा के लिए सुकन्या समृद्धि योजना पर अधिक ब्याज का प्रबंध किया। बेटी बड़ी होकर बिना गारंटी मुद्रा योजना से लोन ले सके,ये सुनिश्चित किया। मुद्रा की 70 प्रतिशत लाभार्थी मांताएं-बेटियां हैं। मां बनने के बाद भी नौकरी जारी रख सके, इसके लिए मातृत्व अवकाश बढ़ाया, विकसित देशों से भी ज्यादा किया। बेटियों के लिए सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोल दिए गए हैं। बेटियां सेना में जाना चाहती हैं, हमने दरवाजे खोल दिए। आज गर्व होता है सियाचिन में देश की कोई बेटी मां भारती की रक्षा को तैनात होती है।

8. मां-बेटी का जिक्र कर भावुक हो गए मोदी

मोदी ने कहा कि मां-बेटी कितनी भी गंभीर बीमारी हो, बताती नहीं है। उसे चिंता रहती है कि कहीं बच्चों पर ऋण न हो जाए । बच्चों पर बोझ बढ़ जाएगा। पीड़ा सहती है लेकिन बताती नहीं है। उन माताओं-बहनों को आयुष्मान कार्ड देकर हमने बड़ी से बड़ी बीमारी से मुक्ति का रास्ता खोला है। यह कहते हुए मोदी का गला भर आया। महिला वित्त मंत्री और महिला राष्ट्रपति का जिक्र कर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा शुभ अवसर कभी नहीं आया। प्रयास रहेगा कि आगे भी ऐसा देखने को मिले।

वैज्ञानिकों को बदनाम करने की कोशिश हुई

प्रधानमंत्री कहा कि मेरे देश के वैज्ञानिकों को बदनाम करने, उन्हें नीचा दिखाने को प्रयास चले और मेरे ही देश के वैज्ञानिकों ने दुनिया में स्वीकृत वैक्सीन से देश ही नहीं, कई देशों की जरूरतें पूरी की। ये विज्ञान और टेक्नोलॉजी विरोधी लोग… इसके बाद विपक्ष के शोर के सामने सत्ता पक्ष के लोग मेज थपथपाने लगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज नौजवान नए-नए इनोवेशन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो स्वयं को सबसे लंबे समय तक शासन का दावा करते हैं इन्हें मालूम रोजगार और नौकरी में अंतर नहीं पता। ये हमें उपदेश देते हैं। आधी-अधूरे चीजों से भ्रम फैलाते हैं।

9. नेहरू उपनाम रखने में क्या आपत्ति?

प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में सरकार की योजनाओं के नामों पर आपत्ति जताई गई। नामों में संस्कृत पर आपत्ति जताई। मैंने अखबार की रिपोर्ट पढ़ी है, 600 सरकारी योजनाएं सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार के नाम हैं। किसी कार्यक्रम में नेहरू जी के नाम का उल्लेख नहीं हुआ तो कुछ लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। मुझे समझ नहीं आता कि उन्हें  नेहरू उपनाम रखने से क्या लज्जा है। इतना बड़ा महान व्यक्तित्व आपको स्वीकार नहीं हीं है और हमारा हिसाब मांगते रहते हो। समझना होगा कि ये देश किसी परिवार की संपत्ति नहीं है। हमने द्वीपों के नाम सेनानियों, परमवीर चक्र विजेता के नाम  किये।

10. इंदिरा गांधी ने सरकार गिराने की हाफ सेंचुरी लगाई

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम पर राज्यों को परेशान करने का आरोप है। मैं लंबे समय तक राज्य का मुख्यमंत्री रहकर आया हूं। हमारी नीतियों में राष्ट्रीय प्रगति और क्षेत्रीय आकांक्षाओं का मिश्रण है। जो आज विपक्ष में हैं उन्होंने राज्यों की धज्जियां उड़ा दीं।  इतिहास देखें। वो कौन पार्टी थी, वो कौन लोग थे जिन्होंने अनुच्छेद 356 का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया। 90 बार निर्वाचित सरकारों को गिराया, कौन है वो… कौन है जिन्होंने किया। प्रधानमंत्री यह कहते आक्रामक हो गए। उन्होंने कहा कि एक प्रधानमंत्री ने आर्टिकल 356 का 50 बार उपयोग किया, वो नाम श्रीमती इंदिरा गांधी का है। 50 बार सरकारें गिराई । केरल में जो उनके साथ खड़े हैं, याद करें। वहां वामपंथी सरकार बनी जिसे पंडित नेहरू पसंद नहीं करते थे। कुछ ही समय में सरकार गिरा दी। डीएमके के मित्रों को भी बताता हूं। तमिलनाडु में दिग्गजों की सरकारें कांग्रेस ने गिराई। मोदी ने कहा कि 1980 में शरद पवार सरकार भी गिराई थी। हर क्षेत्रीय नेता को उन्होंने परेशान किया। एनटीआर के साथ क्या किया, वो उपचार को अमेरिका गए थे,एनटीआर सरकार गिराने का प्रयास हुआ।
मोदी ने कहा कि राजभवन कांग्रेस मुख्यालय बना दिये थे। 2005 में झारखंड में एनडीए के पास ज्यादा सीटें थीं, लेकिन गवर्नर ने यूपीए को शपथ को बुला लिया था। 1982 में हरियाणा में भाजपा-देवी लाल का गठबंधन था लेकिन गवर्नर ने कांग्रेस को सरकार के लिए बुला लिया था। आज ये देश को मूर्ख बना रहे हैं।
मोदी ने कहा कि राजनीतिक वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन आर्थिकी से खिलवाड़ मत कीजिए। आप ऐसा कोई पाप मत कीजिए जो आपके बच्चों के अधिकार छीन ले। आज मौज कर लें और बच्चों का भविष्य नष्ट कर जाएं। अब देश नई दिशा में बढ़ चला है। यह पीछे मुड़कर देखने वाला नहीं। देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है। यह कहते हुए प्रधानमंत्री ने भाषण पूरा किया।

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