ज्ञानवापी मामला: मुख्य वादी रेखा सिंह की वापसी की घोषणा,बाकी चार डटी
ज्ञानवापी प्रकरण: केस वापस लेने की घोषणा पर वैदिक सनातन संघ में फूट, 4 वादी महिलाएं बोलीं- हर हाल में लड़ेंगे मुकदमा
वाराणसी 08 मई। ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत अन्य विग्रहों के नियमित दर्शन पूजन को लेकर दो दिनों से सर्वे पर हंगामा मचा हुआ है। अब याचिका दाखिल करने वाली संस्था विश्व वैदिक सनातन संघ ने केस वापस लेने की घोषणा कर दी है।
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर सर्वे मामले में नया मोड़ आ गया है। सर्वे के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त की कमीशन की कार्रवाई के दौरान वादी पक्ष की महिलाओं में दरार पड़ती दिख रही है। प्रतिवादी पक्ष के विरोध के बाद सर्वे की कार्रवाई रुकने के अगले दिन रविवार को वादी पक्ष को सहयोग कर रही विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने याचिका वापस लेने का दावा कर किया।
मुख्य वादी राखी सिंह के रिश्तेदार होने के कारण जितेंद्र सिंह बिसेन के इस बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है। उधर, वाद से जुड़ी चार अन्य महिलाएं मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और रेखा देवी ने ऐसे किसी फैसले से इनकार किया है और दावा किया कि मरते दम तक केस लड़ेंगे।
किसी भी हाल में मुकदमा वापस नहीं होगा
दरअसल, ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की ओर से पांच महिलाओं में से एक राखी सिंह की ओर से जितेंद्र सिंह बिसेन ने केस वापस लेने की घोषणा की है। इसके तुरंत बाद गुर्जर छात्र समिति कर्णघंटा में मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और रेखा देवी संयुक्त रुप से मीडिया के सामने आई और केस वापस लेने के किसी भी निर्णय से इनकार किया।
याचिका दाखिल करने वाली महिलाएं – फोटो : सोशल मीडिया।
महिलाओं का नेतृत्व कर रहीं मंजू व्यास ने कहा है कि किसी भी हाल में मुकदमा वापस नहीं होगा। वे मरते दम तक मुकदमा वापस नहीं लेंगी। एक वादी के मुकरने से केस वापस नहीं होगा। इन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन वादी पक्ष की ओर से मौजूद नहीं थे।
इसके बाद से ही फूट की आशंका बढ़ गई थी। केस की अगुवाई करने वाली संस्था विश्व वैदिक सनातन संघ ने शनिवार को अपने लेटर हेड पर जानकारी साझा करते हुए विधि सलाहकार समिति को भंग कर दिया था।
ज्ञानवापी का केस वापस नहीं लेगा हिंदू पक्ष:याचिका दाखिल करने वाली 4 महिलाएं बोलीं- लड़ाई जारी रखेंगे; संगठन प्रमुख ने कहा था- केस वापस लेंगे
काशी विश्वनाथ, श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष दो धड़ों में बंटता हुआ नजर आ रहा है। जिस विश्व वैदिक सनातन संघ के नेतृत्व में पांच महिलाओं ने ये वाद दायर किया था, रविवार सुबह उसके प्रमुख ने केस वापस लेने की बात कही। संघ के प्रमुख ने भास्कर को फोन कर केस वापस लेने की जानकारी दी। वहीं, इसके कुछ घंटे बाद ही वाद दायर करने वाली चार महिलाएं मीडिया के सामने आईं। उन्होंने केस वापस लेने से इनकार कर दिया।
महिलाओं ने कहा- किसने क्या निर्णय लिया, जानकारी नहीं
मुकदमे में वादिनी के तौर पर शामिल 5 में से 4 महिलाओं मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक का कहना है कि वह मां श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं के लिए अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगी। किसने क्या निर्णय लिया है, इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई है।
महिलाओं ने कहा, ‘हम चारों काशी में ही रहते हैं और अपने देवी-देवताओं के लिए उचित मंच पर हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे।’ बता दें कि पांचवीं याचिकाकर्ता राखी सिंह ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान भी वाराणसी नहीं आई हैं।
संघ के प्रमुख ने मुकदमा वापस लेने का किया था ऐलान
रविवार सुबह विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने फोन पर पत्रकारों से बात की थी। बिसेन ने कहा, “मैं बस इतना ही कहूंगा कि कल मैं मुकदमा अदालत से वापस ले लूंगा।” वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय कभी-कभी एकाएक ऐसे लेने पड़ जाते हैं, जो किसी की भी समझ से परे होते हैं। इससे ज्यादा अभी मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा।”
जितेंद्र सिंह बिसेन ने बातचीत करने के बाद अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया जो फिर ऑन नहीं हुआ । पुलिस-प्रशासन भी जितेंद्र सिंह बिसेन की तलाश कर रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने अचानक ऐसा निर्णय लिया।
बता दें कि जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में ही राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन के लिए अगस्त 2021 में अदालत में ज्ञानवापी प्रकरण का मुकदमा दाखिल किया था। बताया जाता है कि यह पांचों महिलाएं भी विश्व वैदिक सनातन संघ की सदस्य हैं।
यह फोटो उन महिलाओं की हैं, जिन्होंने 2021 में मुकदमा दायर किया था। इन महिलाओं का नेतृत्व जितेंद्र सिंह बिसेन ने किया था।
अगस्त 2021 में दाखिल किया गया था केस
इन महिलाओं ने अदालत से मांग की थी कि मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। साथ ही, ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं मूर्तियों की सुरक्षा की मांग भी अदालत से की थी। इस मुकदमे में प्रतिवादी उत्तर प्रदेश सरकार के जरिए मुख्य सचिव सिविल, डीएम वाराणसी, पुलिस कमिश्नर वाराणसी, अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के मुख्य प्रबंधक और बाबा विश्वनाथ ट्रस्ट के सचिव को बनाया गया था।
यह फोटो शनिवार की है। ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान एक व्यक्ति नारेबाजी करने लगा। उसे पुलिस ने पकड़कर जेल भेज दिया।
मुकदमा ही गलत दाखिल किया गया था: वरिष्ठ अधिवक्ता
प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र और वाराणसी के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा, “वाद दाखिल करने वाली महिलाएं प्रार्थना पत्र देकर ज्ञानवापी का मुकदमा वापस ले सकती हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। उससे किसी को कोई असर नहीं पड़ेगा। मुकदमे पर मेरा विधिक ज्ञान कहता है कि यह मुकदमा ही गलत दाखिल किया गया था। मुस्लिम पक्ष ने शृंगार गौरी मंदिर पर कभी दावा नहीं किया था और न कभी उस जगह को अपना बताया था।”
ज्ञानवापी का सर्वे कराने के लिए कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। शुक्रवार और शनिवार को दोनों पक्षों के लोग सर्वे के लिए पहुंचे।
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कोर्ट ने सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था
5 महिलाओं द्वारा याचिका दाखिल करने के बाद वाराणसी की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी। इसके बाद ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। कोर्ट ने 10 मई को रिपोर्ट तलब की है। अदालत के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में 6 मई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे शुरू किया। पहले ही दिन सर्वे को लेकर हंगामा और नारेबाजी हुई। मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया कि एडवोकेट कमिश्नर निष्पक्ष तरीके से नहीं, बल्कि पार्टी बनकर सर्वे करा रहे हैं।
यह फोटो शनिवार की है। ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान वहां हंगामा की आशंका को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद रही है।
मुस्लिम पक्ष के वकील ने एडवोकेट कमिश्नर हटाने की मांग की
मुस्लिम पक्ष ने शनिवार को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। इसमें एडवोकेट कमिश्नर को बदलने की मांग की थी। अदालत ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए वादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर को उनका पक्ष रखने के लिए 9 मई की तारीख दी थी। हालांकि, सर्वे पर रोक लगाने से कोर्ट ने इंकार कर दिया था।
7 मई की दोपहर सर्वे का फिर शुरू हुआ। वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि करीब 500 से ज्यादा मुस्लिम मस्जिद में मौजूद थे और उन्हें सर्वे के लिए अंदर नहीं जाने दिया गया। इस वजह से वह सर्वे छोड़ कर जा रहे हैं। अब अपना पक्ष 9 मई को अदालत में रखेंगे। दोनों पक्ष 9 मई को अदालत में सुनवाई का इंतजार कर ही रहे थे कि रविवार को जितेंद्र सिंह बिसेन ने यह घोषणा कर सबको चौंका दिया कि वह अपना मुकदमा वापस ले लेंगे। इससे पहले शनिवार को सर्वे का काम रुकने के बाद जितेंद्र सिंह बिसेन ने विश्व वैदिक सनातन संघ की विधि सलाहकार समिति को भंग कर दिया था।
बीते साल महिलाओं ने दाखिल की थी याचिका
दरअसल 18 अगस्त 2021 को पांच महिलाएं शृंगार गौरी में नियमित दर्शन पूजन की मांग को लेकर कोर्ट पहुंची थीं। महिला वादियों ने कहा था कि शृंगार गौरी मंदिर में पहले की परंपरा के अनुसार साल में दो बार पूजा होती थी। लेकिन हमारी मांग है कि देवी विग्रहों का नियमित दर्शन पूजन करने की अनुमति दी जाए।
इसमें किसी प्रकार की बाधा न डाली जाए। कोर्ट ने इस अपील पर सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे और वीडियोग्राफी का आदेश दिए और 10 मई को रिपोर्ट मांगी है। इसके पहले मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण सर्वे पूरा नहीं हो सका है। इस मामले में सोमवार को सुनवाई होनी है।
एक व्यक्ति के केस वापस लेने से मुकदमा वापस नहीं होता
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता एखलाक अहमद ने कहा कि यदि किसी केस में पांच वादी हैं और कोई एक वादी अपना केस वापस लेता है और बाकी के चार वापस नहीं लेते हैं। तब भी केस जारी रहता है। जब तक सभी वादी अपना केस वापस न लें लें तब तक केस स्टैंड करता है। इसमें तकनीकी पहलुओं को अदालत देखता है।
वहीं वादी के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि एक व्यक्ति के केस वापस लेने से मुकदमा वापस नहीं होता है। कई बार एक मुकदमे में पांच वादी हैं तो एक वादी की मौत पर केस वापस नहीं होता है। इसी प्रकार एक व्यक्ति यदि किन्हीं कारणों से केस वापस लें तब भी मुकदमा स्टैंड करता हैं। जब तक सभी वादी केस वापस नहीं लेते हैं तब तक केस चलता रहता है।
कोर्ट के आदेश के बाद अब तक क्या-क्या हुआ
ज्ञानवापी परिसर का सर्वे के दौरान हंगामा
कोर्ट के आदेश पर छह मई को कोर्ट कमिश्नर ने सभी पक्षों के साथ गहमागहमी के बीच सर्वे किया। पहले दिन काफी ज्यादा हंगामा और नारेबाजी हुई। दूसरे दिन सात मई को मस्जिद के अंदर मुस्लिमों के प्रवेश नहीं देने पर कोर्ट कमिश्नर ने कार्यवाही को रोककर सर्वे नौ मई के लिए टाल दिया। उधर, सात मई को विपक्षी अधिवक्ता ने कोर्ट कमिश्नर के सर्वे की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अदालत में उनको बदलने की मांग की। अदालत ने वादी को अपना पक्ष रखने के लिए नौ मई तक सुनवाई टाल दी।