बांग्लादेश: दुर्गा पूजा पंडाल में कुरान रखने वाला निकला नशेड़ी इकबाल हुसैन
बांग्लादेश के कुमिल्ला शहर में दुर्गा पूजा पंडाल में क़ुरान रखने वाले की पहचान कर ली गई है.पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अभियुक्त की पहचान सीसीटीवी फ़ुटेज के आधार पर की गई और अब उसे पकड़ने को ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
दुर्गा पूजा के पंडाल में क़ुरान रखे जाने की इस घटना के बाद से बांग्लादेश में कई हिंदू मंदिरों, पंडालों और घरों पर हमले हुए.पुलिस ने अपने एक बयान में बताया है कि पिछले एक हफ़्ते में हुई हिंसा में कम से कम सात लोगों की मौत हुई है.
कुमिल्ला के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद कामरुल हसन और पुलिस सुपरिडेंटेंड फ़ारूक़ अहमद ने बताया कि उन्होंने इस मामले में शामिल एक व्यक्ति की पहचान कर ली और उसकी तलाश जारी है.
कौन है दुर्गा पूजा के पंडाल में क़ुरान रखने वाला ?
दोनों ही पुलिस अधिकारियों ने पहचान किए गए जन का नाम ज़ाहिर करने से इनकार कर दिया. हालाँकि बांग्लादेश की स्थानीय मीडिया में पुलिस के हवाले से अभियुक्त का नाम छापा जा रहा है.
बांग्लादेश के अख़बार डेली ऑब्ज़र्वर ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि अभियुक्त नाम इक़बाल हुसैन और उनके पिता का नाम नूर अहमद आलम है. अभियुक्त कुमिल्ला के सुजाननगर इलाक़े का रहने वाला है.
द डेली स्टार में अभियुक्त की उम्र 30 साल बताई गई है.
ढाका ट्रिब्यून ने पुलिस हवाले से बताया कि इक़बाल के पास कोई स्थायी नौकरी नहीं है और वो इधर-उधर घूमते रहते हैं. अभी यह साफ़ नहीं कि उनका ताल्लुक किसी राजनीतिक पार्टी से है या नही।रिपोर्ट के अनुसार इक़बाल की माँ अमीना बेगम का दावा है कि उनके बेटे को ड्रग्स की लत है और वो अपने ही परिजनों को अलग-अलग तरीकों से परेशान करता रहता है।उसे देश की अलग-अलग जगहों पर रहना अच्छा लगता है. इक़बाल को 10 वर्षों से मानसिक परेशानी है । 10 साल पहले पड़ोसियों ने उनके पेट में चाकू घोंप दिया था.
परिजनों का कहना है कि अगर वो सच में दोषी हैं तो सज़ा मिलनी चाहिए. उनके छोटे भाई रैहन ने कहा कि हो सकता है उसे भड़काया गया हो।वो शुक्रवार से ही अपने भाई को ढूँढने में पुलिस की मदद कर रहे हैं.
पंडाल में तोड़फोड़ के बाद का मंज़र
सीसीटीवी फ़ुटेज में क्या दिखा?
इस पूरी घटना का सीसीटीवी फ़ुटेज अब सोशल मीडिया पर भी सर्कुलेट होने लगा है.
फ़ुटेज में देखा जा सकता है कि एक शख़्स देर रात को पूजा पंडाल में अपने हाथ में कुछ लेकर दाख़िल होता है और फिर हनुमान की गदा लेकर वापस आ रहा है.क़ुरान कुमिल्ला के दुर्गा पूजा मंडप में बुधवार को पूजा के आठवें दिन यानी अष्टमी को मिला था. बाद में लोगों के एक समूह ने पंडाल में तोड़-फोड़ की और वहाँ लोगों पर क़ुरान का अपमान करने का आरोप लगाया.घटना के ठीक बाद बांग्लादेश के चाँदपुर समेत कई जगहों पर हिंदू मंदिरों पर हमले हुए. पुलिस ने हिंसा पर काबू करने को हवा में फ़ायरिंग की जिसमें पाँच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
बांग्लादेश पुलिस
पुलिस ने क्या बताया है?
इसके बाद पुलिस ने उसी दिन बयान जारी करके बताया कि 13 अक्टूबर को कुमिल्ला में क्या हुआ और इस संबंध में उन्होंने क्या क़दम उठाए।पुलिस ने बताया कि कुमिल्ला, चाँदपुर के हाजीगंज, नोआखाली के बेगमगंज, रंगपुर के पीरगंज, कॉक्स बाज़ार, हबीगंज और गाज़ीपुर में तोड़फोड़ और हमले हुए थे.
बांग्लादेश में पिछले एक हफ़्ते में हुई इस हिंसा की घटनाओं में कम से कम सात लोगों की मौत हुई है, जिनमें से दो लोग हिंदू हैं. हिंसा पर काबू पाने की पुलिस की कोशिश के दौरान कम से कम 50 लोग घायल भी हुए हैं.
पुलिस बयान में कुमिल्ला में हुई घटना का विस्तृत ब्यौरा दिया गया और कहा गया कि हालात काबू में रखने की प्रशासन की पूरी कोशिश और चौकन्ना होने के बावजूद देश के कई हिस्सों में अप्रिय घटनाएं हुई .
पुलिस के मुताबिक़ इस सिलसिले में 19 अक्टूबर तक कुल 72 मामले दर्ज किए गए हैं और 450 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
इस घटना के पीछे का पता लगाने को स्पेशल पुलिस यूनिट तैयार की गई और सोशल मीडिया पर अफ़वाह फैलने से रोकने को साइबर निगरानी तेज़ कर दी गई है.
पुलिस ने अपनी विज्ञप्ति में लोगों से अपील की कि वो अफ़वाहों, ग़लत जानकारी और फ़र्जी ख़बरों पर ध्यान दिए बिना पुलिस की मदद करें.
पंडाल में तोड़फोड़ के बाद का मंज़र
कुमिल्ला के दुर्गा पंडाल में आख़िर हुआ क्या था?
बांग्लादेश के कई शहरों में हुई हिंसा की इस घटना की शुरुआत कुमिल्ला में नदी तट पर जिस अस्थायी पंडाल से हुई, उसके आसपास कई हिंदू परिवार बसे हैं. ये परिवार वहाँ 20 वर्षों से भी अधिक समय से अस्थायी पंडाल बना कर दुर्गा पूजा करते रहे हैं.
पूजा के आयोजकों में से एक अचिंत्य दास ने बताया कि सप्तमी के दिन लगभग आधी रात तक लोगों का पंडाल में आना लगा रहा. लोगों का आना बंद हुआ तो आयोजकों ने पंडाल के मुख्य अहाते को पर्दे से घेर दिया था.
स्टेज से बाहर कुछ ही दूर पर गणेश की मूर्ति थी जो खुली हुई थी, वहाँ किसी का क़ुरान छूट गया था.
उन्होंने बताया कि आयोजन स्थल पर एक निजी कंपनी के गार्ड को भी लगाया गया था, जो सुबह से वहाँ मौजूद था लेकिन जब वो क़ुरान रखी गई तब वह वहां नहीं था.
कई जगहों पर हुई तोड़फोड़ और हिंसा
999 हेल्पलाइन और फ़ेसबुक लाइव
सप्तमी के अगले दिन सुबह एक युवक ने 999 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके बताया कि उसने पंडाल में क़ुरान रखी देखी है. एक अन्य युवक ने इस पूरी घटना पर फ़ेसबुक लाइव कर डाली.
लेकिन इस घटना के चश्मदीद की कोई जानकारी नहीं है. केवल इतना ही पता है कि युवक ने 999 पर कॉल की और दूसरे ने फ़ेसबुक लाइव की और बाद में पुलिस ने दो युवकों फैयाज़ और इकराम को गिरफ़्तार किया.
अचिंत्य दास ने बताया कि कोमिल्ला के कोतवाली थाना के प्रभारी सुबह साढ़े सात बजे इस ख़बर के मिलने के बाद मौक़े पर पहुँच गए थे. पुलिस अधिकारी ने ही तब क़ुरान को पंडाल से हटाया. इस दौरान एक युवक वहाँ फ़ेसबुक लाइव कर रहा था.
पंडाल के बगल में रहने वाले हिंदू परिवार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्हें सुबह ख़बर मिली कि पूजा स्थल पर क़ुरान रखा गया है. कुछ ही देर में पूरे इलाक़े में तनाव फ़ैल गया और पंडाल पर हमला बोल दिया गया.
पूजा आयोजक समिति के एक अन्य सदस्य फ़ोन पर इस घटना की ख़बर पाकर सुबह क़रीब साढ़े सात बजे वहाँ गए थे.
उन्होंने कहा, “जैसे ही क़ुरान रखे जाने की ख़बर फ़ैली, थोड़े ही समय में वहाँ बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. उन्होंने पूजा को रोकने की मांग की.भीड़ ने पंडाल पर धावा बोल दिया और अस्थायी मंच और मूर्ति को तोड़ दिया. बाद में कुमिल्ला के कई स्थानों में पंडालों और हिंदू घरों पर हमले किए गए.”
शेख़ हसीना का रवैया
हिंसा की घटनाओं के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा था कि इस मामले के अपराधियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी.उन्होंने हिंदू समुदाय के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने को भी कहा है.हालाँकि उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के साथ हुई हिंसा को भारत से भी जोड़ा जो शायद पहली बार था.उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर भारत को भी सतर्क रहना चाहिए.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में ऐसा कुछ न हो, जिससे उनके मुल्क और वहाँ के हिंदुओं पर असर पड़े.
इस बार दुर्गा पूजा के दौरान जितने बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, ऐसा हाल के दिनों में देखने को नहीं मिला है.
इतने बड़े पैमाने पर हिंसा के लिये हिंदू समुदाय के लोग प्रशासन की विफलता को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.
ये सवाल भी पूछे जा रहे हैं कि कुमिल्ला में मंडप-मंदिर पर हुए हमले के बाद 22 ज़िलों में सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद हिंदुओं पर खुलेआम हमले हुए तो सरकार इसे क्यों नहीं रोक पाई?