सद्गति में ही मिलेंगें भगवान:आचार्य श्री सौरभ सागर महामुनिराज

देहरादून 26 जुलाई 2025 । परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्रोत उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज के मंगल सानिध्य में आज 26 जुलाई प्रातः 6.15 बजे से जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। इसके पश्चात संगीतमय कल्याण मंदिर विधान का आयोजन किया गया। विधान में उपस्थित भक्तों ने बड़े भक्ति भाव के साथ 23वें तीर्थंकर चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ की आराधना की। आज के विधान के पुण्यार्जक सर्वश्री आशीष जैन, अनुपम जैन, प्रवीण जैन और चारु जैन रहे।
पूज्य आचार्य श्री के पास बाहर से पधारे गुरुभक्तों का पुष्प वर्षायोग समिति ने स्वागत अभिनन्दन किया।
भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति आराधना के दिन आज
पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि जब दुनिया के सारे सहारे बेसहारा हो जाते हैं, तब परमात्मा ही एक हमारा सहारा होता है।

बच के जाओगे कहां?

अगर कही जा सकते हो तो दुर्गति में क्योकि अगर सद्गति में जाओगे तो वहां भगवान मिलेंगें। दुर्गति में तो मिलने वाले हैं नहीं। नरक ऐसी चीज है जहां भगवान नहीं हैं। तिर्यच गति में भी मनमुताबिक भगवान मिलते नहीं हैं। मनुष्य ऐसा विवेकशील प्राणी है, जो अपने लिए चाहे जैसे भी घर बना लें। परन्तु परमात्मा के दर्शन के लिए एक ना एक मन्दिर अवश्य बनाता है क्योकि आप कही भी चले जाओगे लेकिन वापस आना तो परमात्मा के पास ही पड़ेगा।

 

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