आयोगों में बैठे मगरमच्छ निगल रहे उत्तरांखड के सपने
Patwari Lekhpal Paper Leak: नहीं थम रहा धांधली का सिलसिला, आयोग में बैठे ‘मगरमच्छ’ निगल रहे बेरोजगारों के सपने
बेरोजगार युवाओं के सपनों को नकल माफिया चकनाचूर कर रहे हैं।
उत्तराखंड में सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं के सपनो को नकल माफिया चकनाचूर कर रहे हैं। लेखपाल भर्ती परीक्षा कराने की जो जिम्मेदारी सरकार ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से छीनकर लोक सेवा आयोग को सौंपी थी वह भी नकल की भेंट चढ़ गई।
अंकुर अग्रवाल, देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले बेरोजगार युवाओं के सपनों को नकल माफिया चकनाचूर कर रहे हैं। पिछले डेढ़ वर्ष में ऐसी कोई भर्ती परीक्षा नहीं रही, जो सवालों में न घिरी हो।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग तो बदनाम हो ही चुका है, लेकिन अब राज्य की सबसे बड़ी परीक्षा एजेंसी राज्य लोक सेवा आयोग भी उसी राह पर दिख रहा है।
लेखपाल भर्ती परीक्षा कराने की जो जिम्मेदारी सरकार ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से छीनकर लोक सेवा आयोग को सौंपी थी, वह भी नकल की भेंट चढ़ गई। चिंताजनक यह है कि नकल के इस धंधे में परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के ही कुछ लोग शामिल हैं। ये नकल माफिया के साथ मिलकर बेरोजगारों के साथ दगा कर रहे हैं।
प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में धांधली का इतिहास यूं तो पुराना है, लेकिन इसका सबसे बड़ा जिन्न वर्ष 2021 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से मई से दिसंबर-2021 के बीच आयोजित तीन भर्ती परीक्षाओं में हुई नकल के रूप में बाहर निकला।
आयोग ने 13 सरकारी विभागों के लिए समूह ग-स्नातक स्तर के 916 पदों, सचिवालय रक्षक के 33 पद और वन दारोगा के 316 पदों के लिए परीक्षा कराई थी, जिनमें कुल दो लाख, 26 हजार, 388 अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
तीनों परीक्षाओं के परिणाम भी जारी हुए और सफल अभ्यर्थियों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच कर उन्हें नियुक्तियां भी मिल गईं,लेकिन बाद में पता चला कि इन परीक्षाओं का पेपर लीक हुआ था और नकल भी कराई गई थी। इसके बाद भेद खुलते चलते गए और न केवल वर्ष-2021 अपितु वर्ष 2016 तक की परीक्षाएं सवालों के घेरे में आ गईं।
तीन परीक्षाओं से पहले पेपर हुआ लीक
दिसंबर 2021 में 933 पदों के लिए हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा, जुलाई 2021 में 316 पदों के लिए वन दारोगा और सितंबर में 33 पदों के लिए आयोजित सचिवालय रक्षक भर्ती में परीक्षा होने से पहले ही पेपर लीक हो गया था। तीनों मामलों में एसटीएफ ने मुकदमा दर्ज किया।
स्नातक स्तरीय परीक्षा में एसटीएफ ने नकल करने वाले 133 अभ्यर्थियों के बयान दर्ज किए, जबकि 80 के पते सहीं नहीं मिले। इसी तरह वन दारोगा भर्ती में छह अभ्यर्थी गिरफ्तार हो चुके हैं, 22 संदिग्ध हैं और 144 का सत्यापन किया जा रहा है। सचिवालय रक्षक में 12 अभ्यर्थियों की नकल करने में सहभागिता पाई गई, जबकि 20 शक के दायरे में हैं।
स्नातक स्तर के 13 विभागों के 916 पदों की भर्ती परीक्षा चार एवं पांच दिसंबर 2021 को आयोजित की गई थी। परीक्षा के लिए दो लाख, 69 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा में एक लाख, 46 हजार, 83 अभ्यर्थी शामिल हुए। परीक्षा के बाद आयोग ने परिणाम घोषित कर दिया था।
इसके छह माह बाद 22 जुलाई 2022 को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिकायत की। इस पर मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच कराने का आदेश दिया।
रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई। जांच में सामने आया कि आयोग ने लखनऊ के जिस प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को पेपर छापने और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी, उसके मालिक ने ही पेपर लीक कर दिया। एसटीएफ ने प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को गिरफ्तार कर लिया था।
राजनेता से लेकर आयोग के पूर्व अध्यक्ष तक गिरफ्तार
भर्ती परीक्षाओं में धांधली में राजनेताओं और अधिकारियों के गठजोड़ की परतें भी खुलकर सामने आई हैं। नकल माफिया उत्तरकाशी का भाजपा नेता व जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत से लेकर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत,पूर्व सचिव मनोहर कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया तक सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं।
हाकम सिंह को वर्ष 2021 में स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर लीक कराने में गिरफ्तार किया गया, जबकि आरबीएस रावत, कन्याल और पोखरिया को वर्ष-2016 में उनके कार्यकाल में कराई गई ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोप में एसटीएफ ने पिछले वर्ष गिरफ्तार किया।
विभिन्न परीक्षाओं में धांधली को लेकर एसटीएफ अब तक इन सभी समेत कुल 55 आरोपितों को अक्टूबर-2022 तक गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन गुरुवार की कार्रवाई के बाद अब यह संख्या बढ़कर 60 हो गई है। गिरफ्तार आरोपितों में उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के एक दर्जन सरकारी अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल हैं।
हाल ही में आठ परीक्षाओं को मिली क्लीन-चिट
एसटीएफ और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लंबी जांच-पड़ताल के बाद एक हफ्ते पहले ही विवादों में घिरी आठ भर्ती परीक्षाओं को क्लीन-चिट मिली। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वर्ष 2020-21 में व्यैक्तिक सहायक (660) कनिष्ठ सहायक (746) के साथ ही पुलिस रैंकर्स (250) व एलटी (1431) पदों के लिए तीन लिखित परीक्षा ली थीं। आयोग ने अगस्त 2021 से पहले इसके परिणाम भी घोषित कर दिए थे।
इसी दौरान आयोग ने चार अन्य परीक्षाएं, जिनमें वाहन चालक (164) , कर्मशाला अनुदेशक (157), मत्स्य निरीक्षक (26) एवं मुख्य आरक्षी दूरसंचार (272) पदों के लिए भी लिखित परीक्षा आयोजित की। आठ विभागों के रिक्त 3706 पदों के लिए तीन लाख, 25 हजार से परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
पिछले हफ्ते ही इन्हें क्लीन-चिट दे दी गई है। दरअसल, आखिरी की चार परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से पहले आयोग की पूर्व में संपन्न कराई गई भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक का विवाद सामने आ गया था। ऐसे में यह भी विवादों में घिर गई और इनकी भी जांच कराई गई।
लक्सर व बिहारीगढ़ में लगी नकल की पाठशाला
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अनुभाग अधिकारी से लेखपाल भर्ती का पर्चा 25 लाख रुपये में खरीदने के बाद नकल माफिया ने हरिद्वार के लक्सर और उत्तर प्रदेश के सहारनुपर जिले के बिहारीगढ़ के अभ्यर्थियों से वाट्सएप के जरिये संपर्क किया। इसके बाद उन्होंने लक्सर में ग्राम सेठपुर स्थित एक घर में और बिहारीगढ़ में माया अरुण रिसार्ट में पाठशाला लगाकर पेपर हल कराया।
35 अभ्यर्थी चिह्नित, कई अन्य रडार पर
एसटीएफ की प्राथमिक जांच में परीक्षा का प्रश्न पत्र खरीदने वाले 35 अभ्यर्थी चिह्नित किए गए हैं, जबकि कई अन्य अभ्यर्थी भी रडार पर हैं। एसएसपी एसटीएफ के अनुसार, इस प्रकरण में अभी अन्य व्यक्तियों के भी शामिल होने की आशंका है। राज्य लोक सेवा आयोग के अतिगोपन अनुभाग के कार्मिकों से भी पूछताछ की जा रही है। पेपर खरीदने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 100 से अधिक होने की संभावना है।
एक लाख से अधिक ने दी थी परीक्षा
लेखपाल के 536 पदों के लिए आठ जनवरी को हुई परीक्षा में एक लाख, 58 हजार, 210 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था, जबकि एक लाख, 14 हजार, 71 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए। परीक्षा सभी 13 जिलों में 458 केंद्रों में कराई गई। प्रदेश में इस वर्ष की पहली भर्ती परीक्षा में लोक सेवा आयोग के भीतर ही धांधली होने से युवाओं की उम्मीदों को झटका लगा है।
चतुर्वेदी ने 380 प्रश्न उपलब्ध कराए थे माफिया को
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अनुसार, अनुभाग अधिकारी संजीव प्रकाश चतुर्वेदी ने माफिया को करीब 380 प्रश्न उपलब्ध कराए थे। जबकि परीक्षा में सौ ही सवाल थे। इन 380 प्रश्नों में से कुछ परीक्षा में आ गए।
ऐसे में संपूर्ण प्रश्नपत्र लीक नहीं हुआ। आयोग का कहना है कि एसटीएफ की ओर से गिरफ्तारी किए जाने के बाद संजीव प्रकाश चतुर्वेदी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही आयोग स्तर से भी इसकी जांच की जा रही है।
कड़ी सुरक्षा के बीच अब 12 फरवरी को होगी परीक्षा
राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने बताया कि अब लेखपाल भर्ती परीक्षा विजिलेंस, इंटेलीजेंस और पर्याप्त पुलिस बल की मौजूदगी में 12 फरवरी को होगी। वहीं, 12 फरवरी को होने वाली सहायक लेखाकार व लेखा परीक्षक की भर्ती परीक्षा 19 फरवरी को होगी। बाकी परीक्षाओं का कैलेंडर पूर्ववत रहेगा। पेपर सुरक्षित रखने के लिए आयोग कार्यालय में विजिलेंस व इंटेलीजेंस का सेल बनाने को सरकार को पत्र भेजा गया है।
(दैनिक जागरण से साभार)