डॉक्टर इंदिरा हृदयेश पंचतत्व में विलीन,तीरथ का वचन- सरकार याद में करेगी काम

Last Tribute To Indira Hridyesh : पंचतत्व में विलीन हुईं उत्तराखंड की जनप्रिय नेता इंदिरा हृदयेश
उत्तराखंड की जनप्रिय नेता डाक्टर इंदिरा हृदेयश सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। रानीबाग चित्रशिला स्थित घाट पर बेटे सुमित हृदयेश ने उन्हें मुखाग्नि दी तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। जवानों ने शोक सलामी के दौरान शस्त्र झुका लिए।

हल्द्वानी,14 जून। उत्तराखंड की जनप्रिय नेता डाक्टर इंदिरा हृदयेश सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। रानीबाग चित्रशिला स्थित घाट पर बेटे सुमित हृदयेश ने उन्हें मुखाग्नि दी तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। जवनों ने शोक सलामी के दौरान शस्त्र झुका लिए। इस दौरान, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कैबिनेट मिनिस्टर बंशीधर भगत, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, समेत बड़ी तादाद में सभी पार्टियों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। इसके पहले मटरगली स्थित स्वराज आश्रम से अंतिम यात्रा निकाली। इस दौरान रास्ते में लोगों ने जगह-जगह फूलों की बारिश कर नम आंखों से अपने नेता का नमन किया।

स्वराज भवन में अंदिम दर्शन के लिए रखा गया पार्थिव शरीर

नेता प्रतिपक्ष डाक्टर इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद अंतिम दर्शन को सुबह से नैनीताल रोड स्थित उनके आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, कैबिनेट मिनिस्टर बंसीधर भगत, अरविंद पांडे, राज्यमंत्री रेखा आर्य, नवीन दुम्का, समेत अन्य बड़े नेता भी अंतिम दर्शन को पहुँचे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर इंदिरा हृदयेश का व्यक्तित्व ऐसा था कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठ विकास के लिए लड़ती थी। उनका निधन एक बड़ी क्षति है। राज्य सरकार पूरी कोशिश करेगी कि उनके अधूरे सपनों को पूरा किया जाएगा।

राजनैतिक और गैर राजनैतिक सभी पहुँचे

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश को श्रद्धांजलि देने के लिए भाजपा कांग्रेस के बड़े नेताओं का घर पहुँचने का सिलसिला जारी था। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्य्क्ष मदन कौशिक व पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी शोक जताने पहुँचे थे। जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, पूर्व सांसद बलराज पासी, भाजपा महामंत्री सुरेश भट्ट, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, राहुल छिमवाल, बड़ी संख्या में पार्षद, समेत राजनैतिक व गैर राजनैतिक संगठनों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में आवास पर मौजूद थे।

कांग्रेस में इस हल्द्वानी से कौन प्रतिनिधित्व करेगा, यह बड़ा सवाल है। हालांकि. पार्टी के बड़े नेता इस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद अब उनके उत्तराधिकारी को लेकर कयास लगने शुरू हो गए हैं। हर जुबां पर चर्चा है कि हल्द्वानी सीट पर लोगों का दिल कौन जीतेगा। हल्द्वानी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। इस सीट से डॉक्टर इंदिरा हृदयेश कई बार विधायक चुनी गईं। उन्होंने 2002, 2012 और 2017 का चुनाव जीता था। सिर्फ 2007 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव का कहना है कि जो भी उनके सपने थे, पार्टी उनको पूरा करने की कोशिश करेगी। पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि डॉक्टर इंदिरा हृदयेश को लेकर स्मृति हल्द्वानी के लोगों के मन में बहुत लंबे समय तक रहेगी। इसलिए कांग्रेस के लिए यहां कोई दिक्कत नहीं है। अभी तो यहां सुमित हृदयेश काम कर रहे हैं।

 

ऑटोबायोग्राफी लिखने की हसरत रह गई अधूरी

नेता प्रतिपक्ष की ऑटोबायोग्राफी लिखने की इच्छा अधूरी रह गई। वह अपने जीवन के अनुभवों को शब्दों के जरिये अभिव्यक्त करना चाहतीं थीं।  इंदिरा हृदयेश के साथ रहने वाले नीरज जोशी बताते हैं कि करीब दो साल पहले उन्होंने ऑटोबायोग्राफी लिखने की इच्छा जाहिर की थी। डॉक्यूमेंट्री बनाने की बात भी हुई थी। इसे लेकर कुछ कोशिश भी शुरू हुई थी। कुछ किताबों को उन्होंने पढ़ना शुरू किया। ऑटोबायोग्राफी को लेकर कुछ चीजों को जुटाने की कोशिश भी शुरू हुई थी पर यह हसरत अधूरी रह गई।

इंदिरा हृदयेश के नाम पर कुछ न कुछ किया जाएगा : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि इंदिरा हृदयेश ने प्रदेश में काफी काम किया है। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनके नाम पर प्रदेश में कुछ न कुछ किया जाएगा। आईएसबीटी सहित उनके अन्य अधूरे कार्यों को पूरा किया जाएगा।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इंदिरा हृदयेश को श्रद्धांजलि देने के लिए सोमवार की सुबह हल्द्वानी पहुंचे। उनका हेलिकॉप्टर आठ बजकर 29 मिनट पर गौलापार स्टेडियम में उतरा। आठ बजकर 35 मिनट पर वह नेता प्रतिपक्ष के आवास पर पहुंचे। उन्होंने इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश को ढाढ़स बंधाया।

पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदिरा जी का जाना प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है। इसकी भरपाई करना मुश्किल है। वह हमेशा प्रदेश के विकास के लिए लड़तीं थीं। वह बड़ी बहन के रूप में बराबर उनका हौसला बढ़ातीं थीं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली की राजनीति में भी उनकी अच्छी पकड़ थी। चार दिन पहले उनसे कोविड के मुद्दे पर बातचीत हुई थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनसे 10-12 बार कई मुद्दों पर बातचीत हुई थी। लॉकडाउन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में बैठक के बाद निर्णय लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री के आने से पहले भीड़ को पुलिस ने हटाया
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के आने से चंद मिनट पहले ही पुलिस अधिकारियों ने भीड़ को हटाया। श्रद्धांजलि देने के लिए वहां भीड़ जमा हो गई थी। इंदिरा हृदयेश के आवास पर करीब दस मिनट रहने के बाद मुख्यमंत्री देहरादून के लिए चले गए।

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