नहीं रहे अटल जी के निजी सचिव शिव कुमार पारिख
नहीं रहे अटल के सारथी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शिवकुमार पारीक का निधन
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शिवकुमार पारीक का शनिवार को दिल्ली में निधन (Shivkumar Pareek passes away) हो गया. जयपुर के चांदपोल घाट पर रविवार को उनका अंतिम संस्कार होगा.
नई दिल्ली/जयपुर /देहरादून 07 मार्च: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शिवकुमार पारीक का निधन (Shivkumar Pareek died) हो गया. पारीक का लंबे उपचार के दौरान दिल्ली में निधन हुआ. उनका अंतिम संस्कार रविवार को जयपुर के चांदपोल मोक्षधाम में होगा.दरअसल शिवकुमार पारीक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लंबे समय तक रहे. वह वाजपेयी के बहुत करीबी और दत्तक पुत्र माने जाते थे. अटल बिहारी के अंतिम समय तक सेवा करने वाले पारीक जनसंघ के जमाने से ही उनके साथ थे।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शिवकुमार पारीक का शनिवार को उपचार के दौरान दिल्ली में निधन हो गया है। शिवकुमार पारीक 83 वर्ष के थे। पारीक का अंतिम संस्कार रविवार को सुबह साढ़े दस बजे राजस्थान में जयपुर के चांदपोल स्थित मोक्षधाम में किया जाएगा। पारीक का शव शनिवार शाम दिल्ली से जयपुर लाया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक रहे पारीक जनसंघ के समय से ही अटल बिहारी वाजपेयी के साथ थे। वाजपेयी के अंतिम समय तक पारीक उनके साथ रहे। राज्य के भाजपा नेताओं का कहना है कि साल,1968 से पारीक वाजपेयी के निकट रहे हैं। राज्य के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी ने बताया कि 1968 में अटल वाजपेयी को किसी ऐसे सहयोगी की जरूरत महसूस हुई, तो उसके साथ साए की तरह रह सके। इस पर नानाजी देशमुख ने उन्हें पारीक का नाम सुझाया था। पारीक के दो पुत्र महेश और दिनेश हैं।
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पारीक के निधन पर शोक जताया
पारीक का परिवार जयपुर का मूल निवासी है। पारीक के निधन पर कई पार्टियों ने नेताओं ने शोक जताया है। अटल की राजनीति की चादर हमेशा उजली रही। शिव कुमारजी कहा करते थे कि अटल ने जब इस्तीफा दिया था, तब बिकने वाले भी बहुत थे और खरीदार भी। अटल जोड़-तोड़ में विश्वास नहीं करते थे। इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। शिव कुमार कहते थे कि साहित्य और प्रकृति से अटल का लगाव हमेशा रहा। अटल का कवित्व उनके बाबा की देन है। पिता भी अच्छे कवि थे। शिव कुमार बताते हैं कि जब तक उनके हाथ में कलम टिकी, तब तक अपने हर जन्मदिन पर कविता जरूर लिखी। जिनकी जिह्वा पर सरस्वती विराजमान थीं।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का ट्वीट
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट में लिखा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगी शिव कुमार पारीक का निधन हो गया है।
रौबदार मूंछों के कारण थी खास पहचान
अटल बिहारी के पक्ष-विपक्ष कार्यकाल के साक्षी रहे शिवकुमार पारीक अपनी रौबदार मूंछों के कारण भी पहचाने जाते थे. शिवकुमार केवल अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सहायक के तौर पर ही नहीं, बल्कि उनके हर राजनीतिक उतार-चढ़ाव के भी साक्षी रहे हैं.वाजपेयी की अनुपस्थिति में कई साल तक शिवकुमार ने लखनऊ संसदीय क्षेत्र को संभाला था. जब से भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने अस्वस्थता के कारण राजनीतिक और सामाजिक जीवन में सक्रियता कम कर दी. तब से शिवकुमार ही उनकी दिनचर्या को संभालते रहे थे. अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में पारीक क्या थे, इसे एक घटना से समझा जा सकता है.
पिछले लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह लखनऊ से उम्मीदवार थे. वैसे तो राजनाथ खुद उस वक़्त भाजपा अध्यक्ष थे, मगर लखनऊ अटल बिहारी वाजपेयी की परम्परागत सीट थी. राजनाथ को अच्छी तरह पता था कि जीतना है तो मतदाताओं को यह संदेश देना ही पड़ेगा कि वाजपेयी का आशीर्वाद उनके साथ है. बीमारी के चलते अटल बिहारी नहीं जा सकते थे तो शिव कुमार पारीक को राजनाथ के साथ लखनऊ भेजा गया. पारीक को साथ लेकर राजनाथ सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की और उनकी मौजूदगी अटल बिहारी वाजपेयी की इच्छा मानी गई और चुनाव आसानी से निकल गया.
यहां देहरादून में अटल जी के सबसे घनिष्ठ परिवार स्वर्गीय नरेंद्र स्वरूप मित्तल के सुपुत्र, भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष पुनीत मित्तल ने कहा कि स्वर्गीय शिवकुमार समर्पण की जीती-जागती मूर्ति थे। वे हाईकोर्ट के अधिवक्ता से जैसे ही अटल जी के सहायक बने तो फिर उन्होंने अपनी पहचान मिटा कर खुद को उनकी छाया बना लिया। ऐसे में उनकी व्यक्तिगत आकांक्षा क्या थी,किसी को पता नहीं चलने दिया।