राजनीति के रंग… इंडी गठबंधन के निर्विवाद नेता नहीं रहे राहुल
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राजनीति इसी का नाम है… क्या राहुल गांधी से दूरी बनाने लगे हैं इंडिया गठबंधन के घटक दल?
राजनीति में कब और कैसे समीकरण बदल जाएं कुछ कह नहीं सकते। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद इंडिया गठबंधन के भीतर कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत होती दिखी लेकिन हाल में दो राज्यों के चुनाव परिणामों से ही काफी कुछ बदल गया है। गठबंधन के ही साथी दल राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं।
मुख्य बिंदु
1-I.N.D.I.A का नेतृत्व कौन करे, उठे सवाल
2-तृणमूल कांग्रेस का दावा, ममता बनर्जी ने दिए संकेत
3-विधानसभा चुनाव हार बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर
नई दिल्ली 07 दिसंबर 2024 : I.N.D.I.A गठबंधन का नेतृत्व कौन करे, इस प्रश्न का उत्तर लोकसभा चुनाव पूर्व नहीं मिला लेकिन परिणामों के बाद इसका आधा उत्तर मिला। उत्तर भी आधा ऐसा जिसे खुलकर कोई नहीं बोल रहा था लेकिन राहुल गांधी चर्चा के केंद्र में आ गए। लोकसभा चुनाव पूर्व जहां भाजपा की ओर से 400 पार की बात हो रही थी लेकिन परिणामों बाद वह अपने दम पर बहुमत से भी पीछे रह गई। परिणामों से विपक्ष उत्साहित हो गया और इसके केंद्र में राहुल गांधी आ गए। जून महीने में जैसे गर्मी का पारा चढ़ता है कुछ वैसा ही लोकसभा चुनाव परिणामों बाद तेजी से राहुल गांधी का ग्राफ चढ़ा।
हालांकि अक्टूबर आते-आते जैसे मौसम बदलता है ठीक वैसा ही कुछ राहुल गांधी के साथ दिखा है। अक्टूबर में हरियाणा और नवंबर में महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों बाद I.N.D.I. गठबंधन में ही राहुल गांधी को लेकर प्रश्न खड़े हुए और गठबंधन के सामने भी कई चुनौतियां खड़ी हो गई।
मॉनसून सत्र से शीतकालीन सत्र तक सब कुछ बदल गया।
लोकसभा चुनाव परिणाम बाद मॉनसून सत्र में जहां पूरा विपक्ष एकजुट दिख रहा था वही शीतकालीन सत्र आते मानो विपक्षी एकता की गर्माहट गायब हो गई।
पहला आक्रमण तृणमूल कांग्रेस से
पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में हार बाद कांग्रेस पर सबसे बड़ा आक्रमण तृणमूल कांग्रेस से हुआ है। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि अब ममता बनर्जी के इंडिया नेतृत्व का समय आ गया है । इतना ही नहीं, अडानी विषय पर कांग्रेस ने मोर्चा खोला तो तृणमूल कांग्रेस पीछे हटती दिखी। कांग्रेस को उसका बिल्कुल भी साथ नहीं मिला। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में इंडी गठबंधन के कामकाज पर असंतोष जताते हुए अवसर मिलने पर इसकी कमान संभालने की अपनी योजना का संकेत भी दिया।
समाजवादी पार्टी को रास नहीं आ रहा कांग्रेस का स्टैंड
अडानी विषय कांग्रेस ने उठाया तो समाजवादी पार्टी खुलकर उसके साथ खड़ी नहीं दिखी। कांग्रेस सांसदों के विरोध प्रदर्शन में भी सपा सांसद नहीं दिखी। उत्तर प्रदेश उपचुनाव में ही दोनों के बीच कड़वाहट दिखी भले ही खुलकर दोनों ने कुछ नहीं बोला। वहीं अब संभल मुद्दे पर सपा को कांग्रेस का स्टैंड बिल्कुल भी रास नहीं आया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल जाने की कोशिश सपा को नहीं सुहाई। सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि कांग्रेस संसद में संभल विषय उठा नहीं रही और राहुल गांधी संभल जा रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस और सपा के साथ ही इंडी गठबंधन के कुछ और साथी भी कांग्रेस का बिना नाम लिए सवाल उठा रहे हैं।
ममता और केजरीवाल अलग राह पर
तृणमूल कांग्रेस प्रश्न खड़े कर रही है तो वहीं अरविंद केजरीवाल भी पुरानी राह पर लौटते दिख रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा हुई लेकिन गठबंधन नहीं हुआ। परिणाम कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो कांग्रेस पर सवाल उठे। कांग्रेस को इंडी गठबंधन के दूसरे दलों ने सीख दी कि यदि साथी दलों से मिलकर लड़े होते तो परिणाम अच्छे होते। पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने पहले ही यह घोषित कर दिया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा । पार्टी अकेले लड़ेगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और AAP मिलकर लड़े थे तो विधानसभा चुनाव में एक दूसरे पर तीर चला रहे हैं। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन तो दूर इसकी बात भी कोई नहीं करना चाह रहा।
भाजपा अपनी पिच पर खिलाने लगी विपक्ष को
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राहुल गांधी इंडी गठबंधन में अपने हिसाब से राजनीति करना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि पूरा विपक्ष अडानी विषय पर उनकी हां में हां मिलाए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। सपा और तृणमूल कांग्रेस वैसे भी कांग्रेस की इस राजनीति से सहमत नहीं। विपक्ष के भीतर भी एक विपक्ष दिख रहा है। भाजपा कभी नहीं चाहेगी कि पूरा विपक्ष किसी बिंदु पर एकजुट हो और वैसा ही हो रहा है। साथ ही कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की भी स्थिति इंडी गठबंधन में कमजोर हुई है। ममता बनर्जी की ओर से जब प्रश्न उठाए जाते हैं तो भाजपा को राहुल गांधी पर निशाना साधने का अवसर मिलता है। ममता बनर्जी के बयानों को आधार बनाते हुए भाजपा ने व्यंग्य कसा कि इंडी गठबंधन में कोई भी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विश्वास नहीं करता।