बालासौर: लाइन की बजाय लूप लाइन में घुस पलट गई कोरोमण्डल एक्सप्रेस
Balasore Train दुर्घटना पर बड़ा अनावरण, Coromandel Express के गलत ट्रैक पर जाने से हुई दुर्घटना!
Balasore Train Accident : ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से जुड़ी रेल दुर्घटना में मृतक संख्या शनिवार को बढ़कर 261 हो गई।
भुवनेश्वर 03 जून। Balasore ट्रेन दुर्घटना को लेकर एक बड़ा अनावरण हुआ है। बताया जा रहा है कि Signal फेल होने के कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस गलत ट्रैक पर चली गई थी, जिसकी वजह से ट्रेनों की आपस में भिड़ंत हो गई।
ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में 261 मौतें
ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से जुड़े रेल हादसे में मृतक संख्या शनिवार को बढ़कर 261 हो गई। देश के सबसे भीषण रेल हादसों में शामिल इस दुर्घटना में करीब 1,000 यात्री घायल हुए हैं। भारतीय रेलवे ने इस हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
नींद में थे यात्री
इस साल की सबसे घातक ट्रेन दुर्घटनाओं में से एक ओडिशा रेल दुर्घटना शुक्रवार शाम 7 बजे के आसपास हुई। इस समय लगभग यात्री सो रहे थे या सोने की तैयारी में थे। अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम 6 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट के बीच कुछ ही मिनटों में यह भीषण त्रासदी हुई।
ओड़िशा ट्रेन एक्सीडेंट का कारण
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की प्रारंभिक जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि सिग्नल में फॉल्ट के कारण यह दुर्घटना हुई है। ओडिशा ट्रेन दुर्घटना की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिस लाइन पर दोनों ट्रेनें टकराईं, वह “आंशिक रूप से जीर्णशीर्ण” थी। रिपोर्ट के अनुसार कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार शाम करीब 7 बजे बालासोर में बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास गलत सिग्नल से लूप लाइन में घुस गई। रिपोर्टों के अनुसार रेलवे की जांच में आया है कि 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) के लिए मेन लाइन के लिए सिग्नल दिया गया था और वापस ले लिया गया था। लेकिन ट्रेन लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लूप लाइन पर मालगाड़ी से टकरा पटरी से उतर गई।
Odisha Balasore Triple Train Accident Big Clue Comes Out Shocking Revealation In Report
बालासोर ट्रिपल ट्रेन एक्सिडेंट में मिला बड़ा सुराग! रिपोर्ट में सामने आई चौंकाने वाली बात
कोरोमंडल एक्सप्रेस की मालगाड़ी से टक्कर के वक्त उसकी रफ्तार 128 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
हाइलाइट्स
बालासोर ट्रिपल ट्रेन एक्सडेंट को लेकर सामने आई रिपोर्ट
दुर्घटना के वक्त कोरोमंडल एक्सप्रेस की स्पीड थी 128 किमी/घंटा
मुख्य मार्ग के बजाय ‘लूप लाइन’ पर चली गई थी ट्रेन
ओडिशा में हुए भीषण रेल दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह पता चला है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से ठीक पहले मुख्य मार्ग के बजाय ‘लूप लाइन’ पर चली गई थी। फिर वह वहां खड़ी मालगाड़ी से टकराई। समझा जाता है कि बगल की पटरी पर क्षतिग्रस्त हालत में मौजूद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकराने पर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के डिब्बे भी पलट गए। कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रति घंटा, जबकि बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस की गति 116 किलोमीटर प्रति घंटा थी। रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी गई है।
भारतीय रेल की ‘लूप लाइन’ स्टेशन क्षेत्र में होती है और इस मामले में यह बाहानगा बाजार स्टेशन है। लूप लाइन का उद्देश्य परिचालन को सुगम करने को अधिक ट्रेनें समायोजित करना होता है। लूप लाइन प्रायः 750 मीटर लंबी होती है ताकि कई इंजन वाली लंबी मालगाड़ी का पूरा हिस्सा उस पर आ जाए।
क्या कहती है रिपोर्ट?
दोनों ट्रेनों में 2,000 यात्री थे। दुर्घटना में कम से कम 288 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 1,000 यात्री घायल हुए हैं। दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे अनुभव दास ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों और रेल अधिकारियों ने शुरुआत में कहा था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ने मालगाड़ी को टक्कर मार दी। दास इसी ट्रेन से सफर कर रहे थे। हालांकि, रेलवे ने इस तरह के किसी दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
घटना की गहन जांच जारी रहने के बीच किसी भी अधिकारी ने षड्यंत्र की आशंका के बारे में अब तक बात नहीं की है। रेलवे ने ओडिशा के बालासोर दुर्घटना की उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है, जिसका नेतृत्व रेल सुरक्षा, दक्षिण पूर्व क्षेत्र के आयुक्त कर रहे हैं। रेलवे सुरक्षा आयुक्त, नागर विमानन मंत्रालय में आते हैं और इस प्रकार की सभी दुर्घटनाओं की जांच करते हैं।
भारतीय रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘एसई (दक्षिण-पूर्व) क्षेत्र के सीआरएस (रेलवे सुरक्षा आयुक्त) ए एम चौधरी दुर्घटना की जांच करेंगे।’
रूट पर कवच नहीं
रेलवे ने बताया कि रेलगाड़ियों को टकराने से रोकने वाली प्रणाली ‘कवच’ इस मार्ग पर नहीं है। दुर्घटना में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल है।
भारतीय रेल के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, ‘बचाव अभियान पूरा हो गया। हम अब मार्ग को सुचारु करने का कार्य शुरू कर रहे हैं। इस मार्ग पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी।’
रेलवे अपने नेटवर्क में ‘कवच’ प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके। जब लोको पायलट (ट्रेन चालक) किसी सिग्नल को तोड़ कर आगे बढ़ता है तो यह ‘कवच’ सक्रिय हो जाता है। सिग्नल की अनदेखी रेलगाड़ियों के टकराने का प्रमुख कारण है। यह प्रणाली जब किसी अन्य ट्रेन को उसी मार्ग पर एक निर्धारित दूरी के अंदर होने का संकेत प्राप्त करती है तब लोको पायलट को सतर्क कर सकती है, ब्रेक लगाती है और ट्रेन को स्वत: रोक देती है।
सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि सिग्नल के नाकाम रहने के चलते दुर्घटना हुई होगी।
कुछ सवाल अभी भी कायम
हालांकि, रेल अधिकारियों ने कहा है कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन पर गई थी या नहीं और मालगाड़ी को टक्कर मारी थी या यह (कोरोमंडल एक्सप्रेस) पहले पटरी से उतरी और लूप लाइन पर जाने के बाद वहां खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मारी।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नल दिया गया था और 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) लूप लाइन पर चली गई, मालगाड़ी से टकराई और पटरी से उतर गई। इस बीच, 12864 (हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस) मुख्य मार्ग पर सामने से आई और इसके दो डिब्बे पटरी से उतर गये तथा पलट गये।
इंटीग्रल कोच फैक्टरी,चेन्नई के पूर्व महाप्रबंधक सुधांशु मणि ने दुर्घटना में दोनों लोको पायलट की ओर से कोई गलती से प्रथमदृष्टया इनकार किया है।
प्रथम वंदे भारत ट्रेन बनाने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले मणि ने कहा कि दुर्घटना में बड़े पैमाने पर यात्रियों के हताहत होने का प्राथमिक कारण ट्रेन का पहले पटरी से उतरना और दूसरी ट्रेन का उसी समय वहां से गुजरना था, जो काफी तेज गति से विपरीत दिशा से आ रही थी।
उन्होंने कहा कि यदि पहली ट्रेन केवल पटरी से उतरी होती तो इसके ‘एलएचबी’ डिब्बे नहीं पलटते और इतनी संख्या में यात्री हताहत नहीं होते।
उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं देखता कि चालक ने सिग्नल की अनदेखी की। यह (ट्रेन) सही मार्ग पर जा रही थी और डेटा लॉगर से प्रदर्शित होता है कि सिग्नल हरा था।’
रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य श्री प्रकाश ने भी कहा कि दूसरी ट्रेन इतनी तेज गति में थी कि उसके चालक के पास नुकसान को सीमित करने को बहुत कम समय था।