आईआईटी रुड़की ने आयोजित किया 9वां अंतरराष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम
आईआईटी रुड़की ने 9वें अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन किया
इस सम्मेलन में बार-बार बाढ़, सूखा और जल संसाधनों में रोज बदलाव के संकट से बचने के लिए जरूरी जल संचय जल बहाव को सही दिशा और नियंत्रण देने में लाभदायक हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर पर विमर्श किया गया।
रुड़की 27 अक्टूबर 2002: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर हाइड्रो एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (आईएएचआर) के सहयोग से 24 से 27 अक्टूबर 2022 तक अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन किया ।
1935 में स्थापित वैश्विक संगठन इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर हाइड्रो एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (आईएएचआर) हाइड्रोलिक अनुसंधान और इसके उपयोग को उत्प्रेरित और उत्साहित करता है। आईएएचआर की हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर समिति हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर पर द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम का आयोजन भी करती है।
आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने यह आयोजन कर इस क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को उनके कार्य प्रस्तुत करने और हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के क्षेत्र में हाल की प्रगति साझा करने का विशिष्ट अवसर दिया है।सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो जैड अहमद ने कहा कि बार-बार बाढ़, सूखा और जल संसाधनों में तेजी से बदलाय को देखते हुए हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर तैयार कर जल संचय, जल प्रवाह को सही दिशा देना एवं नियंत्रण रखना जरूरी है। हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के विश्लेषण और डिजाइन में हाल में हुई प्रगति से कम लागत पर पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ स्ट्रक्चर बनाने में मदद मिली है।
यह सिम्पोजियम हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर का ज्ञान साझा करने के लिए जान (आईएसएचएस2018), पोर्टलैंड (आईएसएचएस2010). ब्रिस्बेन (आईएसएमएस2014) पोटों और पुर्तगाल (आईएसएचएस2012) में इससे पूर्व के सफल आयोजनों की श्रृंखला में नई कड़ी है। इस अवसर पर 10 देशों के शोधकर्ता लेखक अपना शोध निबंध प्रस्तुत करेंगे।सम्मेलन में समाज के लिए इंजीनियरिंग के महत्व पर अपनी बात रखते हुए कार्यक्रम के पूर्व उप निदेशक और मुख्य अतिथि प्रोफेसर के जी रंगा राजू ने कहा, हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के आधुनिक अध्ययन और शोधकर्ताओं को आपस में मिलने और इस क्षेत्र में सबसे हाल की प्रगति के बारे में ज्ञान साझा करने का अवसर देने में ऐसे सम्मेलनों का बहुत महत्व है। उन्होंने ऊपरी गंगा नहर पर शुरुआती दौर में कर्मल प्रोबी कॉली के कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि इस निर्माण के समय संबंधित सिद्धांतों की प्रचुरता नहीं थी और अन्य सुचारू स्ट्रक्चरों को देखने से आए विचारों के आधार पर नए स्ट्रक्चर डिजाइन किए गए थे । मुझे यह जानकर खुशी है कि इस बार यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत में और वह भी आईआईटी रुड़की में हो रही है।
सिम्पोजियम का एक मुख्य आकर्षण टिहरी बांध और ऊपरी गंगा नहर का टेक्निकल टूर है। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में अहम् भूमिका निभाने वाले हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर का अध्ययन करना था।
सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर के.के. पंत निदेशक, आईआईटी रुड़की ने कहा, “भारत में पहली बार आईआईटी रुड़की अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन कर रहा है जो हमारे लिए गर्व की बात है। यह संस्थान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों से संवाद करने का बड़ा अवसर है। हमें विश्वास है कि इस सम्मेलन से प्राप्त परिणाम हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के अध्ययन में बड़ा योगदान देंगे। यह सिम्पोजियम इस क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को उनके कार्य प्रस्तुत करने और हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति साझा करने का विशिष्ट अवसर देगा।”
प्रोफेसर के. के. पंत ने इस अवर पर चार पूर्व प्रोफेसर्स प्रोफेसर के.जी. रंगा राजू, प्रोफेसर पी.के. पांडे, प्रोफेसर एम. के. मित्तल और प्रोफेसर जी. एल. असावा को शिक्षा के साथ-साथ अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया। अपने स्वागत संबोधन में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर प्रवीण कुमार ने कहा, ‘आईआईटी रुड़की का सिविल इंजीनियरिंग विभाग देश में सबसे पुराना और सबसे बड़ा है और सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए देश में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसकी स्थापना 19 अक्टूबर, 1847 को रुड़की कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के रूप में की गई और 1854 में इसका नया नाम पड़ा थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग। यहां पढ़ें इंजीनियरों बड़ी संख्या में
प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों में कार्यरत हैं और अपनी मातृसंस्था को गौरवान्वित कर रहे हैं। भारत और पूरी दुनिया में सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाओं की योजना बनाने और काम पूरा करने में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा हैं। इस अवसर पर प्रस्तुति और कार्यवाही में शामिल करने के लिए 60 शोध पत्र स्वीकार किए गए। इससे पहले, उनकी सहकर्मी समीक्षा की गई।
सम्मेलन में कुल 16 देशों के शोधपत्र लेखक शामिल थे।सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर जुल्फीकार अहमद, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की, प्रोफेसर सेबेस्टियन किम, लीज युनिवर्सिटी, बेल्जियम और अन्य प्रतिष्ठित विशेषज्ञ इस अवसर के प्रमुख वक्ता थे।
इस अवसर पर 24 अक्टूबर को ऊपरी गंगा नहर का टेक्निकल टूर आयोजित किया गया और 25 अक्टूबर 2022 को नॉन- लीनियर वियर के सस्टेनेबल डिजाइन और निर्माण पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रोफेसर सेबेस्टियन एपिंकम लीज यूनिवर्सिटी, बेल्जियम और प्रोफेसर ब्रायन एम. कुकस्टम यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए ने सिम्पोजियम का संचालन किया। कार्यशाला के बाद सिविल इंजीनियरिंग विभाग की हाइड्रोलिक प्रयोगशाला पर एक व्यावहारिक प्रयोग किया गया जिसका संचालन प्रोफेसर जेठ अहमद और अनुसंधान विद्वानों ने किया।
सम्मेलन के मुख्य प्रतिभागी संगठन:-
केंद्रीय जल आयोग
टिहरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन > उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड
श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट कोलकाता
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण
असम पावर जनरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड एनसीसी प्राइवेट लिमिटेड
एक्वाग्रीन इंजीनियरिंग मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड
ट्रैक्टवेल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड इष्टिसा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड