रूंधा गला, आंखों में आंसू:गुलाम नबी के बिदाई भाषण में रो पड़े मोदी

मोदी के मन की बात:गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई पर मोदी भावुक हुए; रोए, आंसू पोंछे, पानी पिया और इशारों में सैल्यूट किया

नई दिल्ली 09 फरवरी। नरेंद्र मोदी और गुलाम नबी आजाद की यह फोटो 20 दिसंबर 2007 की है। वे आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर दिल्ली में हुई कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए थे। तब मोदी गुजरात के और आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे।

आज प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए… इतना कि रो पड़े, फफक-फफक कर। बाएं हाथ के अंगूठे से चश्मे के कोर तक आंसू पोंछते रहे। कई दफा पानी पिया। बोल तक नहीं पा रहे थे, रूंधते और थरथराते लफ्जों में कहानी सुनाई। फिर इशारों में सैल्यूट किया।

जगह थी राज्यसभा और मौका था कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद के कार्यकाल पूरा होने का। मोदी ने गुलाम नबी से अपनी दोस्ती का जिक्र किया और कश्मीर में हुई एक आतंकी घटना की कहानी सुनाई। आप भी इसे ज्यों का त्यों पढ़ें…

‘‘…जब आप मुख्यमंत्री थे, मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारी बहुत गहरी निकटता रही है। शायद ही ऐसी कोई घटना हो, जब हम दोनों के बीच में कोई संपर्क सेतु न रहा हो। एक बार जम्मू-कश्मीर गए टूरिस्टों में गुजरात के भी यात्री थे। वहां जाने वाले गुजराती यात्रियों की काफी संख्या रहती है। आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया। शायद 8 लोग मारे गए। सबसे पहले मेरे पास गुलाम नबी जी का फोन आया। और वो फोन सिर्फ सूचना देने के लिए नहीं था (मोदी के आंसू छलक आए)। फोन पर उनके आंसू रुक नहीं रहे थे।

उस समय प्रणब मुखर्जी साहब डिफेंस मिनिस्टर थे। मैंने उन्हें फोन किया कि अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए तो डेड बॉडीज आ सकती हैं। देर रात हो गई थी, प्रणब मुखर्जी साहब ने कहा कि आप चिंता मत कीजिए, मैं करता हूं व्यवस्था।

लेकिन रात में फिर गुलाम नबी जी का फोन आया। वो एयरपोर्ट पर थे। (मोदी का गला रूंध गया और रुककर पानी पिया) उन्होंने फोन किया और जैसे कोई अपने परिवार के सदस्य की चिंता करे, वैसी चिंता… (उंगली से गुलाम नबी की ओर इशारा किया)।

पद, सत्ता जीवन में आते रहते हैं, लेकिन उसे कैसे पचाना… (फिर नहीं बोल पाए और सैल्यूट करके फिर इशारा किया। गुलाम नबी ने हाथ जोड़ लिए)। मेरे लिए वो बड़ा भावुक पल था। दूसरे दिन सुबह फोन आया कि मोदी जी शव पहुंच गए।

इसलिए एक मित्र के रूप में मैं गुलाम नबी जी का घटनाओं और अनुभवों के आधार पर आदर करता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, उनकी नम्रता, इस देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना, वो कभी उन्हें चैन से बैठने नहीं देगी। मुझे विश्वास है जो भी दायित्व वो संभालेंगे, वो जरूर वैल्यू एडिशन करेंगे, कंट्रिब्यूशन करेंगे और देश उनसे लाभान्वित होगा, ऐसा मेरा पक्का विश्वास है।

मैं फिर एक बार उनकी सेवाओं के लिए आदरपूर्वक धन्यवाद करता हूं और व्यक्तिगत रूप से भी मेरा उनसे आग्रह रहेगा कि मन से मत मानो कि आप इस सदन में नहीं हो। आपके लिए मेरे द्वार हमेशा खुले रहेंगे। सारे माननीय सदस्यों के लिए खुले हैं। आपके विचार-आपके सुझाव, क्योंकि देश के लिए ये सब बहुत जरूरी होता है, ये अनुभव बहुत काम आता है और ये मुझे मिलता रहेगा। ये अपेक्षा मैं रखता ही रहूंगा। आपको मैं निवृत्त होने नहीं दूंगा। फिर एक बार बहुत शुभकामनाएं, धन्यवाद।’’

इससे पहले प्रधानमंत्री ने बाकी तीन सांसदों भाजपा के शमशेर सिंह, पीडीपी के अहमद लावे और मीर फैयाज के कार्यकाल खत्म होने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मीर मोहम्मद और नाजिर अहमद दोनों ऐसे साथी हैं, जिनकी ओर सदन में लोगों का ध्यान कम ही जाता है। पर कोई भी सत्र ऐसा नहीं होगा, जब चैम्बर में बैठकर अलग-अलग विषयों पर इन दोनों के साथ समझने और सुनने का मौका ना मिला हो।

शमशेर सिंह के बारे में बोले कि वो सौम्य और मृदुभाषी हैं, जिनके साथ जम्मू-कश्मीर में संगठन के कार्यकर्ता के रूप में काम करने का मौका िमला। कभी ऐसे मौके भी आए कि हम दोनों साथ स्कूटर पर घूमे।

कल PM का एक अलग अंदाज दिखा था

प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को जब राज्यसभा में बोल रहे थे, तब उनका अंदाज अलग था। उन्होंने कुछ नए शब्दों का जिक्र किया। जैसे- आंदोलनजीवी, फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी और जी-23। यह भी बताया कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आज होते तो कविता किस तरह लिखते। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष को घेरते हुए मोदी ने चार पूर्व प्रधानमंत्रियों का जिक्र किया।

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