अपनो की सताई रोशन बानो सनातन अपना बन गई रोशनी
Uttarakhand: अल्मोड़ा की रोशन क्यों बन गई ‘रोशनी’? झकझोर देगी इस बेटी की दर्दनाक कहानी
मुस्लिम पंथ छोड़ रोशन बानो हो गई सनातनी रोशनी।
पिता व भाई के उत्पीड़न से तंग आकर रोशन बानो ने सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए सनातन धर्म अपनाया। उन्होंने बताया कि मुस्लिम समाज में महिलाओं की इज्जत नहीं होती। हिंदू समाज में हमेशा महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाई जाती है।
रानीखेत, 17 फरवरी। पहाड़ की बेटियां अब सजग और सशक्त भी हैं। उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज उठाने के साथ ही आत्मसम्मान की रक्षा के लिए फैसले लेने की ताकत भी जुटा रहीं हैं। रोशन बानो से रोशनी बनी एक बेटी ऐसा ही उदाहरण बनकर उभरी हैं। अल्मोड़ा में जन्मी और पली-बढ़ी रोशन अपने पिता व भाई के अत्याचार से इस कदर आहत हुई कि मुस्लिम पंथ छोड़ सनातनी हो गई। उनका कहना है कि सनातन धर्म में लड़कियों व महिलाओं के अधिकार व सम्मान की व्यवस्था है। रिश्तेदारी में ही शादी की परंपरा उसे हमेशा खटकती आई है। वहां नारी को ही आवाज उठाने पर गलत ठहराकर फतवा जारी कर दिया जाता है। इसलिए अब सनातन को आत्मसात कर अपनी आने वाली पीढ़ी को भी वैदिक संस्कृति से जोड़ संस्कार दूंगी।
बेहद मार्मिक है रोशनी की कहानी
रोशनी की कहानी बेहद मार्मिक और झकझोरने वाली है। एक बातचीत में वैदिक धर्म शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म अपना चुकी रोशनी ने अपनी पीड़ा साझा की है। उनके अनुसार सनातन में महिलाओं को सम्मान देना सिखाया जाता है। महिला के साथ गलत होने पर पुरुष समाज भी पीड़िता के पक्ष में उठ खड़ा होता है। जबकि मुस्लिम समुदाय में अत्याचार के विरुद्ध बोलने वाली महिला को ही गलत साबित कर दिया जाता है। भेदभाव इस कदर कि स्त्री को पैर की जूती समझा जाता है। यह सब उसने अपने ही घर में देखा है।
बेटे की भूमिका निभाई पर कोई मोल न समझा
32 साल की अविवाहित रोशनी कहतीं हैं कि वह घर में सबसे बड़ी है इसलिए बेटा होने का कर्तव्य निभाती आई हूं। 2012 में बरेली से नर्सिंग का कोर्स पूरा करने के बाद हवालबाग ब्लाक (अल्मोड़ा) में पहली तैनाती मिली। नौकरी के साथ एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा से बीए किया और फिर एमए । 2017 में नागरिक चिकित्सालय रानीखेत में स्टाफ नर्स ज्वाइन किया। नौकरी के साथ-साथ भाई को बीएड और बहन को नर्सिंग कालेज में दाखिला दिलाया। सबसे छोटी बहन को उच्च शिक्षा दिलाई। मगर उसके समर्पण का मोल नहीं समझा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाई साजिद हिंसक प्रवृति का है। बैंक से लोन लेकर काठगोदाम में जो मकान जोड़ा है, भाई उसे अपने नाम कराने के लिए लड़ने लगा। उसे समझाया कि अभी मकान बैंक लोन पर है तो उसे पीटा गया। शहर में मांस बेचने वाले पिता के सामने भाई ने पीट कर मुंह से खून तक निकाल दिया पर वह भी अन्याय का साथ देने लगे।
पिता ने भी दुखा दिया दिल
रोशनी के अनुसार टम्टा मोहल्ला अल्मोड़ा निवासी पिता बशीर अहमद प्रताड़ित कर कहते थे कि पेड़ हमने लगाया है तो फल भी हम ही खाएंगे। जन्म दिया है तो कत्ल भी कर देंगें। इस पर उसने 2020 में कोतवाली में लिखित शिकायत दी। तब उसके पिता ने माफीनामा दे दिया। वह रानीखेत में किराए में रहने लगी तो स्वजन वहां आकर भी मारपीट करते थे। घर ले जाने व जान से मारने की धमकी देते रहे। पिता होने के बावजूद वह चाहते थे कि बेटी मर जाएगी तो प्रापर्टी उनके नाम हो जाएगी। आखिर में परिवार की प्रताड़ना से तंग आकर उसने सनातन को अपनाने का निर्णय लिया जहां बेटियों व महिलाओं को सम्मान दिया जाता है। 2022 में रोशनी ने स्वजन से रिश्ता तोड़ उन्हें अपनी संपत्ति से भी बेदखल कर दिया। धमकियों के बीच रानीखेत पुलिस व प्रशासन के सहयोग को रोशनी ने सराहनीय बताया।
क्या कहते हैं अधिकारी
गोविंद सिंह माहरा- नागरिक चिकित्सालय रानीखेत की स्टाफ नर्स रोशनी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि मैं किसी से प्रभावित हूं। अपने ही घर-परिवार से प्रताड़ित हूं। जिस गाड़ी से दुर्घटना हो जाए दोबारा उसमें बैठने से डर लगता है। मेरे साथ तो उत्पीड़न हुआ है। मानसिक प्रताड़ना दी गई। अवसाद की दवाएं खाई। कैसे भूल सकती हूं कि तबीयत बिगड़ी तो मेरी चेन तक उतार ली गई। ऐसे में मैं कैसे वापस जा सकती हूं। मरना पसंद है लेकिन अपने समुदाय में वापस नहीं जाऊंगी। मैने एसडीएम कार्यालय हल्द्वानी में सूचना देने के बाद अनुमति मिलने पर चार दिसंबर 2022 को आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी में स्वेच्छा से सनातन को अपना लिया। इसके पहले उन्होंने विधिवत आर्यसमाज के साहित्य का अध्ययन भी कर लिया। उनके अनुसार वें चाहेंगीं कि उनकी आने वाली पीढ़ी वैदिक संस्कृति व शास्त्रों का ज्ञान ले और नारी को सम्मान देने वाले सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार भी करे। सनातन स्वीकार करने पर लोग शुभकामनाएं दे रहे हैं।
रोशनी के पिता इसे ग़लत बताते हुए दावा करते हैं कि रोशनी के पीछे कोई है जिसका वे पता करा रहे हैं।