बच्चे कैसे पालें? सद्गुरु जग्गी वासुदेव की शिक्षा
Follow These Tips Of Sadhguru In Raising Child
सद्गुरु की अच्छी बात मानने वाले मां-बाप कभी नहीं होते फेल, बच्चा बनता है सक्सेसफुल
अगर आप भी अपने बच्चे को एक अच्छी परवरिश देना चाहते हैं, तो एक बार सद्गुरु के बताए मार्ग पर चलकर देखें। उनकी बातों से आपको समझ आएगा कि बच्चों को कैसे पालना चाहिए और उन्हें क्या सीख देनी चाहिए जिससे उन्हें सफलता मिल सके और वो एक अच्छे इंसान बन सके।
बच्चों के पालन-पोषण का हर मां-बाप का तरीका अलग होता है। कोई बच्चों का दोस्त बनता है, तो वहीं कोई उनके साथ कठोर व्यवहार करता है। बच्चों को खुश, आत्मनिर्भर व्यक्ति बनाने की कोशिश करने के साथ ही उनका मार्गदर्शन करना, उन्हें सहायता करना और दंड देने के बीच संतुलन बनाना जरूरी होता है।
हालांकि, जब माता-पिता दोस्तों की तुलना में बॉस की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं, तब क्या होता है? आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु के अनुसार, इस दृष्टिकोण के अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं जो आपके बच्चे की भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यहां बताया गया है कि बॉस जैसा रवैया आपके बच्चे पर कैसे नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और सद्गुरु इस मामले में क्या सुझाव देते हैं।
बच्चों को दोस्त चाहिए
सद्गुरु का मानना है कि बच्चे तब बड़े होते हैं जब उनकी बात को समझा जाता है, प्यार किया जाता है और उनका समर्थन किया जाता है। तानाशाह की तरह व्यवहार करना, उनके जीवन के हर पहलू को निर्देशित करना, नजदीकियों के बजाय दूरी पैदा कर सकता है। जब माता-पिता कठोर प्रतिबंध लगाते हैं या लगातार उपलब्धियां पाने पर जोर देते हैं, तो उनके बच्चे उन पर भरोसा करने के बजाय अधिकार के व्यक्ति के रूप में देख सकते हैं।
मां-बाप के सपने पूरे करने का प्रेशर
सद्गुरु के अनुसार, बच्चों को किसी ऐसी चीज में ढालने की कोशिश करना जो वे नहीं कर सकते, माता-पिता द्वारा की जाने वाली सबसे बड़ी गलतियों में से एक है। यह तरीका युवाओं पर शैक्षणिक सफलता हासिल करने या किसी खास नौकरी को पाने के लिए अनुचित दबाव डाल सकता है।
सफलता की दौड़ में भागना
सद्गुरु बच्चों के जीवन को सफलता की दौड़ में बदलने के खिलाफ हैं, क्योंकि इससे तनाव, चिंता और यहां तक कि विद्रोह भी हो सकता है। आपका बच्चा आपके सपनों को जीने के लिए नहीं बल्कि अपना रास्ता खुद बनाने के लिए पैदा हुआ है।
मॉडर्न पेरेंटिंग का है जमाना
आज की पेरेंटिंग 20 साल पहले की पेरेंटिंग से बहुत अलग है। सद्गुरु के अनुसार, पहले माता-पिता के पास अपने बच्चों पर बहुत ज्यादा नियंत्रण हुआ करता था, लेकिन अब वह रिश्ता बदल गया है। इंटरनेट, सोशल मीडिया और दुनिया भर में होने वाले एक्सपोजर के कारण अब बच्चे बाहरी प्रभावों से काफी प्रभावित होते हैं। इसलिए माता-पिता के लिए सख्त अनुशासन रखने के बजाय बातचीत और आत्मविश्वास बनाए रखना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। एक मजबूत भावनात्मक संबंध के बिना, माता-पिता के रूप में आपका प्रभाव और भी कम हो सकता है।
प्यार का वातावरण बनाएं
सद्गुरु सुझाव देते हैं कि माता-पिता अपने बच्चों को जो सबसे अच्छा उपहार दे सकते हैं, वह है घर का सकारात्मक वातावरण। निराशा या गुस्से से नियम लागू करने के बजाय, ऐसा वातावरण बनाएं जहां खुशी, प्यार और आपसी समझ हो। वह माता-पिता को सलाह देते हैं कि बच्चों को घर में कभी भी लगातार झगड़े, ईर्ष्या या डर न देखने को मिले। ऐसा माहौल बच्चों को भावनात्मक रूप से सुरक्षित, आत्मविश्वासी और चुनौतियों
Sadhguru Jaggi Vasudev Said Parents Should Not Show These Things To Children At Home
‘घर में बच्चों के सामने गलती से भी न लाएं ये चीजें’, मां-बाप के लिए है सीख
सद्गुरु का कहना है कि बच्चों को सकारात्मक और सफल बनाने के लिए मां-बाप को घर में बच्चों के सामने कुछ चीजें नहीं दिखानी चाहिए। अगर आप भी पैरेंट हैं, तो सद्गुरु की बताई ये बातें आपके भी बहुत काम आ सकती हैं।
मोटिवेशनल स्पीकर सद्गुरु का कहना है कि बच्चों की परवरिश करना बिल्कुल भी आसान काम नहीं है और ज्यादातर लोगों को ये पता ही नहीं होता है कि इसे करना कैसे है। हर कोई अपनी इस जर्नी में धीरे-धीरे अपनी गलतियों और अनुभवों से सीखता है। सद्गुरु कहते हैं कि बच्चों को पालने में मां-बाप को बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है और उनकी छोटी-सी गलती भी बहुत भारी पड़ सकती है।
मां-बाप के लिए अपने बच्चों को अच्छी चीजें और आदतें सिखाना जरूरी होता है। अपने बच्चों को सही रास्ता दिखाने के लिए सद्गुरु ने कुछ बेहद काम के टिप्स दिए हैं जिन्हें आप भी अपनी पैरेंटिंग में अपना सकते हैं। सद्गुरु के अनुसार बच्चों को सकारात्मक और सफल बनाने के लिए घर में कुछ चीजें नहीं दिखानी चाहिए। इससे बच्चों पर नेगेटिव असर पड़ सकता है।
आपको कभी भी अपने बच्चे के सामने गुस्सा नहीं करना चाहिए। बच्चे के लिए उसके सबसे पहले और अहम रोल मॉडल मां-बाप ही होते हैं और वो जो भी करते हैं, बच्चे उसे बड़ी बारीकी से देखते हैं इसलिए मां-बाप को अपने बच्चे के सामने ऐसा कोई भी व्यवहार नहीं करना चाहिए, जो उचित न हो.
बच्चों का मन और दिमाग बहुत कोमल एवं नाजुक होता है। उनके ऊपर तनाव का बुरा असर पड़ता है। मां-बाप को कभी भी अपने बच्चे को यह नहीं दिखाना चाहिए कि वो तनाव में हैं। इससे आपका बच्चा भी दुखी और उदास हो सकता है।
हर कोई बच्चों से यही अपेक्षा करता है कि बच्चे उनका सम्मान और आदर करें फिर भले ही वो खुद बच्चों के साथ तमीज से पेश न आएं। अगर आप भी अपने बच्चे से ऐसी ही अपेक्षा रखते हैं, तो उसका सम्मान करना शुरू कर दें। जिस घर में बच्चों का भी सम्मान किया जाता है, वहां बच्चे कभी भी अपने से बड़ों का अपमान नहीं करते हैं।
आपको अपने बच्चे को इग्नोर नहीं करना है। कहने का मतलब है कि अगर आपके दो बच्चे हैं और आपको उनमें से एक की आदतें ज्यादा पसंद हैं, तो इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप अपने दूसरे बच्चे को इग्नोर करेंगे या उसके वयक्तित्व को समझने का प्रयास नहीं करेंगे। आपको यह समझना होगा कि हर बच्चा अलग होता है और उसकी पर्सनैलिटी और गुण-अवगुण भी एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। आपको अपने बच्चों को स्वीकार करना होगा।
बच्चों के लिए घर का वातावरण प्रसन्नतापूर्ण और सकारात्मक होना चाहिए। आपको उसे यह नहीं दिखाना है कि घर में कोई परेशानी है। जब तक कि बच्चा समझदार न हो जाए, उससे घर या परिवार की परेशानियों के बारे में बात न करें। ये कहा नहीं जा सकता कि बच्चे के कोमल मन पर कौन-सी बात कैसे असर करे इसलिए संभलकर करें।