इतिहास: क्रूर, अंध इस्लामी, बर्बर सत्ता पिपासु था औरंगजेब
औरंगजेब को काशी विश्वनाथ मंदिर से सबसे ज्यादा नफरत क्यों थी? मूर्तियों का सोना-चांदी मस्जिद में लगाने का आदेश दिया
Aurangzeb Temple Destruction: औरंगजेब के पूरे शासनकाल में हिन्दू मंदिर निशाने पर रहे. मंदिरों को खंडहर बनाने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक लूटी गई मूर्तियों से सोना-चांदी निकालकर मस्जिदों में लगाने का आदेश तक दे दिया था, लेकिन उसे सबसे ज्यादा नफरत वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से थी. जानिए, ऐसा क्यों था और देश के किन-किन मंदिरों को अपना निशाना बनाया.
मंदिर ध्वस्त करने का औरंगजेब का हुक्म किसी खास मंदिर या इलाके तक सीमित नहीं था. उसने अपनी हुकूमत के सभी 21 सूबेदारों को मंदिरों के विध्वंस के साथ ही हिंदुओं की शिक्षण संस्थाएं बंद कराने को लिखा था. इस्लाम के प्रचार-प्रसार को सिर्फ मूर्तिपूजा रोकना ही उसने काफी नहीं माना. हिंदू पर्वों-त्योहारों और रीति-रिवाजों पर भी रोक लगाई. उनकी हर आस्था पर चोट पहुंचाई. हिंदू शिक्षा संस्थाओं से उसे शिकायत थी कि वहां झूठी किताबें पढ़ाई जाती हैं. वो सिर्फ हुक्म जारी करके खामोश नहीं बैठा. उस पर अमल की भी जानकारी लेता रहा.
शुरुआत में नए मंदिरों पर रोक का आडंबर
इस्लाम को राजधर्म घोषित करने और शरीयत शासन के औरंगजेब फैसले के बाद काफिर (हिंदू), उनके पूजा स्थल ,शिक्षण संस्थाएं और तीज-त्योहार सभी निशाने पर थे. मशहूर इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने औरंगजेब के भरोसेमंद मुस्तइद ख़ां की किताब “मासिर-ए-आलमगीरी” के हवाले से लिखा कि शुरुआत में उसने काफिरों के नए मंदिरों के निर्माण पर रोक का आडंबर किया था.
मंदिर गिराओ, हिंदुओं को दबाओ
8 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने इस सिलसिले का दूसरा कड़ा हुक्मनामा जारी किया. थानों के फौजदारों, मुसद्दियों , करोड़ी और गुमाश्तों को संबोधित करते हुए इसमें लिखा गया कि काफिरों के सभी शिवालय और मंदिर गिरा दिए जाएं और उनकी धार्मिक प्रथायें दबायी जाए. मराठों, जाट और सिखों के विरोध के बीच उसके तेवर और कड़े हुए. वो मानने लगा कि मंदिर और हिंदू शिक्षण संस्थाएं काफिरों के जुड़ाव और प्रचार के केंद्र हैं जो उसके शासन को खतरा और इस्लाम के विस्तार की राह का रोड़ा हैं. औरंगजेब के रुख ने मातहत अफसरों और कारिन्दों को मनमानी और ज्यादती की खुली छूट दी. मंदिर विध्वंस का कार्य इतना बड़ा था कि उसके लिए एक अलग महकमा खोलना पड़ा.
सोमनाथ, विश्वनाथ, केशवराय सब निशाने पर
काठियावाड़ का प्रसिद्ध और प्राचीन सोमनाथ मंदिर, बनारस का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का केशवराय मंदिर औरंगजेब के आदेश पर ध्वस्त किए गए. बनारस के विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने का औरंगजेब का पहला आदेश 8 अप्रैल 1669 को जारी हुआ. इसी सिलसिले के 2 सितंबर 1669 के उसके दूसरे आदेश के बीच के पांच महीनों में विश्वनाथ मंदिर को लगातार नष्ट किया गया.
बनारस पर खासतौर पर उसकी कोप दृष्टि थी. इसकी एक वजह प्रतिद्वंदी भाई दारा शिकोह का इस स्थान से जुड़ाव और वहां संस्कृत और हिंदू धर्म-दर्शन का अध्ययन किया जाना भी था. हालांकि इस समय तक दारा को वह मार चुका था लेकिन औरंगजेब को इस बात से शिकायत और नाराजगी थी कि उसके बाद भी वहां की शिक्षण संस्थाओं में दूर-दूर से हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पहुंचते हैं और वहां गलत तालीम दी जाती है.
सिर्फ मंदिर नहीं गिराए, पूजा भी रुकवाई
औरंगजेब को उदार बताने वाले बनारस को लेकर औरंगजेब की नाराजगी की वजह दारा का वहां से जुड़ाव और वहां से मिले हिंदू समर्थन को भी मानते हैं. लेकिन देश भर के मंदिरों के प्रति उसकी कोप दृष्टि के मद्देनजर यह वजह बेदम दिखती है. औरंगजेब बनारस तक नहीं थमा. मथुरा के केशवराय मंदिर को तुड़वाने के साथ उसने मथुरा का नाम भी इस्लामाबाद किया. सोमनाथ मंदिर को पहली बार 1665 में गिराने का आदेश दिया और फिर आगे इस बात का वह पता लगाता रहा कि वहां हिंदुओं की पूजा जारी तो नहीं है?
जयपुर के नजदीक मलरीना मंदिर, अहमदाबाद का चिंतामण मंदिर,बड़नगर का हृदयेश्वर मंदिर, उदयपुर झील किनारे के तीन मंदिर, सवाई माधोपुर का मलासा मंदिर,उज्जैन और आसपास के अनेक मंदिर,कूच बिहार,उदयपुर,जोधपुर,गोलकुंडा,बीजापुर और महाराष्ट्र के अनेक मंदिर उस बड़ी सूची का एक छोटा सा हिस्सा हैं, जहां मंदिर औरंगजेब के आदेश पर खंडहरों में बदल दिए गए.
टूटी मूर्तियां मस्जिद के फर्श और सीढ़ियों पर
औरंगजेब ने अपने वफादार राजपूत मित्रों के इलाकों में भी कोई रियायत नहीं की. आमेर राज्य उसके पूर्वजों के वक्त से मुगलों के प्रति वफादार था. लेकिन जून 1680 में उसने आमेर के सभी मंदिर तुड़वा दिए. 1674 में गुजरात के हिंदुओं को धर्मार्थ वजहों से दी गईं जमीनें जब्त कर ली . मुस्तइद ख़ां ने अपनी किताब ” मासिर-ए-आलमगीरी” में लिखा है कि खान-ए-जहां जोधपुर में मंदिरों के विध्वंस के बाद वापसी में कई गाड़ियां भरकर टूटी मूर्तियां लाया.
खुश औरंगजेब ने कहा कि इसमें जो सोने, चांदी, पीतल और पत्थर की हैं,उन्हें जामा मस्जिद के चौक और सीढ़ियों पर लगाया जाए ताकि पैरों से रौंदी जा सकें. मुस्तइद ख़ां के मुताबिक शहंशाह के धर्म की ताकत और अल्लाह के उस पर करम को देखकर हिंदू राजाओं को काठ मार गया और वे दीवार की तरफ मुंह करके बुतों के मानिंद भौंचक्के रह गए.